किसी देश के निर्गमन और विकास के लिए एक व्यवस्थित नियमों का होना अत्यंत आवश्यक होता है। इन्हीं सिद्धांतों और नियमों को एक जगह संग्रहित किया जाता है, जो देश के सभी क्रियाकलापों को नियंत्रित करता है जिसे संविधान कहते हैं। भारत का संविधान विश्व के महत्वपूर्ण देशों के संविधानों में से एक है। हमारे संविधान में केवल नागरिकों के लिए ही नहीं राजनीतिक दलों व उनसे जुड़े लोगों के नियंत्रण और विकास के लिए कानून बनाये गये हैं।
आज इस लेख के माध्यम से हम संविधान की विशेषताओं से परिचित होंगे।
1) संविधान, राष्ट्र के संचालन और नागरिकों के हित में बनाए कानूनों का समुह है।
2) देश की शासन व्यवस्था, न्यायिक प्रक्रिया और शक्तियों का वितरण इसमें संग्रहित किया गया है।
3) सरकार व नागरिकों के अधिकार तथा उनके देश के प्रति कर्तव्य संविधान में लिखित है।
4) भारतीय संविधान निर्माण सभा के 389 सदस्यों ने इसका प्रारूप तैयार किया था।
5) देश के पहले कानून मंत्री बी. आर. आम्बेडकर संविधान निर्माण प्रारूप समिति (Constitution-making Drafting Committee) के अध्यक्ष थें।
6) भारतीय संविधान निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन लगे थें।
7) मूलरूप से संविधान में 395 अनुच्छेद 12 अनुसूची है जो 22 भागों में विभाजित है।
8) भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संसद द्वारा अपनाया गया।
9) संविधान निर्माण के उपलक्ष्य में 26 नवम्बर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
10) 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ, जिसे ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
1) भारतीय संविधान शासन करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत और नियमों का एक समूह है।
2) विश्व के सभी लोकतान्त्रिक देशों में सबसे लम्बा लिखित संविधान भारत का है।
3) भारतीय संविधान में दुनिया के कई देशों के संविधान से प्रावधान लिए गये है।
4) जब भारतीय संविधान लागू हुआ तब इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूची व 22 भाग थें।
5) कई संशोधन के बाद इसमें वर्तमान में कुल 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची तथा 25 भाग हैं।
6) सन् 1951 से 2020 तक संविधान में कुल 104 बार संशोधन किए जा चुके हैं।
7) भारतीय संविधान में पहला संशोधन 1951 में मौलिक अधिकारों में किया गया।
8) सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार भारतीय संविधान एक संघात्मक संविधान प्रणाली है।
9) भारत का संविधान देश को संप्रभु, समाजवादी व पंथनिरपेक्ष गणराज्य घोषित करता है।
10) भारतीय संविधान के भाग 3 व 4 को संविधान की ‘आत्मा और चेतना’ का नाम दिया गया है।
संविधान किसी देश के लोकतान्त्रिक होने को परिभाषित करता है। भारतीय संविधान देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका को पृथक रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हो। भारतीय संविधान तय करता है कि शक्ति किसी एक के हाथों में न रहकर लोगों में निहित हो। हम सभी को अपने संविधान का पालन करना चाहिए और राष्ट्र की सुरक्षा के साथ प्रगति और विकास में सहयोग करना चाहिए।