हाल के कुछ विगत वर्षों में तेजी से ग्रामीण जनता शहरों की ओर पलायन की है, क्योंकि उन्हें भी शहरी लोगों की भांति आरामदायक जीवन शैली आकर्षित करने लगी है। शहरीकरण सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक बन गया है जो अधिकांश देशों में कई भयंकर परिणाम लेकर आया है।
परिचय
वे दिन लद गए जब बच्चे सड़कों पर खुलेआम घूमते थे और पक्षी आकाश में उड़ते थे। इतना अच्छा दृश्य आजकल देखने को बहुत कम मिलता है। इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। भारत गांवों का देश था; हमारी संस्कृति गाँवों में ही पैदा हुई। लेकिन हमने कारखानों, मिलों और शहरीकरण के कारण पूरी पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।
शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के कारण प्रदूषण में वृद्धि
मानव प्रदूषण का एक मुख्य कारण शहरीकरण है। जब मानव ने शहरों की स्थापना शुरू की और उद्योगो को लगाना शुरु किया, तभी से प्रदूषण का सूत्रपात होना शुरु हो गया था। शहरीकरण की कठोर वास्तविकता यह है कि कई खूबसूरत घाटियां, पहाड़, हिल स्टेशन और जंगल प्रदूषण के ढ़ेर में परिवर्तित हो गए हैं।
इंसान की ज़रूरतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं और उन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमने अपनी धरती माँ का खूब शोषण किया है। पेड़ों की कटाई, नदियों और झीलों का दूषित होना और प्राकृतिक भंडार का दुरुपयोग, शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के प्रमुख दुष्परिणाम हैं।
नदी – सर्वाधिक पीड़ित
तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पिछले कुछ वर्षों में नदियों पर प्रदूषण की मार ज्यादा बढ़ी है। सिंचाई, पीने, औद्योगिक उपयोग, बिजली इत्यादि के लिए पानी की उपलब्धता, चुनौती बन गयी है। नदियों के किनारे बसे शहरों से अनुपचारित अपशिष्ट जल का निर्वहन नदियों में प्रदूषण भार का प्रमुख स्रोत है।
निष्कर्ष
आज नतीजा यह है कि हम अत्यधिक प्रदूषित शहरों में रहते हैं, जहां दिन-प्रतिदिन जीवन तेजी से बदलता जा रहा है। हम इस शहरी प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य मुद्दों का सामना करते हैं और सबसे बुरी बात यह है कि हमें इसका एहसास भी नहीं है। यही उचित समय है, इस प्रदूषण पर अंकुश लगाने और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के तरीकों को अपनाने की जरुरत है।
परिचय
“प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।”
प्रदूषण आज के समय की सबसे बड़ी चिन्ता है। शहरों की जीवन शैली नें इसमें और भी इजाफा किया है। जैसे-जैसे हम आधुनिकता के पथ पर अग्रसर होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे हम अपनी धरती माँ को प्रदूषित करते जा रहे हैं। ऐसी भौतिकतावादी ऐश्वर्य का क्या लाभ, जो हमें मृत्यु के और करीब लेता जा रहा है।
शहरीकरण और प्रदूषण
हमारे आसपास के वातावरण में जहरीले और दूषित पदार्थों की उपस्थिति, हमारे निवास स्थान पर कहर बरपा रहें हैं और हानिकारक गैर-बायोडिग्रेडेबल पदार्थों का परिचय दे रहें हैं।
ये हानिकारक रासायनिक विषाक्त तत्व ‘प्रदूषण’ का कारण बनते हैं। मनुष्य और उसके अवांछनीय तरीकों ने हमारे आसपास के वातावरण को प्रदूषित कर दिया है, यह कई सालों से चला आ रहा है और आज खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
शहरों के हालात बदतर
शहरी क्षेत्रों में चिंता अधिक गंभीर है क्योंकि महानगरों में हरियाली क्षेत्र बहुत कम है और प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है। वास्तव में प्रदूषण पर कोई नियंत्रण नहीं है और कोई भी वैज्ञानिक जांच अभी तक विकसित नहीं हुई है, जो प्रदूषण के स्तर को नीचे लाने के लिए स्थायी रूप से प्रभाव डाल सके।
वाहनों का जाल
शहरी क्षेत्रों में वाहनों का घनत्व अधिक है, वाहनों से निकलने वाला धुआं बहुत ही खतरनाक होता है और ढ़ेर सारी बिमारियों को न्यौता देता है। इसके कारण लोग जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं, जैसे कैंसर, अस्थमा आदि। वायु, जल और भूमि प्रदूषण हमारे आसपास के पर्यावरण को पूरी तरह से दूषित कर रहा है।
औद्योगिकीकरण के फलस्वरुप
फैक्ट्री आदि से निकले रासायनिक पदार्थ, जैसे पोटेशियम और सल्फर का स्तर भूमि पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और मिट्टी की ऊपरी परतों को नष्ट कर सकता है। इस प्रकार उपजाऊ भूमि भी बंजर हो सकती है और खेती के लिए अयोग्य हो सकती है। यह मृदा प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है।
