कहावत

इलाज से बचाव बेहतर है – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

‘इलाज से बचाव बेहतर है’ इस कहावत का मतलब है कि यह बेहतर होगा कि इससे पहले की जो नहीं होना चाहिए उसे रोका जाये बजाय इसके कि उसके हो जाने के बाद आवश्यक उपाय किये जाएँ। यह हमें ऐसी स्थिति के आगमन की भविष्यवाणी करना सिखाता है जो अवांछित और अवांछनीय होगा, और इस घटना को रोकने के लिए आवश्यक प्रयास कर लेना चाहिए।

क्योंकि, यदि हम इसे घटित होने देते हैं, तो हमें नुकसान को ठीक करने के लिए कोई विकल्प या समाधान नहीं बचेगा; फिर भी, नुकसान हो ही जाएगा। वहीं दूसरी तरफ, अगर पहली बार में हम घटना को होने से रोक लेने का विकल्प ढूंढ लेते हैं तो – हम नुकसान, हानि या इस तरह का कुछ भी होने से बच जायेंगे।

उदाहरण (Example)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘इलाज से बचाव बेहतर है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“डॉक्टर ने अपने मरीज को किसी भी ऐसे व्यक्ति से जो किसी संक्रमित बीमारी से ग्रसित हो उसके संपर्क में आने से मना किया था। हालाँकि उसके उपचार के लिए दवा मौजूद है, फिर भी, इलाज से बचाव बेहतर है।”

“इंजीनीयर ने अपने अधिकारी को सुझाव दिया था, कि उन्हें हर साल आने वाली बाढ़ को रोकने के लिए एक बाँध बना लेना चाहिए बजाय इसके की जब बाढ़ आएगी तो बचाव कार्य कर लिया जायेगा। आखिरकार, इलाज से बचाव बेहतर है, इंजीनीयर ने शालीनता से कहा।”

“कप्तान ने आपातकाल मीटिंग बुलाई और सभी नाविकों से कहा कि वे आज किनारे पर रहेंगे क्योंकि एक तूफान आने का पूर्वानुमान था। हालाँकि उनका जहाज तूफ़ान से जूझने के लिए काफी मजबूत था मगर फिर भी इलाज से बचाव बेहतर है।”

“हम सभी जानते हैं कि दोस्त और परिवार जरूरत के समय हमेशा साथ रहते हैं, बावजूद इसके हम जानबूझकर परेशानी में भी उन्हें कॉल नहीं करते हैं, क्योंकि, इलाज से बचाव बेहतर है।”

“छोटी छोटी चींटियाँ सर्दियों के लिए भोजन जुटाने में पूरी गर्मी बिता देती हैं क्योंकि वे जानती हैं, इलाज से बचाव बेहतर है।”

उत्पत्ति (Origin)

‘इलाज से बचाव बेहतर है’ यह वाक्यांश तक़रीबन 17वीं शताब्दी के दौरान लोकप्रिय हुआ था; यद्यपि 13वीं शताब्दी के दौरान इस के समान अर्थ वाला एक वाक्यांश काफी चर्चित और उपयोग में था – ‘नुक्सान के पूरा होने के बाद उपाय की तलाश करने की बजाय समय रहते किसी समस्या को निपटा लेना यह बेहतर और अधिक उपयोगी है।’

इसके अलावा इस वाक्यांश का एक अन्य मूल रोमन कवि पर्सियस (ए.डी.सी 58) का पता लगा है, जिन्होंने कहा था – ‘बीमारी से रास्ते पर ही मिल लो’। थॉमस ने चर्च ऑफ इंग्लैंड के पादरी और एक अंग्रेजी लेखक एडम्स को भी कथित तौर पर 1630 में लिखा था – ‘बचाव उपचार से बहुत बेहतर है क्योंकि यह बीमार होने के श्रम को बढ़ाता है।’

तब से यह कहावत चिकत्सीय पेशेवरों और दुनियाभर के अन्य लोगों के बीच मशहूर हो गयी।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

यह कहावत ‘इलाज से बचाव बेहतर है’ हम सभी के लिए एक सलाह है कि कुछ भी अनचाहा होने से पहले महत्वपूर्ण कदम उठा लेना चाहिए। ये ही सबसे बेहतर विकल्प होता है क्योंकि अगर हम किसी घटना को होने देते हैं, निश्चित रूप से हमें पहले से अधिक श्रम और संसाधन लगाने पड़ेंगे, अगर घटना को पहले रोका जाता। अनचाही स्थिति को रोकना एक आसान विकल्प हो सकता है बजाय इसके की उसे हो जाने दिया जाए और तब उसपर कार्य करें।

अपने दांतों का ही एक साधारण सा उदाहरण लीजिये। दांतों को सड़न से बचाने के लिए क्या आपको दिन में दो बार ब्रश करना बेहतर नहीं लगता बजाय इसके कि आप डॉक्टर के पास जाकर उसे पैसे भी दें और दांतों को भी निकलवाना पड़े? यक़ीनन, अगर आप इसे पहली बार में ही रोक लेते हैं, तब आप अपना समय, पैसा और दर्द सब कुछ बचा लेते हैं। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि स्थिति बिगड़ने के बाद उपचार की तुलना में निवारक उपाय करना ज्यादा बेहतर है।

महत्त्व (Importance)

यह कहावत ‘इलाज से बचाव बेहतर है’ लोगों के जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक है, फिर चाहे वो किसी भी क्षेत्र से जुड़े हुए क्यों ना हों और किसी भी तरह के पेशेवर क्यों ना हों। यह उन्हें केवल हर घटना के लिए तैयार रहने की चेतावनी ही नहीं देता है, बल्कि घटना को होने से पहले ही रोकने के लिए भी तैयार करता है।

