आतंकवाद पर भाषण

आतंकवाद आज के समय में बहुत ही चर्चित विषय है। हर कोई इसके बारे में चर्चा करता है और इसे देश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है। दुनिया से आतंकवाद को उखाड़ फेंकने और विश्व स्तर पर शांति स्थापित करने के लिए कई देशों द्वारा निवारक उपाय किए जाते हैं लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करना इतना आसान नहीं है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो नामुमकिन है। आप इनमें से किसी को संदर्भ बिंदु के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं और आतंकवाद पर एक प्रभावीशाली भाषण तैयार कर सकते हैं।

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े स्पीच (Short and Long Speech on Terrorism in Hindi)

भाषण – 1

माननीय प्रधानाचार्य, उप प्रधान, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों – मैं आप सभी का हमारे स्कूल संगोष्ठी हॉल में स्वागत करता हूं। सबसे पहले मैं यहाँ हर किसी को गर्मजोशी से बधाई देना चाहता हूँ!

हमेशा की तरह हम फिर से हमारे विचारों और प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए हैं जिनसे हम और हमारा देश बड़े पैमाने पर चिंतित हैं और आज का हमारा जो ज्वलंत मुद्दा है वह है आतंकवाद जिससे सारी दुनिया पीड़ित है। मैं इस विषय के बारे में बात करने के लिए बहुत उत्सुक हूं। मैंने इस विषय को इसलिए चुना है ताकि मेरे छात्रों में इसके बारे में जागरूकता पैदा हो सके और उन्हें पता चले कि किस तरह इसने दुनिया को प्रभावित किया है।

हालांकि मेरी निजी राय दुनिया के बाकी हिस्सों में बसे लोगों से अलग नहीं है लेकिन फिर भी मैं इसे आपके साथ साझा करना चाहूंगा और कहूंगा कि आतंकवाद ने हमारे ग्रह पर बड़ी तबाही फैलाई है और हम सभी के जीवन को अस्थिर कर दिया है। कई बहादुर सैनिक और अनगिनत निर्दोष लोग बढ़ते आतंकवादी हमलों के कारण ही अपनी जान गंवा चुके है। दुनिया की अर्थव्यवस्था को भरी नुकसान का सामना करना पड़ा और सबसे महत्वपूर्ण यह है की इसने सभी के दिल में इतना डर पैदा कर दिया है कि उनका जीवन कहीं भी सुरक्षित नहीं है।

यदि आप घड़ी की सुईओं को उल्टा कर सकें तो आपको पता चल जाएगा कि इतिहास आतंकवादी हमलों की भयानक घटनाओं से भरा है। हम रात में आराम से सो नहीं सकते, सड़कों पर आसानी से नहीं चल सकते क्योंकि हम पर हर समय आतंकवादी हमलों का खतरा मंडराता रहता है जिनका कारण बढती आतंकवादी हमलों में हत्याएं हैं। यही कारण है कि हम अक्सर अपने प्रियजनों को भीड़ वाली जगहों पर, खासकर त्यौहारों के मौसम में इक्कठे होने से बचाते हैं। आतंकवाद वो गतिविधि है जिसका इस्तेमाल जानबूझकर कई आतंकवादी संगठनों के एक समूह द्वारा जनता के बीच भय या आतंक पैदा करने के उद्देश्य के साथ सामान्य जन-जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है। यह लोगों के शांतिपूर्ण जीवन को बिगाड़ने और उनके परिवारों को नष्ट करने का घृणित अभ्यास है।

मुंबई आतंकवादी हमलों (यानी 26/11) के घाव अभी तक भरा भी नहीं और इस तरह की गतिविधियाँ दुनिया में लगातार बढ़ रही है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान बम हमलों से लेकर मुंबई ताज होटल पर आतंकवादी हमलों तक, अमेरिका में बमबारी से लेकर ट्विन टॉवर पर हमले तक। आतंकवादी संगठनों द्वारा इन घृणित गतिविधियों को अंजाम बेख़ौफ़ दिया जाता है।

