स्वच्छ भारत का मुख्य उद्देश्य भारत को साफ बनाना है। लोगों में जागरूकता लाना कि, जैसे वे अपने घर को साफ रखते हैं ठीक उसी तरह देश को भी साफ रखना चाहिये। क्योंकि हमारा देश ही हमारी पहचान है। चाहे हम अपने घर को कितना भी चमका लें जब तक देश नहीं चमकेगा हमारी पहचान वही रहेगी। इस लिये देश को अपना घर समझें और उसकी सफाइ में सदैव अपना योगदान देते रहें। हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान ने सभी को बहुत प्रभावित किया है, जिससे हर जगह लोगों को झाड़ू को अपने हाथ में लेकर गलियों और सड़कों को साफ़ करते हुए देखा जा सकता है।
मानद न्यायाधीश, आदरणीय प्रधानाचार्य, उपाध्यक्ष, शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों – आप सभी को नमस्कार!
भारत के पर्यावरण मंत्रालय में मुख्य सलाहकार के पद सेवा देने वाले हमारे सबसे प्रतिष्ठित जजों की उपस्थिति के बीच आज स्वच्छ भारत अभियान के आयोजन की मेजबानी करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मुझे उम्मीद है कि हमारे स्कूल परिसर के साथ-साथ बुनियादी ढांचे की देखभाल और रखरखाव के हमारे प्रयासों को हमारे न्यायाधीशों द्वारा प्रशंसा मिलेगी। इसके अलावा आज मैं स्वच्छ भारत अभियान पर एक छोटा सा भाषण देने की भी इच्छा रखता हूं ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में पता चल सके और अपने आस-पास के परिवेश में स्वच्छता रखे और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
स्वच्छ भारत अभियान या यूँ कहे कि यह वाक्य सभी के लिए आम हो गया है भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू की गई सबसे सम्मानित परियोजनाओं में से एक है। वर्ष 2014 में 2 अक्टूबर अर्थात महात्मा गांधी के जयंती के दिन इस विशेष अभियान की आधिकारिक घोषणा की गई थी। यह वास्तव में एक ऐसा अभियान है जिसने लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त की। इस अभियान के पीछे का मुख्य उद्देश्य भारत के हर क्षेत्र को, चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी, खुले में शौच मुक्त करना था।
इसके अलावा इस प्रतिष्ठित अभियान का उद्देश्य सभी सार्वजनिक और निजी स्थानों पर सफाई और स्वच्छता के रखरखाव की आदत को प्रोत्साहित करना है – चाहे वह देश भर की गलियों, सड़कों, कार्यालयों, घरों या सार्वजनिक बुनियादी ढांचा ही क्यों ना हो। इस अभियान का सबसे अच्छा पहलू सभी महाविद्यालयों, विद्यालयों और सार्वजनिक स्थानों में स्वच्छता और सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण का दबाव डालना है।
एक ऐसा अंतर है जिसका मुझे यकीन है कि सभी को पता है वह है भारत और अन्य पश्चिमी देशों के बीच का स्वच्छता स्तर। हमें कई बार इस चीज़ पर आश्चर्य होता है कि क्यों उनके शहर स्वच्छ और सुव्यवस्थित रहते हैं? बेशक हमें उनसे बहुत कुछ सीखना है और यदि हम चाहते हैं कि हमारे देश को दुनिया के विकसित देशों के बीच गिना जाए तो हमें उसी रास्ते पर चलना होगा।
स्वच्छ भारत अभियान राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान और तमाम दूसरे स्वच्छता अभियानों में से एक है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा है और सबसे अच्छी बात यह है कि स्कूल और साथ ही कॉलेज के लगभग दस लाख से अधिक सार्वजनिक कर्मियों ने इसमें भाग लिया है। स्वच्छ भारत अभियान का मुख्य लक्ष्य हमारे देश के 4,041 शहरों और नगरों को 1.96 लाख करोड़ के बजट में साफ करना है जो अब लगभग 31 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
इस अभियान का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव से अछूत नहीं है और भारतीय फिल्म मनोरंजन उद्योग ने भी इस परियोजना को काफी गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। वास्तव में इस विषय पर एक सुपरहिट फिल्म “टॉयलेट:एक प्रेम कथा” भी बन चुकी है, जिसमें अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर ने काम किया है। इसके शीर्षक से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तरह भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनके पास शौचालय की सुविधा ना होने की स्थिति में खुले में शौच करने के अलावा, कोई विकल्प नहीं बचता। यह देखना वास्तव में दिलचस्प है कि स्वच्छता अभियान के लिए लोगों के बीच भारी रुचि उत्पन्न हो रही है और हमारे समाज में व्यापक बदलाव लाया जा रहा है। मुझे बस इतना ही कहना था।
धन्यवाद।
प्रिय सोसाइटी के सदस्यों और मेरे प्यारे बच्चों – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!
इस तरह की एक छोटी सी सूचना पर आपको यहाँ उपस्थित होने में हुई असुविधा के लिए मुझे खेद है और मैं इसके लिए क्षमा मांगता हूँ। असल में मैं कुछ दिनों बाद इस सभा को व्यवस्थित करना चाहता था लेकिन हमारे पड़ोसी सोसाइटी द्वारा आयोजित, स्वच्छता अभियान के कारण मेरे पास इस सभा को जल्दी आयोजित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। आज की बैठक में बच्चों को आमंत्रित करने का कारण यह है कि बच्चों को इस अभियान के सक्रिय सदस्य और उनके उत्तेजना के स्तर के रूप में देखा जाता है साथ ही बच्चों का समर्पण भी अनोखा है।
इसलिए मैं सभी को एक साथ आने और इस अभियान का हिस्सा बनने का अनुरोध करता हूं, जहां हम सभी इस अभियान को अपने आस-पास से कूड़ा दूर करने और हमारे रहने वाले परिवेश को बर्बाद होने से बचाने के लिए अपना थोड़ा सा योगदान देना चाहेंगे। परन्तु इससे पहले कि मैं आपके विचारों को आमंत्रित करूँ और इस बात पर मंथन करे कि हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं। कृप्या मुझे स्वच्छ भारत अभियान पर एक संक्षिप्त भाषण देने की अनुमति दें, जिसने जल्द ही देश भर में बहुत सारा समर्थन प्राप्त कर लिया है।
यद्यपि यह पहली बार नहीं था कि हमारी सरकार ने लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया, लेकिन नरेंद्र मोदी जी की जादुई करिश्मे ने देश भर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया। इससे पहले वर्ष 1999 में भारत सरकार ने “कुल स्वच्छता” नामक अभियान शुरू किया था, जिसे बाद में पूर्व प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने “निर्मल भारत अभियान” का नाम दिया लेकिन इस बार नरेंद्र मोदी के संरक्षण के तहत यह अभियान राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है। लोगों के लिए यह काफी अविश्वसनीय था कि एक प्रधान मंत्री ने ऐसा अनपेक्षित कदम उठाने की कल्पना की और इस तरह के विषय को इतना महत्व दिया, कि कोई भी व्यक्ति स्वच्छता के मुद्दे पर विचार कर सकता है।
दरअसल किसी को भी दोष देना ठीक नहीं है, क्योंकि यह देखा गया है कि भारत में बहुत से लोग स्वच्छता के प्रति सजग नहीं हैं। हम ख़राब माहौल में रहने के आदि हो गए हैं या फिर हम स्वच्छता की अनदेखी करते हैं तथा इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में लोग कुछ नहीं करते लेकिन सरकार या सार्वजनिक अधिकारियों को अनुपलब्धता या बुनियादी ढांचे के खराब रखरखाव के लिए दोषी जरुर ठहराते हैं। लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति लोगों की चेतना जागृत करने में कामयाब रहे, जिससे लोगों को इस स्वच्छ भारत अभियान का सक्रिय भाग बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सका। वास्तव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तस्वीरें वायरल हो गई, जिनमें प्रधानमंत्री मोदी जी को अपने हाथ में झाड़ू लेते और सड़क पर सफाई करते देखा जा सकता है। कुछ लोग इसे राजनीतिक स्टंट या मार्केटिंग रणनीति के रूप में देख सकते हैं, लेकिन उन्होंने जो किया वह वास्तव में सराहनीय है और हमें इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
इसलिए मैं ईमानदारी से आशा करता हूं कि हम अपनी पड़ोसी सोसाइटी द्वारा चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा बनें और हमारी सक्रिय भागीदारी दिखाएं।
