राष्ट्रीय एकीकरण पर स्पीच

भारत जैसे विशाल और विषम देश में संस्कृतियों की बड़ी विविधता के साथ राष्ट्रीय एकता की भावना सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक है। इससे सभी संकीर्ण मतभेदों के खत्म होने में मदद मिलती है। राष्ट्रीय एकता ने भारत को एक राष्ट्रीय पहचान और राष्ट्रीय चरित्र बनाने में मदद की है। सामाजिक, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय, धार्मिक, भाषाई और आर्थिक विविधता के बावजूद एकता, एकजुटता और सामंजस्य की भावना को बढ़ावा दिया है। ऐसे कई अवसर हैं जब राष्ट्रीय एकता के गहन अर्थपूर्ण विषय पर बात करने की आवश्यकता पड़ती है।

राष्ट्रीय एकीकरण पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on National Integration in Hindi)

भाषण – 1

यहां पर उपस्थित सभी सज्जनों को मेरी तरफ से नमस्कार! आज मैं ‘राष्ट्रीय एकता’ के विषय पर एक स्पीच (भाषण) पेश करने के लिए यहां हूं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि इसका देश की एकजुटता और अखंडता पर गहरा असर पड़ता है।

राष्ट्रीय एकता का क्या अर्थ है? इसका तात्पर्य किसी देश के निवासियों की सामूहिक पहचान से है। यह दर्शाता है कि भले ही हम सभी विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों, जातियों से संबंध रखते हो और अलग-अलग भाषा बोलते हो पर हमें हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि हम सभी एक हैं। एक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए एकता की यह भावना बहुत महत्वपूर्ण है। एकीकरण का वास्तविक अर्थ एकीकृत धागे के साथ बहुसंख्यक पहचान का अस्तित्व है।

बेंजामिन फ्रैंकलिन के शब्दों को माने तो – “राष्ट्रीय एकता का मतलब पूरे देश के लोगों का एकीकरण एक आम पहचान के लिए है।”

भारत एक विशाल भूमि का प्रदेश है जिसमें विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और जातियों के लोग रहते हैं। यहाँ सभी प्रांतों के लोगों का एकसाथ रहना लगभग असंभव सा लगता है और इन धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण ही हमारा देश अतीत में अंग्रेजों का गुलाम बन गया था। आज जब हमारा देश स्वतंत्र है तो हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बाहरी खतरों और आंतरिक असंतोष से इसकी अखंडता और सम्मान को संरक्षित करने की है।

राष्ट्रीय एकता न केवल एक मजबूत देश के गठन में मदद करती है बल्कि अपने लोगों के विकास को भी प्रोत्साहित करती है। भारत में 19 नवंबर से 25 नवंबर तक आम जनता के हित में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता के विचार ने सामाजिक और धार्मिक मतभेदों को नष्ट करने का कार्य भी किया है। इसलिए यदि हमारे देश के लोग एकता के साथ खड़े रहे तो कई सामाजिक मुद्दों को समाप्त किया जा सकता है। विभिन्न विश्वासों को मानने वाले और विभिन्न समुदायों के लोग जो दूसरों के धर्मों से अपने धर्म को अच्छा बताते थे धीरे-धीरे एकता के महत्व को महसूस कर रहे हैं और देश की एकता और सम्मान के समर्थन में खड़े हो रहे हैं।

राष्ट्रीय एकता ने समानता के अदृश्य धागे के गठन की ओर अग्रसर किया है जो देश के विभिन्न हिस्सों में सामंजस्य स्थापित करती है। यह निश्चित रूप से देश की ताकत को बढ़ावा देता है। स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भी हमारे देश के लोग अन्यायपूर्ण विदेशी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक साथ खड़े हो गये थे।

अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम भारतीय नागरिकों को राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। राष्ट्रीय एकता पर इमानुएल क्लेवर द्वारा कहा गया एक प्रसिद्ध वाक्य इस प्रकार है “विभाजन से अधिक एकता में शक्ति है”। इसलिए हमें सभी सामाजिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद हमेशा एकजुट रहना चाहिए।

धन्यवाद।

भाषण – 2

यहां मौजूद सभी सज्जनों को मेरी तरफ से नमस्कार! मैं ‘राष्ट्रीय एकता’ के विषय पर एक भाषण पेश करने के लिए आप सबके समक्ष यहां उपस्थित हूं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इससे देश की एकता और अखंडता पर गहरा असर पड़ता है।