दुर्भाग्य से हमारे जैसे लोग ही आतंकवादी बनते हैं जिनके दिमाग को आतंकवादी संगठनों (अफगानिस्तान, इराक और तालिबान जैसे स्थानों से संबंधित) द्वारा बहलाया-फुसलाया जाता है। यहाँ तक कि वे आत्महत्या बमवर्षक बनने के लिए भी तैयार हो जाते हैं और आतंकवादी समूहों द्वारा मानव हथियार बनने का रास्ता भी चुन लेते हैं।

इन आतंकवादी गतिविधियों का उद्देश्य हमारे देश या दुनिया के अन्य देशों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मशीनरी को अव्यवस्थित करना है। सार्वजनिक रूप से पता चले आंकड़ों के मुताबिक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अमेरिका हर साल करीब 5 मिलियन डॉलर खर्च करता है। वास्तव में हमारा देश इस मुद्दे का समाधान करने के लिए सक्रिय भागीदारी भी दिखा रहा है। पोटा, जो इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए हमारी भारत सरकार द्वारा बनाया गया है, नामक एक गठबंधन के माध्यम से इससे लड़ने की कोशिश की जा रही है।

तो चलिए हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपराधों और हत्याओं की इन घृणित गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और लोगों को जागरूक करके हमारे देश को मजबूत बनाएंगे।

धन्यवाद।

 

भाषण – 2

माननीय अध्यक्ष, ABC सामाजिक कार्यकर्ता समूह, समिति के सदस्यों और प्रिय दर्शकों आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!

मैं हमारे देश के संवेदनशील मुद्दों के प्रति लोगों की चेतना को बढ़ाने के लिए 26वें वार्षिक चर्चा कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं ताकि लोगों को संगठित किया जा सके। और जैसा की आप सभी जानते हैं आतंकवादी हमलों और बम विस्फोटो की खबर हमेशा समाचारों में बनी रहती है मैं आज की चर्चा और विश्लेषण के लिए इस विषय पर बात करना चाहता हूँ।

हालांकि आपराधिक हिंसा और युद्ध के खतरों के मामले मानव अस्तित्व के समय से ही उत्पन्न हो रहे हैं परन्तु आतंकवाद की शुरुआत राजनैतिक क्रूरता के रूप में ले टेरर से शुरू हुई, ले टेरर यानी फ्रांस में क्रांति। शुरुआत में 19वीं सदी के अंत में क्रांतिकारी सरकारी शासन के कठोर रवैये (जब लगभग चालीस हज़ार लोगों का सिर धड़ से अलग कर दिया गया था) को परिभाषित करने के लिए “आतंकवाद” शब्द को संदर्भित किया जिसका अर्थ पूरी तरह से सरकारी समूह हिंसा जैसे रूसी नारद्नया वोल्या यानी “लोगों की इच्छा” है। तब से ही आतंकवादी समूहों या उनके कार्यों में बदलते राजनीतिक उद्देश्यों और मान्यताओं के साथ मतभेद हैं।

ऐसे कई सवाल हैं जो आतंकवाद पर उठाए गए हैं जैसे कि कैसे आतंकवाद एक राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था या उसके सामाजिक संस्थानों का विघटन करता है? किस तरह आतंकवाद सामाजिक परिवर्तन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है? किस तरह आतंकवाद दुखी अल्पसंख्यक समाज और सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के बीच या किसी वंचित समूह के बीच और जो कि कार्यरत बल द्वारा पूर्ण एकाधिकार प्राप्त कर सकता है के बीच सामाजिक सहसंबंध को परिभाषित करता है? आतंकवाद के बारे में एक व्यापक सामाजिक दृष्टिकोण केवल राजनीतिक घटनाओं की चर्चा के माध्यम से ही संभव है जो कि बड़े पैमाने पर न केवल संचयी संख्यात्मक बयानों के संदर्भ में बल्कि समाज पर इसके प्रभावों की जांच भी शामिल है।

