कविता

अनपढ़ माँ

अनपढ़ माँ पर ये कविता जरूर सुनें। माँ पर दिल को छू लेने वाली मोटिवेशनल कविता।

अनपढ़ माँ पर कविता (Motivational Poem for Mother in Hindi)

जब मैं गर्भ में आयी, वो बड़े प्यार से, वो बड़े प्यार से दिन और महिने गिन रही थी,

सारी खुशियाँ दूंगी मैं, अपने लल्ली को, मेरी माँ ऐसे सपने बुन रही थी।

पाव उनका भारी था, फिर भी वो, जमीन पर नहीं टिक रही थी,

जान भी नही आयी थी मुझमें अभी,

जान भी नही आयी थी मुझमें अभी, और वो, मेरे लिए खिलौने चुन रही थी।।

दोस्तों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार—-

साथियों हमारा आज का विषय है

माँ, ‘अनपढ़ माँ’

माँ पर मोटिवेशनल वीडियो (Motivational Video for Mother in Hindi)

सुनकर बडा अटपटा लग रहा होगा न, लेकिन ये हमारे समाज की एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता, अक्सर, अक्सर लोग अपनी मंजिल पा लेने के बाद अपनी मां को अनपढ़ कहते हैं…..

दोस्तों मेरे ख्याल से माँ एक ऐसा शब्द है,

जिसके आगे ‘अनपढ़’ शब्द लगाना,

किसी मंदिर के सामने ‘शराब की दुकान’ लगाने के बराबर है। जी हाँ….

क्योंकि मेरा मानना है दोस्त,

कि एक महिला भले ही अनपढ़ हो सकती है,

मगर एक मां कभी अनपढ़ नहीं हो सकती!!!!

हाँ मैं इस बात को मानती हूँ, हाँ मैं इस बात को मानती हूँ,

कि वो किताबों में लिखे चंद शब्दों को नहीं पढ़ सकती,

मगर एक माँ जो पढ़ सकती है,

वो दुनिया की कोई शख़्सियत नही पढ़ सकती।।

अरे दुनियां वाले तो सिर्फ लिखावटे पढ़ते हैं दोस्त,

मेरी अनपढ़ माँ तो, मेरी भावनाएं पढ़ लेती है।

मेरी मुस्कान के पीछे छिपी, मेरी जरूरतें जान लेती है,

क्या कह रहा है मेरा उदास चेहरा, माँ पहचान लेती है।

मेरा दर्द, मेरी उदासी, मेरे ख्वाब पकड़ लेती है,

और लोग कहते हैं माँ अनपढ़ होती है,

और वो अनपढ़,

मेरी आंखों से गिरते, आंसुओं को भी पढ़ लेती है।।

हाँ सच ही कहते हैं लोग,

माँ अनपढ़ ही नहीं गवार भी है।

हाँ सच ही कहते हैं लोग,

माँ अनपढ़ ही नहीं गवार भी है।।

तभी तो दाल रोटी मांगने पर,

थाली में घी और अचार भी रखती है।।

साथियों दुनिया की हर माँ अपने बच्चे की पहली गुरु होती है, बच्चों के साथ – साथ वो उसके गुणों एवं संस्कारों की भी जननी होती है। एक माँ खुद अशिक्षित होते हुए भी अपने बच्चों के लिए सदा ऐसे आदर्श स्थापित करती है जिनका अनुसरण करके बच्चे नित्य नई-नई बुलंदियों को छूते रहते हैं, कोई शिक्षक, कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर तो कोई राजनेता इत्यादि बनकर माँ की ममता का मोल चुकाने की कोशिश करते हैं।

मगर दोस्त, चाहे माँ शिक्षित हो या अशिक्षित –  उसके ममता का ऋण उतारना ‘असंभव’ है।

मेरी ये कविता माँ के हर उस बच्चे के लिए हैं (चाहे वो लड़का या लड़की), जो बुलंदियों को छू लेने पर माँ में कमिया निकालता है, माँ को अनपढ़ बोलता है, और माँ के बुढ़ापे में अपने जिम्मेदारियों से दूर भागता है।

मैं आपको बता दूँ की इस पूरी दुनिया में – पूरे ब्रह्माण्ड में एक माँ का ही प्यार ऐसा है जो बिना मतलब के होता है तो आप भी अपनी माँ को बिना मतलब प्यार करें उसके अंतिम समय में अपनी माँ का भी माँ बनकर उसका साथ दें…

उम्मीद करती हूँ आप सबको ये वीडियो पसंद आयी होगी… अगर नापसंद हो तो कृपया कमेंट करके अपने सुझाव जरुर भेजें और पसंद हो तो सबसे गुज़ारिश है अपनी-अपनी माँ को ये कविता पढ़कर जरूर सुनाईयेगा।।।।

धन्यवाद।

Sandeep Vishwakarma

संदीप कुमार विश्वकर्मा एक पेशेवर कॉन्टेंट राइटर के साथ-साथ एक बेहद उम्दा कवि भी हैं, माँ हंस वाहिनी की कृपा इन पर हमेशा बनी रही है। अपने बचपन के सपने को साकार करने के लिए इन्होंने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद भी लेखन शैली को अपने जीवन का आधार बनाया और आज इनके कलम से निकला एक-एक शब्द युवाओं के मन को झकझोर कर रख देता है। अपनी लेखनी के माध्यम से संदीप जी युवाओं के दिलों पर राज करते हैं।

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द्वारा प्रकाशित
Sandeep Vishwakarma