पहले के समय में हमारे देश में शिक्षक को इस तरह का सम्मान दिया जाता था, परन्तु आज के समय में शिक्षक और छात्र दोनो ही बदल गये है। पहले के समय में शिक्षण एक पेशा ना होकर एक उत्साह और एक शौक का कार्य था, पर अब यह मात्र एक आजीविका चलाने का साधन बनकर रह गया है। लेकिन मुझे लगता अभी भी सब कुछ खत्म नही हुआ है। जब भी मैं छात्रों को शिक्षक दिवस मनाते हुए देखता हूँ मैं काफी भावुक हो जाता हूँ और इसके साथ ही काफी प्रसन्न भी महसूस करता हूँ। यह सब देखकर मुझे लगता है अभी भी हमारे दिलो में शिक्षको के लिए विशेष स्थान है।
शिक्षक दिवस पर 10 वाक्य | मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध
प्रस्तावना
इस बात से को इनकार नही कर सकता है कि स्कूल के पहले दिन से लेकर कालेज के आखिरी दिन तक वह हमें पढ़ाते है हमारी कमियां खोजते है और हमें शिक्षा देते है। इसके अलावा वह हमारे व्यक्तित्व का भी निर्माण करते है अगर संक्षिप्त में कहे तो वह हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं।
शिक्षक हमारे भविष्य के निर्माता
वैसे तो कई रिश्ते है जिनका हमारे ह्रदय में विशेष स्थान होता है और मुझे विश्वास है कि उनमें से एक है शिक्षक का रिश्ता जो हमारे लिए सबसे प्रिय है। खासतौर से वह जो हमारे साथ सख्ती से पेश आते थे और हमें गलतियों पर सजा दिया करते थे।
जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते है यह नफरत प्रेम में बदल जाता है, क्योंकि हम अपने पेशे में डांट का महत्व महसूस करते है। कबीर दास ने शिक्षक के कार्य को नीचें के पंक्तियो में बखूबी समझाया है।
“गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट, अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट”
उपर के पंक्तियों में कबीर दास जी कहते है कि शिक्षक एक कुम्हार के तरह है और छात्र पानी के घड़े के तरह जो उनके द्वारा बनाया जाता है और इसके निर्माण के दौरान वह बाहर से घड़े पर चोट करता है और इसके साथ ही सहारा देने के लिए अपना एक हाथ अंदर भी रखता है।
इसलिए मैं अपने शिक्षक को इतना प्रेम करता हूँ (खासतौर से उनका जो मुझे ज्यादे डांटते थे)। वो वह व्यक्ति थे जो मेरे भविष्य निर्माण के लिए जिम्मेदार है।
जब मैं एक छात्र था, तब मैं एक अंग्रेजी लेखक बनना चाहता था। जब यह बात मैंने अपने दोस्तो और माता-पिता को बताया तो वह मुझ पर हंसने लगे क्योकि मेरी अंग्रेजी काफी खराब थी। मेरे शिक्षक हमेशा डांटते और सजा दिया करते थे पर मैनें कभी अपना धैर्य नही खोया। यह उनके मार्गदर्शन और मेहनत का फल ही जिससे कि मैं एक अंग्रेजी शिक्षक और लेखक बन पाया। पहले मैं उनके द्वारा मुझसे कड़ाई बरतने पर मुझे काफी बुरा लगता था, पर अब मैं उन्हे धन्यवाद देता हूँ क्योंकि उनके कड़ाई और मेरे उपर किये गये मेहनत का फल मुझे प्राप्त हुआ।
निष्कर्ष
तो आपको भी अपने कड़ाई बरतने वाले शिक्षको की बातो का बुरा नही मानना चाहिए, क्योंकि वह आपको वो बनायेंगे जो आप बनना चाहते हो। दूसरे शब्दो में कहे तो वह आपके भविष्य के निर्माता है।
प्रस्तावना
यह सच है कि हमारे माता-पिता हमारे पहले शिक्षक है। वह हमें काफी कुछ सिखाते है, इस बात इन्कार नही किया जा सकता है, पर हमारी असली शिक्षा तब शुरु होती है जब हम स्कूल जाते है। जहा हम अपने शिक्षको द्वारा ज्ञान प्राप्त करना शुरु करते हैं। शिक्षक एक व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व
