ई-कूटनीति पर निबंध (e-Diplomacy Essay in Hindi)

कोविड-19 ने हमारे मन, सोच, सपने, विचार आदि को प्रभावित करने के साथ–साथ, हमारे रहन–सहन तथा काम काज करने के तरीके आदि को भी प्रभावित किया है। कोरोना के चलते लगभग आधे ऑफलाइन कार्यों का स्थान ऑनलाइन कार्यों ने ले लिया था, लोग दफ्तर जाने की जगह घर से ही काम करने लगे थे। ऐसी परिस्थिति में सरकारे भला क्यों पीछे रहतीं, वो भी अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने, कोरोना से लड़ने तथा रणनीतिक एवं कूटनीतिक निर्णयों के लिए वर्चुअल माध्यमों का प्रयोग कर सम्मेलन करने लगी। वर्चुअल माध्यमों से राजनयिक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई बैठकों को ई-कूटनीति कहते हैं।

ई-कूटनीति पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essays on e-Diplomacy in Hindi, e-Kootneeti par Nibandh Hindi mein)

मित्रों आज मैं ई-कूटनीति पर छोटे एवं बड़े निबंध के माध्यम से आप लोगों से ई-कूटनीति के बारे में चर्चा करूंगा। मुझे उम्मीद है कि इस माध्यम द्वारा साझा की गई जानकारियां आप सभी के लिए उपयोगी होंगी तथा आपके स्कूल आदि कार्यों में आपकी मदद करेंगी।

ई-कूटनीति पर छोटा निबंध – 300 शब्द

साथियों ई-कूटनीति को समझने के लिए आपको सबसे पहले कूटनीति को समझना होगा, जिससे ई-कूटनीति को समझने में आपको आसानी होगी।

ई-कूटनीति का अर्थ और परिभाषा

सामान्यतः कूटनीति शब्द का आशय होता है, योजना या नीति का निर्माण करके उसके माध्यम से विरोधी पक्षों द्वारा अपनी मांगों की पूर्ति करवाना। कूटनीति भारतीय राजनीति में प्राचीन काल से ही व्याप्त है। कूटनीति के जनक के रुप में चाणक्य को जाना जाता है, उनके अनुसार कूटनीति के 4 स्तम्भ हैं-

  1. साम
  2. दाम
  3. दण्ड
  4. भेद

वर्तमान समय में भी कूटनीति, देशों का एक महत्वपूर्ण हथियार है, जिसके माध्यम से दो या अधिक देश एकसाथ किसी अन्य देश को घेरते हैं या घेरने का प्रयत्न करते हैं।

कूटनीति की परिभाषा

  • आर्गेन्सकी के अनुसार-

राजनय दो अथवा दो से अधिक राष्ट्रों के सरकारी प्रतिनिधियों के बीच होने वाली संधि-वार्ता की प्रक्रिया को इंगित करता है।

  • सर अर्नेस्ट सैंटों के अनुसार-

राजनय स्वतंत्र राज्यों की सरकारों के बीच अधिकारों व संबंधों के संचालन में बुद्धि और चातुर्य का प्रयोग है।

ई-कूटनीति

विभिन्न देशों द्वारा अपने राजनयिक लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके डिजिटल तरीके से सम्मेलनों में भाग लेना ई-कूटनीति या इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति कहलाता है। इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति के माध्यम से देश के प्रधान या अन्य उच्च अधिकारियों द्वारा निम्नवत कार्य संपन्न किए जा सकते हैं-

  1. देश का प्रतिनिधित्व एवं संवर्धन करना।
  2. राजनयिक सेवाओं में बढ़ोतरी करना।
  3. सामाजिक जुड़ाव स्थापित करना।
  4. देशों के द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना।
  5. किसी देश की मनमानी पर रोक लगाने का प्रयास। आदि

