माँ के रिश्ते की व्याख्या कुछ शब्दों करना लगभग असंभव है। वास्तव में माँ वह व्यक्ति है जो अपने प्रेम और त्याग से हमारे हर दुख तथा तकलीफ को ढंक देती है। वह हमारे जीवन के हर संकट में हमारे साथ होती है। यहीं कारण है कि माँ को ईश्वर के रुप की भी संज्ञा दी जाती है। इसलिए इस विषय के महत्व को देखते हुए हमने इन भाषणों को तैयार किया है, जोकि आपके कार्यों में आपके लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे।
आप सभी का इस आज के इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है, मुझे उम्मीद है कि आप सबका दिन काफी अच्छा बीत रहा होगा। आज हमारे विद्यालय में मातृ दिवस के अवसर पर इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर मैं आपसे कुछ बाते साझा करने की अनुमति चाहुंगा।
अपने पूरे जीवन में हमे कई रिश्तें देखने को मिलते है, लेकिन इन रिश्तों में जो सबसे खास होता है वह होता है हमारी माँ से हमारा रिश्ता, हम चाहे किसी भी समस्या में हो, दुख में हो जो व्यक्ति हमारी सबसे पहले सहायता करता है वह हमारी माँ ही है। मेरी माँ मुझे कभी इस बात का अहसास नही होने देती है कि मैं किसी समस्या में अकेले हूं। जब भी मैं किसी परेशानी में होता हूं, तो वह बिना बताये ही मेरे मन की बात जान जाती है। वह मेरे लिए सुबह का नाश्ता बनाने से लेकर रात में मुझे सुलाने तक जैसे सारे कार्य करती है।
वास्तव में मेरी माँ मेरे लिये एक फरिश्ते के तरह है। जो मेरे हर दुख तथा परेशानी में मेरे साथ होती है और मुझे यकीन है कि ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही नही बल्कि की आप सबके साथ भी होता होगा। एक माँ अपने बच्चे के लिए ना जाने कितने ही त्याग करती है। अपने बच्चे को जन्म देते हुए एक माँ को असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है लेकिन फिर भी उसका अपने बच्चे के प्रति प्रेम कभी कम नही होता है।
कई बार हम अपनी माँ के इस त्याग तथा प्रेम के महत्व को नही समझते और उनसे नाराज हो जाते है लेकिन हमारी हजारों गलतियों पर भी हमारी माँ हमसे कभी नही रुठती है। इसलिए हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए और कभी भी ऐसा कोई कार्य नही करना चाहिए, जिससे उन्हें कष्ट पहुंचे। दुनियां में सारे सुखों को भी यदि मिला दिया जाये तो वह फिर भी माँ की ममता की बराबरी नही कर सकते हैं।
माँ सिर्फ हमारा पालन-पोषण ही नही करती है बल्कि की वह हमारे जीवन में एक शिक्षक तथा सबसे अच्छे मित्र की भूमिका भी निभाती है। जब हम किसी संकट या परेशानी में होते हैं, तो हम अपनी हर एक बात को खुलकर उनके सामने रख सकते हैं और वह हर समस्या में हमारी सहायता करने का अपना पूरा प्रयास करती है। जब भी मैं कभी बीमार हो जाता हूं, तो मेरी माँ पूरी रात नही सोती है और सिर्फ इसी चिंता में रहती है कि मैं जल्दी से जल्दी कैसे ठिक हो जाऊ।
यही कारण है कि हम चाहे जितनी भी कोशिश क्यों ना कर ले लेकिन माँ के उपकारों की पूर्ति कभी नही कर सकते हैं। हमें हमेशा इस बात का प्रयास करना चाहिए कि हम जीवन में कोई ऐसा कार्य ना करें, जिससे हमारे माँ को कष्ट पहुंचे क्योंकि वास्तव में उन्हें दुख पहुंचाना ईश्वर को दुख पहुंचाने जैसा है।
यही कारण है कि हमें कभी भी अपनी माता का दिल नही दुखाना चाहिए क्योंकि एक माँ जो भी करती है सिर्फ अपने पुत्र के भलाई के लिए करती है।
अब मैं अपने इस भाषण को समाप्त करने की अनुमति चाहूंगा, मेरे इस भाषण को इतना ध्यानपूर्वक सुनने के लिए और अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए आप सबका धन्यवाद।
