प्राकृतिक संसाधन वो संसाधन होते है जो मनुष्यों के हस्तक्षेप के बिना प्रकृति में स्वतन्त्र रुप से पाये जाते हैं तथा मनुष्यों को जीवित रहने और विकसित करने के लिए अति आवश्यक होते हैं। ये वे संसाधन है, जो हमारे चारों ओर उपस्थित होते हैं जैसे- हवा, सूर्य, मिट्टी और यहां तक कि भूमिगत खनिज प्राकृतिक संसाधन इनके उदाहरण हैं, जिनका उपयोग हम अनेक प्रकार से करते है।
प्रस्तावना
प्राकृतिक संसाधन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके बिना वैश्विक मानव और आर्थिक विकास नहीं हो सकता है। यह देखा गया है कि औद्योगिक क्रांति के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है, तथा खनिज, जीवाश्म ईंधन, पानी, लकड़ी और भूमि जैसे इन संसाधनों के मांगों में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है। दुर्भाग्यवश, इन संसाधनों को नियंत्रित करने के लिए बहुत प्रयास किये गये है, परन्तु फिर भी इसके उपाभोग में वृद्धि होती जा रही है तथा इन संसाधनों में कमी होने से पर्यावरणीय को क्षति भी पहुँची है।
तथ्य और आंकड़े
पिछले 25 वर्षों में, संसाधनों का वैश्विक निष्कर्षण काफी तेजी से बढ़ गया है। 1980 में, यह संख्या करीब 40 अरब टन थी और 2005 में, 45 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह 58 अरब टन हो गया था।
ताजा पानी का केवल 2.5 प्रतिशत पानी पृथ्वी को 70 प्रतिशत तक कवर कर सकता है। उस पानी का अधिकांश स्थायी आइसकैप्स और बर्फ के रूप में उपस्थित है। वास्तव में हमें पृथ्वी का ताज़ा पानी बहुत कम ही मिल पाता है – वो भी एक ऐसी पहुंच जो बढ़ती आबादी और ताजे पानी के अधिकांश स्रोतों को प्रदूषित कर रही है बढ़ती आबादी के कारण ताजे पानी के अधिकांश स्रोत प्रदूषित हो रही है। जिसके वजह से पृथ्वी का ताज़ा पानी मिलना और भी मुश्किल होते जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने भविष्यवाणी की है कि जिन क्षेत्रों में 1.8 अरब लोग रहेंगे वो क्षेत्र 2025 में पानी की कमी का सामना करेंगा।
तेल वैश्विक विकास के लिए सबसे आवश्यक बुनियादी प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। हालांकि, खपत की हमारी वर्तमान दर के देखते हुए ये कहाँ जा सकता है कि 46.2 वर्षों में ये समाप्त हो जाएगा। प्राकृतिक गैस के लिए ये कहाँ गया है कि, इसके मौजूदा स्तर को देखते हुए अगर इसका उपयोग जारी रखा गया तो यह 58.6 साल तक चल सकता हैं।
निष्कर्ष
प्राकृतिक संसाधनों की कमी के बारे में ये केवल कुछ तथ्य हैं। यहां दिए गए सभी आंकड़े इस बात पर निर्भर हैं कि वर्तमान में हम इन संसाधनों का कितना उपयोग कर रहे है। भविष्यवाणी के इस मॉडल के साथ समस्या यह है कि वैश्विक आबादी के साथ जल्द ही ये 8 बिलियन हिट करेके ये बढ़ेगा और संसाधनों का तेजी से उपभोग किया जाएगा। तथ्य यह भी है कि जब तक हम संसाधनों की खपत को नियंत्रित नहीं करते, यह हमारे महसूस करने की तुलना में बहुत जल्दी खत्म होने की संभावना रखते हैं। अगर हम संसाधनों की खपत पर नियंत्रण नहीं करेंगे तो ये हमारे कल्पना से बहुत पहले ही समाप्त हो जाएगा।
प्रस्तावना
आधुनिक समाज प्राकृतिक संसाधनों को एक बड़ी मात्रा में उपभोग करता है, भले ही वो स्वच्छ पानी हो या जीवाश्म ईंधन। हालांकि, इन संसाधनों पर हमारी निर्भरता बढ़ रही है लेकिन संसाधनों की वास्तविक मात्रा घट रही है, क्योंकि हम अधिक तेज़ी से उनका उपभोग कर रहे हैं। इस कमी को न केवल आर्थिक स्तर पर बल्कि सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर भी व्यापक रुप से महसूस किया जा रहा है। इन संसाधनों को पूरी तरह से समाप्त होने से पहले हमें समाधान ढूंढने की आवश्यक्ता है।
जीवाश्म ईंधन निर्भरता को कम करें
