सफलता पाने के लिये हम सब बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन कभी-कभी हमें मन चाहा सफलता नहीं मिलती और उनको उन्हें इसे पूरा करने के लिये किसी प्रकार की अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है। और इस अतिरिक्त सहायता के लिये हम विभिन्न चीजों को खरीदते हैं जिन्हें शुभ माना जाता है। इसी तरह, कछुए को भी धन और ज्ञान को आकर्षित करने के लिये जाना जाता है। आप या तो असली कछुआ या फिर कछुए की मूर्ति भी रख सकते हैं।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कछुआ लम्बी उम्र का शुभ संकेत होता है। इसे भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और यह कछुआ जिसे कुर्म भी कहते हैं भगवन विष्णु के दस अवतारों में से एक होता है। इसे केवल भारत में ही नहीं अपितु कई अन्य देशों में भी शुभ माना जाता है।
भारत के वास्तु शास्त्र और चीन के फेंगशुई दोनों कछुए को शुभ मानते हैं और इस लिये आप कई घरों में या कार्यालयों में कछुए की मूर्ति देख सकते हैं। ये कई प्रकार के धातुओं में उपलब्ध होता हैं।
कछुओं के प्रकार (Types of Tortoise)
सजीव कछुआ रखना सबके लिये संभव नहीं होता, इसलिये आप अपने घर और कार्य स्थल पर कछुए की मूर्ति भी रख सकते हैं। यह विभिन्न धातुओं में उपलब्ध रहता है और प्रत्येक धातु एक अलग-अलग गुण होते हैं। वे अलग-अलग पाकर हैं – रेजिन, क्रिस्टल, मिट्टी, लकड़ी और धातु (Metal)।
हमारे वास्तु शास्त्र के अनुसार, दिशा का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसे सही दिशा में रखने से हम अपने जीवन में धन, यश और सौभाग्य को आकर्षित कर सकते हैं। आइये विस्तार में जानें।
धातु (Metal): किसी भी धातु से बनी कछुए की मूर्ति को घर या कार्यालय के उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
क्रिस्टल (Crystal): इस प्रकार के कछुए को दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा में रखना सबसे बेहतरीन होता है।
लकड़ी (Wood): घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिये लकड़ी के कछुए को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
अर्थ मटेरियल (Earth Material): जमीन से उपजे वस्तु जैसे की मिट्टी आदि के मूर्ति को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए।
निष्कर्ष
कछुए को कई दशकों से सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है और इसका संबंध पौराणिक मान्यताओं से भी है। इसे रखने से जीवन में शक्ति, धन और सफलता आपके कदम चूमने लगती है।