एक शिक्षक एक मार्गदर्शक, गुरु, मित्र होने के साथ ही और कई भूमिकाएं निभाते है, जिनके बारे में हम सोच भी नही सकते है। यह विद्यार्थी के उपर निर्भर करता है, कि वह अपने शिक्षक को कैसे परिभाषित करता है। संत तुलसी दास के ने इसे नीचे के पंक्तियों में बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया है।
“जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”
उपर के पंक्तियों में संत तुलसी दास ने बताया है कि भगवान/गुरु एक व्यक्ति को वैसे ही नजर आयेंगे जैसा कि वह सोचेगा। उदहारण के लिए अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण को अपना मित्र मानते थे, वही मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण को अपना प्रेमी ठीक इसी प्रकार से यह शिक्षक के उपर भी लागू होता है।
मेरे नर्सरी शिक्षक – मेरे सब कुछ
मेरे नर्सरी शिक्षक के व्यक्तित्व में कुछ जादू सा था, मैं उन पर आंख मूंदकर भरोसा करता था। मैं उनके साथ के अपने इस रिश्ते को बयान नही कर सकता पर हाँ मैं यह अवश्य कह सकता हूँ कि यह कई रिश्तो का मिश्रण था।
मेरे प्राइमरी (प्राथमिक) शिक्षक – मेरे गुरु
ऐसा कहा जाता है कि एक इमारत की नींव मजबूत हो तो इमारत मजबूत होती है, और व्यक्ति जितने चाहे उतनी मंजिले उसमें जोड़ सकता है लेकिन अगर नींव कमजोर हो तो ऐसा करना काफी खतरनाक होता है। मैं काफी भाग्यशाली था जो मुझे इतने अच्छे प्राथमिक शिक्षक मिले जिन्होंने मेरे जीवन में चरित्र और शिक्षा की नींव रखी और इसी मजबूत नींव के वजह से आज मैं इस मुकाम पर पहूँच पाया हूँ।
मेरे माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक – मेरे अनुशासन कर्ता
आज मेरे अंदर जो भी अनुशासन है वह मेरे माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक के द्वारा ही दी गयी है। वह मुझे डांटा करते थे, मुझ पर चिल्लाया करते थे और मुझे मेरे सीमा तक पहूँचाते थे। जब मैं विद्यालय में था, तब मुझे उनकी बातो का काफी बुरा लगता था, पर अब मैं इस बात को समझ चुका हूँ कि यह सब उन्होंने मेरे भलाई के लिए किया।
मेरे सेंकडरी और हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक – मेरे दोस्त
किसी ने सच ही कहा कि जब बेटे/बेटी के जूते उनके माता पिता या शिक्षक के जूते के बराबर हो जाये तो वह दोस्त बन जाते है। मैं अपनी हर व्यक्तिगत बाते अपने शिक्षको के साथ बांटा करता था, जिससे वह इन बातो में मेरा मार्गदर्शन किया करते थे। यह उनका मार्गदर्शन ही था, जो मैं किशोरावस्था के कई समस्याओं से बच गया।
निष्कर्ष
एक शिक्षक हमारे जीवन में एक अभिनेता की तरह कई भूमिकाएं निभाता है, जो हमारी जीवन में हमारे लिए मददगार साबित होती है। जिनसे हमें एक बेहतर व्यक्ति एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा मिलती हैं।
प्रस्तावना
मेरे लिए यह बताना काफी मुश्किल है कि एक व्यक्ति के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व है, क्योंकि हम में ज्यादेतर लोगो की वह एक पूरी दुनिया ही होते है। वह लोग काफी सौभाग्यशाली होते है, जिन्हे अच्छे शिक्षक मिलते है।
शिक्षक का हमारे जीवन में महत्व
