क्या प्रौद्योगिकी हमारी रचनात्मत्कता को सिमित कर रही है पर निबंध (Is Technology Limiting Creativity Essay in Hindi)

प्रौद्योगिकी वह है जो हमारी मदद करती है और हमारे काम को और भी आसान बनाती है। ये वो चीज है जो हर जगह मौजूद है ताकि लोग आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकें चाहे मोबाइल या फिर ऑटो-रिक्शा के रूप में। जब हमें किसी चीज की जरूरत होती है तो हम उसे खोजते हैं लेकिन आज के समय में, हम इन्टरनेट या ऐसी ही अन्य प्रौद्योगिकी पर आश्रित हैं और यहाँ शायद ही कुछ लोग हैं जो वाकई में कुछ नया इजाद करना चाहते हैं। आज मैंने प्रौद्योगिकी के कई मायनों पर चर्चा की है और बताया है कि कैसे ये हमारी रचनात्मकता को प्रभावित कर रही है।

क्या टेक्नोलॉजी हमारी रचनात्मकता को सिमित कर रही है पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on is Technology Limiting Creativity in Hindi, Kya Technology hamari Rachnatmakta ko Simit kar rahi hai par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – क्या प्रौद्योगिकी हमारी रचनात्मकता को सिमित कर रही है?

परिचय

विकास अच्छा है; यहाँ तक कि ये हमारे देश को और प्रौद्योगिकी को भी विकसित कर रहा है। हम सभी एक शांतिपूर्ण जीवन चाहते हैं इसलिए हमने तरह-तरह की प्रौद्योगिकी को इजाद किया है। जैसे तैसे, वे हमारे लिए काफी महत्वपुर्ण होती है लेकिन यह भी माना जाता है कि कई तरह से ये हमारी रचनात्मकता को प्रभावित करता है।

प्रौद्योगिकी से सम्बंधित तथ्य

  • यहाँ पर कई तरह की प्रौद्योगिकी है जो पिछले कुछ दशकों में विकसित हुई है, और यह दिन प्रति दिन विकसित ही होते जा रही है । कहीं-कहीं ये काफी सहायक साबित होती है जबकि कुछ हद तक इसने लोगों को आलसी बना दिया है।
  • प्रौद्योगिकी ने हमारे काम को आसान बना दिया है जिसके परिणामस्वरूप, लोग ज्यादा मेहनत नहीं करना चाह रहे है।
  • जब आपके पास एक ही काम के लिए 100 से भी अधिक विकल्प मौजूद हों, तो भला कोई क्यों किसी और काम के लिए कड़ी मेहनत करेगा।
  • एक विवरण के अनुसार, यह साझा किया गया है कि लोगों द्वारा प्रतिदिन करीब 3.5 बीलियन से भी अधिक चीजों के बारे में गूगल पर सर्च किया जाता है। कल्पना कीजिए कि जब कोई गूगल नहीं था, तब या तो लोग दूसरे विकल्प की तलाश करते थे या फिर अपना कार्य पूरा करने के लिए वो खुद से नए नए विचार इजाद करते थे।
  • यहाँ पर कई तरह की प्रौद्योगिकीयां मौजूद हैं जिनमे कुछ हमारे सवालों का जवाब देने में मदद करती हैं जबकि कुछ गेम खेलने में। जब यहाँ पर किसी तरह का कोई विडियो गेम नहीं था तब लोग खुद से नए नए खेलों का निर्माण करते थे। इससे पता चलता है कि प्रौद्योगिकी ने काफी हद तक हमारी रचनात्मत्कता को प्रभवित किया है।

निष्कर्ष

प्रौद्योगिकी के बिना हम जीने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं, क्योंकि ये सभी जगह है फिर चाहे आप नहाने जा रहे हैं या फिर अपने बच्चे के लिए स्कूल की तलाश कर रहे हैं। ये हर तरफ है, लेकिन यह हमारे ऊपर है कि हम इसका कितना इस्तेमाल करते हैं और हम इसके इस्तेमाल को कितना सिमित कर सकते हैं। अलग अलग शोध में यह पता चला है की छोटे बच्चों के लिए मोबाइल फोन अच्छी बात नहीं है, यहाँ तक कि, बहुत से बच्चे फ़ोन को खिलोने की तरह खेलते हैं। हर किसी को इन चीजों के बारे में सोचना चाहिए और इस तरह की चीजों से निपटने के लिए खुद के विचार इजाद करना चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द) – प्रौद्योगिकी किस तरह से लोगों को कम रचनात्मक बनाते जा रही है

परिचय

रचनात्मत्कता वो है जो सोची नहीं जा सकती क्योंकि ये एक आंतरिक प्रक्रिया है। ये खुद के विचार समेटे रहती है और कई अन्य मायनों में भी मदद करती है। नए नए विचार, सोच, आदि लाने में ये हमारी मदद करती है। रचनात्मत्कता हमारी नई-नई चीजों से परिचय कराती है; चाहे वो कोई उपकरण हो या फिर कोई विचार। ये हमें सोचने और खुद की चीजें इजाद करने में मदद करती है। वह एक विचार ही था जिसकी वजह से थॉमस एडिसन ने बल्ब का आविष्कार किया। इसलिए मैं कह सकता हूँ कि प्रौद्योगिकी के विकास के लिए रचनात्मतकता ही मुख्य स्रोत है।

प्रौद्योगिकी ने रचनात्मकता को कैसे प्रभावित किया है?

