कहावत

भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ इस कहावत का अर्थ है कि कोई भी खुद ही अपनी मुश्किलों से बाहर निकल पाने में सक्षम होता है। यहां तक ​​कि भाग्य, किस्मत, या तथाकथित दैविक चीजें; सिर्फ उन लोगों को ही दिखाई देती हैं जो लगातार खुद को मुखर कर रहे हैं। उन लोगों के लिए जो एक प्रयास तक नहीं करते हैं, बल्कि बैठे रह कर अपनी परेशानियों का इश्वर द्वारा हल किये जाने का इन्तजार करते हैं; भगवान कभी भी किसी भी रूप में उनकी मदद के लिए नहीं आते और इस तरह से उनकी समस्याएं केवल बड़ी हो जाती हैं।

इस कहावत का संदेश बेहद स्पष्ट है – मुश्किल समय में भगवान से प्रार्थना करें लेकिन साथ ही कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास भी करें। यदि आप ईश्वर और स्वयं पर विश्वास के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ते हैं, तो आप निश्चित रूप से आशा की किरण देखते हैं।

उदाहरण (Examples)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“इससे पहले कि कोच उसकी प्रतिभा को पहचान पाते; रोनिल, पांच साल तक हर दिन बल्ले और गेंद से अभ्यास करता था। तब भी रॉनिल भाग्यशाली था कि उसे सैकड़ों संभावित उम्मीदवारों के बीच चुन लिया गया। ठीक ही कहा गया है कि भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं।”

“वे छात्र, जो कभी परीक्षा के लिए अध्ययन नहीं करते हैं, न तो अच्छा परिणाम हासिल करते हैं और न ही इतने भाग्यशाली होते हैं कि कुछ मिलते जुलते प्रश्न प्राप्त कर सकें; वास्तव में – भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं।”

“केवल वे परिश्रमी किसान जो खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं, उम्मीद करते हैं कि एक दिन बारिश होगी और ढेर सारी फसल होगी; भगवान मुस्कुराते हैं और बारिश की फुहार पूरे खेतों में होती है। अब भगवान की थोड़ी मदद से किसान अपनी मेहनत के फल प्राप्त करते हैं। भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं।”

“केवल वे चुजे जो उड़ान भरने के लिए लगातार अपने पंख फड़फड़ाते हैं; गिरते हैं और फिर से कोशिश करते हैं; वे ही खुद को सुरक्षित रखने के लिए आकाश में उड़ पाते हैं। अन्य दूसरे शिकारियों द्वारा खा लिए जाते है। परम सत्य है कि भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं।”

“जो कोई स्वतंत्र रूप से एक चट्टान से गिर रहा हो, सौभाग्य से, किसी चीज को तभी पकड़ सकता है जब वह उसके लिए प्रयास करता है। यदि वह नहीं करता, तो कोई भी उसकी मदद नहीं कर सकता, यहां तक ​​कि भगवान भी नहीं। सच ही है कि भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं।”

उत्पत्ति (Origin)

इस कहावत का तक़रीबन सामान्य अर्थ प्राचीन काल के कई ग्रीक कार्यों वाले नीतिवचन में प्रलेखित किए गए हैं। सोफोकल्स, जो एक प्राचीन ग्रीक ट्रैजेडियन थे, अपने नाटक फिलोक्सेट्स (सी. 409 ई.पू.) में लिखा था – ‘कोई भी अच्छा वक़्त नहीं आता है, और स्वर्ग भी उन लोगों की मदद नहीं करता है जो कार्य नहीं करेंगे।’ मतलब यह है कि उन लोगों के लिए जो बिना किसी उद्देश्य के बस बैठते हैं और आराम करते हैं उनके लिए स्वर्ग से कोई या भगवान भी उनकी मदद के लिए नहीं आते हैं। यह कहावत ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ के एकसामान तो नहीं है, लेकिन लगभग एक ही अर्थ देता है।

इसी तरह का एक अन्य वाक्यांश है जिसका श्रेय रोमा कवि पब्लियस ओविडियस नासो को दिया जाता है, जिन्होंने लिखा था “भगवान स्वयं उनकी सहायता करते हैं जो हिम्मत दिखाते हैं”; कहावत के समान अर्थ वाला यह एक और वाक्यांश है।

