निबंध

व्यवसायिक शिक्षा पर निबंध (Vocational Education Essay in Hindi)

व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा होती है जिसके द्वारा किसी खास विषय या क्षेत्र में महारत हासिल की जाती है। यह कौशल प्रशिक्षण की शिक्षा होती है। यह विविध पाठ्यक्रमों जैसे कम्प्यूटर, बैकिंग, वित्त, पर्यटन, व्यापार आदि क्षेत्रों में कुशल बनाया जाता है। बिना व्यवहारिक ज्ञान के केवल किताबी ज्ञान से आप कोई भी काम कुशलता से नहीं कर सकते। आज कल यह बहुत ही प्रासंगिक विषय है, जिसे प्रायः स्कूल-कॉलेजों में पूछा जाता है। यहां हम विभिन्न शब्द-सीमाओं में बँधे कुछ निबंध प्रस्तुत कर रहे है, आप अपने अनुकूल चयन कर सकते है।

व्यवसायिक शिक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Vocational Education in Hindi, Vyavsayik Siksha par Nibandh Hindi mein)

व्यवसायिक शिक्षा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

ये दुनिया हुनरदार लोगो को ही पूछती है। पहले माँ-बाप अपने बच्चों को डाक्टर इंजीनियर ही बनाना ही पसंद करते थे, क्योकि केवल इसी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सुनिश्चित हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। प्रशिक्षण और कुशलता हमारे करियर रूपी ट्रेन का इंजन है, जिसके बिना हमारी जिन्दगी की गाड़ी चल ही नहीं सकती, इसलिए गर जीवन में आगे बढ़ना है, सफल होना है, स्कील्ड तो होना ही पड़ेगा।

व्यवसायिक शिक्षा का महत्व

यह स्थिति तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब बात गरीबों की आती है। उनके पास इतने पैसे नही होते कि वो अपनी शिक्षा पूरी कर सके, इस स्थिति में रोजगार पाने का एकमात्र साधन केवल और केवल व्यवसायिक शिक्षा ही रह जाती है, जो बेहद कम खर्चे में लोगो को स्कील्ड कर रोजगार दिलाने में सहायक सिध्द होती है।

रोजगार पर प्रभाव 

अब इस क्षेत्र मे भी आधुनिकता ने अपने पंख पसार लिए है। बहुत सारी कंपनियां भी प्रक्षिशित लोगो की तलाश में रहती है, विभिन्न जॉब वेबसाइटो में कुशल लोगो की रिक्रूटमेंट निकलती रहती है, जिसमें आन-लाइन आवेदन माँगे जाते है। कुछ प्रोफेशनल वेबसाइट अब आनलाइन कोर्सेज भी कराती है। अब आप घर बैठे ही ऐसे कोर्सेज कर सकते है। आपको कहीं जाने की जरूरत नही। सुदूर गाँव मे बैठे लोगो के लिए यह व्यवस्था किसी वरदान से कम नहीं।

निष्कर्ष

पहले बड़े ही सीमित अवसर होते थे, रोजगार पाने के। कारपेन्ट्री, वेल्डिंग, आटो-मोबाइल जैसे क्षेत्रो तक ही सीमित थे, लेकिन अब ऐसा नही है। बहुत सारे नये-नये क्षेत्रो का विकास हो गया है, जैसे इवेंट मैनेजमेंट, टूरिस्ट मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट, कम्प्यूटर नेटवर्क मैनेजमेंट, रिटेल ट्रेनिंग एण्ड मार्केटिंग, टूर एण्ड ट्रवेल्स मैनेजमेंट इत्यादि ऐसे कुछ क्षेत्र है, जिसमे आप निपुण होकर बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते है। कुशल हाथ ही एक नये और बेहतर कल का रचयिता हो सकता है। जब हर हाथ मे हुनर होगा, तभी हमारा देश विकसित देशो की श्रेणी मे खड़ा हो पाएगा।

