निबंध

भारत का संविधान पर निबंध (Constitution of India Essay in Hindi)

भारत का सर्वोच्च विधान संविधान है। यह हमारे कानून का संग्रहण है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में ‘कानून की किताब’ भी कहते हैं। हमारा संविधान दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। हमारे देश में लोकतंत्रात्मक गणराज स्थापित है। इसकी सम्प्रभुता, और धर्म-निरपेक्षता इसे दूसरों से अलग करती है। अक्सर शैक्षणिक संस्थानों में निबंध प्रतियोगिताएं होती रहती है। खासकर राष्ट्रीय त्यौहारों के मौके पर। इसी बात को ध्यान में रखकर हम भारतीय संविधान पर कुछ छोटे-बड़े निबंध दे रहे हैं। इन्हें काफी आसान शब्दों में लिखा गया है।

भारत का संविधान पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Constitution of India in Hindi, Bharat ka Samvidhan par Nibandh Hindi mein)

भारत का संविधान पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

जब-जब देश की गणतंत्रता की बात होगी, तब-तब देश के संविधान का नाम आना स्वाभाविक है। हमारा संविधान अनूठा संविधान है। संविधान को बनाने के लिए संविधान-सभा बनाई गई थी, जिसका गठन स्वतंत्रता पूर्व ही दिसम्बर, 1946 को हो गया था। संविधान को निर्मित करने के लिए संविधान-सभा में अलग-अलग समितियां बनाई गयी थी। इसका मसौदा बनाने का जिम्मा प्रारूप-समिति को दिया गया था, जिसके अध्यक्ष डाँ. भीमराव अम्बेडकर थे।

क्या है भारतीय संविधान

देश का कानून ही देश का संविधान कहलाता है। इसे धर्म-शास्त्र, विधि-शास्त्र आदि नामों से भी जाना जाता है। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत कर लिया गया था, और सम्पूर्ण भारत में इसके एक महीने बाद, 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया। इसे पूर्णतः बनने में 2 साल, 11 महीनें और 18 दिनों का वक़्त लगा। इसके लिए 114 दिनों तक बहस चली। कुल 12 अधिवेशन किए गये। लास्ट डे 284 लोगों ने इस पर साइन किए।

भारतीय संविधान के निर्माता

संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों में ‘पंडित जवाहर लाल नेहरू’, ‘डा. भीमराव अम्बेडकर’, ‘डा. राजेन्द्र प्रसाद’, ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’, ‘मौलाना अब्दुल कलाम आजाद’ आदि थे।

भारतीय संविधान की अनुच्छेद और सूचियाँ

भारत के संविधान में शुरूआत में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी, जो अब बढ़कर 448 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हो गयी हैं।

निष्कर्ष

हमारे भारत का संविधान दुनिया का सबसे अच्छा संविधान माना जाता है। इसे दुनिया भर के संविधानों का अध्ययन करने के बाद बनाया गया है। उन सभी देशों की अच्छी-अच्छी बातों को आत्मसात किया गया है। संविधान की नज़र में सब एक समान है। सबके अधिकार और कर्तव्य एक समान है। इसकी दृष्टि में कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा, न ही अमीर, न ही गरीब। सबके लिए एक जैसे पुरस्कार और दंड का विधान है।

Bharat ka Samvidhan par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

संविधान बनने से पहले देश में भारत सरकार अधिनियम, 1935 का कानून चलता था। हमारे संविधान ने बनने के बाद भारत सरकार एक्ट का ही स्थान लिया। हमारा संविधान विश्व का वृहदतम संविधान है। यह सबसे लंबा लिखा भी गया है। इसके 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 08 अनुसूचियां, इसके विशाल स्वरूप की व्याख्या करतीं है।

इसके निर्माण के बाद, समय की प्रासंगिकता को देखते हुए इसमें अनेकों संशोधन हुए। वर्तमान में हमारे संविधान में 498 आर्टिकल्स, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हो गयीं है। चूंकि यह परिवर्तन बदस्तूर जारी है और आगे भी होगा, इसीलिए सदैव मूल संविधान का डाटा ही याद रखना चाहिए।

भारतीय संविधान निर्माता एवम् निर्माण

भारतीय संविधान का जो स्वरुप हमें दिखाई देता है, वो केवल एक व्यक्ति का नहीं, वरन् कई लोगों के अथक प्रयास का नतीजा है। बेशक बाबासाहब डाँ. भीमराव अम्बेडकर को संविधान का निर्माता और जनक कहा जाता है। लेकिन उनके अलावा भी बहुत लोगों ने उल्लेखनीय काम किये हैं। इस संबंध में यह कह सकते है कि, इन लोगों के बिना संविधान कार्य का उल्लेख अधूरा है।

राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण पिंगली वैंकेया ने किया था ।

थॉमस हेयर ने आधुनिक निर्वाचन प्रणाली का निर्माण किया था ।

भारतीय संविधान के सजावट का कार्य शांति-निकेतन के कलाकारों ने किया था, जिसका निर्देशन नंद लाल बोस ने किया था।