ई-कूटनीति का महत्त्व

  • इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति कोरोना महामारी के दौरान अस्तित्व में आयी थी, जिसमें भाग लेने वाले प्रत्याशियों को पास आने की जरूरत नहीं होती है। इसमें प्रौद्योगिकी के सहारे मीलों की दूरी पर रहकर भी भाग लिया जा सकता है।
  • चूँकि इस प्रक्रिया में कहीं आने–जाने की जरूरत नहीं होती, नेतागण अपने कार्यालयों से ही वर्चुअल (आभासी) रूप में किसी भी शिखर सम्मेलन या बैठक में भाग ले सकते हैं, इसलिए इसमें समय की बचत होती है।
  • इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति का अपना एक आर्थिक पक्ष भी है, क्योंकि नेताओं के यात्राओं तथा उनके कार्यक्रम प्रबंधन में बहुत अधिक धन खर्च होता है। इत्यादि

निष्कर्ष

इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति ने कोरोना काल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसने देशों के लिए अपना द्वार तब भी खोल रखा था, जब लगभग सारे दरवाजे बंद पड़ गए थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक इसने सबका एक समान रूप से सम्मान किया और सबको अपनी सेवाओं से लाभान्वित किया। मदद मांगने, मदद करने तथा सुदूर फंसे परिजनों का कुशल मंगल जानने एवं उनको वापस घर लाने आदि में इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति का प्रत्यक्ष हाथ था।

ई-कूटनीति पर बड़ा निबंध – 600 शब्द

प्रस्तावना

वर्चुअल (आभासी) माध्यम से विभिन्न देशों के बुद्धि जीवियों द्वारा मिलकर ऐसी नीति या योजनाओं का निर्माण करना जो किसी अन्य देश के नीति या योजनाओं को प्रभावित कर सके, इलेक्ट्रॉनिक कूटनीति कहलाती है। अगर देखा जाए तो कूटनीति का उद्देश्य ही होता है, किसी अन्य देश की राजनीति को प्रभावित करना। दूसरे देश की नीतियों एवं गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए, प्रत्येक देश दूसरे देशों में अपने–अपने राजदूतों को नियुक्ति करते हैं।

विभिन्न देश कोविड-19 महामारी से बचने के लिए पारंपरिक शिखर सम्मेलनों द्वारा की जाने वाली कूटनीति के स्थान पर ई-कूटनीति को अपना रहे हैं। कोविड-19 महामारी के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने अनेक सम्मेलनों में आभासी माध्यमों से भाग लेकर ई-कूटनीति को बढ़ावा दिया है।

ई-कूटनीति के साथ जुड़ी चुनौतियाँ

  • कुछ भागीदार देशों को आभासी सम्मेलन असंतोषजनक एवं कृत्रिम लग सकते हैं।
  • दुनिया में बढ़ते साइबर अटैक, ई-कूटनीति को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण सूचनाओं के हैकिंग की संभावना बनी रहती है।
  • कुछ व्यक्ति ई-कूटनीति में बोलने में असहज महसूस करते हैं तथा खुलकर बोल नहीं पाते हैं।
  • ई-कूटनीति के माध्यम से लिए गए निर्णयों पर हमेशा संशय बना रहता है, क्योंकि जिन निर्णयों को लागू करने के लिए नेताओं को बकायदा एक निश्चित प्रोटोकॉल एवं संवाद प्रक्रिया को पूरा करना होता था, ई-कूटनीति में उसका अभाव होता है।
  • इसमें डेटा की जासूसी एवं लीक होने का डर हमेशा बना रहता है।
  • शिखर वार्ता के दौरान कुछ चीजें बंद दरवाजे में होती हैं लेकिन ई-कूटनीति में चीजों को गुप्त रखना आसान नहीं होता है। इत्यादि

बहुपक्षीय ईकूटनीतिक पहल

कोविड-19 के समय तथा उसके बाद आयोजित होने वाले कुछ बहुपक्षीय ई-कूटनीतिक  पहल निम्नलिखित है–

