निबंध

गणतंत्र दिवस का महत्व पर निबंध (Importance of Republic Day of India Essay in Hindi)

गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में खुशी का माहौल रहता है। भारतीय इतिहास में उल्लिखित दो सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं यथा, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस है। जितना देश की आजादी का दिन प्रमुख है, उतना ही खास लोकतंत्र के स्थापना का दिन भी है। 1857 से शुरू हुआ आजादी का सफऱ 1947 में पूरा हुआ। किन्तु यह आजादी अधूरी थी, यह 1950 में हमारे देश के गणतंत्र राज्य बनने के बाद फलीभूत हुआ।

गणतंत्र दिवस का महत्व पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Republic Day of India in Hindi, Gantantra diwas ka mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (250 शब्द)

प्रस्तावना

परतंत्रता ऐसी चीज है, जो किसी को पसंद नहीं होती। जानवरों को भी गुलामी अच्छी नहीं लगती, हम तो फिर भी इंसान है। अगर पंछी को सोने के पिंजरे में भी रखे, फिर भी वो खुले आकाश में ही रहना चाहती है। कहने का तात्पर्य यह है कि, आजादी सबसे बहुमूल्य होती है। आजादी पाना ही काफी नहीं होता, उसे सम्भाल कर और सहेज कर रखना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।

भारतीय गणतंत्र दिवस का तात्पर्य

गण अर्थात जनता, और तंत्र मतलब होता है – शासन। गणतंत्र या लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता का शासन। ऐसा देश या राज्य जहाँ जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। ऐसे राष्ट्र को लोकतांत्रिक गणराज्य की संज्ञा दी गयी है। ऐसी व्यवस्था हमारे देश में है। इसीलिए हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य कहलाता है।

गणतंत्र अर्थात ऐसा देश जहां सत्ताधारी सरकार को चुनने और हटाने का अधिकार आम जनता के पास होता है।

ऐसी सरकार कभी निरंकुश नहीं होती, क्योंकि किसी एक के हाथ में शक्ति नहीं होती। हमारी सरकार का स्वरूप संसदीय है। सरकार कुछ लोगों का ग्रुप होता है। जो कि निर्धारित कार्य-प्रणाली पर काम करते हैं। इसके तीन पार्ट होते हैं – कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका।

निष्कर्ष

हमारे देश में कोई भी आम आदमी सत्ता के सबसे ऊंचे पद पर आसीन हो सकता है। जब एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है, तो कुछ भी हो सकता है। हमारा इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है।

निबंध – 2 (400 शब्द) – Gantantra diwas ka mahatva par nibandh

भूमिका

गण मतलब जनता और तंत्र मतलब शासन या प्रणाली। इसका शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता द्वारा चलाये जाने वाला शासन या प्रणाली। हमारे देश में 26 जनवरी 1950 से गणतंत्र देश घोषित हुआ। इसके होते ही हमारा देश लोकतंत्रात्मक सम्प्रभुता-सम्पन्न, धर्म-निरपेक्ष, सामाजिक और न्यायवादी देश बन गया।

यह सभी विशेषताएं संविधान की उद्देशिका में साफ लिखी गईं है। इन सभी का गूढ़ अर्थ है। सम्प्रभु मतलब हमारा देश अपने किसी भी फैसले को लेने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र है। किसी को भी उसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं। धर्म-निरपेक्ष अर्थात सभी धर्मो की मान्यता एवं सम्मान है। हमारे देश की विविधता ही हमारा अलंकार है। जो हमें औरों से भिन्न करता है।

भारतीय गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है जो 26 जनवरी को मनाया जाता है। सन 1950 में 26 जनवरी को ही भारत सरकार अधिनियम 1935 की जगह भारत के संविधान ने लिया था। संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया था, क्योंकि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन के दौरान अर्धरात्रि में पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। गणतंत्र दिवस के दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। देश में गणतंत्र दिवस के अलावा स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के दिन भी नेशनल हॉलीडे होता है।

लोकतंत्र की परिभाषा के अनुसार यह “जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है”। सच कहा जाए तो आज के टाइम में लोकतांत्रिक कहलाना एक फैशन हो गया है। होड़ सी मची हुई है।

हमें आजादी बहुत ही मुश्किलों के बाद मिली है। इसके माध्यम से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को  अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में बता सकते है। साथ ही हमें देश के सपूतों को देखकर उनसे प्रेरणा मिलती है और देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा पैदा होता है।

उपसंहार

हमारा देश का संविधान दुनिया के तमाम देशों के संविधानों को पढ़ने के बाद बनाया गया है। उन सबकी अच्छी-अच्छी बातों को आत्मसात करके इसका निर्माण हुआ है, जो इसे सबसे अलग और उम्दा बनाता है।

देश के नागरिक होने के हैसियत से हमारे कुछ अधिकार और कर्तव्य हैं जो संविधान ने हमें मुहैय्या करायें है। आजकल अधिकार तो सबको याद रहते है, किंतु कर्तव्य नहीं। ये सबसे बड़ी विडम्बना है।

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 12 से 35 के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। छः मौलिक अधिकार हैं – “समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार।”

निबंध – 3 (600 शब्द)

प्रस्तावना

हमारे देश में गणतंत्र दिवस समारोह को बड़े उत्साह से सेलिब्रेट किया जाता है। हो भी क्यों न, आखिर इतना बड़ा पर्व है, देश के लिए। गणतंत्र का महात्म हम इसी बात से लगा सकते है, कि इस व्यवस्था में (लोकतंत्र में) जनता का शासन होता है। जनता ही सर्वेसर्वा होती है।

