भारत का संविधान विश्व का सबसे लम्बा लिखित संविधान माना जाता है। जब संविधान निर्माण हुआ उस समय संविधान में मौलिक कर्तव्यों का कोई उल्लेख नहीं था, परन्तु आगे चलकर देश के नागरिकों के अन्दर देश के प्रति प्रेम और त्याग की भावना को संजोये रखने के लिए “मिनी संविधान” कहे जाने वाले 42वें संविधान संशोधन 1976 में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया। मौलिक कर्तव्य किसी भी देश में रहने वाले सभी नागरिकों के नैतिक दायित्व को परिभाषित करता है।
आज इस लेख के माध्यम से हम मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानेंगे। ये जानकारियां आपके लिए उपयोगी होंगी।
1) देश की उन्नति और विकास के लिए नागरिकों के दायित्व को मौलिक कर्तव्य कहते हैं।
2) मौलिक कर्तव्य देश के कल्याण, सम्मान और राष्ट्रीय एकता के दायित्व को दर्शाते हैं।
3) 1976 में 42वां संविधान संशोधन करके संविधान में 10 मौलिक कर्तव्य लिखे गए।
4) माता-पिता को 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराने का 11वां मौलिक कर्तव्य 86वें संशोधन 2002 में जोड़ा गया।
5) मौलिक कर्तव्यों को संविधान के भाग ‘4क’ के अनुच्छेद ‘51क’ के अंतर्गत रखा गया है।
6) वर्तमान में भारतीय संविधान में लिखित मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है।
7) संविधान सहित राष्ट्रीय गान, गीत व राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
8) सार्वजनिक सम्पति व संस्कृति का संरक्षण तथा अहिंसा का पालन हमारा कर्तव्य है।
9) देश के विकास और रक्षा के लिए तत्पर होना मौलिक कर्तव्य में उल्लेखित है।
10) पर्यावरण व जीवों की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता बनाए रखना मौलिक कर्तव्य हैं।
1) मौलिक कर्तव्य लोकतान्त्रिक राष्ट्र के कल्याण के दिशानिर्देशों को दर्शाता है।
2) संविधान निर्माण के समय इसका अस्तित्व नहीं था, इसे संविधान में बाद में लिखा गया।
3) 10 मौलिक कर्तव्यों को 42वां संविधान संशोधन 1976 स्वर्ण सिंह समिति के रिपोर्ट के आधार पर संविधान में लिखा गया था।
4) संविधान के 86वें संविधान संशोधन 2002 के द्वारा 11वां मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
5) भारतीय संविधान में लिखित मौलिक कर्तव्यों को रूस के संविधान से लिया गया है।
6) न्यायिक रूप से कोई व्यक्ति सभी मौलिक कर्तव्यों को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
7) मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन करने पर किसी भी कानूनी कार्यवाही का प्रावधान नहीं है।
8) 2019 के संविधान दिवस वर्षगाठ पर ‘संविधान से समरसता’ कार्यक्रम के जरिए मौलिक कर्तव्य के प्रति जागरूकता फैलाया गया।
9) सभी नागरिकों को संविधान में वर्णित 11 मौलिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
10) एक देश का नागरिक होने के नाते यदि हम मौलिक कर्तव्यों का पालन नहीं करते है तो मौलिक अधिकारों की अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए।
भारत के संविधान ने अपने नागरिकों को मौलिक अधिकारों के रूप में उनके व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ जीने का हक दिया है। भारत का प्रत्येक नागरिक निजता का अधिकार, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार का दावा कानूनी तरीके से कर सकता है। इसी प्रकार से राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्य बनाये गए हैं, जिनका हमें स्वेच्छा से पालन करना चाहिए और लोकतंत्र के विकास में सहयोगी बनना चाहिए।