भारत ऑस्ट्रेलिया आभासी शिखर सम्मेलन

हाल ही में (कोविड-19 महामारी के बाद) प्रथमभारत ऑस्ट्रेलिया आभासी शिखर सम्मेलनका आयोजन किया गया था, इस सम्मेलन में महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई तथा कुछ महत्त्वपूर्ण रणनीतिक निर्णय भी लिए गए।

  • सार्क नेताओं का आभासी सम्मेलन

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आग्रह पर सार्क समूह के सदस्य देशों के बीच 15 मार्च, 2020 को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें कोविड-19 की समस्या से लड़ने की रणनीति पर विचार–विमर्श किया गया। इसी सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा “सार्क कोविड-19 आपातकालीन निधि” की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया।

  •  G-20 आभासी सम्मेलन

कोविड-19 महामारी से निपटने की रणनीति हेतु G-20 समूह का एक आभासी सम्मेलन भारतीय प्रधानमंत्री की पहल पर आयोजित किया गया था।

  •  गुट निरपेक्ष आंदोलन संपर्क समूह शिखर सम्मेलन

कोविड-19 महामारी के नियंत्रण एवं प्रबंधन में सहयोग हेतु ‘गुट निरपेक्ष आंदोलन’ समूह द्वारा एक ‘गुट निरपेक्ष आंदोलन सम्पर्क समूह शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया गया था। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली बार ‘गुट निरपेक्ष आंदोलन’ को संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ था।

कूटनीति के प्रमुख कार्य

  • संरक्षण
  • जनसम्पर्क
  • निरीक्षण
  • प्रतिनिधित्व
  • संधि वार्ता

कूटनीति और विदेश नीति

कूटनीति तथा विदेश नीति दोनों एक–दूसरे से संबंधित है या ये कह लीजिए की कूटनीति ही वह मार्ग है, जिसपर चलकर विदेश नीति का निर्माण होता है। किसी अन्य देश द्वारा अपने हितों की पूर्ति करना विदेश नीति कहलाता है तथा विदेश नीति को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए कूटनीति का सहारा लेना पड़ता है। जिस देश का कूटनीतिज्ञ जितना कुशल होता है, उस देश की कूटनीति उतनी ही अच्छी होती है और जिस देश की कूटनीति अच्छी होती है उस देश का अन्य देशों के साथ संबंध भी उतना ही अच्छा होता है। 

निष्कर्ष

हाँ ये सत्य है की परंपरागत ऑफलाइन शिखर सम्मेलनों (व्यक्ति-व्यक्ति शिखर सम्मेलनों) का अपना एक विशेष महत्व है, उसकी जगह वर्चुअल सम्मेलन कभी नहीं ले सकते और न ही उतना प्रभावी हो सकते हैं। लेकिन कोविड-19 की महामारी के दौरान ई-कूटनीति ने कूटनीतिक संबंधों को बनाए रखने में तथा महामारी से जंग लड़ने में एक मुख्य भूमिका निभाई है।

मैं आशा करता हूँ कि यह निबंध आप को पसंद आया होगा तथा यह आपके स्कूल एवं कॉलेज के दृष्टि से भी आपको महत्वपूर्ण लगा होगा।

ये भी पढ़े:

ई-कूटनीति पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on  E-Diplomacy)

प्रश्न.1 ई-कूटनीति के उद्देश्य को बताइए?

उत्तर- इसका मुख्य उद्देश्य देशों के बीच बहुपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना है।

प्रश्न.2 राजनय में कितने प्रकार के साधन इस्तेमाल होते हैं?

उत्तर- राजनय में मुख्यतः तीन प्रकार के साधन इस्तेमाल किए जाते हैं, अनुनय, समझौता एवं शक्ति की धमकी।

प्रश्न.3 सबसे अधिक राजनयिक मिशन वाला देश कौन है?

उत्तर- चीन सबसे अधिकराजनयिक मिशन वाला देश है। 

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