निबंध

ईंधन संरक्षण पर निबंध (Fuel Conservation Essay in Hindi)

हमारे जीवन को चलाने के लिए भोजन एक ईंधन की भांति काम करता है। आइए समझते हैं कि आखिर ईंधन होता क्या है, और हमारे जीवन में इसकी उपयोगिता क्या है। ईंधन वो साधन या संसाधन होता है, जिससे उर्जा मिलती हो। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आधारभूत तत्व होता है। आज जिसके पास जितना ईंधन मौजूद है, वो देश उतना ज्यादा विकसित है। इसकी महत्ता और आवश्यकता को देखते हुए हम यहां कुछ लघु और दीर्घ निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं।

ईंधन संरक्षण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Fuel Conservation in Hindi, Idhan Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)

ईंधन संरक्षण पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

कुदरत ने हमें बहुत सी वस्तुएं उपहार स्वरुप दी हैं। उन्होंने दुनिया और हमारे ग्रह पृथ्वी को बनाया। पृथ्वी पर, हम मानव निस्संदेह विभिन्न चीजों पर निर्भर हैं। हम ईंधन पर भी निर्भर हैं। ईंधन एक चीज है, जिससे ऊर्जा का उत्पादन होता है।

हमें खुद को जीवित रखने के लिए विभिन्न चीजों की आवश्यकता होती है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है, भोजन। खाना पकाने के लिए हमें ईंधन की आवश्यकता होती है। इसलिए, ईंधन बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, भोजन मानव शरीर में ईंधन की तरह काम करता है। यह मानव शरीर को ऊर्जा देता है और साथ ही मानव और जानवरों के विकास और जीवन को बनाए रखने में मदद करता है।

ईंधन किसे कहते हैं।

ईंधन का अर्थ एक पदार्थ है जो परमाणु ऊर्जा, गर्मी या शक्ति प्रदान करने के लिए जलाया जाता है। कोयला, लकड़ी, तेल या गैस जैसी सामग्री जलने पर उष्मा निकालती है। मेथनॉल, गैसोलीन, डीजल, प्रोपेन, प्राकृतिक गैस, हाइड्रोजन आदि ईंधन के प्रकार हैं। प्लूटोनियम को जलाने से परमाणु ऊर्जा उत्पन्न होती है।

ईंधन दक्षता से हम यह माप सकते हैं कि कोई भी वाहन कितने समय तक यात्रा कर सकता है, जो ईंधन की खपत के विपरीत है। ईंधन की खपत एक विशेष दूरी की यात्रा करने के लिए ईंधन वाहन के उपयोग की मात्रा है। ईंधन की क्षमता किलोमीटर प्रति लीटर में मापी जाती है। जिस दक्षता के साथ ईंधन ऊर्जा का रूपांतरण करता है उसे ईंधन दक्षता के रूप में जाना जाता है।

उपसंहार

बढ़ती जनसंख्या के कारण दिन ब दिन ईधन की भी मांग बढंती जा रही है। वस्तुओं के उत्पादन और अन्य सुविधाओं के लिए समान रूप से ईंधन की बढ़ती मात्रा की आवश्यकता को देखते हुए नवीन साधनों को खोजने की जरुरत है। अन्यथा जिस प्रकार से हम ईंधनो का अनावश्यक उपयोग कर रहे है, वो दिन दूर नहीं जब धरती से ये प्राकृतिक ईधन खत्म हो जायेंगे। और साथ ही इससे प्रकृति का सन्तुलन भी बिगड़ जायेगा।