धन्यवाद।
आदरणीय अतिथिगण और सम्मानित दर्शक – आप सभी को नमस्कार और मैं स्वच्छ भारत जागरूकता शिविर में आप सभी का स्वागत करता हूं! बड़ी संख्या में आने और इस जागरूकता शिविर को सफल बनाने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
चूंकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता और साफ-सफाई के रखरखाव पर बहुत अधिक जोर दे रहे हैं, इसलिए पूरा देश इसके रंग में रंग गया है जहां हर घर का व्यक्ति स्वच्छता और साफ-सफाई के रखरखाव के प्रति जागरूक हो रहा है। वास्तव में स्वच्छ भारत अभियान नामक उनके अभियान ने इस इसकी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए हर भारतीय की सक्रिय भागीदारी को आमंत्रित किया है। हालांकि ऐसा कोई भी अभियान तब तक फलदायी नहीं हो सकता जब तक कि लोगों की मानसिकता न बदले और जब तक वे स्वयं की अंतरात्मा से साफ-सफाई को सुनिश्चित करने की आवश्यकता महसूस न करें। इस प्रकार लोगों का ‘चलता है’ के रवैये को बदलना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह परिवर्तन दबाव डाल कर नहीं आ सकता है और लोगों को स्वच्छता और सफाई को सुनिश्चित करने के लिए स्वेच्छा से आगे बढ़ना चाहिए।
सामान्यतया लोग अपने घर को साफ रखते हैं और पार्क, सड़कों, गलियों आदि जैसे उनके परिवेश को साफ करने की बात आती है तो उनका रवैया निराशाजनक हो जाता है और फिर इसकी कोई परवाह नहीं करता है क्योंकि हर कोई सरकार और इसके अधिकारियों को अच्छी तरह से सुनिश्चित की जिम्मेदारी छोड़ना चाहता है – जिनमें सभी सड़कों, गलियों और साथ ही सार्वजनिक अवसंरचना भी है। इस रवैये को बदलने की जरूरत है क्योंकि लोग खुद को बेकार कर देते हैं और अपने परिवेश को अशुद्ध करते हैं और कार्रवाई और अयोग्यता की कमी के कारण सरकार को दोष देते हैं।
लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है लेकिन सबसे जरुरी इस जागरूकता को कार्यों में अनुवाद करना है। चूंकि हमारी सरकार पहले ही इस पहल को शुरू कर चुकी है, इसलिए यह निश्चित रूप से लोगों को जागरूक करेगी और उन्हें स्वच्छता और साफ़-सफाई बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा हमारी सरकार स्वच्छता जागरूकता के लिए एक अलग अभियान भी लॉन्च कर सकती है, ताकि इस अभियान के लिए काम कर रहे लोगों की संख्या बढ़ सके। आखिरकार ऐसी पहल केवल लोगों के ‘चलता है’ के रवैये को ही नहीं बदलेगी बल्कि उनकी भागीदारी का भी पता लगाएगी।
वास्तव में भारत को स्वतंत्रता हासिल करने से पहले स्वच्छता और साफ़-सफाई को बनाए रखने का यह अभियान बहुत लोकप्रिय था और महान हस्तियों जैसे महात्मा गांधी आदि ने लोगों के बीच सकारात्मक रवैये को बढ़ावा देने के लिए अच्छी आदतें और साथ ही स्वच्छता का पालन किया। जैसा कि कहा जाता है कि स्वच्छता और भक्ति का साथ है, इसलिए हमें कभी भी अपने परिवेश को अशुद्ध नहीं रहने देना चाहिए। इससे हमारा चरित्र और व्यवहार प्रभावित होता है। कई देशों में कचरा फेंकना या सड़क पर थूकना एक गंभीर अपराध माना जाता है, लेकिन हमारे देश में हम लगभग हर दूसरे व्यक्ति को तंबाकू खाते या अन्य चीजों को सड़क पर फेकते देखते हैं। क्या यह सभ्य समाज की निशानी है? बिल्कुल नहीं!