इस बात से इनकार करने का कोई कारण नहीं है कि आतंकवाद समाज की आबादी को तोड़ता है और परेशान करता है तथा समाज में विच्छेद पैदा करता है। हालांकि इसके विपरीत यह एक समान लक्ष्य के लिए लोगों को एक साथ लाने में एकीकृत तंत्र के रूप में भी काम करता है। आतंकवाद समाज में अराजकता पैदा करता है और किसी राज्य या देश के कानून-व्यवस्था में भी बाधा उत्पन्न करता है यानी धार्मिक आधार पर एक संप्रदाय द्वारा उप-सांस्कृतिक भेदों के कारण दूसरे संप्रदाय के लोगों का अपहरण या हत्या। हालांकि कभी भी आतंकवाद किसी ऐतिहासिक परिवर्तन के माध्यम से कोई लक्ष्य हासिल करने का तरीका नहीं हो सकता।

एक हालिया आतंकवादी हमला 11 जुलाई, 2017 को हुआ था। यह हमला अनंतनाग में अमरनाथ यात्रा पर था जहां सात हत्याएं हुई और 19 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इससे पहले एक और घटना हुई जो 7 मार्च 2017 को हुई थी जब भोपाल-उज्जैन ट्रेन यात्री पर आतंकवादी बम विस्फोट हमला हुआ। बम विस्फोट की घटना शाहपुर, मध्य प्रदेश के जिबरी रेलवे स्टेशन पर हुई जिसमें 10 यात्री घायल हो गए।

भले ही आतंकवादी सामाजिक रूप से व्यवस्थता को बिगाड़ने में सक्षम नहीं हैं परन्तु वे इस तरह समाज को कमजोर बना देते हैं जिससे अधिकारियों की प्रशासनिक क्षमता और सत्तारूढ़ संभ्रांत प्रभावित होते हैं।

इसलिए हमारे समाज में असामाजिक तत्वों को प्रोत्साहित करने या आश्रय देने का अधिकार नहीं है और अगर हमें कुछ संदिग्ध नज़र आता है तो हम सभी को हमारे परिवेश पर घनिष्ठ नजर रखने और पुलिस को हर चीज की रिपोर्ट करने के मामलों में थोड़ा और सतर्क रहना चाहिए। मुझे सिर्फ इतना ही कहना है!

धन्यवाद!

 

भाषण – 3

देवियों और सज्जनों।

इस समारोह को शुरू होने से पहले मैं यहां सभी लोगों को एकत्रित होने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और इस अवसर पर आतंकवाद पर कुछ शब्द बोलने के लिए आपका थोड़ा सा कीमती समय लेना चाहता हूं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज के इस समारोह को इस क्षेत्र में लोगों के बीच आतंकवाद के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए व्यवस्थित किया गया है। लोगों को यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वास्तव में आतंकवाद क्या है?

आतंकवाद को केवल एक अवैध कार्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका उद्देश्य लोगों के बीच हिंसा पैदा करना है। अब दुनियाभर में आतंकवाद का भय तेजी से फैल रहा है। आतंकवादियों ने धर्म के नाम पर आतंकवाद फैलाया और लोग अपने प्रियजनों को खोने के डर में रह रहे हैं विशेष रूप से वे लोग जो आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं। कई आतंकवादी समूह आतंकवाद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूरे विश्व में आतंकवाद फैला रहे हैं जिनमें आईएसआईएस, अल-कायदा आदि जैसे समूह प्रमुख हैं। राजनीतिक, धार्मिक, व्यक्तिगत और वैचारिक लाभों के कारण आतंकवादी गतिविधियां होती हैं। पूरी दुनिया आतंकवाद की समस्या से पीड़ित है इसलिए इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही हल किया जा सकता है। केवल एक या कुछ देश इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

