काशी (वाराणसी) बाबा विश्वनाथ की नगरी के नाम से प्रसिद्ध भारत का एक आध्यात्मिक शहर है, यहाँ देश के कोने-कोने से तथा विदेशों से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु भगवान का दर्शन करने हर साल आते हैं। जैसे-जैसे काशी की ख्याति बढ़ती गयी यहां भक्तों की भीड़ में भी इजाफा होने लगा, गंगा नदी में स्नान करके गंगाजल को मंदिर में लेकर जाने में भक्तों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। पी एम मोदी ने श्रद्धालुओं को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए गंगा तथा मंदिर को एक सुगम मार्ग के माध्यम से जोड़ने के लिए 8 मार्च 2019 को एक परियोजना की आधारशिला रखी, जिसके अन्तर्गत हुए निर्माण कार्यों को काशी विश्वनाथ गलियारे के नाम से संबोधित किया गया। इस गलियारे का उद्घाटन पी एम मोदी द्वारा 13 दिसम्बर 2021 को किया गया।
साथियों आज मैं आप लोगों के समक्ष काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर 10 लाइन लेकर उपस्थित हुआ हूँ, मुझे उम्मीद है कि ये लाइन आपको पसंद आएंगी तथा स्कूल एवं कॉलेजों में आपके उपयोग लायक होंगी।
1) काशी विश्वनाथ कॉरिडोर लगभग 5 लाख स्क्वायर फुट में फैला हुआ है जिसमें कुल 23 छोटी-बड़ी इमारतें तथा 27 मंदिर है।
2) इस पूरे कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है तथा इसमें 4 बड़े-बड़े गेट एवं प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेखों का निर्माण किया गया है जिनमें काशी की महिमा का वर्णन है।
3) इन सब के अतिरिक्त इसमें मंदिर चौक, यात्री सुविधा केन्द्र, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मुमुक्षु भवन, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम तथा वाराणसी गैलेरी जैसी अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है।
4) इसमें मकराना के सफेद मार्बल, वियतनाम के कुछ खास पत्थर तथा चुनार के गुलाबी पत्थर का उपयोग किया गया है।
5) काशी धाम में भगवान भोलेनाथ को अतिप्रिय रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, वट तथा अशोक आदि के वृक्ष लगाए गए है।
6) परियोजना के पहले चरण में कुल 23 भवनों का उद्घाटन किया जाएगा, ये भवन यात्रियों के सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बनाए गए है।
7) इस परियोजना को साकार मूर्त देने के लिए काशी मंदिर के आस-पास करीब 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद एवं अधिग्रहण किया गया है।
8) इस परियोजना के दौरान लगभग 40 प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार करके उन्हें कॉरिडोर में शामिल कर लिया गया।
9) इस परियोजना में मंदिरों की मूल संरचना के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया गया है, बस इनकी सजावट तथा यात्रियों के सुविधाओं के लिए ज्यादा काम किया गया है।
10) मंदिर तथा उसके आस-पास चार स्तरीय सुरक्षा की व्यवस्था की गई है।
1) साल 1669 में औरंगजेब द्वारा मंदिर को ध्वस्त करने के बाद महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा पहली बार 1777 में मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारम्भ हुआ था।
2) इसके बाद 1835 में राजा रणजीत सिंह द्वारा 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने द्वारा मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार किया गया तत्पश्चात राजा त्रिविक्रम सिंह ने मंदिर के गर्भगृह के लिए चांदी का दरवाजा बनवाया।
3) पी एम मोदी द्वारा एक बार फिर मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 2019 में विश्वनाथ धाम के रूप में शुरू हुआ।
4) काशी कॉरिडोर के अन्तर्गत चारों दिशाओं में 40 फिट चौड़े तथा 32 फिट ऊंचे फाटक का निर्माण किया गया है।
5) चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजा मंदिर पिंक सिटी की तरह दिखता है तथा पाइप लाइन के माध्यम से गंगा की धार को गर्भगृह तक लाने की व्यवस्था की गई है।
6) इसमें भारत माता, आदि गुरु शंकराचार्य के साथ-साथ अहिल्याबाई होल्कर की भी प्रतिमा की स्थापना हुई है।
7) मंदिर चौक इतना विशाल है कि इसमें एक साथ 50000 श्रद्धालु रह सकते हैं, श्रद्धालुओं के लिए तीन विश्रामालय, वैदिक केन्द्र तथा स्पिरिचुअल बुक स्टोर की भी व्यवस्था की गई है।
8) चुनार के पत्थरों के अलावा भी इसमें अन्य छः प्रकार के पत्थर लगे है। जैसे- मकराना के दुधिया रंग के मार्बल से फ्लोरिंग तथा मंडाना स्टोन से घाटों की सीढ़ियों आदि का निर्माण।
9) भूकंप तथा भूस्खलन से सुरक्षा के लिए पत्थरों को जोड़ा गया है तथा पत्थरों के बीच के जगह को लेपाक्स अल्ट्रा फिक्स (Lapox Ultra Fix) नामक केमिकल से भरा गया है।
10) कॉरिडोर ललिता घाट को विश्वनाथ मंदिर को जोड़ता है व घाट से मंदिर तक जाने के लिए स्वचालित सीढ़ियां लगाई गई हैं।
निष्कर्ष
अहिल्याबाई होल्कर के बाद करीब ढाई सौ साल बाद विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार पी एम मोदी द्वारा विश्वनाथ धाम के रूप में कराया जा रहा है। भारत के कई राज्यों तथा विदेशों से मंगाए गए पत्थरों के इस्तेमाल से आनंद का अनुभव कराने वाली धर्मनगरी मानों अब दमकने लगी है। लॉकडाउन की कठिन बेला का सामना करने के बाद भी मंदिर का जीर्णोद्धार रिकॉर्ड समय (21 महीने) में पूरा हो गया। 30,000 वर्ग फुट एरिया के विश्वनाथ मंदिर को 5,00,000 वर्ग फुट के विश्वनाथ धाम में बदलने में कुल लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। सात प्रकार के पत्थरों से सजे इस धाम में श्रद्धालु रूद्र वनों अर्थात रुद्राक्ष के वृक्षों के बीच से बाबा के दर्शन को जाएंगे।
मुझे पूर्ण आशा है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर 10 लाइन (Ten Lines on Kashi Vishwanath Corridor) आपको बेहद पसंद आए होंगे।
धन्यवाद !
उत्तर- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के वास्तुकार का नाम बिमल पटेल है।
उत्तर- सर्वप्रथमकाशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह द्वारा हुआ था, वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा सन् 1780 में करवाया गया था।