आदरणीय प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, शिक्षकगण तथा मेरे सहपाठी छात्रों आप सबका आज के इस विशेष कार्यक्रम में स्वागत है।
हम सब आज यहां इस विशेष अवसर पर इकठ्ठा हुए है। आज के इस कार्यक्रम के अवसर पर मैं आपसे किसी महापुरुष या प्रसिद्ध व्यक्ति के विषय में चर्चा नही करुगा बल्कि कि उस व्यक्ति के विषय में चर्चा करुंगा, जो हम सबके हृदय के सबसे करीब है।
जी हाँ मैं बात कर रहा हूं माँ कि, हर माँ अपने बच्चे से काफी प्रेम करती है। संसार में मात्र वहीं एक ऐसी व्यक्ति है, जो हमारे सुख-दुख के साथ हर क्षण हमारे साथ रहती है। वह वो व्यक्ति है जो हमारी सबसे अधिक चिंता करती है। यही कारण है कि आज के इस कार्यक्रम में भाषण के लिए मैने मेरी माँ के विषय को चुना है। एक माँ के लिए उसके संतान से ज्यादा मतत्वपूर्ण कुछ भी नही होता है। मेरी माँ ने आज तक मेरे लिये जितने त्याग किये है उतना कोई दूसरा व्यक्ति कल्पना भी नही कर सकता है और मुझे यकीन है कि यह बात सिर्फ मेरे उपर ही नही बल्कि की हम सबके ऊपर लागू होती है।
मेरी माँ ने ना सिर्फ मुझे जीवन दिया है बल्कि की जीवन जीने का तरीका भी सिखाया है। शायद ही ऐसा कोई वक्त रहता होगा, जब उन्हें मेरी चिंता नही रहती होगी। जब मैं छोटा था, तो वह मुझे सुलाने के चक्कर में खुद पूरी रात नही सोती थी। उन्होंने मुझे वो हर चीज सिखायी, जो जीवन जीने के लिए जरुरी है। वास्तव में मेरी माँ मेरी जननी होने के साथ ही मेरी पालनकर्ता, प्रारंभिक शिक्षक तथा मार्गदर्शक भी है। उन्होंने ने मुझे मेरे जीवन में ऐसी छोटी-छोटी बाते बतायी हैं, जिनका महत्व काफी बड़ा है।
मेरी माँ ने मुझे जन्म देते वक्त ना जाने कितनी ही तकलीफें सही लेकिन उनका मेरे प्रति प्रेम कभी कम नही हुआ। अपनी शिक्षाओं द्वारा उन्होंने मुझे शारिरीक तथा मानसिक दोनों ही रुप से मजबूत बनाने का कार्य किया। यदि माँ को पृथ्वी पर ईश्वर का रुप कहा जाता है, तो इसमें कुछ गलत भी नही है बल्कि की मेरा तो मानना है कि माँ का पद ईश्वर से भी बड़ा है क्योंकि ईश्वर भले ही हमसे नाराज हो जाये लेकिन हमारी माँ हमसे कभी नाराज नही होती है।
मैं जब भी किसी समस्या या परेशानी में होता हूं, तो मुझे सबसे पहले अपनी माँ की याद आती है। कई बार तो बिना बताये ही मेरी माँ मेरे समस्याओं को समझ जाती है और उन्हें दूर करने के लिए अपना हर प्रयास करती है। जब बचपन में मुझे नींद नही आती थी, तो मेरी माँ मुझे लोरी सुनाया करती थी। आज भी मेरी माँ तब तक खुद खाना नही खाती है, जबतक मुझे ना खिला ले। वास्तव में माँ एक देवी है, जो सदैव अपने संतान का भला चाहती है। जब वह हमें डांटती है, तो इसमें भी हमारी ही भलाई छुपी होती है क्योंकि हमारी माँ कभी नही चाहती है कि हम किसी भी प्रकार के समस्याओं में फसें।
इन्हीं कारणों के वजह से एक व्यक्ति अपने माँ के ऋण के कभी मुक्त नही हो सकता है। हमें अपने जीवन में माँ के महत्व को समझना चाहिए और हमेंशा यह प्रयास करना चाहिए कि हम अपने माँ को अधिक से अधिक प्रसन्न रख सकें और हमारे कारण उसे किसी तरह का कष्ट ना हो क्योंकि यदि हम अपन माँ को कष्ट देंगे को हमारी माँ तो हमें क्षमा कर देगी लेकिन ईश्वर कभी क्षमा नही करेगा।
मेरे इस भाषण को इतना ध्यान से सुनने के लिए और अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
आप सभी को सुप्रभात! इस कार्यक्रम में आने के लिए आप सभी का धन्यवाद। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी का आज का यह दिन अच्छे से बीत रहा होगा।