भारत को एक राष्ट्र के रूप में अपने पूरे इतिहास में कई अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ा जिनमें आतंकवाद सबसे बड़ी थी। ऐसे कई उदाहरण हैं जब देश आतंकवाद के भय से गुजरा उदाहरण के लिए ताज होटल पर हमला जिसने पूरे देश पर भयावह प्रभाव डाला। इस हमले में देश को भारी नुकसान उठाना पड़ा और आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा। इस प्रकार के आतंकवादी हमले आतंकवादियों द्वारा राजनीतिक और अन्य अनुचित लाभ के लिए किए जाते हैं। वे अपनी अनुचित मांगों के लिए निर्दोष लोगों की हत्याएं करते हैं। इन हमलों का उद्देश्य लोगों को डराना और पूरे देश में आर्थिक, सामाजिक नुकसान फ़ैलाना है।

हमारे देश के कई लोग इन आतंकवादी हमलों के समर्थन में हैं और उन्हें लगता है कि ये आतंकवादी जो कुछ भी अपने देश के लिए कर रहे हैं यह उचित है और यह हमारे लिए वाकई शर्म की बात है। इन सभी हमलों ने लोगों के बीच डर फ़ैलाने का काम किया है। हाल ही में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों ने तीर्थयात्रियों पर हमला किया जिसके कारण सात तीर्थयात्रियों की मौत हो गई जिसमें पांच महिलाएं शामिल थी और 12 व्यक्ति घायल हो गए। क्या निर्दोष लोगों को मारना उचित है? कोई भी धर्म लोगों को मारने की शिक्षा नहीं देता लेकिन कुछ लोग हैं जो धर्म के नाम पर हत्याएं करते हैं। इस प्रकार भारत अपने ऊपर किए हमलों को रोकने और आतंकवाद से लड़ने के लिए हर साल सुरक्षा पर बहुत पैसा खर्च कर रहा है लेकिन आतंकवादी समूह इतने उच्च प्रशिक्षित हैं कि वे चुपके से हमारे देश की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। हमारा देश सबसे सुरक्षित देश तो नहीं है लेकिन इसके पास इन आतंकवादी समूहों के खिलाफ लड़ने के लिए नवीनतम तकनीकी सुरक्षा है।

दुनिया इस खतरनाक समस्या को तभी दूर कर सकती है जब लोगों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ेगी और सारे देश एक साथ इस समस्या को हल करने के लिए एक साथ खड़े होंगे।

इसी के साथ मैं अपनी स्पीच समाप्त करता हूं और आप सभी को इसे सुनने के लिए विशेष धन्यवाद देना चाहता हूं और इस समारोह को सफल बनाने के लिए धन्यवाद।


 

भाषण 4

आप सभी को मेरा नमस्कार, आज के इस सेमिनार में एकत्रित होने के लिए मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हुं। सबसे पहले, मैं माननीय मुख्य अतिथि, सम्मानित प्रधानाचार्य, उपाध्यक्ष, सम्मानित शिक्षकगण और अपने प्रिय छात्रों का स्वागत करता हूं।

हर साल की तरह, आज हमारे स्कूल का वार्षिक दिन है और आज हम यहां अपने समाज, परिवार तथा अन्य चिंताजनक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। इस साल, हमने ‘आतंकवाद’ को अपने विषय के रुप में चुना है, यह न केवल भारत में अत्यधिक रुप से फैल चुका है बल्कि ये पूरी दुनिया की एकता को प्रभावित कर प्रत्येक व्यक्ति के शांति और सद्भावना में बाधा डालने का कार्य कर रहा है।

