शौचालय, एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनाने और स्वास्थ्य में वृद्धि करने और लोगों की गरिमा और सुरक्षा (विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं) के संरक्षण में, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। 2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक लगभग 2.4 अरब लोग पर्याप्त स्वच्छता के बिना रह रहे हैं और दस में से एक व्यक्ति के पास खुले में शौच करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। 2016 में WAS-Hwatch की रिपोर्ट के अनुसार असुरक्षित जल और अस्वच्छता के कारण दस्त की बीमारी प्रत्येक वर्ष 315,000 बच्चों की जान ले लेती है।
विश्व शौचालय दिवस 19 नवंबर को मनाया जाने वाला वार्षिक कार्यक्रम है। यह दिवस पर्याप्त स्वच्छता के महत्व पर बल देता है और सभी के लिए सुरक्षित और स्वच्छ शौचालयों की पहुंच की सिफ़ारिश करता है। मूल रूप से 2001 में विश्व शौचालय संगठन द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी। यह दिवस अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता संकट की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है।
विश्व शौचालय दिवस 19 नवम्बर 2021, शुक्रवार को मनाया जायेगा।
दुनियाभर में स्वच्छता की स्थिति
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2015 में लगभग 2.4 अरब लोगों की पहुँच स्वच्छता की सुविधा तक ना होने के कारण लगभग एक अरब लोग खुले में शौच कर रहे हैं। स्वच्छ पानी के अधिकार की ही तरह स्वच्छता का अधिकार भी एक मानवीय अधिकार है। स्वच्छता का अभाव लोगों की गरिमा, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है।
बच्चों में विभिन्न बीमारियों (जैसे दस्त, शिस्टोसोमिआसिस, सोइल ट्रांसमिटेड हेल्मिन्थिआसिस) और क्रोनिक कुपोषण का प्रसार, जो एक ऐसी स्थिति से संबंधित है जिसे पर्यावरणीय एंट्रोपैथी कहा जाता है, सीधे मानव के मल के संपर्क से जुड़ा होता है। 145 देशों के एक अध्ययन में इसका मूल्यांकन किया गया था कि 58% दस्त खराब स्वच्छता, सफाई के अभाव और असुरक्षित पानी के कारण थे। इस वजह से 2015 में पांच साल से कम उम्र के 5,26,000 से अधिक बच्चे स्वच्छता, सफाई और पानी से संबंधित दस्त से मर गए।
7 से 17% तक दस्त से पीड़ित बच्चों की मुश्किलों को कम करने के लिए उचित स्वच्छता का मूल्यांकन किया गया है। मल से मानव संपर्क को सुरक्षित रूप से अलग करना एक स्वस्थ वातावरण का परिणाम है जो कई रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि बीते समय में स्वच्छता को पानी के मुकाबले कम वित्त पोषण मिला है जबकि स्वच्छ पेयजल सुविधाएं उपलब्ध कराने की बजाए मूल शौचालय सुविधाएं उपलब्ध कराने से रोग होने की क्षमता दुगनी कम हो जाती है।
खुले में शौच करना मनुष्य की गरिमा और सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है। यह तथ्य विकासशील देशों में लड़कियों और महिलाओं के लिए विशेष रूप से सच है जो खुले में शौच करने से अपनी गोपनीयता खो देती हैं क्योंकि खुले में शौच करना उनके लिए शर्म की बात है। इसके अलावा शौच करने के लिए उन्हें रात का इंतजार करना पड़ता है और पूरे दिन अपने को रोकना पड़ता है।
विकासशील देशों में महिलाएं शौच जाने के लिए अपने घर छोड़ने पर बलात्कार या हमले के भय की अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रही हैं। शौचालयों के पास या उसके आस-पास के इलाकों में महिलाओं के उत्पीड़न या हमलों की रिपोर्ट उजागर होना बहुत आम बात है। उनके खिलाफ ऐसी हिंसा का परिणाम पीड़ित व्यक्ति के लिए मनोवैज्ञानिक और शारीरिक है जिसका असर समाज और परिवारों पर पड़ता है जो लिंग असमानताओं के साथ जी रहे हैं।
2000 से 2015 तक लोगों ने, संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम विकास लक्ष्यों की सहायता से, सुरक्षित शौचालय सुविधाएं और खुले में शौच का अंत करने के लिए काम किया। 2015 का स्वच्छता का लक्ष्य 700 मिलियन लोगों के आंकडें को नहीं छू सका और कम विकसित देश स्वच्छता के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कम विकसित देशों की केवल 27% जनसंख्या में 1990 से स्वच्छता सुविधाओं में सुधार हुआ है।
विश्व शौचालय संगठन
