निबंध

मैंने दिवाली कैसे मनाई पर निबंध (How I Celebrated Diwali Essay in Hindi)

भारत एक प्राचीन और सांस्कृतिक देश है। यह विविधताओं में एकता वाला देश है। भारत एक सांस्कृतिक देश होने के कारण यहां साल भर त्योहारों का मौसम होता है। होली, ईद, दशहरा, दिवाली, इत्यादि उनमें से कुछ प्रमुख त्योहार है। दिवाली हिंदुओं के लिए सबसे बड़े और महान त्योहार के रूप में मानते हैं। हर वर्ष यह बड़े उत्साह, हर्ष और एक नई उम्मीद के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार की धूम पूरे विश्व में सभी जाती-धर्म के लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मानतें हैं।

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मैंने दिवाली कैसे मनाई पर निबंध (Maine Diwali kaise Manayi par Nibandh Hindi mein)

मैंने दिवाली कैसे मनाई, पर निबंध (250 शब्द)

परिचय

दिवाली हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है लेकिन सभी धर्मों के लोग इसे बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाना पसंद करते हैं। मैं हमेशा दिवाली का इंतजार करता हूं क्योंकि यह मेरा पसंदीदा त्योहार है। इस त्योहार को मनाने के लिए हमें स्कूल से छुट्टियां मिलती हैं।

दिवाली की तैयारी

मैं इस फेस्टिवल की तैयारी एक हफ्ते पहले से ही शुरू कर देता हूं। दिवाली से कुछ दिन पहले, हमने अपने घर की सफाई की और उसे फूलों और विभिन्न सजावटी वस्तुओं से सजाया। दीपावली के जश्न की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन मैं अपनी मां के साथ बाजार गया और कुछ बर्तन और सोने के गहने ले आया। सभी दुकानें अच्छी तरह से सजी हुई थीं और बहुत ही आकर्षक लग रही थीं। हम रंगोली के लिए रंग और पूजा के लिए कुछ सामान भी लाए।

दिवाली उत्सव

सुबह मैंने अपने घर के प्रवेश द्वार पर एक बड़ी रंगोली बनाई। इस साल हमने बिना पटाखों के पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने का फैसला किया। दिवाली की शाम को, हमने नए कपड़े पहने और अपने घर पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा की। फिर हम पास के मंदिर में गए और मिट्टी के दीये जलाए। हमने अपने घर को भी मिट्टी के दीयों और रंग-बिरंगी मोमबत्तियों से सजाया। उसके बाद हम कुछ उपहार और मिठाई लेकर एक अनाथालय भी गए। हमने सभी को उपहार बांटे और वे बहुत खुश हुए।

निष्कर्ष

दिवाली बांटने, देखभाल करने और प्यार करने का त्योहार है। अनाथालय में लोगों से मिलने से मुझे शाश्वत आनंद मिला और मैंने हर साल ऐसा करने का वादा किया। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए ताकि वे भी त्योहार का आनंद उठा सकें। अब मैं अपने पसंदीदा त्योहार दिवाली के लिए अगले साल इंतजार करूंगा।

मैंने दिवाली कैसे मनाई पर निबंध (500 शब्द)

परिचय

दिवाली एक प्रसिद्ध भारतीय त्योहार है जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। यह रावण का वध करने के बाद भगवान राम के स्वागत के लिए मनाया जाता है। उनके लौटने पर पूरे शहर को रोशनी से सजाया गया था और इसलिए इस त्योहार को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। लोग दिवाली की तैयारी एक हफ्ते पहले से ही शुरू कर देते हैं। भाई दूज, धनतेरस, गोवर्धन पूजा आदि जैसे कई उत्सव दिवाली से जुड़े हैं। त्योहार के दौरान, लोग अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने लिए नए कपड़े खरीदते हैं। इस पर्व को लेकर काफी उत्साह और उमंग है।

