दुनिया भर में प्रदूषण उभरती हुई एक ऐसी समस्या है जिसका सामना पूरी मानवता को करनी पड़ रही है। हर कोई इससे और इससे होने वाले परिणामों से भली-भांति परिचित है। दुनिया भर के विभिन्न मंचों पर यह चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस तरह से प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है, भविष्य में यह मानवता के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है। निचे दिए निबंध में मैंने प्रदूषण का मानवता पर नकारात्मकरूप से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की है। यह छात्रों की उजागर करने में अवश्य मदद करेगी।
परिचय
दुनिया में हर चीज के कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक पहलू होते है, इस बात से सभी अच्छी तरह से वाकिफ है। उसी तरह से नयी तकनीक इंसानों के लिए संभावनाओं का द्वार खोल रही है तो वही तकनीकी द्वारा हुए प्रदूषण इसके ही नकारात्मक पहलू है, जो की मानव जाति के लिए विनाशकारी साबित हो रहे हैं।
प्रदूषण क्या है?
महात्मा गांधी के एक कथन के अनुसार “प्रकृति ने मानव की जरुरत की सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है, लेकिन यह मनुष्य के लालच के लिए नहीं है”। यह कथन प्रदूषण की परिभाषा को पूरी तरह से प्रकाशित करती है। मनुष्य का यही लालच पर्यावरण के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। कुछ भी जब आवश्यकता से अधिक लिया जाता है तो यह जहर का रूप ले लेती है। क्या यह सत्य नहीं है? उसी प्रकार प्रकृति में संसाधन निहित है पर इसकी अधिकता से उपयोग प्रदूषण का कारण है।
प्रदूषण को पर्यावरण के गुणवत्ता में गिरावट के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यही गिरावट पर्यावरण में कई बदलाव के रूप में हमें देखने को मिलती है। पर्यावरण में इस प्रकार के अचानक हुए बदलाव से पूरी मानव जाति पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। दिन प्रतिदिन यह एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। इस प्रकार के अचानक विभिन्न प्रदूषणों के पैदा होने का कारण केवल मनुष्य ही हैं।
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण वैसे तो केवल एक छोटा सा शब्द है पर इसका अर्थ व्यापक है। विभिन्न प्रकार के प्रदूषण है जो मानव जाति के लिए विनाशकारी साबित हो रहे हैं।
हमारी गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुआँ, धूल, रासायनिक कण, उद्योगों से निकलने वाला धुआँ आदि हमारे चारों ओर की वायु गुणवत्ता को बहुत क्षति पंहुचा रहे हैं। वो प्रदूषण जो मानवों के द्वारा पैदा किये जा रहे हैं, ऐसे प्रदूषण सास लेने वाली हवा को बहुत ही दूषित कर रहे हैं। मनुष्यों के आलावा यह हमारे पर्यावरण में रहने वाले जीव-जन्तुओं के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो रहे है।
हमारे जल श्रोतों में मिश्रित कीटनाशक, औधोगिक अपशिष्ट, हानिकारक धातु, सीवेज इत्यादि मिलकर जल की गुणवत्ता को खराब कर रहे हैं। जिसके कारण जलीय जीवों की मृत्यु और मनुष्यों के पीने के पानी की समस्या सामने आ रही है। ऐसे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है जो जलीय जीवों को बहुत प्रभावित करती हैं। हम सभी इस बात को भली-भांति जानते हैं कि पृथ्वी पर पीने का पानी की कितनी कमी है। मानवीय गतिविधियां इस तरह के पीने के पानी को भी बहुत अधिक मात्रा में क्षति पहुंचा रही है। वह दिन दूर नहीं जब पानी के लिए तृतीय विश्व युद्ध होगा। पीने के पानी की कमी के कारण मनुष्य का जीवन खतरे में आ गया है।
हम फसलों की अच्छी पैदावार के लिए रासायनिक उर्वरकों और रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए करते है। पर इसके कारण हमारी मृदा गुणवत्ता को भारी नुकसान पहुँचता है और मिट्टी के पोषक तत्वों में भरी कमी देखने को मिलती है। बाद में उस मिट्टी की संरचना में काफी बदलाव देखने को मिलती है। ऐसी मिटटी से उपज फसलों में कई पोषक तत्वों की भारी कमी देखने को मिलती है। इस तरह उस फसलों के द्वारा मानवता के अस्तित्व को खतरा पहुँचता है। इस प्रकार का मृदा प्रदूषण मानव जाति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
प्रदूषण मानव जाति को नकारात्मक रूप से किस तरह प्रभावित कर रहा है?
