निबंध

रेल यात्रा पर निबंध (Train Journey Essay in Hindi)

एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना यात्रा कहलाता है। जब कहीं दूर जाने की बात हो तो सबसे पहला ख्याल रेल का ही आता है। निःसंदेह रेल से यात्रा करना काफी आरामदायक और सुविधाजनक होता है। दूरस्थ स्थानों के लिए यह सर्वोत्तम साधन है। रेल यात्राओं पर भी प्रायः निबंध आदि पूछे जाते हैं, यहां हम कुछ छोटे और बड़े निबंध दे रहे हैं जो परीक्षा की दृष्टि से लाभकारी होगा।

रेल यात्रा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Train Journey in Hindi, Rail Yatra par Nibandh Hindi mein)

रेल यात्रा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

आजकल ट्रेनें हर देश में देखी जाती हैं। इसमें एक इंजन और कई डिब्बे होते हैं। यह यात्रियों और सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाती हैं। आरामदायक और सुविधाजनक होना रेल यात्रा का सबसे बड़ा लाभ है। सबसे उल्लेखनीय, एक रेल के डिब्बे में स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकते है। ट्रेनों में, पर्याप्त हवा वाली बोगियां होती है। इसके अलावा, रेलगाड़ी आरामदायक सोने के लिए बर्थ प्रदान करती हैं। यह सब रेल यात्रा को एक आरामदायक अनुभव प्रदान करती हैं।

रेल यात्रा का महत्व

रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ कोई भी नया मित्र बना सकता है। इसके अलावा, एक रेल यात्रा पर एक सुंदर तरीके से समय बिता सकते हैं। रेल यात्रा में, व्यक्ति कुछ पढ़ने, संगीत सुनने, वीडियो देखने, आराम से सोने आराम करने आदि के लिए समय बिता सकता है। सुंदर यात्राएं रेल की यात्रा का एक और उल्लेखनीय लाभ है। जैसे-जैसे रेल यात्रा होती है, वैसे-वैसे ग्रामीण इलाकों, खेतों, जंगलों, कारखानों आदि के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

सावधानियां

हमें रेल यात्रा के दौरान चोरों, जेब कतरों, लुटेरों आदि से सावधान रहना चाहिए। हमें रेल यात्रा के दौरान अपने हाथ या फ़ोन को बाहर नहीं निकालना चाहिए। हमें अपने टिकट को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए।

निष्कर्ष

रेल के सफर में कई तरह के अवसर मिलते हैं। इसके अलावा, रेल एक मिलनसार वातावरण प्रदान करती है। रेल की यात्रा में, यात्रियों के बीच बातचीत लगभग हमेशा होती रहती है। हम सभी को सावधानियां बरतते हुए रेल यात्रा का आनंद लेना चाहिए।

निबंध – 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

एक रेल यात्रा निश्चित रूप से एक शानदार खुशी का अवसर देता है। इसके अलावा, रेल की यात्रा व्यक्तियों को तीव्र उत्साह की भावना से भर देती है। यात्रा की दूरी लंबी होने पर यात्रा का यह तरीका सबसे अच्छा है। एक रेल यात्रा एक ऐसी आभा बनाती है जिसे अन्य प्रकार की यात्रा के साथ अनुभव नहीं किया जा सकता है।

रेलवेज़ हमेशा से देश की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभाती हैं। हमारे देश की अधिकतम आय इसी क्षेत्र से आती है। हर देश के प्रगति का पथ निर्धारित करती है, रेलवे। अन्य साधनों से बेहद सस्ती और आरामदायक होने से हर तबके के लोग इससे यात्रा करना बेहतर समझते है। हमारी देश की गरीब जनता का इसके बिना काम ही नहीं चल सकता।

मेरी पहली रेल यात्रा

मुझे रेल से कहीं भी आना-जाना बहुत अच्छा लगता है। वैसे तो मैनें बचपन से ही बहुत रेल यात्राएं की है, जो कि मेरे स्मृति में विद्यमान भी नहीं। अपने याद में मैने प्रथम रेल यात्रा तब की, जब बारहवीं के बाद मैं अपनी गर्मी की छुट्टियां मनाने अपनी बड़ी बहन के पास लुधियाना गयी।

यह सफर मेरी जिन्दगी का सबसे यादगार सफर था। उसके बाद भी मैने अनेको यात्राएं की परंतु वो रोमांच कभी नही आया। मेरे बड़े भाई भी मेरे साथ जा रहे थे, मेरी बहन ने हम दोनों की टिकटें पहले से ही करा रखी थी, वाराणसी से लुधियाना का मेरा सफर काफी रोमांचक होने वाला था। वाराणसी से लुधियाना का सफर करीबन 16-17 घंटे का होता है। मैनें अपने सफर के लिए ढ़ेर सारी खाने की चीजें बना ली थी।

जम्मूतवी एक्सप्रेस से हम जाने वाले थे, हमारी रेल के छुटने का समय शायद शाम के 3 बजे का था, हम दो बजे ही रेलवे स्टेशन पहुंच गये थे। हमारी गाड़ी भी नियत समय से रवाना हो गयी। वाराणसी से पहले जौनपुर, फिर प्रयागराज, कानपुर, आगरा, नई दिल्ली होते हुए अगले दिन दोपहर बारह बजे के करीब लुधियाना पहुंचे। स्टेशन पर पहले से ही मेरी दीदी और जीजू आ गये थे, हमे देखते ही उनके खुशी का ठिकाना नहीं था।

