महात्मा गांधी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदमी थे। जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर नामक जगह पर हुआ था, जो कि गुजरात में स्थित है। सत्य और अहिंसा उनके दो हथियार थे जिसकी बदौलत एक ओर उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाई तो वहीं दूसरी ओर पूरे विश्व में अपना वर्चस्व स्थापित किया। उन्होंने इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया कि बिना किसी लड़ाई के भी युद्ध जीता जा सकता है। वे एक सच्चे देशभक्त, लेखक, महान वक्ता, समाज सुधारक, और स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक महान व्यक्ति थे। जिसका जितनी भी तारीफ की जाए वो कम ही है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया और देश के लिए गोली खाकर आपने प्राण भी गवा दिये।
यहां हमने महात्मा गाँधी जी के कुछ नारे उपलब्ध कराएं है जो आपके लिए कई तरीकों से उपयोग में आ सकता है।
“भारत छोड़ो”।
“करो या मरो”।
“आँख के बदले में आँख पूरे दुनीया को अँधा बना देगी”।
“कानों का दुरुपयोग मन को दूषित और अशांत करता है”।
“जहाँ प्रेम है वहां जीवन है”।
“ख़ुशी वही है जब आपकी सोच, आपके शब्द और आपके कर्मो में तालमेल हो”।
“दिल की कोई भाषा नहीं होती, दिल – दिल से बात करता है”।
“जब आपका सामना किसी विरोधी से हो, तो उसे प्रेम से जीतें, अहिंसा से जीते”।
“शायद सचमुच मैं वो करने में असमर्थ हो जाऊं। और इसके विपरीत अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा ही लूँगा, फिर भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो”।
“सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है”।
“अपने आप को पाने का सही तरीका है की अपने को दूसरों की सेवा में लगा दो”।
“केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दुसरे पर छिड़के तो उसकी कुछ बुँदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है”।
“आप मुझे बेडियों से जकड़ सकते हैं, यातना भी दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को ख़त्म भी कर सकते हैं, लेकिन आप कदापि मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते”।
“जो समय की बचत करते हैं, वे धन की बचत करते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है”।
“भगवान का कोई धर्म नहीं है”।
“लम्बे-लम्बे भाषणों से कही अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना”।
“आप कभी भी यह नहीं समझ सकेंगे की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक की आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देंगे”।
“जहाँ पवित्रता है, वहीं निर्भयता है”।
“आचरण रहित विचार, कितने भी अच्छे क्यों न हो, उन्हें खोटे-मोती की तरह समझना चाहिए”।
“मेरा जीवन मेरा सन्देश है”।
“मैं किसी को भी अपने गंदे पाँव के साथ अपने मन से नहीं जाने दूंगा।”।
“विश्व में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान् उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता, सिवाय रोटी देने वाले के रूप में”।
“इंसान हमेशा वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं इस चीज को नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच में वो करने में असमर्थ हो जाऊं। और इसके विपरीत अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा ही लूँगा, फिर भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो”।
“मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन”।
“ईश्वर न तो काबा में है और न ही काशी में है, वह तो हर घर-घर में व्याप्त है, हर दिल में मौजूद है”।
“जो जानते हैं कैसे सोचना चाहिए उन्हें किसी टीचर की ज़रूरत नहीं होती”।
“जो समय बचाता है, वह धन बचाता है और बचाया हुआ धन, कमाए हुए धन के बराबर है”।
“किसी की मेहरबानी माँगना, अपनी आजादी बेचना है”।
“आपके विचार ही आपके जीवन का निर्माण करते हैं”।
“पहेले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हसेंगे, फिर वो आपसे लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे”।
“शांति का कोइ रास्ता नहीं है, केवल शान्ति है”।
“हमें सदा यह ध्यान रखना चाहिए कि शक्तिशाली से शक्तिशाली मनुष्य भी एक दिन कमजोर होता है”।
“ताकत २ तरह की होती है एक किसी को डरा कर मिली हुई और दूसरी किसी को प्यार देकर मिली हुई। प्यार देकर मिली हुई ताकत डरा कर मिली हुई ताकत की तुलना में कई गुना अधिक होती है”।
“ये मेरा देश है, ये तेरा देश है। यह केवल संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों की सोच है वर्ना उदार आत्माओं के लिए तो पूरी दुनिया ही एक परिवार है”।
“मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे धीरे दुनिया आपकी सुनेंगी”।
“क्रोध एक प्रकार का क्षणिक पागलपन है”।
“विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है”।
“व्यक्ति कि पहचान उसके कपड़ो से नहीं, उसके चारित्र से आंकी जाती है”।
“क्षणभर भी काम के बिना रहना चोरी समझो। मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या बाहरी आनन्द का नहीं जानता”।