एक पैदा हुए बच्चे का दिमाग बिल्कुल खाली होता है, हम कह सकते है यह एक खाली स्लेट की तरह होता है और इस स्लेट पर एक शिक्षक जो भी सिखाता है वह उस बच्चे का व्यक्तित्व बन जाता है।
हमें शिक्षा देने वाले
एक शिक्षक का मुख्य लक्ष्य छात्रों को ज्ञान देना होता है। वह अपने छात्रो को सबसे अच्छे तरीके से सीखाने का प्रयास करता है और उनके जरुरत के हिसाब से खुद को ढालता है। इसके साथ ही एक शिक्षक को कई बार काफी कम संसाधनो या बिल्कुल ना के बराबर के संसाधनो के साथ विद्यार्थियों को पढ़ाना होता है जैसे की सरकारी विद्यालयों में जो वाकई में एक चुनौती का कार्य होता हैं।
कई बार एक शिक्षक को अपन वित्तीय जरुरतो को पूरा करने के लिए काफी लम्बे समय तक कार्य करना होता है क्योंकि एक शिक्षक को काफी कम वेतन मिलता है। इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए एक शिक्षक को उस विषय में नोट बनाने और अन्य जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से हम कह सकते है कि एक शिक्षक का कार्य काफी कठिन कार्य होता है।
शिक्षक एक चरित्र निर्माता
किताबी ज्ञान देने के अलावा एक शिक्षक बच्चों को नैतिक ज्ञान भी देते हैं। जो कि कई बार औपचारिक रुप से होता है तो कई बार साधरण रुप से, जब मैं एक बच्चा था तो एक बार मैने अपने एक दोस्त से बिना पूछे उसका रबड़ ले लिया और उसे लौटाना भूल गया। इस पर मेरे दोस्त ने मेरे शिक्षक से जा कर कह दिया कि मैने उसका रबड़ चुराया है। इस बात पर मैं रोने लगा और कहा मैं उससे पूछना भूल गया था, मैंने चोरी नही की, इस बात पर मेरे शिक्षक ने मुझसे कहा की “मैं तुम्हारी बात पर यकीन करता हूँ, लेकिन तुम्हे दूसरे की वस्तु लेने से पहले पूछना चाहिए था” तब से लेकर आज तक उनके इस बताये गए पाठ को मैं कभी नही भूला।
छोटी-छोटी चीजे जो विद्यालयों में सिखायी जाती है, जैसे कि तमीज, झूठ ना बोलना, हमेशा धन्यवाद और कृपया कहना, कक्षा में आने पर या कुर्सी पे बैठने से पहले आज्ञा लेना आदि, भले ही यह चीजे काफी छोटी प्रतीत होती हो पर मेरा यकीन मानिए यह छोटी चीजे आसानी से परिस्थितियों को तोड़ और जोड़ सकती है।
शिक्षक एक पथ प्रदर्शक और एक गुरु
जब मैं 10वीं कक्षा में था, तो मुझे समझ नही आ रहा था कि मुझे कौन सा विषय चुनना चाहिए विज्ञान या वाणिज्य, मैं जितने लोगो से सलाह लेता उतना ही ज्यादे भ्रमित हो जाता। अंत में इस विषय में मैने अपने शिक्षक से सलाह ली और “उन्होंने मुझसे कहा अपने दिल की बात सुनो तुम्हे अपना उत्तर मिल जायेगा” और वास्तव में मुझे मेरा उत्तर मिल गया।
एक शिक्षक एक दोस्त
मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि कोई व्यक्ति कितना भी प्रतिभासाली क्यों ना हो, अगर वह भावनात्मक रुप से अच्छा नही है तो वह अच्छा प्रदर्शन नही कर सकता है। अगर एक छात्र अपने शिक्षक को अपना मित्र मान ले तो मेरा विश्वास मानिए वह अपने भावनात्मक बाधाओं को आसानी से पार कर जायेगा।
शिक्षक हमारे शुभचिंतक
कुछ व्यक्ति ऐसे होते है, जो आपको कभी धोखा नही देते है। उनमें से एक है आपके शिक्षक, इससे कोई फर्क नही पढ़ता है कि आप उनके विषय में क्या सोचते है वह हमेशा ही आपके शुभ चिंतक रहेंगे।