ईंधन व ईंधन के प्रकार – निबंध 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि हमारा वातावरण जिसमें हम मनुष्य निवास करते हैं, इस पर्यावरण के बारे में नहीं सोचते। हमारा अस्तित्व भी इसी पर्यावरण से है। हमने अपने स्वार्थवश अपनी इस खूबसूरत पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है। हालांकि, जीवाश्म ईंधन के जलने से काले और जहरीले धुएं ने इस खूबसूरत धरती को इस हद तक नुकसान पहुंचाया है कि इसकी शुध्दता और सुंदरता को पुनः पाना असंभव प्रतीत होता है। यह बात गौर करने की है कि इन जीवाश्म ईंधनो के जलने से कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस निकलती है जो वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) का मुख्य कारण है। साथ ही ओजोन परत के क्षरण के लिए भी जिम्मेदार हैं।

ईंधन के प्रकार

ईंधन वो पदार्थ होते हैं, जो आक्सीजन से क्रिया करके उष्मा का उत्पादन करते हैं। ईंधन संस्कृत के ‘इन्ध’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘जलाना’। ईंधन कई प्रकार के होते हैं- जैसे ठोस, द्रव, गैस, परमाणवीय या नाभिकीय आदि।

  • ठोस ईंधन – वो ईंधन जो ठोस होते है, उन्हें ठोस ईंधन कहते हैं। ठोस ईंधनों में लकड़ी, पीट, लिग्नाइट, कोयला आदि आते हैं। इनको जलाने के बाद राख निकलती है। और ये कम मात्रा में उष्मा उत्पन्न करते हैं।
  • द्रव ईंधन – द्रव ईंधन वो होते हैं जोकि द्रव अवस्था में होते है। इनमें पेट्रोलियम जैसे डीजल, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, कोलतार आदि आते हैं। इनको जलाने के बाद राख नहीं निकलती और ये अधिक मात्रा में उष्मा का निष्कासन करते हैं।
  • गैस ईंधन – गैसीय ईंधन अत्यधिक ज्वलनशील होते है और सबसे ज्यादा उपयोगी भी। इसमें प्राकृतिक गैस जैसे हाइड्रोजन, प्रोपेन, कोयला गैस, एलपीजी (तरल पेट्रोलियम गैस) आदि आते हैं। एलपीजी तो हमारे रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा है। आजकल बिना इसके घरों में खाना नहीं बन सकता। साथ ही बड़े-बड़े उद्योग-धंधे भी इसी पर टिके होते हैं।
  • नाभिकीय ईंधन भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होते है। इसके अन्तर्गत नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन जैसी क्रियाएं होती है।

स्रोत के आधार पर भी इसके तीन प्रकार होते हैं

1) रसायनिक ईंधन – इनमें मुख्यतः हाइड्रोजन, मिथेन आदि आते हैं।

2) जीवाश्म ईंधन – इनमें कोयला और पेट्रोलियम विशेषतः आते हैं।

3) जैव ईधन – लकड़ी, काष्ठ कोयला, बायो डीजल (जैव डीजल) इसके अन्तर्गत आते हैं।

निष्कर्ष

हमें ईंधन की बचत करनी चाहिए, हमें कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए, कार ड्राइविंग जैसे कुछ ड्राइविंग दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। ईंधन के संरक्षण में कार पूलिंग से बहुत मदद मिल सकती है। यदि हम एक ही गंतव्य पर जा रहे हैं तो 2-3 के बजाय एक वाहन में जा सकते हैं। इससे ईंधन तो बचेगा ही साथ ही प्रदूषण कम होगा और यातायात जाम़ भी रुकेगा।

ईंधन संरक्षण की आवश्यकता क्यों है – निबंध 3 (500 शब्द)

भूमिका

ईंधन एक ऐसी सामग्री है, जिसका उपयोग किसी ऊर्जा के उत्पादन के लिए किसी चीज को जलाने या गर्म करने में किया जाता है। हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली लगभग हर चीज ईंधन पर निर्भर है। खाना पकाने से लेकर ऑटोमोबाइल निर्माण और काम करने तक, ईंधन एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। ईंधन के बिना जीवन की कल्पना करना लगभग असंभव है। लेकिन, वर्तमान मे,  हम एक बड़े ईंधन संकट का सामना कर रहे हैं।