शहरीकरण – ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण
शहरी निवासियों को अक्सर शोर और वायु प्रदूषण के हानिकारक स्तरों से रोजाना दो-चार होना पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप जीवन की गुणवत्ता कम होती जा रही है, और यह हमारे जीवन को दीर्घकालिक हानि पहुंचा रहा है। आने वाले वर्षों में शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण प्रदूषण में और वृद्धि हो सकती है।
निष्कर्ष
प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं। वायु प्रदूषण के कारण वायु में उपस्थित अत्यधिक सूक्ष्म स्तर के कण होते हैं जो हमारे फेफड़ों को चोक (Choke) कर सकते हैं और श्वसन प्रणाली को हानि पहुँचा सकते हैं।
परिचय
“प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।”
हमारी धरती माता घुट रही है और हम असहाय हैं। हम आज कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और उनमें से एक प्रदूषण है। जब हमारे वातावरण में कोई भी दूषित पदार्थ मिलाया जाता है तो उसे प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है।
प्रदूषण सबसे ज्यादा हमारे प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषित करता है। प्रदूषण के लिए इंसान सबसे ज्यादा दोषी हैं। हमारी गतिविधियों ने हमारे प्राकृतिक संसाधनों और हमारे प्राकृतिक आवास को नष्ट कर दिया है। प्रदूषण के प्रमुख कारणों में शहरीकरण भी अग्रणी भूमिका निभाता है।
शहरीकरण के कारण होने वाले प्रदूषण
वायु प्रदूषण:
शहरी क्षेत्रों में हवा हमेशा हानिकारक पदार्थों से प्रदूषित होती है और यह सांस लेने के लिए दिन-प्रतिदिन खतरनाक होती जा रही है। ऑटोमोबाइल, कारखानों और बिजली जनरेटर से निकलने वाला धुआं हवा को अस्वस्थ बनाता है। अन्य कारक भी हैं, जैसे रासायनिक वितरण और अन्य जहरीली गैसें जो हवा को दूषित करती हैं।
जल प्रदूषण:
शहरी क्षेत्रों में जल स्रोत तेजी से प्रदूषित हो रहे हैं। घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट झीलों और नदियों में बहुत अधिक छोड़े जाते हैं। साथ ही बहुत सारा कचरा बारिश में मिल जाता है और पानी में धुल जाता है।
मृदा प्रदूषण:
मिट्टी में विषाक्त पदार्थों के मिश्रण से मृदा प्रदूषण होता है। यह हमारे लिए बेहद नुकसानदायक है। क्योंकि पेड़-पौधे, वनस्पति और अनाज जिसे हम सभी खाते हैं, वो सभी इसी मिट्टी पर उगते है। मृदा प्रदूषण से वो सब भी विषाक्त हो रहे हैं।
ध्वनि प्रदूषण:
ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों में यातायात शोर, लाउड-स्पीकर और अन्य अवांछित शोर शामिल हैं, जो कई स्वास्थ्य मुद्दों का कारण बनते हैं।
लाउड म्यूजिक, टेलीविजन, फोन पर बात करने वाले लोग, ट्रैफिक और यहां तक कि पालतू जानवर भी आधी रात को भौंकते हैं। ये सभी शहरी संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
रेडियोधर्मी प्रदूषण:
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों द्वारा आकस्मिक रिसाव एक बड़ा खतरा बन गया है। रेडियोधर्मी प्रदूषण तब होता है जब वायुमंडल या वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति या संग्रहण होता है, खासकर जहां उनकी उपस्थिति आकस्मिक होती है और जब यह रेडियोधर्मी क्षय के कारण पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न करता है।
रेडियोधर्मी पदार्थों के कारण होने वाला विनाश खतरनाक आयनकारी विकिरण (रेडियोधर्मी क्षय) जैसे बीटा या अल्फा कणों, गामा किरणों या वातावरण में न्यूरॉन्स के उत्सर्जन के कारण होता है।
थर्मल प्रदूषण:
आज की दुनिया में, थर्मल प्रदूषण एक बहुत बड़ा खतरा है और यह मुख्य रूप से बिजली संयंत्रों और औद्योगिक निर्माताओं से प्रभावित होता है, जो पानी को शीतलक के रूप में उपयोग करते हैं। आम तौर पर, यह तब होता है जब लोग या उद्योग प्राकृतिक जल निकायों के तापमान में अचानक कमी या वृद्धि करते हैं, जिसमें झीलें, नदियाँ, महासागर या तालाब शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष
शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के विभिन्न साधन शहरों में रहने वाले लोगों में कई स्वास्थ्य मुद्दों को जन्म दे सकते हैं। हमनें अपनी सुख-सुविधा के लिए प्रकृति से अत्यधिक छेड़-छाड़ किया है, जिसका खामियाजा हम मनुष्यों को ही झेलना पड़ रहा है, और आगे भी झेलना पड़ेगा।