भारत में गणतंत्र दिवस (रिपब्लिक डे ऑफ़ इंडिया) बहुत बड़े उत्सव (राष्ट्र दिवस) के रूप में मनाया जाता है, विशेष रूप से स्कूलों में छात्रों के द्वारा। विद्यार्थी, इस दिवस पर बिभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेते है जो की उनके अद्वितीय कौशल और ज्ञान को दर्शाता है। भाषण देना और समूह चर्चा कुछ ऐसी महत्वपूर्ण गतिविधियां हैं जिसमे बच्चे भाग लेते हैं और अपना कौशल दिखाते है। यहाँ पर हम स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों और विद्यार्थियों के लिये कई प्रकार का भाषण उपलब्ध करा रहे है। ये सभी भाषण बेहद आसान और सरल भाषा में लिखे गये है जिससे कि वो बिना झिझक अपना बेहतरीन भाषण प्रस्तुत कर सकें।
मेरी आदरणीय प्रधानाध्यापक मैडम, मेरे आदरणीय सर और मैडम और मेरे सभी सहपाठियों को सुबह का नमस्कार। हमारे गणतंत्र दिवस पर कुछ बोलने के लिये ऐसा एक महान अवसर देने के लिये मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा। मेरा नाम अनन्त श्रीवास्तव है और मैं कक्षा 6 में पढ़ता हूँ।
आज, हमारे राष्ट्र के 75वें गणतंत्र दिवस को मनाने के लिये हम सभी यहाँ पर एकत्रित हुए हैं। हम सभी के लिये ये एक महान और शुभ अवसर है। हमें एक-दूसरे को बधाई देना चाहिये और अपने राष्ट्र के विकास और समृद्धि के लिये भगवान से दुआ करनी चाहिये। हर वर्ष 26 जनवरी को भारत में हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। हमलोग 1950 से ही लगातार भारत का गणतंत्र दिवस मना रहें हैं क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां देश के नेतृत्व के लिये अपने नेता को चुनने के लिये जनता अधिकृत है। डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे। 1947 में ब्रिटिश शासन से जब से हमने स्वतंत्रता प्राप्त की है, हमारे देश ने बहुत विकास किया है और ताकतवर देशों में गिना जाने लगा है। विकास के साथ, कुछ कमियाँ भी खड़ी हुई हैं जैसे असमानता, गरीबी, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा आदि। अपने देश को विश्व का एक बेहतरीन देश बनाने के लिये समाज में ऐसे समस्याओं को सुलझाने के लिये हमें आज प्रतिज्ञा लेने की जरुरत है।
धन्यवाद, जय हिन्द!
सभी को सुबह का नमस्कार। मेरा नाम अनन्त श्रीवास्तव है और मैं कक्षा 6 में पढ़ता हूं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अपने राष्ट्र के बेहद खास अवसर पर हम सभी यहाँ इकट्ठा हुये हैं जिसे गणतंत्र दिवस कहते हैं। मैं आप सबके सामने गणतंत्र दिवस पर भाषण पढ़ना चाहता हूं। सबसे पहले मैं अपने क्लास टीचर का धन्यवाद देना चाहूंगा जिनकी वजह से मुझे अपने स्कूल के इस मंच पर गणतंत्र दिवस के इस महान अवसर पर मेरे प्यारे देश के बारे में कुछ कहने का सुनहरा मौका प्राप्त हुआ।
15 अगस्त 1947 से ही भारत एक स्व-शासित देश है। 1947 में 15 अगस्त को ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई जिसे हम स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं। हालांकि, 1950 से 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ, इसलिये हम इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं। इस वर्ष 2023 में, हम भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मना रहें हैं।
गणतंत्र का अर्थ है देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति और सही दिशा में देश के नेतृत्व के लिये राजनीतिक नेता के रुप में अपने प्रतिनीधि चुनने के लिये केवल जनता के पास अधिकार है। इसलिये, भारत एक गणतंत्र देश है जहाँ जनता अपना नेता प्रधानमंत्री के रुप में चुनती है। भारत में “पूर्ण स्वराज” के लिये हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया। उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी जिससे उनके आने वाली पीढ़ी को कोई संघर्ष न करना पड़े और वो देश को आगे लेकर जाएँ।
हमारे देश के महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री आदि हैं। भारत को एक आजाद देश बनाने के लिये इन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ़ लगातार लड़ाई की। अपने देश के लिये हम इनके समर्पण को कभी नहीं भूल सकते हैं। हमें ऐसे महान अवसरों पर इन्हें याद करते हुये सलामी देनी चाहिये। केवल इन लोगों की वजह से ये मुमकिन हुआ कि हम अपने दिमाग से सोच सकते हैं और बिना किसी दबाव के अपने राष्ट्र में मुक्त होकर रह सकते हैं।