विश्व शौचालय संगठन एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था है जो दुनिया भर में स्वच्छता और शौचालय की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। संगठन की शुरुआत 2001 में 15 सदस्यों के साथ हुई थी। अब इसकी संख्या 53 देशों से बढ़कर 151 हो गई है। संगठन के सभी सदस्य शौचालय की समस्या को खत्म करने और दुनिया भर में स्वच्छता के समाधान के लिए काम करते हैं। इसके अलावा विश्व शौचालय संगठन विश्व शौचालय सम्मेलन का आयोजक है और इसी संगठन ने संयुक्त राष्ट्र की तरफ से विश्व शौचालय दिवस की शुरुआत की है।
यह संगठन सिंगापुर में 19 नवंबर 2001 को जैक सिम द्वारा स्थापित किया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, अकादमियों, शौचालय संघों, शौचालय हितधारकों और सरकार के लिए एक सेवा मंच और एक वैश्विक नेटवर्क के रूप में कार्य करता है। इसके बनने के बाद से इसने वैश्विक स्वच्छता के संकट को समाप्त करने के लिए स्थायी और परिवर्तनात्मक समाधानों का पता लगाने के लिए निजी क्षेत्र, सरकारों, नागरिक समाज, शिक्षा और बहुपक्षीय एजेंसियों को एक साथ बांध कर रखा है। इसका मिशन सहयोगी कार्यों की सहायता से वैश्विक स्वच्छता के आंदोलन को बढ़ावा देना है जो स्वच्छता की मांग को उत्साहित और प्रेरित करता है और सभी के लिए सतत स्वच्छता प्राप्त करने के लिए नए समाधान प्रदान करता है।
2001 में विश्व शौचालय संगठन ने विश्व शौचालय दिवस की शुरुआत की। विश्व शौचालय संगठन के निर्माता जैक सिम और सिंगापुर के रेस्ट्रूम एसोसिएशन को एहसास हुआ कि शौचालय के मुद्दे पर एक अंतरराष्ट्रीय दिन होना चाहिए और इसलिए वे विश्व शौचालय दिवस बनाने के विचार के साथ आगे बढ़े ताकि यह दुनिया भर के लोगों के लिए स्वच्छता के मुद्दों की याद दिलाता रहे।
विश्व शौचालय दिवस की स्थापना के बाद से दुनिया में परिवर्तन करने के लिए व्यवसायों, सरकारों और कई अन्य समूहों ने इसको बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन ने कई पाबंदियों को भी तोड़ा है जो शौचालय के विषय पर चर्चा करने और सुरक्षित और बेहतर समाधान बनाने के लिए हैं।
विश्व शौचालय दिवस कई स्वच्छता मुद्दों के प्रति जनता का ध्यान दिलाने और उन मुद्दों को हल करने का प्रयास करता है। हालांकि पर्याप्त स्वच्छता तक पहुंच को मानव अधिकार के रूप में घोषित किया गया है लेकिन दुनिया में हर तीन लोगों में से एक के पास शौचालय को लेकर कोई भी स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है।
इसके अलावा जिन लोगों की पहुंच असुरक्षित और अशुद्ध शौचालय तक है उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें टाइफाइड, हैजा, डायरिया और हेपेटाइटिस जैसी कई बीमारियां शामिल हैं। खुले में शौचालय जाने पर बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न के केसों में वृद्धि होती है। विश्व शौचालय दिवस का अंतिम उद्देश्य सभी व्यक्ति को अपनी प्राथमिक जरूरतों का ख्याल रखने के लिए सुरक्षा के डर के बिना अनुमति देना है।
जैक सिम, विश्व शौचालय संगठन के संस्थापक, के शब्दों में – “जिसके बारे में हम चर्चा नहीं कर सकते उसका हम सुधार नहीं कर सकते”। विश्व शौचालय दिवस स्वच्छता के महत्व पर जागरूकता फैलाने का एक बहुमूल्य अवसर प्रदान करता है और हर जगह को सुधारने तथा हर साल वहां की उचित स्वच्छता को बनाए रखने के उद्देश्य की गति को प्रोत्साहित करता है।
यह दिवस इस बात को सुनिश्चित करता है कि सभी की सुरक्षित शौचालय और स्वच्छता तक पहुंच होनी चाहिए। सभी लोगों को विश्व शौचालय दिवस का उद्देश्य समझाना एक अंतर्राष्ट्रीय विकास प्राथमिकता है और जो शौचालय की सुविधा नहीं रखते हैं उनके लिए स्वच्छता संकट को रोकना तत्काल आवश्यकता है। यह दिवस लोगों को इस संकट को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु भी प्रेरित करता है।
विश्व शौचालय दिवस के पिछले वर्षों की थीम:
विश्व शौचालय दिवस (वर्ल्ड टॉयलेट डे) विश्व भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हर साल विश्व शौचालय संगठन “अर्जेंट रन” के साथ विश्व शौचालय दिवस मनाता है। अर्जेंट रन एक ऐसा संगठन है जो स्वच्छता संकट को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करता है और वैश्विक स्वच्छता की चुनौती पर जागरूकता फैलाने और अपने क्षेत्रीय समुदायों में स्वच्छता के मुद्दों से लोगों को शामिल करने के लिए दुनिया भर में समुदायों को एक साथ लाने के उद्देश्य से चलाता है।
