गुरू नानक देव का बाल्यकाल से ही ईश्वर की भक्ति में मन लगता था। वो हमेशा ही लोगों की सेवा करते थे और संतो से काफी प्रभावित होते थें। अपने पिता के कहने पर उन्होंने पारिवारिक जीवन तो बसा लिया परन्तु ज्यादा दिन तक उसमें नहीं रह सके और 37 वर्ष की अवस्था में लोगों को ईश्वर और धर्म के प्रति उपदेश देने निकल गए। आगे चलकर उन्होंने 15वीं शताब्दी में केवल एक ईश्वर और गुरुओं पर आधारित धर्म “सिख धर्म” की स्थापना की।
आज इस लेख के माध्यम से हम सिख समुदाय के आदि गुरु श्री नानक देव और उनकी जयंती के बारे में जानेंगे।
1) सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम सिख गुरु नानक साहब के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में गुरु नानक जयंती मनाया जाता है।
2) सिख समुदाय के लोगों द्वारा प्रतिवर्ष हिन्दी पंचांग के कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है।
3) सिखों के आदि गुरु श्री नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पाकिस्तान के पंजाब राज्य के तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था।
4) गुरु नानक देव जी के जन्म स्थान तलवंडी को वर्तमान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
5) गुरु नानक जयंती भारत के साथ-साथ विदेशों में निवास करने वाले सिख धर्म के लोगों का सबसे मुख्य पर्व है।
6) गुरू नानक जयंती के समय सभी गुरूद्वारों को सजाया जाता है, जहां प्रात:काल से ही भक्तों की भीड़ लग जाती है।
7) इस दिन सिख समुदाय के पुरुष, महिला, बच्चे व बूढ़े सभी नए वस्त्र पहनते हैं और गुरुद्वारे जाकर नानक देव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
8) इस दिन लगभग सभी गुरुद्वारों में लोगों के लिए बड़े स्तर पर लंगर का आयोजन किया जाता है।
9) वर्ष 2021 में नवंबर महीने की 19 तारीख को गुरु नानक देव की 552 वीं जयंती मनाई जाएगी।
10) गुरु नानक ने समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त कर लोगों को सत्य का मार्ग दिखाया अत: इस दिन को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
1) अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गुरु नानक साहिब की जयंती प्रतिवर्ष अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाई जाती है।
2) गुरू नानक एक महान धर्म प्रचारक और ईश्वर में विश्वास रखने वाले महापुरुष थें।
3) सिख समुदाय के लोग जगह-जगह घूम कर कीर्तन और गुरबाणी करते हैं जिसे प्रभात फेरी के नाम से भी जाना जाता है।
4) भारत में पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
5) गुरू नानक जयंती के इस महापर्व पर केवल सिख ही नहीं सनातन हिन्दू धर्म के लोग भी गुरूद्वारों में दर्शन करते हैं।
6) गुरु नानक को एक धर्म सुधारक, समाज सुधारक और दार्शनिक के रूप में भी जाना जाता है।
7) गुरु नानक जी का विवाह 16 वर्ष की आयु में ही सुलक्खनी देवी के साथ कर दिया गया था।
8) दो पुत्रों के जन्म के पश्चात् 37 वर्ष की आयु में ये 4 दोस्तों के साथ तीर्थ पर निकल गए और धर्म प्रवर्तक बन गए।
9) इन्होंने 14 वर्ष तक विश्व भ्रमण किया और उपदेश दिए, इनके यात्राओं को पंजाबी भाषा में ‘उदासियाँ’ के नाम से जानते हैं।
10) उन्होंने जीवन पर्यंत लोगों को शांति और एकता से रहने का मार्ग दिखाया और एक-दुसरे की सहायता करने की बात कही।
सिख धर्म के अनुयायी दुनियाभर में फैले हुए हैं और गुरु नानक के आदर्शों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। जिस प्रकार से गुरू नानक जी ने बिना किसी धार्मिक और जातीय भेदभाव के लोगों की सेवा किए उसी प्रकार से गुरूद्वारों में चलने वाले लंगरों में सभी को बिना किसी भेदभाव के भोजन कराया जाता है। गुरु नानक देव की जनसेवा की शिक्षाएं लोगों को हमेशा ही प्रेरित करती रहती हैं।
उत्तर – गुरु नानक देव के 2 पुत्र थे जिनका नाम ‘श्रीचन्द’ और ‘लक्ष्मीचन्द’ था।
उत्तर – पाकिस्तान के करतारपुर नामक स्थान पर 25 सितंबर 1539 में इनका देहावसान हो गया।
उत्तर – सिख धर्म ग्रंथ ‘गुरू ग्रंथ साहिब’ की रचना 5वें गुरु अर्जुन देव ने किया और 10वें गुरु गोबिंद जी ने इसे पूरा किया।
उत्तर – सिख धर्म में कुल 10 गुरु थे, जिसमें पहले गुरु नानक देव और 10वें गुरू गोबिंद सिंह जी थे।