उपसंहार

रेल यात्रा वास्तव में एक तरह से यादों का खूबसूरत सफर होता है। जो आजीवन याद रहता है। रेल की यात्रा किसी अन्य यात्रा की तरह विशिष्टता प्रदान करती है। सबसे उल्लेखनीय, इस तरह की यात्रा का आकर्षण पहुंच से बाहर है। रेल की यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना

पर्यटन, यात्राएं, पिकनिक और सैर बहुत आम हैं। रेल या बस से यात्रा करने से हम में से अधिकांश के लिए बहुत आकर्षण का केन्द्र होता है। यह हमें नई जगहों और सबसे दिलचस्प लोगों को देखने का मौका देता है।

मेरा रेल यात्रा का अनुभव

मेरा कॉलेज 10 जून को गर्मियों की छुट्टी के लिए बंद हो गया और मैंने दिल्ली जाने का फैसला किया। मेरे बड़े भाई वहीं रहते हैं। उन्होंने मुझे कुछ दिन उनके साथ बिताने के लिए आमंत्रित किया था। इसलिए मैंने सामान पैक किया और स्कूटी पर रेलवे स्टेशन चली गयी। मेरे पिता जी मुझे छोड़ने आए थे। हम समय रहते स्टेशन पहुँच गए थे । वहां टिकट के लिए लगी लम्बी कतार को देखकर मैं घबरा गई थी। हमने टिकट पहले से ही आरक्षित करा ली थी। इसलिए मैंने राहत भरी सांस ली।

वहां सभी जाति और संप्रदाय के लोग देखे गए। धर्मनिरपेक्ष भारत वहां दिखाई दे रहा था। रेल प्लेटफार्म पर आ गई। सीट पाने के लिए लोग ऊपर-नीचे भाग रहे थे। कुली यात्रियों की मदद करने में व्यस्त थे। फेरीवाले अपनी आवाज़ में सबसे ऊपर चिल्ला रहे थे। बड़ी भीड़ थी। मेरे पिता ने मुझे आगे कर दिया और मैं अपनी सीट पर काबिज हो गयी। पापा ने मेरा सामान डिब्बे में रख दिया। जल्द ही रेल चल पड़ी। मैंने अपने पिता को प्रणाम कर जाने को कह दिया। फिर भी गाड़ी के दिखने तक वहीं खड़े रहे। गाड़ी के चलते ही मैंने अपने भाई को सूचित कर दिया कि गाड़ी चल दी है।

जल्द ही रेल ने रफ्तार पकड़ ली। बहुत जल्द हम हरे भरे खेतों से गुजर रहे थे। किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे। वे खेतों की जुताई कर रहे थे। चरवाहे मवेशियों को चराने गए थे। बच्चे चलती गाड़ी को देखकर अलविदा (बॉय) कर रहे थे। हम कई छोटे और बड़े शहरों से गुजरे। रेल कई पुलों से गुजरी। पेड़ पीछे की ओर भागते हुए दिख रहे थे। पृथ्वी गोल घूमती हुई प्रतीत हो रही थी। आसमान में बादल छाए हुए थे। दृश्य बहुत अच्छा लग रहा था।

हमारी रेल तेजी से आगे बढ़ रही थी। यह छोटे स्टेशनों पर नहीं रुका। यह कानपुर पहुंचा। रात हो चुकी थी। यहाँ मैंने चाय वाले को बुलाकर उससे चाय खरीदी। रात में भी लोंगो का आवागमन जारी था, इसलिए सोने में परेशानी हो रही थी। फिर मैं कान में हेडफोन लगाकर फिल्म देखने में व्यस्त हो गयी। यह सहारनपुर में रुक गया। मेरी कब आंख लगी, पता ही नहीं चला और सुबह भी हो गयी। हम सुबह 9 बजे के करीब दिल्ली पहुंच गये थे। मेरे भईया पहले से ही मेरा इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया। दिल्ली रेलवे स्टेशन बहुत बड़ा है। हमने एक ऑटो रिक्शा लिया और घर के लिए रवाना हो गए।

उपसंहार

रेल से यात्रा करना सबसे सस्ता और आरामदायक है। मैंने हमेशा अपने माता-पिता के साथ यात्रा की है। परंतु इस बार अकेले यात्रा करने का प्रथम अनुभव था। चूँकि प्रारंभ में बहुत डर भी लग रहा था और मेरे पिता जी भी नहीं चाहते थे कि मैं अकेले इतनी दूरी की यात्रा करूं, बेशक सुरक्षा कारणों के वजह से। सही भी है, आजकल का परिवेश लड़कियों के लिए उपयुक्त नहीं है, फिर भी मैंने अपने डर पर विजय पाने के लिए ऐसे यात्रा करने का संकल्प लिया। और यह सफर काफी अच्छा और परिवर्तनकारी रहा।

मीनू पाण्डेय

शिक्षा स्नातक एवं अंग्रेजी में परास्नातक में उत्तीर्ण, मीनू पाण्डेय की बचपन से ही लिखने में रुचि रही है। अकादमिक वर्षों में अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से सुशोभित मीनू के रग-रग में लेखनी प्रवाहमान रहती है। इनकी वर्षों की रुचि और प्रविणता, इन्हे एक कुशल लेखक की श्रेणी में खड़ा करता है। हर समय खुद को तराशना और निखारना इनकी खूबी है। कई वर्षो का अनुभव इनके कार्य़ को प्रगतिशील और प्रभावशाली बनाता है।

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द्वारा प्रकाशित
मीनू पाण्डेय