10 वाक्य

गुरू पूर्णिमा पर 10 वाक्य (10 Lines on Guru Purnima in Hindi)

गुरू पूर्णिमा वह त्योहार है जो हमारे आध्यात्मिक गुरू को समर्पित होता है। एक गुरू हमें केवल ज्ञान ही नहीं देता बल्कि साथ ही जीवन जीने का सही मार्ग भी दिखाता है। हम शिक्षक दिवस मनाते है, जिसका महत्व भी खास है परन्तु वो शिक्षक हमें अकादमिक ज्ञान देते हैं लेकिन एक आध्यात्मिक ज्ञान देने वाला गुरू हमें पूर्ण और सच्चा इंसान बनाता है। गुरू वह है जो हमें स्वयं को प्रबुद्ध करने में सहायता करता है और समृद्ध जीवन जीने के लिए हमारा मार्गदर्शन करता है।

गुरू पूर्णिमा पर 10 लाइन (Ten Lines on Guru Purnima in Hindi)

गुरू हमारी प्रतिभा को पहचानकर एक संपूर्ण व्यक्ति की आदर्श तस्वीर बनाता है। आज इस लेख से मैंने 10 लाइन्स के सेट में “गुरू पूर्णिमा” की महत्वपूर्ण जानकारी आपसे साझा किया है।

Guru Purnima par 10 Vakya – Set 1

1) हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

2) नेपाल, भूटान और भारत में ‘गुरू पूर्णिमा’ पर्व की बहुत मान्यता है।

3) ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह दिन जून से जुलाई महीने के बीच में आता है।

4) बड़ी संख्या में हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के लोग गुरू पूर्णिमा पर्व मनाते हैं।

5) अपने गुरूओं व शिक्षकों के सम्मान के रूप में यह पर्व मनाया जाता है।

6) अपने आध्यात्मिक गुरू की वंदना के लिए गुरू पूर्णिमा का अवसर बहुत खास होता है।

7) यह पर्व शिक्षा के आश्रम व्यवस्था के समय से मनाया जा रहा है।

8) यह पर्व महर्षि “वेद व्यास” के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

9) बौद्धों की आस्था है कि गुरू पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया था।

10) अलग-अलग आस्थाएं होने के बावजूद यह पर्व बड़े ही सद्भावना से मनाया जाता है।

Guru Purnima par 10 Vakya – Set 2

1) गुरू पूर्णिमा के पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

2) गुरू दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘गु’ अर्थात अंधकार और ‘रू’ अर्थात अंधकार नाशक।

3) गुरू वह है जो आपके अन्दर के अंधकार को नष्ट करके प्रकाशमान रास्ता दिखाता है।

4) इस दिन भगवान शिव ने सप्त ऋषियों को योग सिखाया और प्रथम गुरू बनें।

5) एक व्यक्ति के जीवन में गुरू का महत्व आजीवन रहता है।

6) एक गुरू हमें ज्ञान देने के साथ–साथ जीवन जीने का सही मार्ग भी दिखाता है।

7) अधिकांश धर्मों में आध्यात्मिक गुरू होते हैं, जिन्हें हम ईश्वर के समकक्ष मानते है।

8) इस दिन लोग अपने आध्यात्मिक गुरू के आश्रम जाते है और उनका दर्शन-पूजन कर उन्हें भेंट देते हैं।

9) संस्कृत विद्यालयों व प्राचीन विषयों के शिक्षण संस्थानों में आज भी “गुरू-शिष्य” परंपरा चलती है जहां यह पर्व उत्साह से मनाते हैं।

10) सद्गुरू, जय गुरुदेव और स्वामी अड़गड़ानंद आदि ऐसे महान आध्यात्मिक गुरू हैं, जो लोगों को जीवन में शांति और सफलता का मार्गदर्शन करते हैं।


गुरू पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं के पास उनका आशीर्वाद और निर्देश लेने के लिए आते हैं कि कैसे वे सही रास्ते पर चलकर एक अच्छा और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। एक गुरू हमेशा अपने शिष्य को सही मार्ग दिखाता है और उसके प्रति सच्ची परवाह करता है। इस पर्व के प्रति लोगों की काफी आस्था है और इसका मुख्य कारण यह है कि वे गुरू पूर्णिमा के दिन को अपने गुरुओं को सम्मान और श्रद्धांजलि देने का दिन मानते हैं। गुरू पूर्णिमा का प्रभाव इतना अधिक है कि नेपाल में गुरू पूर्णिमा को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है और इस दिन को नेपाल में शिक्षक दिवस के रूप में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

Shubham Singh

राजनितिशास्त्र से स्नातक एवं इतिहास से परास्नातक करने के पश्चात् शुभम सिंह लेखन कार्य से जुड़ गये। लेखन से पूर्व किये गये गहन अन्वेषण इनके लेखों में साफ़ दिखाई देते है। उत्कृष्ठ लेखन के साथ-साथ ये युवाओं को उनके शिक्षा एवं भविष्य से सम्बंधित मार्गदर्शन भी करते है। इनका मानना है की सही दिशा में किया गया परिश्रम व्यक्ति को हमेशा सफल बनाता है।

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