भारत का ध्वज संहिता भारत के राष्ट्रीय ध्वज के उचित प्रदर्शन को सुनिश्चित करता है।
प्रत्येक व्यक्ति या संगठन के लिए इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए कानून और नीतियां महत्वपूर्ण हैं। देश में किसी भी चीज़ के दुरुपयोग को प्रबंधित करने और रोकने के लिए मार्गदर्शन के तहत कानून अभ्यास, प्रामाणिक निर्देश या परंपराएं बनाई जाती हैं। हमारे भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के लिए भी ऐसे ही कानून बनाया गया है जो ध्वज के उपयोग, फहराने की तकनीक, गरिमा और सम्मान को नियंत्रित करता है। ये नीतियां, कानून और परंपराएं मिलकर भारत का ध्वज संहिता बनाती हैं। आज हम भारतीय ध्वज संहिता के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
यहाँ, मैं कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 और 6 के लिए भारतीय ध्वज संहिता पर 10 पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रही हूँ। यह विषय सभी कक्षाओं के छात्रों के साथ साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
1) भारत का ध्वज संहिता भारत के ध्वज के प्रदर्शन से संबंधित कानूनों, प्रथाओं और परम्पराओं का वर्णन करता है।
2) भारत का ध्वज संहिता 26 जनवरी 2002 को स्थापित किया गया था।
3) इसके अंतर्गत ध्वज के इस्तेमाल से सम्बंधित सभी कानून, परंपरा और प्रथा आते हैं।
4) यह राष्ट्रीय ध्वज के व्यावसायिक उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
5) भारत के ध्वज संहिता के तीन भाग हैं।
6) राष्ट्रीय ध्वज संहिता के भाग एक में ध्वज का वर्णन है।
7) सार्वजनिक, निजी और शैक्षणिक संस्थानों को राष्ट्रीय ध्वज कैसे प्रदर्शित करना चाहिए यह राष्ट्रीय ध्वज संहिता के भाग II में वर्णित है।
8) राष्ट्रीय ध्वज संहिता का भाग III सरकारी संगठनों और एजेंसियों द्वारा ध्वज के प्रदर्शन से संबंधित है।
9) संहिता के अनुसार तिरंगे के लिए एक सम्माननीय स्थान आरक्षित किया जाना चाहिए।
10) ध्वज संहिता के उल्लंघन के लिए दंड में 3 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों शामिल हैं।
इसे यूट्यूब पर देखें : Bhartiya Dhwaj Sanhita par 10 vakya
1) ध्वज के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने के लिए ध्वज संहिता की स्थापना की गई है।
2) फ्लैग कोड पहले से मौजूद प्रदर्शन नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करता है।
3) इसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति या वस्तु को राष्ट्रीय ध्वज से सलामी नहीं दी जा सकती।
4) इसमें कहा गया है कि शोक की निशानी के रूप में झंडा आधा झुका होना चाहिए।
5) 30 दिसंबर 2021 के संशोधन में पॉलिस्टर और मशीन से बने झंडों की अनुमति दी गई थी।
6) सरकार द्वारा हर घर तिरंगा अभियान के लिए कोड में कुछ संशोधन किए गए थे।
7) पहले के नियम ध्वज को सूर्योदय और सूर्यास्त तक फहराने तक सीमित रखते थे।
8) दिन और रात के दौरान, राष्ट्रीय ध्वज अब 20 जुलाई, 2022 को संशोधित भारतीय ध्वज संहिता के तहत फहराया जा सकता है।
9) इसके अतिरिक्त, यह सजावटी उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
10) इसमें कहा गया है कि क्षतिग्रस्त भारतीय झंडों का सम्मान के साथ निस्तारण किया जाना चाहिए।
1) भारतीय ध्वज संहिता राष्ट्रीय ध्वज के उचित उपयोग को नियंत्रित करती है।