पिछले कुछ वर्षों से दुनिया भर के समुदायों ने एक साथ मिलकर 42 देशों में स्वच्छता पर आधारित 63 कार्यक्रमों को चलाया है। इन कार्यक्रमों के स्वरूप अलग-अलग होते हैं जिनमें शैक्षिक स्पर्धाएं, मजेदार इवेंट्स, शौचालय की सफाई के कार्यक्रम, जागरूकता के कार्यक्रम, मोटरबाइक परेड और कार्निवल शामिल हैं।
स्वच्छता की चुनौतियों पर स्थानीय समुदायों को एकजुट करने के लिए कंपनियां, सामुदायिक समूहों, स्वयंसेवकों, गैर सरकारी संगठनों और विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर के देश जैसे बेनिन, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, कनाडा, चीन, बुरुंडी, कैमरून, फ्रांस, जर्मनी, भारत, घाना, कांगो-ब्राजाविल, गाम्बिया, इटली, इंडोनेशिया, नामीबिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, केन्या, नीदरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, वियतनाम, सेनेगल, मंगोलिया और मोज़ाम्बिक आदि इसमें शामिल हैं। वे सभी एक एकीकृत संदेश साझा करते हैं जो विश्व स्तर पर स्वच्छता संकट को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करता है।
दुनिया भर में हाल के वर्षों में आयोजित महोत्सवों के कुछ उदाहरण निम्नानुसार हैं:
भारत
शौचालय भारत में एक जरूरी काम है। 60% से अधिक जनसंख्या के पास अभी भी स्वच्छता तक पहुंच की कमी है। विश्व शौचालय दिवस भारत का एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह देश में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए। यह समारोह देश की राजधानी में मनाया जाता है खासकर दिल्ली में शौचालय संग्रहालय में।
2014 में दुनिया में पहली बार दिल्ली में 18 से 20 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय टॉयलेट महोत्सव के रूप में एक लंबा और अद्वितीय तीन दिन का जश्न मनाया गया था। शौचालय के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के लिए त्योहार आयोजित किया गया था। उद्घाटन समारोह में छह देशों के करीब 1000 छात्रों ने एक श्रृंखला बनाई जिसमें उन्होंने सिर पर टॉयलेट पॉट्स रखे थे। शौचालय को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रगति मैदान, मेट्रो स्टेशनों, इंडिया गेट, कनॉट प्लेस, दिल्ली हाट और कुतुब मीनार जैसे लोकप्रिय स्थानों पर थीम आधारित कार्यक्रमों, फैशन शो, सेमिनार, टॉक शो, खेल आयोजन, जागरूकता अभियान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला भी आयोजित की गई।
भारत में एक सामाजिक सेवा संगठन सुलभ इंटरनेशनल शौचालय के मुद्दे पर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करता है। विश्व शौचालय दिवस पर एक चर्चा करने के लिए सुलभ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शौचालय उत्सव का भी आयोजन किया गया।
सिंगापुर
विश्व शौचालय दिवस हर साल सिंगापुर में मनाया जाता है। स्थानीय समारोहों में रोड शो शामिल हैं जो 19 नवम्बर तक चलते हैं। विशाल शौचालय गुब्बारे या विशाल शौचालय सीटें अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित करने और इस दिवस को लेकर समझ बढ़ाने के लिए रखी गई हैं। प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है जहां लोग दुनिया के शौचालय विकास और इतिहास को साझा करने के लिए विश्व शौचालय संगठन के कर्मचारियों से बात करते हैं।
कर्मचारियों द्वारा वैश्विक स्वच्छता मुद्दों को आम जनता से भी साझा किया जाता है जिसमें वे ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शौचालय बनाने और अच्छे स्वच्छता प्रथाओं के महत्व के बारे छात्रों को बताते हैं। टॉयलेट गेम्स भी आयोजित किए जाते हैं और इस मुद्दे के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए नि: शुल्क पुरस्कार वितरित किए जाते हैं। सिंगापुर के लोग भी अर्जेंट रन की टी-शर्ट और पदक खरीदकर इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए पैसा दान करते हैं।
वियतनाम