अंग्रेजी के राजनीतिक सिद्धांतकार अल्गर्नॉन सिडनी ने सर्वप्रथम कहा था कि भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं। बाद में, दुनिया भर में कई राजनेताओं और अन्य लोगों द्वारा इस कहावत का उपयोग किया जाता रहा है।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

कहावत ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’, यह बताता है कि यदि कोई केवल खुद की मदद करता है तब ही ईश्वर उसका पक्ष लेंगे। वहीं दूसरी तरफ, यदि हम किसी कठिनाई से बाहर आने या अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास नहीं करते हैं; तब भगवान हमारे संघर्ष को आसन बनाने के लिए कभी हस्तक्षेप नहीं करते। भगवान केवल तभी हस्तक्षेप करते हैं जब व्यक्ति स्वयं अपनी मुश्किलों को दूर करने के लिए प्रयास कर रहा हो।

केवल वह व्यक्ति जो मेहनती और परिश्रमी है, भाग्य का पक्षधर होता है और उसे कुछ अप्रत्याशित मामलों में मदद मिल सकती है। वहीं दूसरी तरफ, कोई व्यक्ति जो काम नहीं करता है लेकिन केवल खड़ा होकर प्रतीक्षा करता है तो उसे किसी की भी मदद नहीं मिलेगी, भगवान की भी नहीं।

एक और अवधारणा यह हो सकती है कि – जब आप समाधान की तलाश कर रहे हों, तब आपको केवल उन समस्याओं का समाधान प्राप्त हो, जिनसे आप जूझ रहे हैं। इसे भगवान की कृपा कहें, या जो कुछ भी आपको पसंद हो, एक समाधान केवल तभी आता है जब आप इसकी तलाश में होते हैं और आप उसके लायक तभी होंगे जब आप इसके लिए तैयार हों; अन्यथा, कुछ भी नहीं बदलता है और आप मुसीबतों से अंदर घिरे रहते हैं।

महत्त्व (Importance)

यह कहावत ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ इस दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है कि यह हमें जीवन का एक बहुत अर्थपूर्ण तथ्य सिखाता है; तथ्य यह है कि जब तक हम खुद की मदद नहीं करेंगे, कुछ भी नहीं बदल सकता है। अगर हम बिना किसी प्रयास के मूर्खतापूर्ण तरीके से बैठे हैं तो भगवान भी समस्याओं को दूर करने में हमारी मदद नहीं कर सकते हैं।

यह कहावत जीवन के किसी भी पड़ाव से – छात्रों, पेशेवरों, गृहिणियों, आदि सभी के लिए महत्वपूर्ण है। यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है जो किसी अवांछित स्थिति में फंस गया हो और उस व्यक्ति के लिए भी जो किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। यह हमें आत्मनिर्भर होना और ईश्वर में विश्वास रखना सिखाता है।

‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘God Help Those Who Help Themselves’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक धनी व्यापारी के दो बेटे थे जिनका नाम ध्यानचंद और करमचंद था। ध्यानचंद हमेशा ध्यान में बैठे रहते थे, कुछ भी नहीं करते थे, ध्यान लगा कर सर्वशक्तिमान से जुड़ने का प्रयास करते रहते थे; जो उसने सोच रखा था। जबकि दूसरी ओर करमचंद कर्म में विश्वास करते थे और श्रम करके अपनी जीविका चलाते थे।

एक बार गाँव सूखे की चपेट में आ गया और पानी इतना क्षीण हो गया कि हर बूंद कीमती हो गई और लोगों ने मेहमानों को पानी देना तक बंद कर दिया। करमचंद ने अपने स्वभाव के कारण स्थिति को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और किसी भी तरह गाँव में पानी पहुँचाने के उपाय सोचने लगे। वहीँ दूसरी ओर ध्यानचंद ने भगवान की पूजा करने, बारिश की प्रार्थना करने में पहले से भी और अधिक समय देना शुरू कर दिया।