निबंध – 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

किसी खास उद्यम के लिए लोगो को तैयार करना ही व्यवसायिक शिक्षा का परम उद्देश्य है। जिस प्रकार से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए सबके लिए रोजगार उपलब्ध करा पाना सरकार के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है। वोकेशनल शिक्षा किताबी पढ़ाई अर्थात थ्योरी पर कम प्रैक्टिकल ज्ञान पर अधिक फोकस करता है। छात्र किसी खास विषय के तकनीक या प्रोद्योगिकी पर महारत हासिल करते है।

भारत में व्यवसायिक शिक्षा की स्थिति

हमारा देश युवाओ का देश है। आज का परिदृश्य उठा के देखे तो बढ़ती हुई बेरोजगारी सर्वाधिक चिन्ता का विषय है। इसका निराकरण करना केवल सरकार की ही नही अपितु आम नागरिक का भी है, और केवल तभी संबव है आम आदमी स्कील्ड होकर रोजगार का सृजन करे। सवा सौ करोड़ की आबादी वाला हमारा देश और सभी के लिए रोजगार उगा पाना सरकार के लिए भी नामुमकिन है। बेरोजगारी का अंत तभी संभव है जब आम आदमी अपना उद्यम स्वयम् सृजित करे और यह तभी हो सकता है हर हाथ हुनरमंद हो।

केवल 25% स्नातको को ही जॉब मिल पाती है, क्योकि बाकि के 75% प्रशिक्षित होते ही नही। देश में रोजगार के बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है कि सभी को रोजगारोन्मुख कौशल प्रदान करना। आज हमारे देश में कौशलबध्द और विशेषज्ञ लोगो की माँग बढ़ रही है। वोकेशनल शिक्षा नौकरी पाने में जॉब सीकर्स की मदद करती है, साथ ही उन्हे उपयुक्त ट्रेनिंग और कौशल प्रदान करती है। भारत का आई टी सेक्टर अपने स्किल के कारण ही विश्व पटल के आकाश का ध्रुव तारा है।

विविध क्षेत्र

यह बड़ा ही वृहद क्षेत्र है। इसे कई वर्गो मे वर्गीकृत किया जा सकता है; जैसे वाणिज्य, गृह-विज्ञान, पर्ययन एवं आतिथ्य विभाग, स्वास्थ्य एवं पराचिकित्सकीय, अभियांत्रिकी, कृषि व अन्य। यह विविध प्रोग्रामों जैसे निफ्ट, रोलटा, मेड, डब्लू-डब्लू आई, एन एच एम आई टी जैसी संस्थाए युवाओं को नये-नये प्रोफेशनल स्किल्स को सिखाकर उनका जीवन उन्नत कर रहे है।

इसी के अन्तर्गत माननीय प्रधानमंत्री जी ने युवाओं के बेहतर भविष्य निर्माण के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का शुभारम्भ किया। इसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर उद्योगो के अनुसार रोजगार संबंधी कौशल का सृजन करना है।

उपसंहार

बदलते समय के साथ लोगो ने वोकेशनल शिक्षा के महत्व को समझ लिया है। भविष्य मे इसके और उन्नत होने की सम्भावना है। निकट भविष्य में नये-नये उद्योग-धन्धो का विकास होना स्वाभाविक है। इस दशा में सभी का प्रशिक्षित और व्यवसायिक रूप से शिक्षित होना नितांत आवश्यक हो जाएगा।

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना

हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या और चुनौती यही है कि हमारी शिक्षा-प्रणाली और रोजगार मे कोई तालमाल नही। हमे जो शिक्षा बचपन से दी जाती है, और जिस शिक्षा से नौकरी मिलती है, दोनो मे जमीन-आसमीन का फर्क होता है।

हर साल लाखों की संख्या में ग्रेजुएट्स तैयार होते है, जिनकी मार्केट में कोई वैल्यू नही। और जिन कुशल लोगो की माँग है, उनकी संख्या कम है। इस कमी को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।

असल में वो शिक्षा किस काम की, जो आपको आजीविका का साधन न दे सके। आजादी के बाद शिक्षा तंत्र तेजी से फैले है, कुकुरमुत्ता की तरह आपको हर गली, नुक्कड़, चौराहे पर दो-चार स्कूल दिख जाएंगे। आजकल शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है, गुणवत्ता तो रह ही नही गयी है। आजकल स्कूल्स केवल पैसा उगाही का केन्द्र बन चुका है। बच्चों के भविष्य से किसी को कोई मतलब नही।

