निबंध

विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर निबंध (Overpopulation in World Essay in Hindi)

किसी निश्चित भू-भाग के लोगों की संख्या को उस भू-भाग का जनसंख्या कहते हैं। आज विश्व में जनसंख्या तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस कारणवश विश्वभर में अनगिनत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के सही प्रयास किए जाने चाहिए अन्यथा इसके बुरे परिणाम विश्व को भुगतने पड़ सकते हैं।

विश्व में अत्यधिक जनसंख्या पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Overpopulation in World in Hindi, Vishva mein Atyadhik Jansankhya par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द)

परिचय

किसी शहर, राज्य, देश के लोगों की संख्या को उस शहर, राज्य देश की जनसंख्या कहते हैं। विश्व के अनेक देश आज जनसंख्या की समस्या से जूझ रहें हैं। समय रहते अगर इसका समाधान नहीं किया गया तो इसका बहुत बुरा परिणाम हो सकता है।

सीमित भू-भाग और जनसंख्या

जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है यह विश्व के लिए एक विकराल समस्या बन गई है। जनसंख्या में वृद्धि होने से पृथ्वी का भू-भाग नहीं बढ़ता। अर्थात विश्व में जनसंख्या बढ़ने के कारण, रहने के लिए ज़मीन की कीमत बढ़ती जा रही है। लोग अपने मकान को कई मंज़िल का बना रहे हैं। मकानों के मंज़िले भी एक निश्चित सीमा तक बनाए जा सकते हैं। पुनः जनसंख्या वृद्धि की कोई सीमा नहीं है।

प्राकृतिक संसाधन को पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता

जनसंख्या वृद्धि के वजह से प्राकृतिक संसाधन का बहुत अधिक मात्रा में दोहन हो रहा है, यह हमारे पर्यावरण के लिए संकट का संकेत है। प्राकृतिक संसाधन के एक बार नष्ट हो जाने पर उसे पुनः किसी भी प्रयास के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

पर्यावरण प्रदुषण

जनसंख्या वृद्धि के साथ औद्योगीकरण, शहरीकरण, आधुनिकरण का भी विकास हो रहा है। इसके साथ ही सड़को पर जितनी जनसंख्या उससे अधिक वाहन देखने को मिल रहे हैं, इनसे निकलने वाले विषैले गैस वायुमंडल को प्रभावित करते हैं और यह पर्यावरण प्रदुषण का मुख्य कारण है।

ऋतुओं में अनिश्चितता

प्राकृतिक संसाधन के निरंतर अनिश्चित दोहन से प्रकृति पर इसका अनुचित प्रभाव पड़ता है। इसके फलस्वरूप मौसम में अनिश्चितता पाया जाता है। इसमें बहुत अधिक गर्मी पड़ना, समय से जाड़े के मौसम का न आना, समय पर वर्षा का न होना तथा बहुत अधिक वर्षा होना प्रमुख हैं।

निष्कर्ष

अत्यधिक जनसंख्या हमारे पर्यावरण को प्रभावित करने का एक प्रमुख कारण है। पर्यावरण के प्रभावित होने से यह हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। हमें प्राकृतिक संसाधन को निरंतर काल तक अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना चाहिए। इसके लिए जनसंख्या पर नियंत्रण अतिआवश्यक है।

निबंध – 2 (400 शब्द)

परिचय

जनसंख्या, किसी देश के आबादी को उस देश की जनसंख्या कहते हैं। जनसंख्या वृद्धि विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। जनसंख्या में इस प्रकार से वृद्धि होने पर जनसंख्या विस्फोट हो सकता है। जब मृत्युदर में कमी आती है और जन्मदर तेजी से बढ़ता है इस स्थिति को जनसंख्या विस्फोट कहते हैं।

विश्व में जनसंख्या वृद्धि के कारण

  • अशिक्षा – ज्यादातर जनसंख्या वृद्धि की समस्या विकासशील देशों में पायी जाती है। शिक्षा के अभाव में लोग परिवार नियोजन के तथ्य से परिचित न होने के वजह से जनसंख्या वृद्धि करने का कारण बनते हैं।
  • कम उम्र में विवाह – कम उम्र में विवाह हो जाने के कारणवश दम्पति बहुत जल्द माता-पिता बन जाते हैं जिसके वजह से जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होती है।
  • बेटे या बेटी का लालसा (लालच) – लोग बेटे या बेटी की इच्छा में, परिवार की बढ़ती संख्या पर ध्यान नहीं देते और बच्चों को जन्म देते रहते हैं। इससे उनका परिवार बढ़ने के साथ जनसंख्या भी बढ़ जाती है।
  • अंधविश्वास – कुछ लोगों का ऐसा मानना होता है की बच्चे भगवान की देन है और वह परिवार नियोजन के कोई प्रयास नहीं करते हैं। यह भी जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है।
  • अपने बच्चों को अपनी शक्ति के रूप में देखना – कुछ कट्टरवादी लोग औरों के तुलना में अपने बच्चों की ज्यादा संख्या को अपनी शक्ति के रूप में देखते हैं।
  • परिवार नियोजन के ज्ञान का अभाव – ज्यादातर लोगों को परिवार नियोजन और उससे जुड़े लाभ का ज्ञान नहीं होता है इस वजह से भी जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है।

जनसंख्या वृद्धि के परिणाम

  • बेरोजगारी – बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है, बढ़ती आबादी में अनपढ़ और अशिक्षित लोगों की संख्या भी बढ़ रही है इससे बेरोजगारी का जन्म हो रहा है।
  • गरीबी – अत्यधिक जनसंख्या के परिणाम स्वरूप बेरोजगारी का जन्म होता है और बेरोजगारी से गरीबी का होना तय है।
  • पर्यावरण प्रदुषण – पर्यावरण प्रदुषण का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि है बढ़ता औद्योगीकरण हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले मशीन (फ्रिज़, ए.सी.), वाहन से निकलने वाले गैसे वायुमंडल को दूषित करते हैं।
  • जीवन का संघर्ष – कुशल व्यक्ति को जनसंख्या अधिकता के कारण किसी नौकरी के पद के लिए बहुत संर्घष करना पड़ता है क्योंकि दावेदार की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है।
  • जलवायु में अनिश्चित बदलाव – भारी जनसंख्या द्वाराप्राकृतिक संसाधन के बहुत अधिक दोहन से प्रकृति को बहुत अधिक क्षति पहुंचती है इसके साफ परिणाम हम जलवायु पर देख सकते हैं समय से बारिश का न होना, अत्यधिक गर्मी पड़ना आदि।

निष्कर्ष

विश्व में बढ़ते जनसंख्या के साथ अनेक प्रकार के समास्याएं बढ़ जाती है। जिससे हमारा जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। अतः समस्याओं के निवारण के लिए सबसे पहले हमें जनसंख्या नियंत्रण के उचित प्रयास करने चाहिए।

निबंध – 3 (500 शब्द)

परिचय

किसी देश, राज्य, क्षेत्र के लोगों के कुल संख्या को उस जगह की जनसंख्या कहते हैं। विश्व में ज्यादातर जनसंख्या वृद्धि की समस्या विकासशील देशों में पायी जाती है। इस वजह से अनेक समस्या का सामना विश्व को करना पड़ रहा है।

जनसंख्या वृद्धि के लाभ

  • उत्पादन की दृष्टि से चीन एक उदहारण – विश्व में, चीन सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए 1979 डेग्स जाओपिंग के नेतृत्व में चीन ने उचित कदम उठाए तथा एक संतान की नीति लागू किया। इस पॉलिसी का खंडन करने पर दंपती को भारी फाइन भरना पड़ता और फाइन न भर पाने की स्थिति में जबरन गर्भपात करा दिया जाता था। इसके फलस्वरूप चीन की बढ़ती आबादी में कमी आया और इसका लाभ चीन को मिला पर इसवजह से चीन में युवाओं के आबादी भी कम हो गया जिससे 2010 के बाद उत्पादन बहुत अधिक प्रभावित हुआ।
  • विकास का सही उपाय – एक बच्चे की नीति से, मां बाप और दादा-दादी की ज़िम्मेदारी एक व्यक्ति पर आ जाती है साथ ही उत्पादन में युवाओं के कमी के वजह से ठहराव आ जाता है। विकास का उपाय जनसंख्या वृद्धि को रोकना नहीं बल्कि रोजगार के लिए अशिक्षा को दूर करना है।
  • उचित राजनैतिक बदलाव – जनंसख्या वृद्धि के फलस्वरूप युवा की आबादी में वृद्धि होने पर इससे देश का कार्यभार युवा के कंधों पर आ जाता है जिससे उचित राजनैतिक बदलाव होने की पूर्ण संभावना होती है।
  • जनसंख्या एक शक्ति का रूप बांग्लादेश जनसंख्या घनत्व वाला एक विकासशील देश है पर वह अपने कुशल युवाओं के योगदान से आज विकास की सीढ़ी चढ़ रहा है। वहीं सिंगापुर की सरकार के लिए लोगों को अधिक संतान उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जनसंख्या से हानि

पर्यावरण के उपलक्ष्य में जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याओं का समाधान शायद विभिन्न प्रयासों के माध्यम से किया जा सके। संभवतः युवा के अधिक आबादी से उत्पादन बढ़ाकर विकासशील देश, विकसीत देश के श्रेणी में गिना जाने लगे पर किसी भी प्रयास से प्राकृतिक संपदा जिसका हमारे द्वारा हनन हो चुकाँ है उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधन सीमित है इस बात की गहराई को समझते हुए अधिक जनसंख्या वाले सभी देशों को जनसंख्या वृद्धि को रोकने के प्रयास करने चाहिए।

जनसंख्या कम करने के उपाय

  • शिक्षा का प्रसार – व्यक्ति के शिक्षित होने पर उसके मानसिकता में बदलाव आता है साथ ही वह परिवार नियोजन के लाभ को समझ पाता है।
  • परिवार नियोजन – परिवार नियोजन के लाभ का प्रचार प्रसार आंदोलन के रूप में विश्वस्तर पर किया जाना चाहिए।
  • विवाह की आयु में वृद्धि – विवाह की आयु में वृद्धि करने से जनसंख्या वृद्धि के दर में कमी आएगी।
  • संतान उत्पत्ति की सीमा निर्धारण – सरकार द्वारा अपने देशवासियों पर संतानोत्पत्ति की सीमा का निर्धारण किया जाना चाहिए।
  • यौन शिक्षा – शुरू से हम यौन संबंधी बातों को छुपाने का प्रयास करते हैं, बच्चे बड़ो के साथ या इसके विपरीत बड़े बच्चों के साथ इस संबंध में बात नहीं करना चाहते हैं। इसके यह परिणाम है की ज्ञान के अभाव में लोग असमय ही मां-बाप बन जाते हैं या अधिक बच्चों को जन्म देते हैं।

निष्कर्ष

जैसे हर सिक्के के दो पहलु होते है वैसे ही जनसंख्या वृद्धि के लाभ तथा हानि दोनों समाज पर प्रभाव डालते हैं पर लाभ के तुलना में हानि बहुत अधिक है इसलिए हम सब को सुरक्षित भविष्य के लिए जनसंख्या वृद्धि की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए।

लक्ष्मी श्रीवास्तव

लक्ष्मी श्रीवास्तव ने अर्थशास्त्र एवं पत्रकारिता में स्नातक किया है। इनकी समाज कल्याण के कार्यों में अति रूचि है। इस कारण इन्होंने समाज कार्य में परास्नातक किया है। इनके अनुसार, लेखनी ही वो विधा है, जिससे हम बड़ी आसानी से अपनी बात लोगो तक पहुँचा सकते हैं। ये अपना ज्यादातर समय सृजनात्मक कार्यों में लगाती है।

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द्वारा प्रकाशित
लक्ष्मी श्रीवास्तव