भारतीय संविधान की संकल्पना श्री एम.एन राव ने 1934 में ही कर दी थी। इसी कारण उन्हें साम्यवादी विचारधारा का पहला अन्वेषक कहा जाता है। इतना ही नहीं, उन्हें कट्टरवादी लोकतंत्र के पायनियर की संज्ञा भी दी जाती है। इनकी संस्तुति को ऑफिशियली सन् 1935 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। तत्पश्चात् श्री सी. राजगोपालाचारी ने सन् 1939 में इसके समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की थी। और अन्ततः सन् 1940 में इसे ब्रिटिश सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की गयी।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान की रचना भी कोई एक दिन की कहानी नहीं है। बल्कि कई वर्षों के अथक प्रयासों का सम्मिलित रूप है। आज की पीढ़ी को सब-कुछ थाली में सजा-परोसा मिलता है न, इसीलिए उसे इसकी कीमत नहीं है। हमारे देश ने करीब साढ़े तीन सौ सालों तक केवल ब्रिटिश हुकुमत की गुलामी झेली है। यह समय कितना असहनीय और पीड़ादायी रहा है, यह हमारे लिए कल्पना के भी परे है।

हम सभी बेहद भाग्यशाली है, जो हमने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया। हम कुछ भी कर सकते है, कहीं भी आ-जा सकते है। कुछ भी बोल सकते हैं। ज़रा सोचिए, कितना हृदय-विदारक होता होगा, जब आपको बात-बात पर यातनाएं दी जाती हो। मैं तो सोच भी नहीं सकती, मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

Constitution of India par nibandh – निबंध 3 (600 शब्द)

प्रस्तावना

यूं तो हम सभी प्रायः अनेकों विषयों पर विचार-विमर्श और मंत्रणाएं करते है, किन्तु जब बात देश और देशभक्ति की हो, तब उत्साह ही अलग होता है। यह केवल मेरी ही नहीं, अपितु हम सबकी भावनाओं से जुड़ा है।

देशभक्ति का जज्बा एक अलग ही जज्बा होता है। हमारी नसों में रक्त दुगुनी गति से प्रवाहित होने लगता है। देश के अमर सपुतों के बारे में जानने के बाद, हमारे अंदर भी देश पर मर मिटने का जुनून पैदा होने लगता है।

भारतीय संविधान का इतिहास

भारतीय संविधान को 26 नवंबर सन् 1949 में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इसे 26 जनवरी सन् 1950 में लागू किया गया था। भारतीय संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।

भारतीय संविधान के निर्माण के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 08 अनुसूचियां तथा 22 भागों में विभाजित किया गया था, जबकि इस समय भारतीय संविधान 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भागों में विभाजित है। संविधान सभा के प्रमुख सदस्य अब्दुल कलाम, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जो भारत के सभी राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।

भारतीय संविधान को हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में हाथ से ही लिखा गया है। भारतीय संविधान को बनाने में लगभग एक करोड़ का खर्च लगा था। भारतीय संविधान में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को 11 दिसंबर सन् 1946 में स्थाई अध्यक्ष चुना गया था। भारतीय संविधान लागू होने के बाद भी इसमें 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।

भारतवर्ष में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान में सरकार के अधिकारियों के कर्तव्य और नागरिकों के अधिकारों के बारे में भी बताया गया है। संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 थी, जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के 4 चीफ कमिश्नर एवं 93 देसी रियासतों के थे।

भारत अंग्रेजों से आजाद होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही, संसद के प्रथम सदस्य बने थे और भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान को बनाने के लिए ही किया गया था। संविधान के कुछ अनुच्छेदों को 26 नवंबर सन् 1949 को पारित किया गया था जबकि बचे अनुच्छेदों को 26 जनवरी सन् 1950 को लागू किया गया था।

केंद्रीय कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है। भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन 19 जुलाई 1946 में किया गया था। भारत की संविधान सभा में हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे।

मौलिक अधिकार

भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किए है, जिनका वर्णन अनुच्छेद 12 से 35 को मध्य किया गया है –

1) समानता का अधिकार

2) स्वतंत्रता का अधिकार

3) शोषण के विरूध्द अधिकार

4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

5) संस्कृति और शिक्षा से सम्बंधी अधिकार

6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार

पहले हमारे संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, जिसे ‘44वें संविधान संशोधन, 1978’ के तहत हटाया गया। ‘सम्पत्ति का अधिकार’ सातवाँ मौलिक अधिकार था।

निष्कर्ष

हमारे संविधान में बहुत सारी खूबियां है। कुछ खामियां भी, जिसे समय-समय पर दूर किया जाता रहा है। अपनी कमी को मानना और उसे दूर करना बहुत अच्छा गुण होता है। हमारा संविधान न ही बहुत लचीला है, न ही बहुत सख्त। हमारा देश बेहद उदार देशों की श्रेणी में आता है। माना उदारता बड़ा गुण होता है। लेकिन कुछ देश हमारी उदारता का नाजायज फायदा उठाते हैं। जो कि हमारे देश के हित में नहीं। अधिक उदार होने से लोग आपको कमज़ोर समझने लगते हैं।

मीनू पाण्डेय

शिक्षा स्नातक एवं अंग्रेजी में परास्नातक में उत्तीर्ण, मीनू पाण्डेय की बचपन से ही लिखने में रुचि रही है। अकादमिक वर्षों में अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से सुशोभित मीनू के रग-रग में लेखनी प्रवाहमान रहती है। इनकी वर्षों की रुचि और प्रविणता, इन्हे एक कुशल लेखक की श्रेणी में खड़ा करता है। हर समय खुद को तराशना और निखारना इनकी खूबी है। कई वर्षो का अनुभव इनके कार्य़ को प्रगतिशील और प्रभावशाली बनाता है।

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द्वारा प्रकाशित
मीनू पाण्डेय