क्या होगा जब हर रोज आपको एक ही तरह का खाना दिया जायेगा? आप उससे बोर हो जायेंगे और आप कुछ नया लेना चाहेंगे। उसी तरह से, हमे हर क्षेत्र में कुछ नया चाहिए होता है, पहनने के लिए, पढ़ने के लिए, नए उपकरण, आदि।

  • रचनात्मत्कता कई मायनों में हमारी मदद करती है जैसे कि हमारी मुश्किलों को सुलझाने में। जब कभी हम किसी मुसीबत से जूझते हैं, हम मदद खोजते हैं। और जो व्यक्ति हमारी समस्या का समाधान कर देता है वह वाकई में रचनात्मक होता है। प्रौद्योगिकी के विकास के बाद, खुद से सोचने की बजाय, हम इन्टरनेट पर खोजते हैं और झट से उसका जवाब पा जाते हैं। जैसे भी, मैं यह कह सकता हूँ कि प्रौद्योगिकी ने वाकई में रचनात्मकता को प्रभावित किया है।
  • आज के युग में, अगर आप एक प्रोजेक्ट बनाना चाहते है, आप सीधा गूगल करते हैं और चुपचाप उसकी नक़ल करने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब हमारे बीच कोई इन्टरनेट नहीं था, लोग खुद से सोचने की कोशिश करते थे और कुछ नया और अलग बनाने की कोशिश करते थे।
  • प्रौद्योगिकी ने हमें आलसी बना दिया है और हम अपने एक दिन की भी कल्पना इसके बिना नहीं कर सकते हैं। हम अपने स्मार्टफोन से इतने ज्यादा चिपक चुके हैं कि हम इसके बिना कुछ भी सोच ही नहीं सकते हैं।
  • रचनात्मकता या कोई नए विचार वो होते हैं जो हमें तब मिलते हैं जब हम विश्लेषण करते हैं, लोगों को परखते हैं, आदि। लेकिन आजकल हमारे पास खुद के लिए ही समय नहीं है। हमारा स्मार्टफोन और एक बढ़िया इन्टरनेट कनेक्शन, हमें बस इतना ही चाहिए। ड्रेस डिजाइनर भी पहले प्रकृति से अपने विचार लेते थे, पुराने ज़माने की परम्पराओं से विचार लेते थे मगर आज शायद ही किसी के पास इतना समय है की दुनियाभर में घूम कर इस तरह की चीजों को ढूंढे। प्रौद्योगिकी हमें सिर्फ नक़ल कर के उसे परोसने के लिए उकसाती है।
  • कोई भी नई चीज हम अचानक से नहीं कर सकते हैं; इसके लिए काफी समय चाहिए होता है, धर्य, एकाग्रता, आदि चाहिए। मगर यहाँ अब शायद कुछ ही लोग हैं जिनके अन्दर इस तरह की खूबियाँ बची हुई हैं। हम फ़ोन पर समय बर्बाद कर सकते हैं लेकिन बिना कुछ किये सिर्फ एक घंटे के लिए बैठे नहीं रह सकते हैं।

निष्कर्ष

जितना ज्यादा हम सीखेंगे उतना ही ज्यादा हम सक्षम होंगे, सोचने के लिए, कुछ नया करने के लिए, आदि। लेकिन आजकल अलग-अलग तरह की प्रौद्योगिकियां ऐसी चीजें प्रदान करती हैं जो समाज में पहले से मौजूद हैं। इसलिए, हर चीज के लिए समय रखिये क्योंकि किसी को यह सब जानना चाहिए या चाहे वह एक तकनीक हो या गेहूं के खेत को विकसित करने की प्रक्रिया हो। रचनात्मक विचार हम कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं।

निबंध 3 (600 शब्द) – प्रौद्योगिकी और रचनात्मकता में इसकी भूमिका

परिचय

रचनात्मकता एक ऐसी चीज है जब आपको कुछ नया सोचने के लिए इंटरनेट या फोन की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आपके विचार किसी विशेष वेबसाइट से प्रभावित हैं तो संभव है कि यह नया नहीं होगा। सीखना अलग चीज है, लेकिन जब आप कुछ नया बनाना सीखते हैं तो यह अलग लगता है।

एक रचनात्मक व्यक्ति वह होता है जो किसी नई चीज़ को लाना पसंद करता है लेकिन आजकल हममें से बहुत कम लोगों के पास ऐसा करने का समय है। हम अपने दिन-प्रतिदिन के काम में इतने फंस जाते हैं कि हम कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं करते हैं। हम तकनीक के आदी हो रहे है और यह हमें बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।

रचनात्मकता क्या है?