“जो चीज इंसान बदल नहीं सकता उसके लिए बस प्रार्थना करनी चाहिए”।
“क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी”।
“हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा”।
“सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो”।
“प्रार्थना, नम्रता की पुकार है, आत्म शुद्धि का, और आत्म-अवलोकन का आवाहन है”।
“विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए। जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है”।
“आदमी उसी पल महान बन जाता है जब वो दूसरों की सेवा में लग जाता है”।
“अधभूखे राष्ट्र के पास न तो कोई धर्म हो सकता है, न कोई कला हो सकती है और न ही कोई संगठन हो सकता है”।
“निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी”।
“मौन सबसे शक्तिशाली भाषण है, धीरे-धीरे सारी दुनिया आपको सुनेगी”।
“क्रूरता का उत्तर, क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है”।
“ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, ये तीनो ही सामंजस्य में हों”।
“सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता ही है जो हम सभी को पशु से भिन्न करती है। यह एकमात्र वस्तु, हम सभी में समान रूप से विद्यमान है”।
“मौन रहना सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी”।
“यह स्वास्थ्य ही है जो सच्चा धन है न की सोना, चांदी”।
“कमजोर कभी माफ नहीं कर सकते हैं। माफ करना तो ताकतवर की विशेषता है”।
“सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है। त्याग ही जीवन है”।
“सच्चे कवि तो वे माने जाते हैं, जो मृत्यु में जीवन और जीवन में मृत्यु देख सके”।
“विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी है”।
“क्रोध एक प्रचंड अग्नि है, जो मनुष्य इस अग्नि को वश में कर सकता है, वह उसको बुझा देगा। जो मनुष्य इस अग्नि को वश में नहीं कर सकता वह स्वयं ही अपने आप को उस अग्नि में जला लेगा”।
“उफनते तूफ़ान को मात देना है, तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा”।
“सभी छुपे दोषों का उपाय ढूढना कठिन होता है”।
“अपने दोष हम देखना नहीं चाहते, दूसरों के देखने में हमें मजा आता है। बहुत सारे दु:ख तो इसी आदत से पैदा होते हैं”।
“जो चीच विकार को मिटा सके, राग-द्वेष को कम कर सके, जिस चीच के उपयोग से मन सूली पर चढ़ते समय भी सत्य पर डटा रहे, वही धर्म की शिक्षा है”।
“संपूर्ण विश्व का इतिहास उन व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा पडा है जो अपने आत्म-विश्वास, साहस तथा दृढता की शक्ति से नेतृत्व के शिखर पर पहुँचे हैं”।
“जिनमे नम्रता नहीं आती, वे विधा का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते। नम्रता का अर्थ है अहंभाव का आत्यंतिक क्षय”।
“सत्य, बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है क्योंकि सत्य आत्मनिर्भर है”।
“सात बड़े पाप: काम के बिना धन, त्याग के बिना पूजा ;मानवता के बिना विज्ञान; अंतरात्मा के बिना सुख, नैतिकता के बिना व्यापार, चरित्र के बिना ज्ञान; सिद्धांत के बिना राजनीति”।
“पाप करने का अर्थ यह नहीं कि जब वह आचरण में आ जाए, तब ही उसकी गिनती पाप में हुई। पाप तो जब हमारी दृष्टि में आ गया, विचार में आ गया, तो वह हमसे हो गया”।
“जिस मनुष्य को अपने मनुष्यत्व का भान है, उसे ईश्वर के सिवाय और किसी से भय नहीं लगता”।
“हमारा जीवन सत्य का एक लंबा अनुसंधान है और इसकी पूर्णता के लिए आत्मा की शांति आवश्यक है”।
“किसी चीज़ में विश्वास करना पर अपने जीवन में उसे नहीं उतारना बेमानी है”।
“भगवान ने मनुष्य को अपने ही समान बनाया, लेकिन दुर्भाग्यवश इन्सान ने भगवान को अपने जैसा बना डाला”।
“पुस्तके मन के लिए साबुन का कार्य करती है”।
“मोन रहना सर्वोत्तम भाषण है। अगर बोलना ही है तो कम से कम बोलो। एक शब्द से काम चल जाए, तो दो शब्द बोलने की आवश्यकता नहीं है”।
“सत्य कभी ऐसे कारणों को क्षति नहीं पहुंचाता, जो उचित हो”।
“वीरता मरने में नहीं है, मारने में है”।
“अगर संसार में बदलाब देखना चाहते हो तो खुद को बदलो”।
“वही राष्ट्र सच्चा लोकतन्त्रात्मक है, जो अपने कार्यो को बिना हस्तक्षेप के सुचारू और सक्रिय रूप से चलाता है”।
“सदाचार और निर्मल जीवन सच्ची शिक्षा के आधार है”।
“किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेडियां, लोहे की बेडियों से कम कठोर नहीं होती है। चुभन धातु में नहीं वरन् बेडियों में ही होती है”।
“परमेश्वर ही सत्य है; यह कहने के बजाय ‘सत्य ही परमेश्वर है’ कहना अधिक उपयुक्त है”।
“प्रार्थना सबुह की चाबी है और शाम की रौशनी”।
“वास्तविक सौंदर्य ह्रदय की पवित्रता में है”।
“मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन”।
“ज्ञान का अंतिम लक्ष्य चरित्र-निर्माण होना चाहिए”।
“मनुष्य को अपनी और खिचनेवाला यदि जगत में कोई असली चुम्बक है, तो वह केवल प्रेम है”।
“नारी को अबला कहना अपमानजनक है। यह पुरुषों का नारी के प्रति अन्याय है”।
“मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है”।
“यदि आपको अपने उद्देश्य और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी शीतलता प्रदान करेगी”।