आज हम सब मातृ दिवस के विशेष अवसर पर यहां इकठ्ठा हुए, जहां इस भाषण मंच से हम में से कुछ लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर मिला है। मुझे इस बात की काफी खुशी है कि मुझे भी आज के इस अवसर आपके सामने दो शब्द कहने का अवसर प्राप्त हुआ है। आज मातृ दिवस के अवसर पर मैं आपसे मेरी माँ विषय पर आपसे कुछ बाते कहुंगा।
एक माँ के लिए संसार में उसके संतान से ज्यादे महत्वपूर्ण कुछ भी नही है। उसका अपने बच्चे के लिए प्रेम किसी कानून या नियम के अनुसार बाध्य नही है। हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे जीवन में हमारा कई रिश्तों से सामना होता है लेकिन वह सिर्फ मातृत्व का ही रिश्ता है। जो पूर्ण रुप से निःस्वार्थ है, हमारी माँ हमेशा ही हमारी भलाई चाहती है। वह हमारे लिये आजीवन ना जाने कितने त्याग करती है ना जाने कितने ही कष्ट सहती है लेकिन हमारे लिए उसका प्रेम कभी कम नही होता है।
वह हमारी प्रथम शिक्षक तथा मार्गदर्शिका भी होती है, वह हमें बोलने, लिखने-पढ़ने चलने-फिरने जैसी ऐसी प्रारंभिक चीजें सिखाती हैं, जो पूरे जीवन हमारे काम आती है। जब भी हम किसी समस्या में होते है तो हमारी माँ हमें उस दिक्कत से बाहन निकालने का हरसंभव प्रयास करती है। हमारी माँ एक प्रकार से हमारे सुरक्षा कवच का कार्य करती है। वह हमें हर प्रकार के दुखों तथा समस्याओं से बचाने का हरसंभव प्रयास करती है।
क्या आपने कभी इस बात की कल्पना करने का भी प्रयास किया है, कि माँ के बिना हमारा जीवन कैसा होगा? वास्तव में हम ऐसा सोच भी नही सकते हैं क्योंकि माँ जननी के साथ-साथ पालनकर्ता भी है। इसके साथ उसके द्वारा और भी बहुत सारे कर्तव्य निभाये जाते है। वह हमारे लिए सुबह का खाना बनाने से लेकर रात को हमारा बिस्तर लगाने जैसे अनकों कार्य करती है। वह सिर्फ हमारे एक मुस्कान से अपने सभी दुख-दर्द भूल जाती है। वह हमारे खुशियों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है।
इस दुनियाँ में सिर्फ हमारी माँ ही वह व्यक्ति है, जो हमारे खुशी में खुश होती है। हमारे दुख में दुखी होती है। वास्तव में उसकी खुशी और दुख हममें नीहित होता है। इसलिए हमें हमेशा उसका सम्मान करना चाहिए और कभी भी ऐसा कोई कार्य नही करना चाहिए, जिससे उसे दुख हो या ठेस पहुंचे क्योंकि हमारी माँ ने हमें नौ महीने अपने गर्भ में रखते हुए में रखते हुए ना जाने कितने कष्ट सहकर हमें जन्म दिया है। इसलिए यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम भी अपनी माताओं का पूरा ख्याल रखें और हमेशा उनकी सेवा करें।
कई बार ऐसा होता है कि हमारी माँ हमें डाटती है और किसी कार्य के लिए मना करती है लेकिन इसमें भी उसका प्रेम छुपा होता है और ऐसा करने के पीछे सिर्फ हमारे भलाई का मकसद होता है। एक माँ कभी नही चाहती है कि उसका बच्चा कभी भी गलत मार्ग पर चले और कोई गलत हरकत करे यही कारण है कि वह हमें हमारी गलतियों पर फटकार लगाती है ताकि हम अपने जीवन में सही मार्ग का चयन करें और अपने जीवन में प्रगति तथा सफलता प्राप्त करें।
आप सभी से बस मैं इतना ही कहना चाहता था, अब मैं दूसरे प्रतिभागियों से निवेदन करुंगा कि वह मंच पर आये और इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का कष्ट करें मेरे इस भाषण को इतना ध्यानपूर्वक सुनने और अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए आपका धन्यवाद।