राष्ट्रीय एकता का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि किसी देश के निवासियों के बीच सामूहिक पहचान की प्राप्ति होना। यह दर्शाता है कि भले ही हम सभी विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों, जातियों से संबंधित होते हैं और अलग-अलग भाषा बोलते हो हमें हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि हम सभी एक हैं। एक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए एकता की यह भावना होना बहुत महत्वपूर्ण है। एकता का वास्तविक अर्थ एक एकीकृत धागे के साथ बहुसंख्यक पहचान का अस्तित्व है।

इस विषय पर बेंजामिन फ्रैंकलिन के कुछ अनमोल शब्द इस प्रकार हैं – “राष्ट्रीय एकता एक आम पहचान के लिए पूरे देश के लोगों का एकीकरण है।”

भारत एक विशाल प्रदेश है और विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और जातियों के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी समुदायों के लोगों को एक साथ एकता रुपी धागे में बांधे रखना लगभग असंभव लगता है। इन धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण ही हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम बन गया था। अब जब हमारा देश बाहरी खतरों और आंतरिक असंतोष से स्वतंत्र है तो इसकी अखंडता और सम्मान को संरक्षित करने की हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

राष्ट्रीय एकता न केवल एक मजबूत देश के गठन में मदद करती है बल्कि लोगों के विकास को भी प्रोत्साहित करती है। भारत में 19 नवंबर से 25 नवंबर तक की अवधि को आम जनता के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता के विचार ने सामाजिक और धार्मिक मतभेदों को नष्ट करने का भी नेतृत्व किया है। इसलिए यदि हमारे देश के लोग एकता से खड़े रहे तो कई सामाजिक मुद्दों को समाप्त किया जा सकता है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग, जो पहले अपने धर्म को दूसरों के धर्म से अच्छा बताते थे, धीरे-धीरे एकता के महत्व को महसूस कर रहे हैं और देश की एकता और सम्मान के समर्थन में खड़े हैं।

राष्ट्रीय एकता ने समानता के अदृश्य रुपी धागे के गठन की ओर अग्रसर किया है जो देश को विभिन्न हिस्सों में बांधता है। इससे निश्चित रूप से देश की ताकत में इज़ाफा होता है। स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान हमारे देश के लोग अन्यायपूर्ण विदेशी शासन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एक साथ आए।

अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हम सभी भारतीय नागरिकों को देश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। राष्ट्रीय एकता पर इमानुएल क्लेवर द्वारा कहा गया एक प्रसिद्ध वाक्य इस प्रकार है “विभाजन से एकता में अधिक शक्ति है”। इसलिए सभी सामाजिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद हमें हमेशा एकजुट रहना चाहिए।

धन्यवाद।

भाषण – 3

नमस्कार।

इस अवसर का हिस्सा बनने के लिए अपना कीमती समय निकाल कर यहाँ उपस्थित होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। यह मेरा सौभाग्य है जो आप जैसे उत्साही और बुद्धिमान दर्शकों को संबोधित करने का विशेषाधिकार मुझे मिला है।

आज मैं राष्ट्र के अस्तित्व और प्रगति के लिए ‘राष्ट्रीय एकता’ या ‘राष्ट्रीय अखण्डता’ हेतु आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।

आम आदमी के रूप में ‘एकीकरण’ शब्द से हम समझते हैं कि यह विविध या भिन्न चीजों का मिश्रण है। तो ‘राष्ट्रीय एकीकरण’ का क्या मतलब हुआ? इसका मतलब है: यह विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और जातीय पृष्ठभूमि के अनुयायीओं के बीच एकता की भावना है।

इस प्रकार राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्र की विविध संस्कृतियों और परंपराओं का मेल-जोल है। यह एक सकारात्मक पहलू है जो देश के लोगों या नागरिकों के बीच अंतर के साथ-साथ असमानताओं पर निर्भर रहती है।

राष्ट्रीय एकीकरण या देश की एकता को इस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो एक सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से विविध समूहों को एक क्षेत्रीय इकाई में एक साथ लाती हो और एक राष्ट्रीय पहचान स्थापित करती है।