“शक्ति दो प्रकार की होती है। एक दंड के डर पैदा होती है और दूसरी प्रेम भरे कार्यो से, लेकिन प्रेम पर आधारित शक्ति, सजा के डर से उत्पन्न शक्ति से एक हजार गुना अधिक प्रभावी और स्थाई होती है”।
“डर शरीर का रोग नहीं है यह आत्मा को मारता है”।
“ईमानदार मतभेद आम तौर पर प्रगति के स्वस्थ संकेत है”।
“अपने प्रयोजन में द्रढ विश्वास रखने वाला एक सूक्ष्म शरीर भी इतिहास के रुख को बदल सकता है”।
“बुद्ध ने अपने समस्त भौतिक सुखों का त्याग किया क्योंकि वे संपूर्ण विश्व के साथ यह ख़ुशी बाँटना चाहते थे जो मात्र सत्य की खोज में कष्ट भोगने तथा बलिदान देने वालों को ही प्राप्त होती है”।
“शांति का कोई रास्ता नहीं है, केवल शांति ही है”।
“तुम्हे मानवता में विश्वास रखना चाहिए | मानवता एक समुद्र की तरह है , जिसमे कुछ बून्द गन्दी हो सकती है पूरा समुद्र नहीं”।
“जब कोई युवक विवाह के लिए दहेज की शर्त रखता है तब वह न केवल अपनी शिक्षा और अपने देश को बदनाम करता है बल्कि स्त्री जाति का भी अपमान करता है”।
“बुराई से असहयोग करना, मानव का पवित्र कर्तव्य है”।
“सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमें अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता”।
“विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत है कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा”।
“क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं”।
“पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेंशा रहेगी”।
“एक देश की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से आँका जा सकता है कि वहाँ जानवरों से कैसा व्यवहार किया जाता है”।
“स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना”।
“आप तब तक यह नहीं समझ पाते की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते”।
“किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है”।
“प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमें सबसे नम्र है”।
“अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है”।
“निरंतर विकास, जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पंहुचा देता है”।
“यद्यपि आप अल्पमत में हों, लेकिन सच तो सच ही है”।
“जो भी चाहे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन सकता है। वह सबके भीतर विद्यमान है”।
“गर्व, लक्ष्य को पाने के लिए किये गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में”।
“मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ”।
“विवेक के मामलों में बहुमत के नियम का कोई स्थान नहीं है”।
“मैं पत्रकारों और फोटोग्राफरों के अलावा सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ”।
“जहाँ प्रेम है वहाँ जीवन है”।
“ऐसे जियो की कल तुम मरने वाले हो और ऐसे सीखो जैसे तुम कभी मरोगे ही नहीं”।
“जियों इस तरह से जैसे कि तुम कल मरने वाले हो और सीखों इस तरह से जैसे कि तुम हमेंशा ही जीने वाले हो”।
“एक कृत्य द्वारा किसी एक दिल को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है”।
“भगवान का कोई धर्म नहीं है”।
“मैं किसी को भी गंदे पाँव के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा”।
“पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो”।
“मेरी अनुमति के बिना कोई भी मुझे ठेस नहीं पहुंचा सकता”।
“थोडा सा अभ्यास ढेर सारे उपदेशों से बेहतर है”।
“हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है”।
“कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है”।
“आप, आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है”।
“अधिकांश लोगों का सिद्धांत तब तक काम नहीं करता जब मौलिक बाताें के अंतर इसमें शामिल हों”।
“आप मानवता में विश्वास मत खोइए। मानवता सागर की तरह है, अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी है, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता”।
“पृथ्वी ने सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान किया है”।
“राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है”।
“हर रात, जब मैं सोने जाता हूँ, मैं मर जाता हूँ और अगली सुबह, जब मैं उठता हूँ, मेरा पुनर्जन्म होता है”।
“आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते”।
“हो सकता है आप कभी ना जान सकें कि आपके काम का क्या परिणाम हुआ, लेकिन यदि आप कुछ करोगे ही नहीं तो कोई परिणाम भी नहीं होगा”।
“दुनिया में ऐसे भी कई लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हे रोटी के अलावा ओर किसी रूप में नहीं दिख सकता है”।
“अक्लमंद काम करने से पहले सोचता है और मूर्ख काम करने के बाद”।
“सच्ची अहिंसा मृत्यु शय्या पर भी मुस्कराती रहेगी। अहिंसा ही वह एकमात्र शक्ति है जिससे हम शत्रु को अपना मित्र बना सकते हैं और उसके प्रेमपात्र बन सकते हैं”।
“तुम जो भी करोगे वो नगण्य होगा, लेकिन यह ज़रूरी है कि तुम वो करो”।
“चिंता से अधिक कुछ और शरीर को इतना बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए”।