जब हम आम तौर पर जीवाश्म ईंधन निर्भरता को कम करने के बारे में बात करते हैं तो हम बिजली के उपयोग को कम करने की ओर देखते हैं, जो जीवाश्म ईंधन और गैसोलीन का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है।
इसके अत्यधिक उपयोग में कमी लाने के लिए व्यक्ति और संगठन दोनों अपना योगदान कर सकते हैं। समाधान जैसे कारपूलिंग, ऊर्जा उपकरणों का उपयोग करें स्थानीय रूप में उगाए गए भोजन को खरीदना चाहिए ताकि इसका लंबी दूरी पर परिवहन न किया जाए तथा उच्च माइलेज वाले वाहनों का उपयोग करना चाहिए। ये वो सारी चीजें हैं जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति कर सकते है। संगठनों और सरकार को सौर और हवा जैसे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू करनी चाहिए जो कि अति आवश्यक है।
स्वच्छ जल
पानी को नवीकरणीय संसाधन के रूप में देखा जाता है और चूंकि यह मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक है, इसलिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए। हालांकि, तथ्य उद्योगों को निकटतम जल निकायों में जहरीले अपशिष्ट को फेकने के बजाये प्रौद्योगिकी में निवेश करने की आवश्यक्ता है ताकि विषाक्त अपशिष्ट जल को प्रदूषित न कर पाए। हालांकि यह सच है की बढ़ते आबादी के कारण, ताजा जल की आपूर्ति बरकार रहना मुमकिन नहीं है। और यह भी है की नदियों और झीलों जैसे ताजा जल निकायों के प्रदूषण होने के कारन हमे भारी समस्या उठानी पड़ रही हैं। पानी की रिसाव का तुरंत पता लगाए और उसका समाधान निकाले। पानी के नल को खुला न छोड़े, साबुन और डिटर्जेंट का इस्तेमाल उस जगह पर न करें जहाँ पे जल प्रदूषित होने की संभावना हो
वनों को संरक्षित करें
औद्योगिकीकरण के बाद से हमने विश्व के आधे वनों को नष्ट कर दिया है, जिन्हें जारी रखने की अब और अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि ये भविष्य में हमारे लिए घातक साबित हो सकते सकता हैं। पेपर कागजो का कम उपयोग करके, हम इस उद्देश्य के लिए सालाना काटी जाने वाली पेड़ों की संख्या को कम कर सकते हैं, वहीं फर्नीचर और अन्य वस्तुओं के लिए अन्य वैकल्पिक सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए। हमे पेड़ काटने की इस प्रक्रिया को रोकना चाहिए तथा लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
निष्कर्ष
ये कुछ तरीके हैं जिनमें प्राकृतिक संसाधन की कमी की समस्या को समाप्त किया जा सकता है। लोगों, उद्योगों और सरकारों द्वारा केवल एक समेकित प्रयास सराहनीय परिणाम दिखा सकता है। यह अपने लाभ और सुविधा से परे सोचने का समय है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, और अभी इसका शुरुआत नहीं किया गया तो बहुत देर हो जाएंगे।
प्रस्तावना
पृथ्वी पर मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है। इस ग्रह पर जितने लोग हैं, उनसे अधिक संसाधन जीवित रहने के लिए आवश्यक है। हालांकि, ग्रह पर सीमित संसाधन ही है – संसाधन जो घातीय दर पर उपभोग किए जा रहे हैं। यहां तक कि पानी और मिट्टी जैसे नवीकरणीय संसाधनों को बहुत अधिक दर पर उपभोग किया जा रहा है। इसका परिणाम आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों में कमी हो सकता है, जिसका प्रभाव मानव तथा ग्रह दोनों के लिए घातक हो सकता हैं।
प्राकृतिक संसाधन में कमी के प्रभाव
बढ़ती आबादी को आवास, कपड़े और भोजन प्रदान करने के लिए हमें विभिन्न खनिजों की आवश्यकता पड़ती है। औद्योगिक क्रांति ने खनिजों की बड़े पैमाने पर शोषण करने की प्रक्रिया शुरुआत की है जिनके कारण खपत की दरों में केवल वृद्धि ही हुई है। यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान शताब्दी के दौरान एल्यूमीनियम, कोयला और लोहे में भी इसी तरह के गिरावट का सामना करना पड़ सकता हैं। गैस, तांबा और जिंक जैसे खनिजों के उपलब्धता की कमी के कारण अगले 20 वर्षों में उनके उत्पादन में गिरावट देखी जा सकती हैं।