रचनात्मकता एक नया विचार या सोचने का तरीका है जो आपके नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, वो न्यूटन था जिसे इस बात पर तहकीकात करने का विचार आया कि आखिर सेब नीचे क्यों गिरा? उसी तरह से, ये वर्ड्स वर्थ का रचनात्मक दिमाग था जिसने उन्हें मशहूर किरदार ‘लूसी’ दिया। इसलिए, यह कहना गलत नही होगा की रचनात्मकता बदलाव लाती है और नई चीजें भी बनाती है।

यह लियोनार्डो दा विंसी का रचनात्मक दिमाग था जिसने विश्व प्रसिद्द ‘मोनालीसा’ की तस्वीर बनाई। उसी तरह से, नई चीजें, नए उपकरण, प्रौद्योगिकी आदि सब एक रचनात्मक दिमाग की ही तो उपज हैं। रचनात्मकता हमें नई चीजें बनाने में मदद करती हैं। जब हमें किसी चीज की जरूरत पड़ती है, हम सोचते हैं और अपनी जरूरतों को पूरी करने की कोशिश करते हैं और, इस तरह से, हम कुछ नया इजाद कर लेते हैं।

रचनात्मकता में प्रौद्योगिकी का किरदार

यह एक रचनात्मक दिमाग ही था जिसने इंटरनेट और अन्य तकनीकों को जन्म दिया। और अब हम रचनात्मकता को बढ़ावा देने या गिराने के लिए प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं। हर चीज की कुछ अच्छाई तो कुछ बुराई होती है जो हमपर निर्भर करता है कि हमने क्या ग्रहण किया है।

कुछ सकारात्मक पहलू

  • प्रौद्योगिकी वास्तव में नए विचारों को उत्पन्न करने में सहायक है क्योंकि जब हम कुछ बनाना चाहते हैं, तो हमें कुछ जानकारी की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, एक कार निर्माण कारखाने में इंजन की देखभाल करने के लिए एक इंजीनियर होता है जबकि एक रंग विशेषज्ञ कार को नए और शानदार रंग देता है। इसलिए, मालिक को इंजन सेक्शन के साथ-साथ कलरिंग सेक्शन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए और इस तरह की जानकारी इंटरनेट पर आसानी से मिल सकती है।
  • आप दुनियाभर में घूम तो नहीं सकते हैं या दुनिया भर के लोगों को नहीं जान सकते हैं लेकिन अगर आपके पास इंटरनेट नामक एक विकल्प है। आप जो भी चाहते हैं उसे खोज सकते हैं और दुनिया के किसी भी हिस्से से कुछ भी जान सकते हैं और बेहतर विचार प्राप्त कर सकते हैं।
  • प्रौद्योगिकी हमें विभिन्न तरीकों से मदद करती है और हमें प्रेरित भी करती है जो हमें कुछ नए विचार लाने के लिए प्रोत्साहित करती है।

कुछ नकारात्मक पहलू

  • प्रौद्योगिकी ने हमें आलसी बना दिया है और जो हमें कुछ भी नया करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती है। आलस एक ऐसी चीज है जो आपको कभी प्रगति करने की अनुमति नहीं देता है।
  • हम अपने फोन, सोशल मीडिया जैसी कुछ तकनीकों के उपयोग के आदी हो गए हैं, ये सभी हमें भटकाते हैं, और जब हमें अपनी प्रोजेक्ट या असाइनमेंट को प्रस्तुत करना होता है, तो अपने स्वयं के विचारों को रखने के बजाय हम उसे इंटरनेट पर खोजते हैं और अपना कार्य जल्दी से पूरा करना चाहते हैं। यह हमें नए विचारों को सोचने और विकसित करने में बाधा डालता है।
  • उस वक़्त कोई तकनीक नहीं थी जब बिजली, बल्ब, पेंसिल आदि कई प्रसिद्ध आविष्कार अस्तित्व में आए थे। ये सब कुछ प्रसिद्ध लोगों के रचनात्मक विचार थे। आजकल लोग अपनी कल्पना के बजाय चीजों को कॉपी करना ज्यादा पसंद करते हैं।

निष्कर्ष

यह हमारी जरूरत है जो हमें कुछ नया खोजने के लिए उकसाती है। जब किसी बच्चे को वो सब कुछ मिल जाता है जो जो उसे चाहिए होता है वो भी बिना किसी मेहनत के तो वह नए आविष्कारों का महत्त्व कैसे समझेगा। इसलिए हमेशा अपने बच्चे को कोई भी चीज खुद से करने के लिए प्रेरित करें। जब बहुत आवश्यक हो तब ही कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें या फिर सिर्फ उत्तर मिलाने के लिए। जैसे किसी भी सवाल का जवाब पहले किताब में ढूँढो उसके बाद इन्टरनेट पर। ये छोटी छोटी आदतें बड़ा बदलाव ला सकती हैं। तो, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करो मगर निश्चित मात्रा में।

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