व्यवसायिक शिक्षा के फायदे

  1. जॉब हेतु तैयार- वोकेशनल अर्थात व्यवसायिक शिक्षा हमे जॉब के लिए तैयार करता है। यह छात्रो को प्रशिक्षित कर उन्हे ट्रेनिंग और कौशल प्रदान करता है; जोकि इंटीरियर डिजायनिंग, फैशन डिजायनिंग, कम्प्यूटर नेटवर्किंग इत्यादि जैसे क्षेत्रो में बिना प्रशिक्षण कौशल के आप कुछ नही कर सकते। यदि इन क्षेत्रो मे अपना भविष्य तलाशना है तो बिन ट्रेनिंग के काम नहीं चलने वाला।
  2. मितव्ययी शिक्षा– सरकारी और गैर सरकारी दोनो तरह के संगठन बहुत ही कम फीस मे व्यवसायिक शिक्षा छात्रो को उपलब्ध करा रहे है। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े और वंचित वर्ग भी इसका लाभ भी उठा सकते है। यह उन छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नही जो किसी कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते है, या जिनके घर की माली हालत ठीक नहीं और वो तीन-चार साल पढ़ाई पर नही दे सकते। ऐसे छात्र छमाही या सालाना कोर्स करके रोजी-रोटी कमाने लायक बन सकते है।
  3. रोजगार के अनुकूल– वोकेशनल शिक्षा उपयुक्त ट्रेनिंग देकर रोजगार के नये अवसर प्रदान करता है। यह आज की जरूरत भी है और महत्वपूर्ण भी। बड़ी-बड़ी कम्पनियों को भी काबिल और हुनरमंद लोगो की तलाश रहती है। जिनके पास उपयुक्त व्यवसायिक शिक्षा होती है, उनके पास नौकरी की कभी कमी नही रहती है। इनकी हर जगह डिमांड बनी रहती है।
  4. उन्नत करियर– व्यवसायिक शिक्षा जॉब पाने में हर रास्ता आसान करती है। वो लोग जो पहले से कहीं कार्यरत है और खुद को और निखार कर अपना जॉब प्रोफाइल उन्नत करना चाहते है, ऐसे लोगो को वोकेशनल शिक्षा बहुत बढ़िया प्लेटफॉम है। इनकी अवधि अपेक्षाकृत कम होती है। इच्छुक छात्र बेहद कम समय में ट्रेंड होकर अपनी स्कील्स बढ़ा सकते है, और रोजगार के बेहतर अवसर पा सकते है।
  5. समय की माँग- आज हर क्षेत्र में नित नये शोध और अनुसंधान हो रहे है। इसको देखते हुए अपडेट रहना बहुत जरूरी है। समय के साथ आवश्यकताएँ भी बदलती रहती है। पहले लोग परंपरागत खेती-बाड़ी ही करके खुश रहते थे, जितना उगता था, पर्याप्त होता था, जनसंख्या कम थी और लोगो की जरूरते भी। लेकिन अब ऐसा नही है, देश की आर्थिक उन्नति के साथ-साथ लोगो का जीवनस्तर भी समृध्द हुआ। जीवनस्तर बढ़ा तो लोगो की आवश्यकताएँ भी बढ़ी। अब केवल एक आदमी के कमाने से काम नही चलने वाला। अब कृषि भी काफी उन्नत हो चुकी है। कृषि को बढ़ाने के लिए कई सारे तकनीक आ गये है।

निष्कर्ष

वोकेशनल अर्थात व्यवसायिक शिक्षा किसी भी देश की इकॉनमी का एसेट होता है। देश की आर्थिक प्रगति वहाँ के वोकेशनल एजुकेशन पर निर्भर करता है। व्यवसायिक शिक्षा देश की प्रगति का मेरूदण्ड होता है, जिस पर संपूर्ण देश टिका रहता है।