आदरणीय प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, सभी शिक्षकगण और मेरे साथी छात्रों आज मातृ दिवस के इस विशेष कार्यक्रम में आप सबका स्वागत है।
वैसे तो आप में से कई सारे लोग मुझे जानते हैं, लेकिन फिर भी आपकी जानकारी के लिए आपको बता दूं कि मेरा नाम गौरव शर्मा है और मैं 11th बी का छात्र हूं।
आज मातृ दिवस के अवसर पर हमारे विद्यालय में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये है, इसी के तहत यह भाषण प्रतियोगित भी आयोजित की गयी है। जिसके जरियें आज हम में से कई छात्र मातृ दिवस के विशेष दिन पर अपने विचार आपके सामने रखेंगे।
आज के इस विशेष अवसर पर मैने भाषण का जो विषय चुना है, वह विषय है ‘मेरी माँ’।
माँ जिसे दुनियां के विभिन्न भाषाओं में विभिन्न नामों से जाना जाता है, यह वह शब्द होता है। जिसके द्वारा हम अपने जन्म देने वाली जननी को संबोधित करते है। माँ ना सिर्फ हमें जन्म देती है बल्कि की हमारा पालन-पोषण भी करती है। वह हमारे हर सुख-दुख में हमारे साथ खड़ी होती है। वह हमें सिखाती है कि हमें समाज में किस प्रकार का आचरण और व्यवहार करना चाहिए। वह हमें हमारे शुरुआती जीवन में चलने-फिरने से लेकर बोलने जैसी हर एक जरुरी चीज सिखाती है।
मेरी माँ ने आज तक जीवन में मुझे अनगिनत चीजें सिखायी है, इसके साथ ही उन्होंने मुझे व्यहारिक और सामाजिक ज्ञान भी दिया है। यह एक ऐसा ज्ञान है, जो हमें दुनिया के किसी किताब द्वारा नही प्राप्त हो सकता है। मेरी लाख गलतियों के बावजूद मेरी माँ का मेरे प्रति प्रेम कभी कम नही होता है। जब मैं छोटा था तो मैं उनसे कई सारे सवाल किया करता था लेकिन मेरे इन छोटे छोटे सवालों से उन्हें कभी भी परेशानी नही होती थी। मेरे हर सवाल का जवाब वो हमेशा प्रसन्नता के साथ देती थी।
आज भलें ही शैक्षिक स्तर पर मुझे अपने माँ से अधिक ज्ञान हो लेकिन आज भी मेरी माँ को दुनियादारी और सामाजिक विषयों के बारे में मुझसे अधिक ज्ञान है। यदि कभी मैं बीमार हो जाउ या मुझे चोट लग जाये तो उस समय मेरा सारा किताबी ज्ञान किसी काम नही आयेगा और मैं घबरा जाऊगां लेकिन ऐसे समय पर मेरे माँ का अनुभव ही सबसे बड़ा ज्ञान है। उसे घरलू जीवन की हर एक बारीकी पता है।
सब्जियों के दाम कम करवाना और किसी वस्तु के विषय में मोलभाव करना ऐसी चीजें है। जिसके विषय में किसी किताब द्वारा जानकारी प्राप्त नही की जा सकती है। आज भी जब घर का खर्च चलाने की बात हो तो एक माँ से ज्यादे अच्छे तरीके से इस कार्य को कोई नही कर सकता है। एक माँ के इन कार्यकुशलताओं के सामने बड़े-बड़े डिग्रीधारकों की डिग्रियां फेल है।
मेरी माँ को हमेशा मेरी सफलता और सुख की चिंता रहती है, यह उसका मेरे प्रति प्रेम ही है कि कई बार मेरे द्वारा नाराज हो जाने पर वह स्वयं मुझे मनाती है। वह चाहती है कि मैं अपने जीवन में सफलता प्राप्त करुं और एक सफल इंसान बनू। यही कारण है कि जब भी मैं अपने जीवन में अपना मार्ग भटकता हूं और कोई गलती करता हूं, तो वह मुझे मेरे कार्यों के प्रति सचेत भी करती है। यदि वह मुझसे नाराज भी होती है तो इसमें उसका प्रेम छुपा होता है।
माँ वह शख्स है जो हमारे जीवन में शिक्षक, पालनकर्ता, मित्र, मार्गदर्शक जैसी अनगिनत महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। यही कारण है कि हमें हमेशा अपने माँ का सम्मान करना चाहिए और उन्हें सदैव खुश रखने का प्रयास करना चाहिए। बस मैं आप सबसे इतना ही कहना चाहता था।
मेरी इन बातों को इतना ध्यानपूर्वक सुनने के लिए और अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद।