निबंध

वर्षा जल संचयन पर निबंध (Rain Water Harvesting Essay in Hindi)

वर्षा जल संचयन एक तकनीक है जिसका उपयोग भविष्य में इस्तेमाल करने के उद्देश्य (जैसे कृषि आदि) के लिये अलग-अलग संसाधनों के विभिन्न माध्यमों के इस्तेमाल के द्वारा बारिश के पानी को बचाकर रखने और इकट्ठा करने की एक प्रक्रिया है। बारिश के पानी को प्राकृतिक जलाशय या कृत्रिम टैंको में एकत्रित किया जा सकता है। सतह के लबालब भर जाने के द्वारा खत्म होने से पहले अधस्तल जलदायी चट्टानी पर्त में से सतह के जल का अंत:स्पदंन इकट्ठा करने का दूसरा तरीका है।

वर्षा जल संचयन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Rain Water Harvesting in Hindi, Varsha Jal Sanchayan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – वर्षा जल संचयन के तरीके व फायदे

प्रस्तावना

धरती पर बारिश की हर बूंद लोगों के लिये भगवान के आर्शीवाद के समान है। ताजे बारिश का पानी जमीन पर मोती के समान गिरता है, इसलिये विकासशील क्षेत्रों और प्राकृतिक जल संसाधनों की कमी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से बारिश के पानी के महत्व को हर एक को समझना चाहिये। छतों पर और सड़कों के किनारे बह रहे वर्षा के जल को बिना बर्बाद किये इकट्ठा करने की कोशिश करनी चाहिये।

वर्षा जल संचयन के तरीके व फायदे

सभी क्षेत्रों में जल आपूर्ति को आसान बनाने के लिये नयी और असरदार तकनीकों को इस्तेमाल करते हुए हमें अपनी जल इकट्ठा करने की पुरानी परंपरा को लाना चाहिये। क्योंकि केवल हैंड पम्प, कुएँ तथा भौम जलस्तर के दूसरे संसाधन लाखों लोगों की पाने योग्य पानी की जरुरत को पूरा नहीं कर सकते हैं।

जल की कमी वाले क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराने के लिये बहुत सालों से सबसे चिरस्थायी और असरदार तरीका बारिश के पानी को एकत्रित करना है। बहुत सारे फायदों के साथ बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत ही सस्ता तरीका है। ये बहुत सारे उद्देश्यों के लिये मददगार है जैसे घरेलू कार्यों, मैदानी सिंचाई, पशुधन, कृषि और पशु-पालन आदि।

छत के पानी का संचयन बारिश के पानी को इकट्ठा करने का एक तरीका है। कम बारिश वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये ये विधियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। नियमित जल की आपूर्ति की कमी में भी वो बारिश के पानी से मौसमी फसल की खेती को जारी रख सकते हैं। जब कभी भी बारिश हो, बारिश के पानी को मानव निर्मित तालाब या टैंक में जमा किया जा सकता है। खाई, कुएँ खोद कर, विभिन्न आकार आदि के तरीकों से बारिश के पानी को इकट्ठा करने के द्वारा भूमि जलस्तर को पुन: भरा जा सकता है। वर्षा जल संचयन के दूसरे तरीके जैसे पानी की टंकी, तालाब आदि कम से कम 4 से 6 महीने के लिये भूमि जलस्तर के उपयोग को घटाने में मदद करता है। बड़े और स्वच्छ जल के आकारों को बनाने के द्वारा बरसात मौसम में अधिक स्वच्छ बारिश के पानी को इकट्ठा किया जा सकता है।

निष्कर्ष

वर्षा जल संचयन प्रयत्क्ष और अप्रयत्क्ष दोनों तरीकों से भूमि के जलस्तर को फिर से बनाने में मदद करता है। ये भारत और दूसरे देशों के पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में बहुत असरकारी होता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लाभ

प्रस्तावना

आज के दिनों में, लोग पानी की अपनी सभी जरुरतों के लिये जल आपूर्ति की सरकारी व्यवस्था पर निर्भर रहते हैं। सरकार के द्वारा जल प्रबंधन और वितरण का वर्तमान परिदृश्य शहरों में केन्द्रीकृत हो गया है जो जल प्रबंधन में सामुदायिक जिम्मेदारी के एक बड़े अंतर को ले आयी है। ये धीरे किन्तु नियमित तौर पर जल इकट्ठा करने की पुरानी पद्धति को समाप्त कर रही है।

बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लाभ

भविष्य में विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिये वर्षा ऋतु के दौरान बारिश के पानी को इकट्ठा करने की एक पुरानी लेकिन प्रभावकारी तकनीक वर्षा जल संचयन हैं। पानी की कमी की समस्या से उभरने के लिये भारत के विभिन्न जगहों में इसे बारंबार इस्तेमाल किया जाता है। प्राकृतिक तरीके से भूमि जलस्तर को पुन: चार्ज करने का अच्छा साधन है बारिश के पानी का संचयन।

हालांकि, जमीन से बारिश का जल का अन्त:स्रवण में कमी के साथ ही बड़े स्तर पर तेजी से फैलता शहरीकरण और शहरों के विकास के कारण दिनों-दिन भूमि जलस्तर घट रहा है। बारिश के पानी का संचयन भूमिगत जल के इस्तेमाल को घटाने के साथ ही भविष्य में हमेशा के लिये इसके स्तर को बनाए रखने का तरीका है। विभिन्न उद्देश्यों के लिये जल की मांग की आपूर्ति करने के लिये ये भारत और दूसरे देशों के सूखाग्रस्त इलाकों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। निम्न बिन्दुओं से ये स्पष्ट हो जायेगा कि क्यों बारिश के पानी को संग्रहित करें:

  • ये भूमि जलस्तर को गिरने से बचाने में बड़ी भूमिका निभाता है और उसे सुधारने में मदद करता है।
  • जलवाही स्तर में जल की गुणवत्ता को सुधारने में ये मदद करता है।
  • ये मानसून के दौरान सतह के जल को बहने से बचाता है और अधिक जल को संरक्षित करने के लिये है।
  • ये मिट्टी के कटाव में कमी लाने में मदद करता है।
  • ये लोगों के बीच में जल संरक्षण की पुरानी परंपरा को लाने के लिये है।

निम्न तरीकों का इस्तेमाल कर बेहतर तरीके से बारिश का पानी को इकट्ठा किया जा सकता है जैसे सतह और छतों के पानी बहने या बर्बादी से बचा कर रखना। दोनों ही तरीकों से भूमि जलस्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है साथ ही विभिन्न जरुरतों को पूरा करने के लिये जल आपूर्ति की एक सस्ती और आसान तकनीक है।

  • नगरपालिका के जल आपूर्ति भार और बिजली बिल को घटाने में, मुफ्त जल आपूर्ति को सुधारने में, ग्रामीण क्षेत्रों में फसल उत्पादन में ये मदद करता है, जो खाद्य सुरक्षा की ओर ले जाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू या व्यक्तिगत असुरक्षा को घटाने में वर्षा जल संचयन व्यवस्था मदद करती है।
  • ये कम पानी वाले क्षेत्रों में आसान और कम कीमत की जल आपूर्ति उपलब्ध कराता है जो खाद्य सुरक्षा और आय उत्पन्न करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

तमिलनाडु भारत का एकमात्र राज्य है और अब पहला भारतीय राज्य होगा जहाँ बारिश के पानी को इकट्ठा करना जरुरी होगा। तमिलनाडु राज्य सरकार ने 30 मई 2014 को ये घोषणा कि है कि चेन्नई में विभिन्न स्थानों पर बारिश के जल को इकट्ठा करने के लिये लगभग 50,000 ढांचों की स्थापना करनी है। अब तक, तमिलनाडु में लगभग 4000 मंदिरों में वर्षा जल संग्रहण के लिये टैंक हैं जो जमीन के पानी को पुनर्भरण में भी मदद कर रहें हैं।

निबंध 3 (500 शब्द) – वर्षा जल संचयन क्यों आवश्यक है

प्रस्तावना

भविष्य में पानी की कमी को पूरा करने और जल को बहने से बचाने के लिये प्राकृतिक संसाधनों और कृत्रिम डिजाइन संसाधनों के माध्यम से बारिश के पानी को इकट्ठा और संग्रहित करना वर्षा जल संचयन है। कई सारे कारणों के द्वारा जल संचयन की मात्रा प्रभावित होती है जैसे बारिश की प्रायिकता, बारिश की मात्रा, बारिश के पानी को इकट्ठा करने का तरीका और पानी को इकट्ठा करने के लिये संसाधनों का आकार। कई सारी वजहों जैसे वनों की कटाई और पारिस्थितिकी असंतुलन से भूमि जलस्तर घटता जा रहा है।

बारिश के पानी का संचयन क्यों आवश्यक है:

खासतौर से शहरी क्षेत्रों में लगातार बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण जल आपूर्ति की मांग बढ़ रही है। इसका कारण अत्यधिक भूमिगत जल का इस्तेमाल है जिससे ये नीचे की ओर जा रहा है। है अगर तुरंत कुछ प्रभावशाली कदम नहीं उठाये गये तो भविष्य में पानी के कमी का खतरा बड़े पैमाने पर बढ़ेगा और ये जीवन के लिये भी खतरा साबित हो सकता हैं।

जल संचयन बहुत ही मददगार है विभिन्न जरुरतों को पूरा करता है जैसे भूमि जलस्तर का पुनर्भरण, जल आपूर्ति में खर्च होने वाली बिजली के बिल को घटाएगा और किसी भी समय सरल जल आपूर्ति उपलब्ध करायेगा जब भी इसकी जरुरत होगी। ये आकलन किया गया है कि जलस्तर में 1 मीटर की बढ़ौतरी लगभग 0.4KWH बिजली को बचायेगा। बारिश के पानी का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिये बहुत जरुरी है। भविष्य में जल की कमी का डर खत्म करना बहुत अच्छा है। निम्न बिन्दु ये समझने में मदद करेंगे कि क्यों वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता है:

  • विभिन्न उद्देश्यों के लिये पानी की मांग को सतह का जल पूरा नहीं कर सकता है।
  • अपनी सभी जरुरतों के लिये भूमि जल पर सभी निर्भर हैं।
  • वनों की कटाई, तेजी से बढ़ता शहरीकरण, नीचे की मिट्टी से बारिश का पानी रिसना आदि के कारण लगातार भूमि जलस्तर घट रहा है।
  • प्राकृतिक जल संसाधनों में जल के स्तर को बारिश के पानी का संग्रहण बनाये रखता है।
  • ये सड़कों पर बाढ़ का खतरा और मिट्टी के घिसावट के खतरे को कम करता है साथ ही जल की गुणवत्ता को सुधारता है।

बारिश के पानी के संग्रहण की मुख्य तकनीक

बारिश के पानी के संग्रहण की मुख्य तकनीक निम्न है:

  • भविष्य में उपयोग के लिये सतह के जल को इकट्ठा करना।
  • भूमि जल का पुनर्भरण करना।

बारिश के पानी का संचय से लाभ

व्यक्तिगत या शहर के स्तर पर बारिश के पानी का संचय से निम्न लाभ इस प्रकार हैं:

  • ये पानी की आपूर्ति बिल खासतौर से संस्थानों के बिलों में कमी लाता है ।
  • फ्लोराईड, नाइट्रेट्स और इसकी लवणता को कम करने के द्वारा जमीन के पानी की गुणवत्ता को सकारात्मक रुप से प्रभावित करके बारिश का पानी जमीन में दुबारा चार्ज हो जाता है।
  • इसके पास लगभग निष्पक्ष pH और शून्य कठोरता होती है जो इसे घरों, उद्योगों, संस्थानों और दूसरे वाणिज्यिक अधिष्ठानों में अधिक इस्तेमाल करने के लायक बनाता है।
  • ये सार्वजनिक जल आपूर्ति स्रोतों की चिंता को कम कर सकता है।
  • जमीन से बारिश के पानी के पुनर्भरण से तटीय क्षेत्रों में ताजे पानी के स्रोतों में सागरीय जल निमज्जन से बचाता है।
  • शहरी बाढ़ नियंत्रण में ये मदद करता है अगर लोग छतों से बारिश के पानी को इकट्ठा करते हैं।
  • ये नगरपालिका से लोगों की जल की मांग को घटाएगा जिससे पूरे शहर में जल वितरण में भी कम ऊर्जा खर्च होगी।

निष्कर्ष

सतह से बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। इसे छोटे तालाबों, भूमिगत टैंकों, डैम, बांध आदि के इस्तेमाल से किया जा सकता है। हालांकि, भूमिजल का पुनर्भरण तकनीक संग्रहण का एक नया तरीका है। इसे कुआँ खोद कर, गड्ढा, खाई, हैंड पम्प, कुओं को पुन: चार्ज करके किया जा सकता है।

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मीनू पाण्डेय

शिक्षा स्नातक एवं अंग्रेजी में परास्नातक में उत्तीर्ण, मीनू पाण्डेय की बचपन से ही लिखने में रुचि रही है। अकादमिक वर्षों में अनेकों साहित्यिक पुरस्कारों से सुशोभित मीनू के रग-रग में लेखनी प्रवाहमान रहती है। इनकी वर्षों की रुचि और प्रविणता, इन्हे एक कुशल लेखक की श्रेणी में खड़ा करता है। हर समय खुद को तराशना और निखारना इनकी खूबी है। कई वर्षो का अनुभव इनके कार्य़ को प्रगतिशील और प्रभावशाली बनाता है।

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द्वारा प्रकाशित
मीनू पाण्डेय