ऐसा ही एक वाकया मैं आप लोगो के सामने रखना चाहूँगा, जब मैं स्कूल में था। हमारे एक गणित के शिक्षक थे जो हमेशा हमारे साथ काफी कड़ाई के साथ पेश आते थे, वह अक्सर हमे डांटते थे और पिटाई भी किया करते थे। दूसरे शब्दो में कहे तो उन्होंने हमारा जीना मुश्किल कर दिया था। एक दिन इन सब बातो को लेकर हमारा धैर्य जवाब दे गया और हममे उनकी मोटरसाईकल में आग लगा दी, जिसके बाद इस मामले की एफ.आई.आर दर्ज हुई और जब हमारे एक सहपाठी को धमकाया तो उसने कुछ लोगो के नाम बता दिये और जब पुलिस उन लड़को को गिरफ्तार करने आयी तो हमारे गणित के शिक्षक ने अपनी शिकायत वापस ले ली।
हम में से किसी ने भी ऐसा सोचा भी ना था, हम उनके पास गये और उनसे क्षमा मांगी और उनसे पूछा कि उन्होंने अपनी शिकायत वापस क्यों ले ली उन्होंने जो कहा अब वह मैं आपको बताने जा रहा हूँ, उन्होंने कहा “एक विद्यार्थी के रुप में आपसे गलतियां होती है और मेरा काम है उन्हे ठीक करना, लेकिन मैं तुम लोगो को ऐसी सजा नही दे सकता जो तुम्हारा भविष्य खराब कर दे और तुम्हे एक अपराधी बना दे, इसलिए मैने अपनी शिकायत वापस ले ली।” उनकी इस बात पर हम काफी रोये और अपने इस किये के लिए उनसे माफी मांगी, वास्तव में यही शिक्षक का असली चरित्र होता है।
निष्कर्ष
अंत में मैं यहि कहूंगा कि एक शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो हमें सही मायनों में एक पूर्ण इंसान बनाता है।
प्रस्तावना
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, हम एक समय में कई भूमिकाएं निभाते है। जैसे कि हम एक बेटे हो सकते है, या माता, पिता, भाई, पति, दोस्त, बास, कर्मचारी आदि जैसे रिश्तो में एक ही समय पर बंधे हो सकते है। हर एक रिश्ते का क्षेत्र और सही रुप से निर्धारित होता है पर कुछ ऐसे रिश्ते होते है जो काफी जटिल होते है और इन्हे शब्दो में बयान नही किया जा सकता है। देखा जाये तो यह कई रिश्तो का मिश्रण होते है, कुछ ऐसा ही रिश्ता एक छात्र और शिक्षक का भी होता है। इस रिश्ते को परिभाषित करना काफी कठिन है क्योंकि शिक्षक हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण किरदार निभाते है।
शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता
मुझे इस बात का पुरा भरोसा है कि आप सबको भी यही लगता होगा की एक नर्सरी के छात्र का उसके शिक्षक/शिक्षिका के साथ एक ऐसा विशेष संबंध होता है, जिसे परिभाषित नही किया जा सकता है। मेरे पास इसके लिए सिर्फ एक ही शब्द है वो है जादुई, अगर वह मुझसे कुछ करने के लिए कहा करती थी, तो मैं कभी मना नही कर पाता था। एक बार मैंने उनसे मासूमियत से पूछा “मैडम क्या आप मुझे पसंद करती हैं?” इस पर उन्होंने मुझे जवाब दिया कि “हाँ बिल्कुल” उस दिन मुझे काफी प्रसन्न्ता हुई।
एक दिन कुछ कारणों से मैं नाराज हो गया और घर पर खाना नही खा रहा था। मेरे माता-पिता ने हर कोशिश की पर उन्हें कोई कामयाबी नही मिली, अंत में मेरे पिता जी ने मेरे स्कूल टीचर को फोन किया और मुझे उनसे बात करने के लिए कहा। उन्होंने मुझसे कहा कि “धीरेन्द्र………” मैंने तुरंत जवाब दिया “हाँ मैम मैं बिल्कुल भी गुस्सा नही हूँ और अभी खाना खा लूंगा और अपना होमवर्क भी करुंगा………” उनका मुझ पर कुछ इस तरह का प्रभाव था।
अब एक शिक्षक के तौर मैं भी अपने छोटे-छोटे छात्रों के साथ कुछ वैसा ही रिश्ता बनाने का प्रयास करता हूँ। अब इसमें मुझे सफलता मिलेंगी या नही यह चर्चा का विषय हो सकता है, पर मैं अपने तरफ से हमेशा ही एक अच्छा शिक्षक बनने का प्रयास करुंगा।