आतंकवाद को हिंसा और रक्तपात के द्वारा आम लोगों के जीवन की बलि चढ़ाकर अपने राजनीतिक और आर्थिक हितो को आगे बढ़ाने के मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने वाले विचारधारा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विभिन्न कार्यो और उपायो के साथ आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सकता है। आतंकवाद का परिणाम हमेशा खतरनाक ही होता है, इसका मूल कारण सामाजिक, धार्मिक या राजनीतिक, जातीय मतभेद तथा एक वर्ग या लोगों के समुदाय का दूसरे द्वारा शोषण या प्रतिकार किया जाना हो सकता है।

राजनीतिक दलों और नागरिकों का किसी विशेष मुद्दे के ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए मुख्य रूप से इसे कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा अपनाया जाता है। हालांकि आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है और स्वतंत्रता के बाद भारत में इसकी बढ़ोतरी से तेजी हुई है और आज, यह निर्दोष नागरिकों के लिए सबसे चिंताजनक मुद्दा बन गया है, इसके लिये कई राजनीतिक दल भी कहीं न कहीं इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार है।

जम्मू-कश्मीर, दक्षिण और पूर्वी मध्य भारत (नक्सलियों), असम (उल्फा), झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे भारत  के क्षेत्र आतंकवाद से बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं। एम के नारायणन (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) के अनुसार, भारत में लगभग 800 आतंकवादी संगठन चल रही हैं।

आप सभी ने ये खबर देखी ही होगी कि कश्मीर में अधिकांश पाकिस्तानी आतंकवादी गतिविधियों ने i.e. आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) से प्रेरित होती है, जबकि पाकिस्तानी सरकार हमेशा इस बात से इनकार करती रहती है।

भारत में आतंकवाद के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक कारण धर्म का भी है जो युवा पीढ़ी के भावनाओ को प्रभावित कर रहा है। बहुत से लोगों के अंदर ‘धर्म’ के प्रति गलतफहमी है और कुछ लोग इसे असामाजिक तत्वों से जोड़कर इसका लाभ उठाते हैं तथा निर्दोष युवाओं के दिमाग को आतंकवाद की धारा की ओर परिवर्तित करने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया है कि भारत में अधिकांश मौते और घटनाएं धर्म-प्रेरित आतंकवाद के कारण हुई हैं।

आतंकवाद के अन्य कारण जैसे ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी, भूमि सुधार, मालिकों द्वारा गरीब का शोषण, अशिक्षा, मजदूरों के दुरुपयोग आर्थिक कारण हो सकते हैं। अन्य कई कारण से मार्क्सवादी, माओइस्ट जैसे विचारधारा से समर्थित विभिन्न नामों के आतंकवादी समूह इस तरह के काम कर रहे हैं।

बेरोजगारी, गरीबी, गैर-शिक्षा, बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे उचित स्वास्थ्य देखभाल और परिवहन व्यवस्था ऐसे कुछ सामाजिक मुद्दे जो सरकार के खिलाफ विभिन्न आतंकवाद समूहों का निर्माण कर सकते हैं।

आतंकवाद आज भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है और यह पूरी दुनिया के लिए समान रूप से खतरनाक है। आतंकवाद न केवल मानवता के लिये घातक और एक बुरा स्वप्न है, बल्कि यह कानून, शांति और सद्भाव को भी प्रभावित करता है। इसलिए, इस सेमिनार के माध्यम से हम, आप सभी को, विशेष रूप से युवाओं से अपील करते हैं कि आपको ऐसे सभी तत्वों से दूर रहना चाहिए जो धर्म, सामाजिक या आर्थिक कारण के नाम पर आपको प्रभावित करते हैं। आतंकवाद कभी किसी मुद्दे का समाधान नहीं होता, वास्तव में ये केवल निर्दोष लोगों के खून का परिणाम होता है जो देश की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं होते।

तो अब मैं इस इतना कहते हुए ही आपसे विदा लेना चाहुंगा और आशा करता हुं की आपका दिन मंगलमय हो!

धन्यवाद!

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