निबंध – 4 (650 शब्द)

प्रस्तावना

व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा होती है, जो लोगो को हुनरमंद और काबिल बनाती है। यह एक प्रकार की खास ट्रेनिंग होती है जो हमे किसी खास यांत्रिकी को करने के काबिल बनाती है, और उस तकनीक को सिखाती है, जो उस काम या यंत्र को चलाने के लिए जरूरी होता है। इसके अन्तर्गत अप्रेंटिस, पॉली-टेक्नीक जैसे टेकनिकल कोर्सेज आते है, जिन्हे 10वीं के बाद ही करके जॉब पाया जा सकता है। इसे कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के द्वारा संपादित किया जाता है। यह उन लोगो के लिए सुनहरा अवसर होता है जिनकी किसी कारणवश पढ़ाई बीच मे ही छूट जाती है, या आर्थिक तंगी के कारण आगे पढ़ नही पाते।

वोकेशनल प्रोग्राम के प्रकार

वोकेशनल शिक्षा छात्रो को विभिन्न औद्योगिक एवम् व्यवसायिक रोजगार के लिए तैयार करती है। अब बहुत सारी औद्योगिक कंपनियाँ भी कर्मचारियों के लिए विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्रामो का आयोजन करती है। जॉब-सीकर्स इन प्रोग्रामो का हिस्सा बनकर एक कुशल हाथ का सृजन कर करते है। और अपनी महत्ता को बढ़ा सकते है।

राष्ट्रीय साक्षरता मिशन, भारत सरकार एवं सी.बी.एस.ई (सेण्ट्रल बोर्ड आफ सेकेन्डरी एजुकेशन) भी कई वोकेशनल कोर्सेस को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रही है। कई ट्रेड संस्थान ऐसे वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स करवाते है, आप अपनी रूचि और आवश्यकता के अनुसार इन पाठ्यक्रमो में से चुन सकते है। छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ इन कोर्सेस को सीखने का भी लाभ उठा सकते है, इससे दो फायदे होंगे, एक छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान ही सीख कर समय का सदुपयोग कर सकता है, साथ ही उसे पढ़ाई खत्म होने के तुरंत बाद नौकरी मिल सकती है। उसे नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने की जरूरत नहीं।

अकाउंटेंसी एवं आडीटिंग, मार्केटिंग और सेल्स, बैंकिग, बिजनस एडमिनिस्ट्रेशन, इलेक्ट्रिकल तकनीकी, आटो-मोबाइल टेक्नोलॉजी, सिविल अभियांत्रिकी, आईआईटी अनुप्रयोग इत्यादि कुछ ऐसे क्षेत्र है, जिन्हे छात्र सीनियर लेवल पर छात्र अपने विषय के रूप में चुन सकता है। और आगे चलकर इन क्षेत्रो में अपना भविष्य तलाश सकता है।

व्यवसायिक शिक्षा कहाँ से की जाय

समय की माँग को देखकर भारत-सरकार छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई वोकेशनल ट्रेनिंग फुल-टाइम और पार्ट-टाइम दोनो रूपों में मुहैय्या करा रही है। फुल टाइम कोर्स में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट दोनो तरह के कोर्स होते है, जिन्हें विभिन्न आई-टी-आई और पॉली-टेक्नीक संस्थान करवाती हैं। जो कि सरकारी और गैर-सरकारी दोनो रूपो में होती है। जबकि पार्ट-टाइम विविध राज्य-स्तरीय तकनीकी शिक्षा के अन्तर्गत संचालित की जाती है। वैसे पॉलि-टेक्नीक इन तरह के पाठ्यक्रमो के लिए सर्वाधिक उपयुक्त साधन होते है।

व्यवसायिक शिक्षा के लाभ

व्यवसायिक शिक्षा के अनगिनत लाभ है। व्यवसायिक शिक्षा, ज्ञान और अनुभव से परिपूर्ण प्रशिक्षित प्रतिभा का सृजन करने का एक स्वच्छंद, स्थिर एवं अपरंपरागत माध्यम है। प्रशिक्षित छात्र इन कोर्सो को करके जमीनी स्तर पर हुनरमंद और काबिल बनते है, और अपना अनुभव और काबिलियत अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में भी दिखाते है।