एक राष्ट्र के लिए समृद्ध और विकसित होने से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वह भीतर से एकीकृत हो। यह किसी भी देश के लिए अपने राष्ट्रीय एकीकरण को संरक्षित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक राष्ट्र के नागरिकों के बीच एकता की भावना इसकी समग्र स्थिरता और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम सभी को यह समझना चाहिए कि अलग-अलग प्रयासों कि बजाए सामूहिक रूप से उठाए कदम अधिक प्रभावशाली होते हैं। लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि उन्हें देश के भीतर एकता के साथ रहना और राष्ट्रीय पहचान को एकजुट करने वाली शक्ति बनना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता एक भावना है जो विशेष रूप से लोगों को धर्म, जातियों, सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि या भाषाओं के संदर्भ में मतभेद होने के बावजूद राष्ट्र की पहचान के बंधन में बांधती है।

किसी भी देश को अपनी एकता के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं से निपटने में सक्षम होना चाहिए। ये बाधाएं बहुत आम हैं। हमने समय-समय पर इतने सारे जातिवाद, धार्मिक और भाषाई दंगों को देखा है। इन मुद्दों से देश कमजोर दिखाई पड़ता है और इस तरह भारत विरोधी शक्तियों को हमारे राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने के लिए संकेत मिल सकता है जिसे हमें कभी भी खुद पर हावी होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

देश के नागरिकों को एक समग्र रूप में संश्लेषित किया जाना चाहिए, उन्हें सद्भाव के साथ रहना चाहिए और उन्हें अपनी पहचान एक इकाई के रूप में सुनिश्चित करनी चाहिए। यह लक्षण देश की सकारात्मक चेतना और पहचान बनाने में मदद करते हैं। इस कार्य में हम सभी को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

मैं एक नागरिक के रूप में समझता हूं कि हर व्यक्ति को राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए। यदि हम अपने विचारों पर ध्यान देते हैं और अपने कार्यों की दिशा में हर दूसरे व्यक्ति की स्वीकृति की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं तो हम हमेशा हमारे देश की विभिन्न मान्यताओं, संस्कृतियों, जातियों और परंपराओं के एकीकरण की दिशा में योगदानकर्ता बनेंगे। हमारे विचार हमें बनाते हैं और तोड़ते हैं। एकता का हमारा विचार हमें एक साथ चीजें पाने में सक्षम बनाता है और एक इकाई में विशाल मतभेदों के विस्मरण को सुनिश्चित करता है।

कृपया खुद में सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करें और हमारे राष्ट्र के विभिन्न पहलुओं के एकीकरण का समर्थन करें और ‘राष्ट्रीय एकता’ को बढ़ावा देने में सहायता करें।

धन्यवाद।


भाषण – 4

आदरणीय प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और साथी छात्रों आज के इस कार्यक्रम में आप सबका हार्दिक स्वागत है।

जैसा कि आप सब जानते हैं कि आज 19 नवंबर के विशेष दिन पर हम सब यहां अपने विद्यालय के प्रांगण में राष्ट्रीय एकता दिवस का कार्यक्रम मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं। जब हम राष्ट्रीय एकता के विषय में सोचते हैं तो हमारे मन में कई सारे ख्याल आते है पर इसमें से जो सबसे पहले हमारे दिमाग में आता है वह हमारे देश की एकता और अखंडता।

हममें से कई लोग इस बात को पहले से ही जानते होंगे पर फिर भी मैं आप सबको इस विषय में बता दुं कि राष्ट्रीय एकता दिवस का यह विशेष दिन हमारे देश के महानतम प्रधानमंत्रियों में से एक माने जाने वाली श्रीमती इंदिरा गांधी के जन्मदिवस के दिन मनाया जाता है, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया और यह जानते हुए भी उनके फैसलों द्वारा उनके जीवन को खतरा होगा फिर भी वह अपने फैसलों पर अडिग रही और अपनी हत्या से पहले 30 अक्टूबर 1984 को भुवनेश्वर में दियें गये अपने आखिरी भाषण में उन्होंने कहा था कि, “मैं आज यहां हूं कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं जिंदा रहूं या न रहूं।