छात्रों के लिए, इसका मतलब है कि उन्हें अच्छी तरह से अध्ययन करना चाहिए बजाय इसके की परीक्षा होने के बाद पुनर्मूल्यांकन और पुनः परीक्षा देने के लिए तयारी करने के। काम करने वाले पेशेवरों के लिए, यह सलाह बताती है कि उन्हें पहले और बाद में समय और अनुमति मांगने या बहाने देने की तुलना में अपनी जिम्मेदारियों को पहले से ही अच्छी तरह से निपटा लेना चाहिए।

‘इलाज से बचाव बेहतर है’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Prevention is better than Cure’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘इलाज से बचाव बेहतर है’ कहावत का मतलब और भी सही तरह से समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

भारत के एक छोटे से शहर में एक छोटा लड़का रहता था। लड़का बहुत ही हंसमुख और आज्ञाकारी था लेकिन वो नियमों की अक्सर ही अवहेलना करता था। कुछ ऐसा हुआ कि एक बार एक बहुत ही खतरनाक वायरस ने दुनियाभर के लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। चिकित्सकों ने लोगों को सलाह दी कि वे एक दुसरे से दूरी बना कर रहें, आपसी संपर्क में न आयें और जब भी घर से बाहर निकलें चेहरे पर मास्क पहनकर ही जाएँ।

हमेशा की तरह, उस बच्चे ने इस अमानवीय शर्त को नहीं मानी और पाने माता-पिता के मना करने के बाद भी मास्क नहीं पहनता और दोस्तों के साथ खेलता भी वो भी बिना सामाजिक दूरी बनाये हुए। एक दिन, उसके एक दोस्त का चचेरा भाई जो हाल ही में दिल्ली से वापिस आया था, वो भी उनके साथ खलेने आ गया। कुछ दिनों बाद, उसका दोस्त और उसका चचेरा भाई दोनों खेलना नही आये। पूछताछ करने पर पता चला कि उन दोनों को बुखार है और उन्हें डॉक्टर कहीं लेकर चले गए।

दो दिनों के बाद, इस बच्चे को भी बुखार आ गया और उसे भी डॉक्टर लेते चले गए। टेस्ट करने पर वह भी उसी खतरनाक वायरस से ग्रसित पाया गया था। असल में ये इस तरह हुआ कि उसके दोस्त का चचेरा लड़का जो दिल्ली से आया था वो इससे संक्रमित था और उसकी वजह से बाकी बच्चे भी संक्रमित हो गए। लड़के को अगले दो सप्ताह तक अकेले ही अपस्ताल के आइसोलेशन वार्ड में रहना पड़ा, जहाँ पर उसके माता-पिता का भी आना वर्जित था। खुशकिस्मती से, वह स्वस्थ्य हो गया और मगर अपने घर की तरफ वापिस जाते वक़्त वह यही सोच रहा था – ‘इलाज से बचाव बेहतर है’।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

राम और श्याम एक कॉलेज के हॉस्टल में रहने वाले रूममेट थे। वे अच्छे दोस्त थे और साथ में अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों में भी भाग लेते थे। जब मानसून आया, तो उनके कॉलेज ने पास की एक पहाड़ी नदी के लिए एक साहसिक यात्रा का आयोजन किया। दोनों काफी ज्यादा उत्साहित थे लेकिन कुछ तो था जो उन्हें चिंतित कर रहा था।

चूंकि यह बारिश का मौसम था और उनका कमरा छात्रावास के भूतल पर था, इसलिए बारिश का पानी दीवारों में और दरवाजों के माध्यम से रिसना आम था। इससे उनके कॉपी और किताबों को पहले भी नुकसान पहुंच चुका है। राम काफी सतर्क था, यात्रा पर जाने से पहले, उसने अपनी सभी पुस्तकों को अपने एक दोस्त के कमरे में ऊपर की मंजिल पर रख कर दिया था। हालांकि श्याम लापरवाह था और सोचते था कि कुछ नहीं होगा और उसने अपनी किताबें वैसे ही छोड़ दीं जैसी वे थीं। जब वे यात्रा पर गए, तो जोरदार बारिश होने लगी और उन्होंने इसका भरपूर आनंद लिया।

लेकिन, जब वे छात्रावास लौटे, तो नजारा उनके स्वागत योग्य नहीं था। उनका कमरा तीन फीट तक पानी में डूबा हुआ था और श्याम के सभी हस्तलिखित नोट पूरी तरह से बर्बाद हो चुके थे। दूसरी तरफ, राम ने अपने सामान को ऊपर वाली मंजिल के कमरे में स्थानांतरित करने के निर्णय के लिए खुद को धन्यवाद दिया। राम ने श्याम को सांत्वना दी और उसे फिर से नोट्स तैयार कराने में मदद की। उसने उसे यह भी याद रखने के लिए कहा कि – ‘इलाज से बचाव बेहतर है’।

Kumar Gourav

बनारस हिन्द विश्व विद्यालय से हिंदी पत्रकारिता में परास्नातक कर चुके कुमार गौरव पिछले 3 वर्षों से भी ज्यादा समय से कई अलग अलग वेबसाइटों से जुड़कर हिंदी लेखन का कार्य करते आये हैं। इनका हर कार्य गहन अन्वेषण के साथ उभरकर सामने आता है जो पाठकों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है। स्वास्थ्य से लेकर मनोरंजन, टेक्नोलोजी से लेकर जीवनशैली तक हर क्षेत्र में इनकी बेहतर पकड़ है। इनकी सबसे बड़ी खूबी इनकी सक्रियता है, जो इन्हें हमेशा शीर्ष पर रखती है।

Share
द्वारा प्रकाशित
Kumar Gourav