गणतंत्र दिवस क्यों मनाते है।

हमारे देश में सरकार चुनने का हक जनता को दिया गया है। दुनिया में बहुत सारे देश लोकतांत्रिक देश हैं लेकिन सब गणराज नहीं। अब आप सोच रहे होगे कि मैं क्या बोल रही। दोनों तो एक ही बात है। एक जैसा प्रतीत होता है, परंतु थोड़ा सा फर्क है। चलिए देखते हैं, ये फर्क है क्या।

गणतंत्र में कानून का शासन होता है। एक गणतांत्रिक देश यह सुनिश्चित करता है कि किसी का भी अधिकार न मारा जाय, जैसै अल्पसंख्यक आदि। कोई भी शक्ति पाकर निरंकुश न हो, इसलिए प्रधानमंत्री के साथ-साथ कुछ शक्तियां राष्ट्रपति को भी दी जाती है। इस शासन में सभी मिल-जुल कर काम करते है। और एक-दूसरे के पूरक होते है।

इसीलिए भारत में राष्ट्रपति कई बार संसद के बनाए कानूनों पर साइन करने से मना कर देते हैं, लेकिन लोकतांत्रिक देशों में ऐसा नहीं होता है। वहां संसद के बनाए नियम ही अंतिम एवं सर्वमान्य होते हैं। तो अब समझ में आ ही गया होगा कि आखिर क्यों भारत को एक गणतांत्रिक देश कहा जाता है। और गणतंत्र का महत्व और विशेषता क्या है।

इसे कुछ इस तरह से भी समझा जा सकता है। दुनिया के तमाम देशों में लोकतंत्र तो है, किन्तु वे सभी देश, गणतंत्र की श्रेणा में नहीं आते। इंग्लैंड का उदाहरण लेते है। इंग्लैंड में लोकतंत्र तो है,परंतु वह गणतंत्रिक देश नहीं है। हमारे संविधान में संसदीय व्यवस्था इंग्लैंड से ही ली गई है,तथापि उससे भिन्न है।

हमारी संसदीय व्यवस्था इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था से भिन्न कैसे?

इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था से प्रेरित होकर ही, हमारे यहां भी संसदीय व्यवस्था की गई है। वहां भी हमारी ही तरह लोग सांसद चुनते हैं और फिर वो सभी सांसद मिलकर प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं।

इंग्लैंड का प्रधानमंत्री भी हमारे ही देश की भाँति जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। जनता हर पांच साल में इस प्रधानमंत्री को चुनने और हटाने का अधिकार रखती है। इसीलिए इंग्लैंड भी एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन फिर भी इंग्लैंड को गणतंत्र नहीं कहते हैं।

इंग्लैंड अकेला ऐसा देश नहीं जहां ऐसी परंपरा है। जापान, स्पेन, बेल्जियम, डेनमार्क समेत विश्व के बहुधा देश हैं जहां लोकतंत्र तो हैं लेकिन गणतंत्र नहीं है, लेकिन भारत के साथ ऐसा नहीं है, इसीलिए तो हमारा देश सबसे न्यारा है। सच ही कहते है न, “सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा।”

इसके अतिरिक्त एक आधरभूत अंतर भी है। सत्ता के सबसे ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति का अंतर। जो जल्दी समझ नहीं आता, क्योंकि वह हमें दिखाई नहीं देता।

यदि जनता के पास सत्ता की सबसे ऊंची पदवी पर बैठे व्यक्ति को चुनने और हटाने का अधिकार होता है, तो उस देश को गणतांत्रिक देश कहा जाता है। (जैसा कि भारत में है।) अगर नहीं तो वो देश गणतांत्रिक देश नहीं कहलायेगा।

इंग्लैंड में ऐसा नही है। वहां तो सत्ता के सबसे उंचे पद पर राजा(या रानी) बैठे होते है। वहां आज भी नाम का ही सही,लेकिन राजशाही ही है। इंग्लैंड के लोग प्रधानमंत्री तो चेंज कर सकते है, लेकिन राजा या रानी नहीं।

उपसंहार

भारत में गणतांत्रिक प्रणाली है। भारत में सबसे उंचे पद पर राष्ट्रपति बैठते है, जिसे अप्रत्यक्ष रुप से ही, जनता ही चुनी होती है। साथ ही जनता हर 5 साल में राष्ट्रपति को बदलने का राइट रखती है। इसलिए भारत को एक लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ गणतांत्रिक देश भी कहते है। गणतांत्रिक देश का मुखिया और संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है। यही हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता है।

मीनू पाण्डेय

शिक्षा स्नातक एवं अंग्रेजी में परास्नातक में उत्तीर्ण, मीनू पाण्डेय की बचपन से ही लिखने में रुचि रही है। अकादमिक वर्षों में अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से सुशोभित मीनू के रग-रग में लेखनी प्रवाहमान रहती है। इनकी वर्षों की रुचि और प्रविणता, इन्हे एक कुशल लेखक की श्रेणी में खड़ा करता है। हर समय खुद को तराशना और निखारना इनकी खूबी है। कई वर्षो का अनुभव इनके कार्य़ को प्रगतिशील और प्रभावशाली बनाता है।

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द्वारा प्रकाशित
मीनू पाण्डेय