मेरा जीवन अच्छा और लंबा रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने देश के लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे ख़ून का एक-एक क़तरा भारत को मजबूती प्रदान करने का कार्य करेगा”। यहीं कारण है कि 19 नवंबर के इस दिन को उनके द्वारा देश के एकता को बनाये रखने के लिए किये गये सराहनीय कार्यों के प्रति समर्पित किया गया है।

राष्ट्रीय एकता दिवस का यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे देश के प्रगति और सुरक्षा के लिए हममें राष्ट्रीय एकता की भावना का होना बहुत ही आवश्यक है। इसके द्वारा ही अपने देश के राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाये रख सकते हैं। राष्ट्रीय एकता वह भावना है जो हमारे देश में भाषीय, जातीय, धार्मिक, सांस्कृतिक जैसी तमाम तरह की विविधताएं होने के बावजूद भी हमें एक सूत्र में बांधे रखने का कार्य करती है। हम कह सकते हैं कि हमारी राष्ट्रीय एकता की भावना ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति और हमारे देश के तरक्की का आधार है, इसका प्रचार-प्रसार करके हम ना सिर्फ अपने देश को तरक्की के मार्ग पर अग्रसित कर सकते हैं बल्कि की इसे एक वैश्विक शक्ति के रुप में भी स्थापित कर सकते हैं। हमारी राष्ट्रीय एकता का मूल तो हमारे राष्ट्र गान में भी संकलित है जिसमें हम पूरब से पश्चिम और पंजाब से बंगाल तक की अपनी राष्ट्रीय एकता के विरासत का वंदन करते हैं।

वर्तमान परिदृश्य में हमारे अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना का होना काफी आवश्यक है क्योंकि हमारा देश चारो ओर से शत्रुओं से घिरा हुआ है और इनके द्वारा हमारे देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए सदैव प्रयास किये जाते हैं। इसके अलावा हमारे देश की एकता और अखंडता को तोड़ने के लिए कई सारे संगठन हमारे देश के भीतर भी सक्रिय हैं, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए बाहरी शत्रुओं से भी अधिक खतरनाक है। इनमें से अधिकतर संगठन माओवाद और चरमपंथी आतंकवाद विचारों वाले संगठन है, जिन्हें बाहरी शक्तियों द्वारा आर्थिक और सामरिक रुप से परिपोषित किया जाता है और उनका मात्र एक ही उद्देश्य है भारतीय एकता और अखंडता को खंडित करना।

इसके लिए यह कई तरीकों की सहायता लेते हैं जैसे युवाओं को गुमराह करना, लोगों को सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाना, धार्मिक उन्माद और रंजिश को बढ़ाने के लिए योजनागत हिंसक घटनाओं को अंजाम देना, सरकार को कमजोर करने के लिए हिंसक घटनाओं को अंजाम देना आदि जैसे इनमें सबसे प्रमुख है।

देश के तोड़ने वाले इनकें इन मंसूबों को केवल हमारे द्वारा ही धराशायी किया जा सकता है क्योंकि देश के छात्र और नवयुवक ही वह लोग हैं, जिन्हें बहला-फुसलाकर या ब्रेनवाश करकर यह देशविरोधीं ताकते अपनी योजनाओं को अंजाम देती हैं। यदि हम इन विषयों के प्रति सजग रहेंगे और अपने देश की एकता के भावना को समझेंगे तो कोई शक्ति या संगठन कितनी भी कोशिश कर ले पर वह हमारे देश की राष्ट्रीय एकता को तोड़ने के प्रयास में कभी सफल नही हो सकता है।

तो आइये मिलकर शपथ ले कि ना सिर्फ हम अपने देश के एकता व अखंडता के विषय के प्रति जागरुक होंगे बल्कि दूसरें में भी इस विषय के प्रति जागरुकता लाने का पूरा प्रयास करेंगे क्योंकि इन्हीं देश की एकता और अखंडता विरोधी ताकतों से लड़ते हुए हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपनें प्राणों को भी देश के खातिर न्यौछावर कर दिया था और उनका यह महान बलिदान हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि यदि राष्ट्र के एकता के लिए हमें अपने प्राणों का भी बलिदान देना पड़े तो हमें पीछे नही हटना चाहिए।

उम्मीद करता हुं कि आप सबको मेरा यह भाषण पसंद आया हो, मेरे भाषण को इतने धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद!

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