हमारे पहले भारतीय राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद थे जिन्होंने कहा था कि, “एक संविधान और एक संघ के क्षेत्राधिकार के तहत हमने इस विशाल भूमि के संपूर्ण भाग को एक साथ प्राप्त किया है जो यहाँ रहने वाले 320 करोड़ पुरुष और महिलाओं से ज़्यादा के लोक-कल्याण के लिये जिम्मेदारी लेता है”। कितने शर्म से ये कहना पड़ रहा है कि हम अभी भी अपने देश में अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा (आतंकवाद, बलात्कार, चोरी, दंगे, हड़ताल आदि के रुप में) से लड़ रहें हैं। फिर से, ऐसी गुलामी से देश को बचाने के लिये सभी को एक-साथ होने की ज़रुरत है क्योंकि ये विकास और प्रगति के इसके मुख्य धारा में जाने से अपने देश को पीछे खींच रहा है। आगे बढ़कर इन्हें सुलझाने के लिये हमें अपने सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता आदि से अवगत रहना चाहिये।
डॉ अब्दुल कलाम ने कहा है कि “अगर एक देश भ्रष्ट्राचार मुक्त होता है और सुंदर मस्तिष्क का एक राष्ट्र बनता है, मैं दृढ़ता से महसूस करता हूं कि तीन प्रधान सदस्य हैं जो अंतर पैदा कर सकते हैं। वो पिता, माता और एक गुरु हैं”। भारत के एक नागरिक के रुप में हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिये और अपने देश को आगे बढ़ाने के लिये सभी मुमकिन प्रयास करना चाहिये।
धन्यवाद, जय हिन्द।
मैं अपने आदरणीय प्रधानाध्यापक, मेरे शिक्षकगण, मेरे वरिष्ठ और सहपाठीयों को सुबह का नमस्कार कहना चाहूंगा। चलिये मैं आप सबको इस खास अवसर के बारे में कुछ जानकारी देता हूं। आज हम सभी अपने राष्ट्र का 75वां गणतंत्र दिवस मना रहें हैं। 1947 में भारत की आजादी के ढाई साल बाद इसको मनाने की शुरुआत सन् 1950 से हुई। हम इसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाते हैं क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान अस्तित्व में आया था। 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी पाने के बाद, भारत एक स्व-शासित देश नहीं था आर्थात् एक संप्रभु राज्य नहीं था। भारत एक स्व-शासित देश बना जब 1950 में इसका संविधान लागू हुआ।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसका यहाँ पर शासन करने के लिये कोई राजा या रानी नहीं है हालांकि यहाँ की जनता यहाँ की शासक है। इस देश में रहने वाले हरेक नागरिक के पास बराबर का अधिकार है, बिना हमारे वोट के कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है। देश को सही दिशा में नेतृत्व प्रदान करने के लिये हमें अपना सबसे अच्छा प्रधानमंत्री या कोई भी दूसरा नेता चुनने का ह़क है। हमारे नेता को अपने देश के पक्ष में सोचने के लिये पर्याप्त दक्षता होनी चाहिये। देश के सभी राज्यों, गाँवों और शहरों के बारे में उसको एक बराबर सोचना चाहिये जिससे नस्ल, धर्म, गरीब, अमीर, उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग, अशिक्षा आदि के बिना किसी भेदभाव के भारत एक अच्छा विकसित देश बन सकता है।
देश के पक्ष में हमारे नेताओं को प्रभुत्वशाली प्रकृति का होना चाहिये जिससे हर अधिकारी सभी नियमों और नियंत्रकों को सही तरीके से अनुसरण कर सकें। इस देश को एक भष्ट्राचार मुक्त देश बनाने के लिये सभी अधिकारियों को भारतीय नियमों और नियामकों का अनुगमन करना चाहिये। “विविधता में एकता” के साथ केवल एक भष्टाचार मुक्त भारत ही वास्तविक और सच्चा देश होगा। हमारे नेताओं को खुद को एक खास व्यक्ति नहीं समझना चाहिये, क्योंकि वो हम लोगों में से ही एक हैं और देश को नेतृत्व देने के लिये अपनी क्षमता के अनुसार चयनित होते हैं। एक सीमित अंतराल के लिये भारत के लिये अपनी सच्ची सेवा देने के लिये हमारे द्वारा उन्हें चुना जाता है। इसलिये, उनके अहम और सत्ता और पद के बीच में कोई दुविधा नहीं होनी चाहिये।
भारतीय नागरिक होने के नाते, हम भी अपने देश के प्रति पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। हमें अपने आपको नियमित बनाना चाहिये, ख़बरों को पढ़ें और देश में होने वाली घटनाओं के प्रति जागरुक रहें, क्या सही और गलत हो रहा है, क्या हमारे नेता कर रहें हैं और सबसे पहले क्या हम अपने देश के लिये कर रहें हैं। पूर्व में, ब्रिटिश शासन के तहत भारत एक गुलाम देश था जिसे हमारे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों के द्वारा बहुत वर्षों के संर्घषों के बाद आजादी प्राप्त हुई। इसलिये, हमें आसानी से अपने सभी बहुमूल्य बलिदानों को नहीं जाने देना चाहिये और फिर से इसे भ्रष्टाचार, अशिक्षा, असमानता और दूसरे सामाजिक भेदभाव का गुलाम नहीं बनने देना है। आज का दिन सबसे बेहतर दिन है जब हमें अपने देश के वास्तविक अर्थ, स्थिति, प्रतिष्ठा और सबसे जरुरी मानवता की संस्कृति को संरक्षित करने के लिये प्रतिज्ञा करनी चाहिये।