घर की सफाई और सजावट

दिवाली के जश्न की शुरुआत घर की साफ-सफाई और सजावट से होती है। मैंने और मेरी मां ने मिलकर घर की सफाई की। हमने सभी कमरों को सजाया और पुराने घरेलू सामानों को हटा दिया। दिवाली से एक दिन पहले हमने अपने दरवाजे पर एक सुंदर रंगोली बनाई। हमने दरवाजे को सजाने और देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए फूलों की पंखुड़ियों का इस्तेमाल किया। हमने कई मिट्टी के दीये और मोमबत्तियां खरीदीं। हमने सारे दीये दीवारों पर लगा दिए हैं। दीपों ने मेरे घर की शोभा बढ़ा दी।

पूजा करना

दिवाली की शाम को भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली एक ऐसा अवसर है जिस पर माना जाता है कि देवी लक्ष्मी पूजा के स्थान (घर या कार्यालय) में जाती हैं और वहां के लोगों को आशीर्वाद देती हैं। शाम को परिवार के सभी सदस्य नए कपड़े पहनते हैं। हम सबने मिलकर पूजा की और पड़ोसियों को प्रसाद बांटा।

मेरी पर्यावरण के अनुकूल दिवाली

बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए हमने इस साल इको फ्रेंडली दिवाली मनाई। हमने बड़ी आतिशबाजी से परहेज किया जो बहुत अधिक ध्वनि और वायु प्रदूषण पैदा करती हैं। मेरे सभी दोस्त शाम को मेरे घर पर इकट्ठे हुए थे। हमारे पास मिठाई और चॉकलेट थी। हम कुछ ही पटाखे लाए थे जो हमारे लिए सुरक्षित थे। हमने बड़ी निगरानी में पटाखे जलाए। मेरी माँ ने भी मेरे सभी दोस्तों को उपहार दिए। हमने इसका खूब लुत्फ उठाया और रात तक खेले।

उपहार बांटना

इस दिवाली हमने अपने घर के पास स्थित एक अनाथालय में जाने का फैसला किया। हमने बच्चों के लिए कई उपहार और चॉकलेट खरीदे। मेरी माँ ने मेरे पुराने कपड़े भी उन्हें देने के लिए पैक किए। हमने वहां जाकर उन्हें मिठाई समेत सारा सामान दिया। वे इतने खुश हो गए। हमने उनके साथ आसमान में गर्म हवा का गुब्बारा भी छोड़ी। उन्होंने हमें सभी उपहारों के लिए धन्यवाद दिया। उनके साथ समय बिताना बहुत ही सुखद रहा। उनकी खुशी ने मुझे शाश्वत आनंद और संतुष्टि दी। फिर हम घर वापस आ गए।

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निष्कर्ष

लोग खासकर बच्चे एक महीने पहले से ही दिवाली का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन पूरा परिवेश जगमगा उठता है। ऐसा माना जाता है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। इस पर्व को सभी समुदायों के लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। त्योहारों के दौरान दुकानें आतिशबाजी और मिठाइयों से लदी रहती हैं। पटाखे और पटाखे जलाना बच्चों के साथ-साथ प्रकृति के लिए भी खतरनाक है। बहुत अधिक शोर पैदा करने के अलावा वे भारी वायु प्रदूषण भी पैदा करते हैं। साथ ही यह जानवरों के लिए भी हानिकारक है। स्वस्थ पृथ्वी के लिए पर्यावरण के अनुकूल तरीके से दिवाली मनाना आवश्यक है।

इसलिए आओ मिलकर पर्यावरण का ध्यान रखते हुए दिवाली मनाने की शपथ लें।

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अर्चना सिंह

कई लोगो की प्रेरणा की स्रोत, अर्चना सिंह एक कुशल उद्यमी है। अर्चना सिंह 'व्हाइट प्लैनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड' आई. टी. कंपनी की डायरेक्टर है। एक सफल उद्ममी होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी है, व इस क्षेत्र में कई वर्षो का अनुभव है। वे 'हिन्दी की दुनिया' और अन्य कई वेबसाइटों पर नियमित लिखती हैं। अपने प्रत्येक क्षण को सृजनात्मकता में लगाती है। इन्हें खाली बैठना पसंद नहीं। इनका कठोर परिश्रम एवं कार्य के प्रति लगन ही इनकी सफलता की कुंजी है।

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द्वारा प्रकाशित
अर्चना सिंह