तेल आज की वैश्विक औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लिए अति आवश्यक है। हालांकि, तेल भंडार के जल्द ही खत्म होने तथा पीक तेल अवधि का अनुमान लगाया गया है और यह देखा गया है कि जब हम विश्व स्तर पर पेट्रोलियम निष्कर्षण की अधिकतम दर तक पहुंच जाएंगे तो इसके समाप्त होने की सम्भावना अत्यधिक बढ़ जायेगी। तेल के उत्पादन में गिरावट शुरू हो जाएगी और इसका प्रभाव व्यापक होगा जिसके कारण तरल ईंधन की कीमतें बढ़ने के लिए बाध्य तथा अस्थिर हो जाएंगी। जो बदले में, न केवल देश के अर्थव्यवस्था बल्कि समाज और यहां तक कि वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित करेगी।
वन एक आवश्यक प्राकृतिक संसाधन हैं; हालांकि, हमने कृषि, औद्योगिकीकरण और आवास के लिए दुनिया के जंगलों में से लगभग आधे हिस्से को नष्ट कर दिया है। इस अनियंत्रित वनों की कटाई का प्रभाव अत्यन्त चौंका देने वाला है, जिनके कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ गई है, वर्षा चक्रों में बदलाव आ गया है, मिट्टी की उपजाऊ परते नष्ट हो रही है और जैव विविधता में कमी आ गई है।
पानी हम सभी के लिए सबसे आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों में एक है। हम इसके बिना एक सप्ताह भी जीवित नहीं रह सकते। स्वाभाविक रूप से, यह वह संसाधन है जिसका उच्चतम रुप से शोषण हो रहा है। फिलहाल, हमारे अधिकांश ताजे पानी की आपूर्ति भू-पानी से होती है, जो की अनवीकरणीय है। इसके असमान रूप से वितरण के कारण, इसका प्रभाव राजनीतिक, सामाजिक और उत्तरजीविता पर पड़ता हैं। पानी की कमी के कारण लोग एक देश से दुसरे देश प्रवास करने लगते। हालांकि, वैश्विक आपूर्ति की कमी आज हमारे सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जिनके कारण हमें जल्द ही ऐसे समय का सामना करना पड़ सकता है, जब हमारे पास पीने के लिए तथा खेती के उपयोग के लिए पर्याप्त पानी नहीं बचेगा।
निष्कर्ष
यह एक सामान्य सी बात है कि हमें इन प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए जिससे इन संसाधनों को प्रतिस्थापित होने से रोका जा सके। हालांकि, वैश्विक विकास के हित में हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग यह सोचकर कर रहे है कि ये संसाधन प्राकृति में अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध है। जब तक हम इसके प्रति जिम्मेदार न बन जाए या आर्थिक विकास के साथ संसाधनों के संरक्षण को संतुलित करना न सीखें ले, तब तक हमे इन संसाधन का कम से कम उपयोग करना चाहिए, अन्यथा इसके कारण, जल्द ही ऐसा समय आ जायेगा जब हमारे पास एक भी प्राकृतिक संसाधन नहीं बचेगें। इसीलिए यह आवश्यक्ता आवश्यक है कि हम वैकल्पिक संसाधनों के अनियमित उपयोग को कम करने की कोशिश करे, जिससे प्राकृतिक संसाधन को बचाया जा सके।
प्रस्तावना
प्राकृतिक संसाधन उन संसाधनों को कहां जाता है जो मानव हस्तक्षेप के बिना, प्रकृति में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होते हैं जैसे विद्युत, चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण बल, सूर्य की रोशनी, वायु, पानी, खनिज, मिट्टी, तेल, पेड़, वनस्पति और यहां तक कि जानवर आदि। पृथ्वी पर ऐसे बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन हैं जिन्हें हम अपने आसपास देख तथा महसुस कर सकते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों की कमी
