हिन्दू धर्म में कार्तिक का महीना त्योहारों का महीना कहा जाता है। कार्तिक माह में बहुत से त्योहार आते हैं जिनमें से एक देवउठनी एकादशी का पर्व है जो हर साल मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर में इस पर्व की तारीख बदलती रहती है। इस दिन को हिन्दू धर्म में काफी पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन पर लोग कई पूजा कार्यक्रम और शुभ कार्य करते हैं।
आइए आज हम इस लेख के माध्यम से प्रबोधिनी (देवउठनी) एकादशी के बारे में जानेंगे। इस लेख को पढ़ कर आप इस दिन के महत्व को समझ जाएंगे।
1) हिन्दी पंचांग के कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है।
2) यह हिन्दुओं द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाने वाला एक प्रमुख पूजा पर्व है।
3) अंग्रेजी कैलेण्डर के अक्टूबर या नवंबर के महीने में यह पर्व वर्ष मनाया जाता है।
4) यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र आदि राज्यों में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।
5) ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा के बाद जागते है, अत: इसे देवउठनी कहा जाता है।
6) इस दिन तुलसी विवाह का पर्व भी मनाया जाता है जिसमें माँ तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह व पूजन किया जाता है।
7) लोग सुंदर मंडप सजाकर काफी उत्साह से तुलसी विवाह का पर्व मनाते हैं और पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरण करते हैं।
8) इस दिन लोगों द्वारा अपने घरों तथा मंदिरों में भगवान सत्यनारायण कथा पूजा का आयोजन किया जाता है।
9) इस दिन से हिन्दू धर्म के सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, पूजा-पाठ, मुंडन व गृह-प्रवेश आदि आरम्भ हो जाता है।
10) इस पावन पर्व को ‘देवोत्थान एकादशी’ और ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के रूप में भी जाना जाता है।
1) हिन्दू धर्म में एकादशी का बड़ा ही महत्व है और एकादशी के दिन किए जाने उपवास अधिक फलदायी माने जाते हैं।
2) वर्ष 2021 में नवंबर महीने की 14 तारीख को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा।
3) अपनी श्रद्धा से इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं तथा बहुत से लोग केवल फलाहार करते हैं।
4) इस दिन उपवास और पूजा-पाठ करने से माँ तुलसी व भगवान विष्णु की कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
5) देवउठनी एकादशी के पवित्र पर्व के 4 दिनों के बाद पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
6) कार्तिक माह में स्नान करने वाली महिलाएँ मुख्य रूप से इस दिन पूजा-पाठ करती हैं।
7) ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियाँ भी समाप्त हो जाती हैं।
8) जब भगवान विष्णु क्षीर-सागर 4 माह की निद्रा के लिए जाते हैं उस दिन को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
9) देवशयनी एकादशी आषाढ़ माह के शुक्लपक्षीय चतुर्दशी तिथि को होता है जिसके बाद सभी हिन्दू शुभ कार्य रुक जाते हैं।
10) इन 4 महीनों को चातुर्मास कहा जाता है और इस अवधि में हिन्दू मान्यता के अनुसार कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं।
देवउठनी एकादशी का पर्व हिन्दू मंगलकार्यों के आरम्भ का पर्व है। इस दिन लोग मुख्य रूप से भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। भगवान विष्णु को जगत पालन कर्ता कहते हैं और इस दिन पर उनकी उपासना करने का शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के साथ-साथ माता तुलसी की भी पूजा करते हैं और अपने तथा अपने परिवार की सुख-शान्ति की कामना करते हैं।
सम्बंधित जानकारी:
उत्तर – माता तुलसी के पति भगवान शालिग्राम, भगवान विष्णु के अवतार हैं।
उत्तर – देवउठनी एकादशी का मुहुर्त 14 नवंबर सुबह 5:50 AM से 15 नवंबर की सुबह 6:35 तक रहेगा।