वियतनाम में विश्व शौचालय दिवस वियतनाम महिला संघ, शिक्षा और प्रशिक्षण मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र बाल धन, स्वास्थ्य मंत्रालय और स्थानीय अधिकारियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की स्वच्छता को बढ़ाने और स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार के लिए सतत शिक्षा और कई संचार चैनल के माध्यम से मनाया जाता है। 2012 से देश में जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि जागरूकता फैलाई जा सके और स्वच्छता में सुधार किया जा सके तथा विशेष रूप से ग्रामीण वियतनामी लोगों की पर्यावरण स्वच्छता को बढ़ाया जा सके। उचित स्वच्छता पर शिक्षा प्रदान करने के लिए प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। वियतनाम के अर्जेंट रनर्स भी इस दिवस को मनाने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
जर्मनी
जर्मनी के लोग भी इस दिवस के महत्व पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रत्येक वर्ष विश्व शौचालय दिवस का जश्न मनाते हैं। जर्मन शौचालय संगठन विभिन्न समारोहों का आयोजन करता है जो वैश्विक स्वच्छता के मुद्दे और शौचालयों के सार के बारे में लोगों को जागरूक करता है। शौचालयों के महत्व पर नारे के साथ अपनी तस्वीरों को लेकर आम लोगों ने साफ-सफाई के प्रतिबंध को तोड़ने में योगदान दिया। बर्लिन के मुख्य स्टेशन के शौचालय केंद्र में प्रदर्शनियां भी आयोजित की जाती हैं। स्कूल के बच्चों ने अपने स्कूलों के साथ-साथ रोड शो के कार्यक्रम का आयोजन करके इस दिवस में सक्रिय भागीदारी ली है।
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के लोग शौचालय के विषय को बहुत गंभीरता से लेते हैं। हर साल विश्व शौचालय दिवस देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। विभिन्न समुदाय समूहों, कार्यस्थलों और स्कूल के लोग इस दिन इस मुद्दे पर दान करते हैं। वॉटरएड, ऑस्ट्रेलिया अपने भागीदारों और स्थानीय लोगों की सहायता से विश्व के सबसे गरीब समुदायों को हजारों शौचालयों का निर्माण करने में मदद करता है। आम लोगों के स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दों पर बुनियादी जानकारी देने के लिए कई स्थानों पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। विश्वविद्यालय, सरकारी निकाय, निजी व्यक्ति और संगठन सभी देश में शौचालय दिवस को मनाने के लिए आयोजित किए गये कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार भारत में शौचालयों के लिए सबसे लंबी कतारें हैं। अगर देश के सभी लोग, जो शौचालयों के बाहर इंतजार में खड़े हैं, एक लाइन में खड़े हो जाए तो इस कतार को खत्म होने में 5892 वर्ष लगेगी और यह चन्द्रमा से धरती तक लंबी लाइन बन जाएगी। हमारे देश में भी अधिकतम संख्या में लोग खुले तौर पर शौच करते हैं। हाल के जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 1.2 बिलियन लोगों सहित देश के लगभग आधा हिस्से के पास घर में शौचालय सुविधा नहीं है लेकिन इन सभी लोगों के पास मोबाइल फोन है।
हालांकि इस दिशा में बहुत कुछ किया गया है परन्तु विशेषकर महिलाएं शौचालयों तक पहुंच की कमी के कारण बहुत सी समस्याओं का सामना कर रही हैं। अपनी शादी के दौरान शौचालयों की मांग करने वाली महिलाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। विश्व शौचालय दिवस इस मुद्दे पर समझ बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। भारत में इस दिन को मनाने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं-
निष्कर्ष
जिन लोगों की शौचालयों तक आसानी से पहुंच हैं वे शायद स्वच्छता के मूल्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं। ऐसे लोग स्वयं को राहत देने और अपने मल को दूर करने के लिए एक जगह के रूप में देखते हैं। लेकिन दुनिया भर में 2.4 अरब लोग, जिनके पास बुनियादी शौचालय की सुविधा नहीं है, के लिए इसका मतलब इससे अधिक है। हालांकि सरकार इस दिशा में विभिन्न प्रयासों से योगदान दे रही है हमारी भारत सरकार ने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ 2019 वर्ष तक प्रत्येक घर के लिए शौचालय बनाने की योजना बनाई है। पर अभी भी कई लोग विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे खुले में शौच जाने के कारण बीमारियों से पीड़ित हैं।
विश्व शौचालय दिवस इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए सबसे अच्छा मंच प्रदान करता है और लोगों को इस कारण के लिए योगदान करने में मदद करता है।