धन्यवाद, जय हिन्द
सर्वप्रथम मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करती हूँ और आभार व्यक्त करती हूँ जो मुझे इस पावन बेला पर दो शब्द बोलने का मौका मिला। मै यहाँ उपस्थित सभी गुरुजनों और अभिभावक-गणों को प्रणाम कर अपनी बात को आगे बढ़ाने की आज्ञा चाहती हूँ।
हम सब यहाँ अपने 75वें गणतंत्र दिवस को मनाने के लिए एकत्र हुए है।
हमारा देश त्योहारों का देश है। यहाँ हर महीने में दो-चार त्योहार पड़ते ही रहते है। लेकिन उनमें से भी तीन पर्व सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिसे राष्ट्रीय पर्व कहा जाता है। 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर को, क्रमशः गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयन्ती, राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते है।
आज ही के दिन हमारा देश पूर्ण गणतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ था। आजादी की लंबी लड़ाई और लाखों कुर्बानियों के बाद 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। परंतु ये आजादी अधूरी थी; उस समय हमारा देश कई टुकड़ो में बटा था, जिसे एक करना देश की सबसे बड़ी चुनौती थी।
हमारे देश के पास अपना कोई लिखित संविधान नहीं था। बिना अनुशासन के किसी का भी विकास संभव नही। चाहे व्यक्ति हो या देश। इस बात को ध्यान में रखते हुए संविधान सभा का गठन हुआ, जिसमें 299 सदस्य थे। इसकी अध्यक्षता डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने की थी। इसकी पहली बैठक 1946 के दिसंबर महीने में हुई थी। और 2 साल 11 महिने 18 दिनो में अन्ततः 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ। 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में लागू कर दिया गया।
इसके पीछे भी ऐतिहासिक कहानी है, यूं हि इस दिन को गणतंत्र दिवस के लिए नहीं चुना गया। इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है। आज ही के दिन, 26 जनवरी 1930 में लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी।
हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे अलग-अलग देशो के संविधानों को पढ़ने के बाद, उनकी अच्छी-अच्छी बातों को ग्रहण किया गया है। संविधान पर सबसे ज्यादा प्रभाव भारत सरकार अधिनियम 1935 का पड़ा। हमारे 395 अनुच्छेदों में से 250 तो इसी से लिया गया है। ‘संसदीय व्यवस्था’ ब्रिटेन से, ‘मूल अधिकार’ अमेरिका से, ‘राष्ट्रपति की निर्वाचन पध्दति’ आयरलैंड से, ‘गणतंत्रीय ढाँचा’ और ‘स्वतंत्रता समता बंधुत्व’ फ्रांस से, ‘समवर्ती सूची’ आस्ट्रलिया से, ‘आपातकाल’ जर्मनी से, ‘राज्यसभा’ दक्षिण अफ्रीका से, सोवियत संघ से ‘प्रस्तावना’ लिया गया है।
यह सब तो हुई निर्माण की बातें। अब चलते-चलते संविधान में है क्या, इस बारे में चर्चा कर लेते है।
मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी। हमारा देश संसदीय कार्य-प्रणाली पर आधारित है, जिसका प्रमुख संसद है, अर्थात देश की शासन-प्रणाली का सर्वोच्च संसद है। संसद के तीन भाग है- लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति। वर्तमान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 12 अनुसूचियां है।
इस मौके पर राजपथ पर परेड की जाती है। सुबह 8 बजे के करीब राष्ट्रपति झण्डारोहण करते हैं और तीनों सेनाओं की सलामी लेते है। उसके बाद तीनों सेना अपनी-अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं, और आकाश में करतब दिखाते है। अलग-अलग राज्य भी अपनी-अपनी विशेषता लिए झाँकी निकालते है।
आज इस पावन मौके पर ब्राजील के राष्ट्रपति ‘जायर बोलोनसरो’ पधारे हैं जो प्रधानमंत्री जी के न्यौते पर भारत की महिमा देखनें आए हैं। इसी बहाने पूरा विश्व हमारी शक्ति से वाक़िफ होता है।
हमारे देश के महानायको नें हमें आजादी दिलाकर और संविधान बनाकर अपनी जिम्मेदारी निभा दी है। लोकतंत्र में लोगों का तंत्र होता है, जनता ही जनार्दन होती है। इसलिए हमारा ये मौलिक कर्तव्य बनता है कि हम अपने देश के तंत्र और संविधान की रक्षा और सम्मान करें। इन्ही शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूँ।
जय हिन्द, जय भारत!
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