यहां दो प्रकार के संसाधन उपलब्ध हैं- नवीकरणीय और अनवीकरणीय। नवीकरणीय संसाधन वो संसाधन होते हैं जो समय-समय पर प्रतिस्थापित होते रहते हैं और इसलिए, इनका उपयोग बार-बार किया जा सकता है जैसे- पानी, हवा और सूरज की रोशनी आदि। वहीं अनवीकरणीय संसाधन सीमित होते हैं, इन्हें प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता या अगर ये होता भी है तो इनमे प्रतिस्थापित की प्रक्रिया बहुत धीरे-धीरे काम करती है। किसी भी प्राकृतिक संसाधनों का तेज़ी से उपभोग करने पर वो संसाधन प्रतिस्थापित होने से पहले ही समाप्त हो जाता है।
प्राकृतिक संसाधनों की कमी के कारण
प्राकृतिक संसाधनों के कम होने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है:
जनसंख्या में वृद्धि – जनसंख्या वृद्धि प्राकृतिक संसाधनों की कमी का मुख्य कारण है। सीधे शब्दों में कहें तो, जितने अधिक लोग धरती पर निवास करेगें, उतने ही अधिक लोग उन संसाधनों का उपभोग करेगें। देर – सवेर, संसाधनों के प्रतिस्थापित होने की भी तेज़ी से इनका उपभोग किया जा रहा है। सुविधा और आराम की हमारी खोज में, हमने उपलब्ध कई संसाधनों का अत्यधिक शोषण किया है, जिसका सबसे आदर्श उदाहरण पानी है। हालांकि पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग पानी में ढका हुआ है। हमने इन प्राकृतिक संसाधनों का इतना शोषण किया है कि आज ये अत्यधिक दूषित हो गये है तथा ये मानव उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं रह गये है।
वनों की कटाई – पेड़ हमारे बीच उपलब्ध सबसे प्रचुर मात्रा के प्राकृतिक संसाधनों में से एक हैं। ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने तथा ऑक्सीजन का उत्पादन करने तथा मिट्टी को एकत्रित करने और यहां तक कि वर्षा को प्रभावित करने जैसे विभिन्न कार्यों को निष्पादित करते करता हैं। हम लकड़ी प्राप्त करने के लिए जंगलों के पेड़ो को काटते हैं जिसके कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा तथा वैश्विक तापमान में वृद्धि हो जाती होती है और यह जलवायु पैटर्न तथा वर्षा को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा, मिट्टी जो इन पेड़ों की जड़ों के साथ एकत्रित हुई थी, उसे भी अलग कर देता है। अंततः यह विशाल जंगलों को रेगिस्तान में बदल देता है।
जीवाश्म ईंधन का उपयोग– जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और तेल, जिनका गठन मृत जानवर और पौधे के द्वारा कई सालो तक पृथ्वी के नीचे भारी दबाव और तापमान का सामना करने के बाद होता हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद से, ये ईंधन हमारे जीवन के हर पहलू के लिए आवश्यक हैं। दुर्भाग्य की बात तो ये है कि, इनको गठित होने में सैकड़ों हजार साल लग जाते हैं, यहीं कारण है कि ये आसानी से नवीकरणीय नहीं होते हैं इसके बावजुद भी हम इनका उपभोग तेजी से कर रहे हैं। जनसंख्या तेजी से बढ़ने के कारण इन प्राकृतिक संसाधनों की मांग भी अत्यधिक बढ़ गई है, जबकि इसकी आपूर्ति घट गई है।
प्रदूषण – पर्यावरण में कुछ ऐसे जहरीले पदार्थ भी पाये जाते है जो पर्यावरण पर स्थायी या अस्थायी रुप से हानिकारक प्रभाव ड़ालते हैं। प्रदूषण वायु, पानी और भूमि को प्रभावित करता है, संसाधन की कमी के लिए इसे सबसे खतरनाक कारणों में से एक माना जाता है क्योंकि यह उन बुनियादी संसाधनों पर हमला करता है जो हमारे जीविन के लिए अति आवश्यक है। आधुनिक युग में अधिकांश प्रदूषण मानव गतिविधियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणामों के कारण होते है। फैक्ट्री तथा कारों से निकलने वाले जहरीले रसायन जल तथा हवा को प्रभावित करते है। ये सभी गतिविधियां संसाधनों को दूषित कर उन्हें और हानिकारक बना देती हैं।
निष्कर्ष
ये हमारे ग्रह के प्राकृतिक संसाधनों की कमी के कुछ प्रमुख कारण हैं। हमारे ग्रह पर प्राकृतिक संसाधन सीमित है और इसीलिए हमे इन संसाधनों का उचित उपयोग करना चाहिए तथा इसे नष्ट होने से बचाना चाहिए।
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