ग्लोबल वार्मिंग, जंगलों में आग, भूकंप, तूफान, बाढ़, सूखा, जलवायु में अचानक परिवर्तन जैसी मूल समस्याएं पदूषण के कारण ही होती है। ये सारी समस्याएं मानव जाति की प्रमुख समस्याओं और उनके विनास का कारण बन सकती हैं। तरह-तरह की समस्याओं के कारण ही विभिन्न प्रकार की बीमारियां और विकारों के रूप में पैदा होती है। हमें आसपास वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों को श्वास की समस्याओं से पीड़ित लोगों को अवश्य देखा होगा।
दूषित पानी इंसानों और जानवरों के बीमारी का प्रमुख कारण बनती है। मृदा प्रदूषण के कारण जो खाना हम खाते है उनमें पोषक तत्वों की भारी मात्रा में कमी होती है, जिसके कारण मनुष्यों को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता हैं। इन सभी प्रदूषणों के कारण दिनों-दिन प्रदूषण की समस्या काफी अधिक होती जा रही है। इनसे होनी वाली बीमारियों के कारण लोगों की असमय मृत्यु देखने को मिलती हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण भी आजकल एक प्रमुख चिंता का विषय बन चूका है। प्लास्टिक को आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता है और यह कई वर्षों तक वैसे ही बने रहते है। इसके जलने से डयोक्सिन नामक जहरीली गैस का उत्सर्जन होता है, जो हमारे स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुँचाता है। कई पशु-पक्षी भोजन के साथ गलती से प्लास्टिक भी खा जाते हैं, जो उनके पाचन नलियों को बंद कर देता है। परिणाम स्वरूप वो उनकी मृत्यु का कारण बन जाती है। मनुष्यों के साथ यह प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवों पर भी हानिकारक प्रभाव डालते है। जिसके कारण कई जीव और समुद्री पौधे विलुप्त होने के कगार पर हैं।
प्रदूषण पर अंकुश लगाने के तरीके
प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हम सभी को मिलकर समय रहते कुछ वैकल्पिक और महत्वूर्ण तरीकों के उपयोग की बहुत ही आवश्यकता है। हमारी पृथ्वी की आंतरिक और बाह्य स्थिति दिन-प्रतिदिन काफी भयावह होती जा रही है। इसलिए हर व्यक्ति को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझने की आवश्यकता है और उसे मानव अस्तित्व के बचाव में हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है।
क्या प्रदूषण मानव जाति के अस्तित्व के लिए खतरा है?
इस बात में कोई संदेह नहीं की यदि इसी तरह से प्रदूषण का खतरा बढ़ता रहा तो यह मानव अस्तित्व के लिए बहुत ही बड़ा खतरा होगा। विभिन्न राष्ट्रों में बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले अकस्मातिक जलवायु परिवर्तन बहुत भारी चिंता का विषय है। प्राकृतिक आपदाओं द्वारा होने वाली घटनाएं इस बात का प्रारंभिक संकेत है। यदि समय रहते ही मनुष्यों को अपनी की गई गलतियों का एहसास नहीं हुआ तो सिर्फ पछतावे के अलावा और कुछ नहीं बचेगा।
औद्योगिकीकरण, जनसंख्या विस्फोट, शहरीकरण, तेजी के साथ वनों की कटाई जैसे कारकों ने मानव के अस्तित्व को खतरे में लाकर खड़ा कर दिया है। पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों की एक सीमित क्षमता है और बढ़ती जनसंख्या स्तर इन संसाधनों के अधिक उपयोग से संसाधनों के खत्म होने के कगार पर है। इस प्रकार की मानव गतिविधियों के कारण मानव जाति व अन्य जीवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
इसके अलावा बर्फ का पिघलना और पृथ्वी के तापमान का लगातार बढ़ना प्रदूषण का ही प्रतिकूल प्रभाव है। यह मानव और अन्य जीवों के लिए अच्छी खबर नहीं है। हाल ही में दुनियाभर में आई Covid-19 महामारी को प्रकृति द्वारा मानव जाति को दी गई एक सजा के रूप में भी देखा जा रहा है। इस प्रकार की आपदा मानव जाति के लिए एक चेतावनी की तरह है ताकि मानव अपनी की गई गलितयों से सिख लेकर पर्यावरण को ठीक करने में सहयोग कर सकें, वरना प्रकृति द्वारा मनुष्य जाति का विनाष लगभग निश्चित है।
निष्कर्ष
दुनिया का लगभग हर देश प्रदूषण की ऐसी ही समस्याओं से जूझ रह है। प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए सभी राष्ट्रों की सरकारों ने कुछ ठोस कदम उठाये हैं। इस प्रकार के ग्लोबल समस्या से निपटने के लिए हमें एक जुटता से काम करने की आवश्यता है। सभी को अपनी क्षमता के अनुसार प्रदूषण और उसके परिणामों को कम करने के लिए हर किसी के मदद की आवश्यकता हैं।