यह बेहद कम समय और खर्चे मे छात्रो को कौशल प्रदान कर उनका जीवन सवार रही है। अपने समकक्ष छात्रो की तुलना मे वोकेशनल शिक्षा प्राप्त कर एक छात्र औरो की तुलना में कही पहले अपना करियर सैटल कर सकता है। जिन्दगी एक रेस की भाँति ही होता है, इसमे उसी का घोड़ा जीतता है, जिसकी लगाम एक कुशल, निपुण और अनुभवी जॉकी के हाथो मे होती है। जिस देश मे जितने ज्यादा स्कील्ड लोग होगे, वह देश उतनी ही तेजी से तरक्की करता है। जापान इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। जापान मे 97% लोग स्कील्ड है, यही उनकी ग्रोथ का एकमात्र कारण है। जापान की टेक्नॉलॉजी का लोहा पूरा विश्व मानता है।

भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाएँ:

भारत सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े निर्धन वर्गों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। इन योजनाओं में से कुछ महत्वपूर्ण योजनाए अधोलिखित है-

1) उड़ान (UDAAN)

यह कार्यक्रम विशेषतः जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए शुरू किया गया है। यह पाँच साल का कार्यक्रम और यह सूचना प्रौद्योगिकी, बीपीओ और खुदरा क्षेत्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण शिक्षा और रोजगार मुहैय्या कराता है।

2) पॉलिटेक्निक

पॉलिटेक्निक भारत के लगभग सभी राज्यों में चलने वाला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है। यह इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान के भिन्न-भिन्न विषयों में तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है। पॉलि-टेक्नीक की शिक्षा गांव-गांव, शहर-शहर में प्रचलित है, जो जन-जन तक पहुंचकर छात्रो की राह आसान कर रही है।

3) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान विभिन्न इंजीनियरिंग और गैर इंजीनियरिंग विषयों में व्यावसायिक प्रशिक्षण चलाते हैं। आईटीआई का प्रबंधन भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता द्वारा निर्देशित एवं कार्यान्वित होता है।

4) एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन)

जून 2011 में लागू किया गया, NRLM को खास तौर पर BPL (गरीबी रेखा से नीचे) समूह के लिए चलाया गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न ट्रेडों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो, खासकर महिलाओं को भिन्न-भिन्न उद्यम एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि वे खुद को क्रियाशील एवं रोजगारपरक बनाकर, अपनी और अपने परिवार की आजीविका कमा सके।

5) शिल्पकार प्रशिक्षण योजना

यह योजना विभिन्न इंजीनियरिंग विषयों के साथ-साथ पैरामेडिकल, कृषि और वाणिज्य आदि के क्षेत्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए शुरू की गयी है। इसे व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

निष्कर्ष

व्यवसायिक शिक्षा आज की युवा-पीढ़ी के लिए किसी वरदान से कम नहीं। जो छात्र प्रोफेशनल कोर्स नही कर सकते, उन्हे निराश होने की जरूरत नही। व्यवसायिक शिक्षा उन्ही बच्चो के लिए है। व्यवसायिक शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य आम नागरिक के हाथ में हुनर देकर देश की प्रगति में योगदान देना है।

मीनू पाण्डेय

शिक्षा स्नातक एवं अंग्रेजी में परास्नातक में उत्तीर्ण, मीनू पाण्डेय की बचपन से ही लिखने में रुचि रही है। अकादमिक वर्षों में अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से सुशोभित मीनू के रग-रग में लेखनी प्रवाहमान रहती है। इनकी वर्षों की रुचि और प्रविणता, इन्हे एक कुशल लेखक की श्रेणी में खड़ा करता है। हर समय खुद को तराशना और निखारना इनकी खूबी है। कई वर्षो का अनुभव इनके कार्य़ को प्रगतिशील और प्रभावशाली बनाता है।

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द्वारा प्रकाशित
मीनू पाण्डेय