तो हम असरदार उपायों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते हैं और न केवल दूसरों को रोके बल्कि खुद भी अपने परिवेश को बर्बाद ना करें। मुझे स्वच्छ भारत अभियान के अलावा भी उम्मीद है कि हमारा अभियान समाज में काफी बदलाव लाएगा और लोगों को चारों ओर स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
धन्यवाद!
प्रिय संगठन के सदस्यों और सम्मानित श्रोतागण – आप सभी को नमस्कार! मैं आशा करता हूं कि यहां मौजूद हर कोई खुश और मनोरंजक मुद्रा में है!
इस स्वच्छ नोएडा समिति के एक सदस्य के रूप में मैं बहुत ही उत्साहित हूँ कि हम बड़ी संख्या में लोगों को अपने समूह का हिस्सा बनने और हमारे समाज के सुधार की दिशा में काम करने को तैयार हैं। और आज के इस प्रतिष्ठित समारोह का आयोजन 25 स्वच्छ नोएडा समिति अभियान को पूरा करने और अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ने के लिए सफलतापूर्वक करने के अलावा कुछ और नहीं हो सकता है।
इसके अलावा मैं इस मौके पर यह बताना चाहता हूं कि हमारे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से अब तक क्या हासिल किया है। उन्होंने वर्ष 2014 में 2 अक्टूबर को इस राष्ट्रव्यापी अभियान को शुरू किया। तारीख, जैसा कि हम सभी जानते हैं, महात्मा गांधी की जयंती का दिवस है। यह उनके द्वारा संचालित एक महान पहल थी और जिस दिन उन्होंने देश के जनता को यह योजना समर्पित करने का फैसला किया, जिससे उपयुक्त दिन हो ही नहीं सकता था।
इस अभियान को शुरू करने के पीछे उनका प्रमुख उद्देश्य था दूर-दराज के इलाकों या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को, बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं को उपलब्ध कराना। इस प्रकार इसमें शौचालयों का निर्माण तथा साथ ही तरल और ठोस अपशिष्ट निपटान प्रणाली शामिल है। जिसमें शुद्ध और पर्याप्त पेयजल सुविधा के साथ-साथ प्रत्येक गांव में सफाई सुनिश्चित करना शामिल है। प्रधानमंत्री 2019 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं और इस तरह से राष्ट्र के पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं, अर्थात् महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर।
श्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में कहा कि यह मिशन राजनीति से बहुत ऊपर है और तथा देशभक्ति या देश के प्रति गहरे प्रेम से प्रेरित है। उन्होंने अपने देशवासियों से यह भी शपथ लेने को कहा “ना मैं गंदगी करूँगा ना मैं गंदगी करने दूंगा”। इसके अलावा यह भी स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार के लिए एक पंचलाइन बन गई। अपने भाषण में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह मात्र एक नारा नहीं है बल्कि हर किसी का कर्तव्य और अवांछित वस्तुओं के अनावश्यक भार से अपनी मातृभूमि को मुक्त करने की जिम्मेदारी है। इसने लोगों को गांधी जी के स्वच्छता के विचार को याद करवाया और व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता दोनों को बनाए रखने के गांधी के मिशन के साथ इस वर्तमान अभियान को जोड़ दिया।
गांधीजी के अनुसार, “जब तक आप अपने हाथों में झाड़ू और बाल्टी नहीं उठायेंगे तब तक आप अपने कस्बों और शहरों को साफ नहीं कर सकते।” इस प्रकार हमारे देश के मूल निवासी के रूप में स्वच्छता को सुनिश्चित करने की यह हमारी जिम्मेदारी बन जाती है। हमारे परिवेश की हमें स्वच्छता के लिए सरकारी कर्मचारियों, स्थानीय समुदायों या गैर-सरकारी संगठनों पर जवाबदेही नहीं छोड़नी चाहिए। हर किसी की यह सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि वह महात्मा गांधी के सपने का एहसास करे और स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर होने से पहले हमारे पर्यावरण को अत्यंत सुरक्षा प्रदान करे।
मुझे केवल इतना ही कहना था और अब मुझे अनुमति दीजिए कि मैं अपने सह-मेज़बान को मंच पर आमंत्रित करूं, ताकि वे इस संबंध में कुछ शब्द कहें।
धन्यवाद!