2) यह ध्वज को सम्मान और गरिमा के अनुसार प्रदर्शित करने की अनुमति देता है।
3) यह, यह भी सुनिश्चित करता है कि विशेष दिनों में राष्ट्रीय ध्वज ठीक से प्रदर्शित हो।
4) यह राष्ट्रीय ध्वज फहराने की सही प्रक्रिया और तरीके का मार्गदर्शन करता है।
5) फ्लैग कोड क्षतिग्रस्त या गंदे झंडे को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं देता है।
6) भारत के ध्वज संहिता द्वारा ही राष्ट्र और ध्वज के प्रति सम्मान का अनुरक्षण किया जाता है।
7) झंडा संहिता के अनुसार झंडा फहराना और उतारना हमेशा ठीक से किया जाना चाहिए।
8) आधिकारिक प्रदर्शन के लिए केवल भारतीय मानक ब्यूरो के निशान वाले झंडे की अनुमति है।
9) ध्वज संहिता ध्वज पर कुछ भी प्राप्त करने, वितरित करने, धारण करने या ले जाने पर सख्ती से रोक लगाता है।
10) झंडा संहिता, जानबूझकर झंडे को जमीन पर या पानी में छूने की अनुमति नहीं देता है।
1) ध्वज संहिता में यह कहा गया है कि मूर्तियों, स्मारकों, इमारतों आदि को ढंकने के लिए झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
2) ध्वज की गरिमा को बनाए रखने और इसके अपमान को रोकने के लिए, जब यह प्रदर्शन के लिए उपयुक्त न हो इसे सम्मानपूर्वक हटाया जाना चाहिए ।
3) द एम्ब्लेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ़ इम्प्रॉपर यूज़) एक्ट 1950 और द प्रिवेंशन ऑफ़ इंसल्ट्स टू नेशनल हॉनर एक्ट 1971, 2002 के कोड संशोधन से पहले राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन को नियंत्रित करता था।
4) जागरूकता और नियमों की कमी के कारण लोग राष्ट्रीय ध्वज का दुरुपयोग कर रहे थे, जिसके कारण ध्वज संहिता की आवश्यकता हुई।
5) यह भारतीय ध्वज के उपयोग, प्रदर्शन और फहराने से सम्बंधित सभी कानूनों और निर्देशों का वर्णन करती है।
6) ध्वज संहिता में 30 दिसंबर 2021 और फिर 20 जुलाई 2022 को संशोधन किया गया था।
7) संशोधन से पहले, ध्वज संहिता ने केवल खादी, रेशम और कपास का झंडा बनाने की अनुमति दी थी।
8) पहले केवल हाथ से बने और हाथ से बुने हुए झंडों को ही झंडा संहिता द्वारा अनुमति दी गई थी।
9) ध्वज संहिता संशोधन के खिलाफ खादी बुनकरों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जाता रहा है।
10) संशोधनों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी आलोचना की थी।
राष्ट्रीय ध्वज एक देश का सम्मानित प्रतीक होता है। यह राष्ट्र की गरिमा का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक नागरिक द्वारा ध्वज का सम्मान करने की सिफारिश की जाती है। इस गौरवपूर्ण प्रतीक के अनादर, दुरूपयोग या अनुचित प्रयोग को रोकने के लिए भारत की ध्वज संहिता बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मुझे आशा है कि भारतीय ध्वज संहिता पर उपरोक्त वाक्य राष्ट्रीय ध्वज के महत्व के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज के सही प्रदर्शन को समझने में भी सहायक होंगी।
उत्तर: राष्ट्रीय ध्वज को पूर्व में द एम्ब्लेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ़ इम्प्रॉपर यूज़) एक्ट 1950 और द प्रिवेंशन ऑफ़ इंसल्ट्स टू नेशनल हॉनर एक्ट 1971 द्वारा नियंत्रित किया जाता था।
उत्तर: 20 जुलाई 2022 में हुए एक संशोधन के अनुसार, लोगों को दिन के साथ-साथ रात में भी घर पर झंडा फहराने की अनुमति है।
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