“मैं तुम्हे शांति का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हारी सुन्दरता देखता हूँ। मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ। मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ”।
“हम जो दुनिया के जंगलों के साथ कर रहे हैं वो कुछ और नहीं बस उस चीज का प्रतिबिम्ब है जो हम अपने साथ और एक दूसरे के साथ कर रहे हैं”।
“सत्य एक है, मार्ग कई”।
“कुछ करने में, या तो उसे प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं”।
“जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जायेगी, दुनिया में अमन आ जायेगा”।
“क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है”।
“गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है”।
“थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है”।
“जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है”।
“पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें ही अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं”।
“चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए”।
“कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना”।
“अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है”।
“प्रेम की शक्ति, दण्ड की शक्ति से हजार गुना प्रभावशाली और स्थायी होती है”।
“सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं”।
“किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है”।
“जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता। दुःख के बिना सुख नहीं होता”।
“यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है”।
“जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें”।
“कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं”।
“वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है”।
“व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है”।
“अपने से हो सके, वह काम दूसरे से नहीं कराना चाहिए”।
“काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है”।
“जीवन की गति बढाने के अलावा भी इसमें बहुत कुछ है”।
“जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है”।
“पूर्ण धारणा के साथ बोला गया “नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है”।
“श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास”।
“हम जिसकी पूजा करते है उसी के समान हो जाते है”।
“खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं”।
“प्रेम के बिना जीवन अधुरा है चाहे वो कैसा भी प्रेम हो”।
“शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो वह दम्भपूर्ण और हानिकारक हो सकता है”।
“हर व्यक्ति खुद का मालिक होगा”।
“आप नम्र तरीके से दुनिया को हिला सकते है”।
“मै हिंदी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता, किन्तु उनके साथ हिंदी को भी मिला देना चाहता हूँ”।
“भविष्य में क्या होगा, मै यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है”।
“गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है”।
“लम्बे-लम्बे भाषणों से कही अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना”।
“भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है”।
“प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं, ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है”।
“अपनी बुद्धिमता को लेकर बेहद निश्चित होना बुद्धिमानी नहीं है। यह याद रखना चाहिए कि ताकतवर भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान से भी बुद्धिमान गलती कर सकता है”।
“हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा”।
“अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़के मिलेंगे तो वे करोड़ो की लाज रखेंगे और उनमे प्राण फूकेंगे”।
“प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है”।
“सात घनघोर पाप: काम के बिना धन; अंतरात्मा के बिना सुख; मानवता के बिना विज्ञान; चरित्र के बिना ज्ञान; सिद्धांत के बिना राजनीति; नैतिकता के बिना व्यापार; त्याग के बिना पूजा”।
“मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लायी जाती है? आपकी मान्यताएं, आपके विचार बन जाते हैं, आपके विचार ही, आपके शब्द बन जाते हैं, आपके शब्द ही, आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य ही, आपकी आदत बन जाते हैं, आपकी आदतें ही, आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य ही, आपकी नियति बन जाती है”।
“आदमी अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं फ़लां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं। इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो”।
“मैं हिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ऐसा लगता है कि वो अच्छा कर रही है तब वो अच्छाई अस्थायी होती है, और वो जो बुराई करती है वो स्थायी होती है”।
“जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेंशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है”।
“समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमें नाश होता है”।
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