करमचंद ने उनके जैसे कई मेहनती पुरुषों को इकट्ठा किया और एक उपयुक्त स्थान पर एक कुएं के लिए खुदाई शुरू कर दी। महीनों लग गए लेकिन आखिरकार, उन्हें सफलता मिली और पानी कुएँ से बाहर निकाल लिया। वे बहुत खुश थे और उन्होंने अपनी सफलता के लिए भगवान को धन्यवाद दिया।

ध्यानचंद ने जब यह समाचार सुना तो वे खुश हुए लेकिन साथ ही साथ वो भ्रमित भी हुए। सर्वशक्तिमान में अत्यधिक विश्वास रखने के बाद, वह सोच रहा था कि भगवान ने बारिश के लिए उसके अनुरोधों का जवाब क्यों नहीं दिया। ध्यानचंद के सवाल का जवाब उनके व्यवसायी पिता ने दिया, जिन्होंने उनसे कहा – बेटा यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक है और आपको यह हमेशा याद रखना चाहिए कि ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’। करमचंद उनकी और गाँव की मदद करने के लिए दृढ़ थे; इसलिए, भगवान ने उसे कुएं में पानी निकाल कर उनकी मदद की। दूसरी ओर, आप प्रार्थना के अलावा कुछ नहीं कर रहे थे, इसलिए भगवान ने जवाब नहीं दिया।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक बार एक गरीब मछुआरा रहता था, जो कभी भी ढेर सारी मछलियाँ नहीं पकड़ पाता था। जबकि दूसरों को ढेरों मछलियाँ मिल रही थीं, जिस वजह से यह आदमी मुश्किल से अपने परिवार का पेट भर पा रहा था। वह अपनी विफलता और दुर्भाग्य से थक गया और बीमार रहने लगा था।

लेकिन वह ये नहीं जानता था या शायद इस बात को नजरअंदाज करता था कि, अन्य मछुआरे उच्च ज्वार के दौरान समुद्र में चले जाते थे और तब तक रुके रहते थे जब तक ज्वार फिर से कम न हो जाए। इस मछुआरे के पास ऐसी कोई रणनीति नहीं थी और अपने यात्रा की शुरुवात वो कम ज्वार के दौरान ही करता था क्योंकि यह कम जोखिम भरा और पाल भी आसानी से चलती थी। हालांकि उनकी पत्नी ने एक दिन उनसे कहा कि अगर वे अमीर बनना चाहते हैं तो उन्हें जोखिम उठाना होगा जैसा कि दूसरे करते हैं। उसने कहा कि – जब तक हम जोखिम नहीं उठाते हैं और जब ज्वार अधिक होता है तो पाल के लिए नहीं जाते हैं; हमें कुछ भी नहीं मिलेगा!! उसने कहावत के साथ अपने दावे का भी समर्थन किया – ‘भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’।

सौभाग्य से, मछुआरे ने अपनी पत्नी की बात को समझा और उच्च ज्वार के दौरान अन्य मछुआरों के साथ पाल लेकर निकल गया। यह जोखिम भरा था, लेकिन ईश्वर ने उसकी और दूसरों की लगातार मदद की और उन सभी को अच्छी और ढेर सारी मछलियाँ पकड़वाकर उनकी मेहनत का फल दिलाया। वह मछुआरा अपने परिवार के पास वापस आ गया, पहले से भी ज्यादा खुश होकर, और अपनी पत्नी को वास्तविक सलाह के लिए धन्यवाद दिया।

Kumar Gourav

बनारस हिन्द विश्व विद्यालय से हिंदी पत्रकारिता में परास्नातक कर चुके कुमार गौरव पिछले 3 वर्षों से भी ज्यादा समय से कई अलग अलग वेबसाइटों से जुड़कर हिंदी लेखन का कार्य करते आये हैं। इनका हर कार्य गहन अन्वेषण के साथ उभरकर सामने आता है जो पाठकों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है। स्वास्थ्य से लेकर मनोरंजन, टेक्नोलोजी से लेकर जीवनशैली तक हर क्षेत्र में इनकी बेहतर पकड़ है। इनकी सबसे बड़ी खूबी इनकी सक्रियता है, जो इन्हें हमेशा शीर्ष पर रखती है।

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