ईंधन संरक्षण की आवश्यकता

ईंधन की कमी के कारण इसे अन्य देशों से बहुत अधिक कीमत पर आयात किया जा रहा है। यह भारत में आर्थिक विकास को बदल सकता है। पेट्रोल पंपों में भी, हम पाते हैं कि पेट्रोल की लागत धीरे-धीरे बढ़ रही है। इसका कारण पेट्रोलियम की बढ़ती मांग है।

ईंधन के जलने से ऊर्जा और हानिकारक पदार्थ पैदा होते हैं जो जाकर हवा में घुल जाते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरीके से प्रभावित करता है। वे पौधों और जानवरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। पर्यावरण को नुकसान होता है और ग्लोबल वार्मिंग का संकट उत्पन्न करता है। इस प्रकार,  ईंधन संरक्षण के बारे में गंभीरता से सोचने की जरुरत है।

वाहनों के उचित उपयोग से ईंधन का संरक्षण किया जा सकता है। निकटवर्ती दूरी के लिए ईंधन खपत करने वाले वाहनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। साइकिल और पैदल चलने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इन तरीकों का चयन करने से हमारे शरीर को शारीरिक व्यायाम भी मिलता है और हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

कारपूलिंग को व्यापक तरीके से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। पेट्रोल वाहनों के अनावश्यक भरने से ईंधन की बर्बादी होती है। आवश्यकता होने पर ही वाहनों में पेट्रोल भरवाना चाहिए। हर बार वातानुकूलक (एयर कंडीशनर) का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, उन्हें केवल अत्यधिक गर्मी के दौरान उपयोग किया जाना चाहिए। कार में अनावश्यक वजन से बचना चाहिए।

ईंधन की बचत करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि ईंधन का उत्पादन। ईंधन की बचत, हमारे पैसे भी बचाता है। ईंधन संरक्षण एक दैनिक आदत के रूप में अभ्यास किया जाना चाहिए। लगभग हर जगह ईंधन की जरूरत होती है। खाना पकाने में, वाहनों में और भी कई चीजों में।

अफसोस की बात है कि आजकल ईंधन की मात्रा दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है और उस कारण से, भारत में ईंधन को उच्च मूल्यों पर आयात किया जाता है जो वास्तव में भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है और यह भी अच्छा नहीं है, कि हम अन्य देशों के उत्पाद खरीद रहे हैं।

निष्कर्ष

हमारा भारत तभी विकसित होगा जब हम अपने देश की अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदमों का पालन करेंगे। जैसे – वृक्षारोपण, कार-पूलिंग, आदि। आजकल बिजली चलित वाहन भी उपलब्ध हैं, उनका प्रयोग करने से भी ईंधन की बहुत बचत होगी।

ईंधन जलाना सबसे खतरनाक काम है जो हम प्रतिदिन कर रहे हैं। यह बहुत हानिकारक गैसों का उत्पादन करता है जो किसी के लिए भी हानिकारक है। वे प्रकृति के संतुलन को नष्ट कर देते हैं, पर्यावरण सौंदर्य को प्रभावित करते हैं।

मीनू पाण्डेय

शिक्षा स्नातक एवं अंग्रेजी में परास्नातक में उत्तीर्ण, मीनू पाण्डेय की बचपन से ही लिखने में रुचि रही है। अकादमिक वर्षों में अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से सुशोभित मीनू के रग-रग में लेखनी प्रवाहमान रहती है। इनकी वर्षों की रुचि और प्रविणता, इन्हे एक कुशल लेखक की श्रेणी में खड़ा करता है। हर समय खुद को तराशना और निखारना इनकी खूबी है। कई वर्षो का अनुभव इनके कार्य़ को प्रगतिशील और प्रभावशाली बनाता है।

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द्वारा प्रकाशित
मीनू पाण्डेय