जब मैं छठवीं कक्षा में था तब मैंने एन.सी.सी में शामिल हुआ था। मुझे याद है कि हमारे प्रशिक्षक एक सख्त इंसान थे और हम उन्हे गब्बर पुकारा करते थे। आज मेरे अंदर जो भी अनुशासन और संघर्षशीलता है वह उन्ही के बदौलत है। उन्होंने हमे बचने के तरीके और कई चीजे सिखायी। हमारे बीच का यह रिश्ता डर पे टिका हुआ था। यह बिल्कुल शोले फिल्म के गब्बर सिंह के आतंक के तरह था।
वह जब भी चिल्लाया करते थे “लड़को क्या तुम भूखो हो?” हम जवाब दिया करते थे “नही सर”, इसके बाद वह फिर से पूछा करते थे “क्या तुम थके हो” और फिर से जवाब दिया करते थे “नही सर”। अब मैं जब भी थका महसूस करता हूँ मुझे उनकी वह चिल्लाहट याद आ जाती है और मेरा शरीर फिर से स्फूर्ति से भर जाता है।
किशोरावस्था का समय जिदंगी का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। सामान्यतः इस समय में शिक्षक और छात्र का रिश्ता समझ, प्रेम और आकर्षण पर टिका होता है। किशोरावस्था के बच्चो को संभालने के लिए एक शिक्षक के लिए यह सबसे जरुरी होता है कि वह काफी परिपक्व हो, नही तो इस बात की ज्यादे संभावना है कि हर चीज उलट-पुलट हो जायेगी।
यह उम्र ऐसी होती है जब मनुष्य के मन में विद्रोह भरा होता है। मेरा मतलब है कि एक किशोर को कोई काम करने से जितना भी रोका जाता है वह उसके प्रति उतना ही ज्यादे ही आकर्षित होता है। इसलिए एक अच्छे शिक्षक के लिए यह काफी आवश्यक है कि कड़ाई भी काफी सोच-समझ करे क्योंकि ज्यादे कड़ाई भी चीजो को बिगाड़ सकती है।
जब मैं आठवीं कक्षा में था, तो मेरी अंग्रेजी काफी खराब थी। इसलिए मैं सही उत्तर नही लिख पाता था। एक दिन मेरे अंग्रेजी के अध्यापक ने मुझे बुलाया और उनके हाथ में मेरी साहित्य की एक कापी थी मुझे लगा कि आज मुझे फिर से डांट पड़ने वाली है या फिर उससे भी बुरा मेरे माता-पिता को बुलाया जायेगा। लेकिन भगवान का शुक्र था कि ऐसा कुछ भी नही हुआ, उन्होंने मुझसे विनम्रता से मेरी समस्या के बारे में पूछा पर मैं डर के मारे इस विषय में उन्हे कुछ बता नही पाया। जब मुझे लगा कि वह मुझे नही डाटेंगी तब मैने उन्हे अपनी समस्या के बारे में बताया उसके बाद उन्होंने मुझ पर काफी मेहनत की और आज यह उन्हीं के मेहनत तथा मेरे दृढ़ इच्छाशक्ति का नतीजा है, जिससे मेरी अंग्रेजी काफी सुधर गयी। इस पुरे घटना को आपको का बताने का मतलब यह है कि अगर वह मुझे डांटती या सजा देती, तो मुझे इस बात का पूरा भरोसा है परिस्थितियां विपरीत हो जाती।
मैं भी अपने छात्रों के साथ ऐसा ही करने का प्रयास करता हूँ, पर कई बार परिस्थितियां काफी पेचीदा हो जाती है। उदाहरण के लिए, एक बार मेरी एक छात्रा ने मुझसे पुछा “सर मैं आपको कैसी लगती हूँ” इस पर मैने हसते हुए कहा “तुम एक अच्छी लड़की हो।”
निष्कर्ष
अंत में मैं यही कहूँगा की एक शिक्षक और छात्र का रिश्ता दुनिया भर के सबसे अच्छे रिश्तो में से एक है, क्योंकि यह कई रिश्तो का मिश्रण होता है।
सम्बंधित जानकारी:
उत्तर – हमें शिक्षकों का आदर इसलिए करना चाहिए क्योंकि वो हमें ज्ञान देते हैं।
उत्तर – शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की सहायता करता है।
उत्तर – हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने कहा था कि ‘शिक्षण एक महान पेशा है’।
उत्तर – जो शिक्षक अपने स्वार्थ के लिए काम नहीं करते और छात्रों की मदद के लिए तैयार रहते हैं वे अच्छे शिक्षक होते हैं।