सिख धर्म में कई देवताओं की पूजा करने का विरोध किया जाता है। सिख धर्म में अधिकतर मान्यता गुरुओं की होती है। इन गुरुओं की जयंती हर सिख के लिए काफी अहम होती है और दुनियाभर के सिख इन पर्वों को काफी धूमधाम से मनाते हैं, गुरु राम दास जयंती भी इन पर्वों में से एक है।
सिख धर्म के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गुरु श्री राम दास जी की जयंती पर हम उन्हें याद करते हैं और उनके बताए रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं।
आज दिए गये ‘गुरु राम दास जयंती पर 10 वाक्यों के माध्यम से हम सिख गुरु श्री राम दास जयंती के बारे में जानेंगे। आशा करता हूँ कि यह लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक होगा।
1) सिख समुदाय के चौथे गुरु ‘गुरु राम दास जी’ के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है।
2) गुरु राम दास जी का जन्म लाहौर के चूना मण्डी नामक स्थान पर 24 सितंबर 1534 में हुआ था।
3) भारत व अन्य देशों में रहने वाला सिख समुदाय प्रतिवर्ष 9 अक्टूबर के दिन इस महापर्व को मनाता है।
4) गुरु राम दास जी की जयंती के इस पर्व को गुरुपुरब के नाम से भी जाना जाता है।
5) इस पर्व पर गुरुद्वारों को सजाया जाता है और काफी संख्या में लोग इकठ्ठे होकर कीर्तन व गुरुवानी का पाठ करते हैं।
6) इस दिन भक्तों द्वारा स्वर्ण मंदिर को घेरे हुए अमृत सरोवर में स्नान करना काफी फलदायी माना जाता है।
7) गुरु राम दास जी का जन्मोत्सव भोर में 3 बजे से सुबह 6 बजे तक की अमृतबेला में गुरु ग्रंथ साहिब के कीर्तन करके मनाया जाता है।
8) गुरु राम दास जी की जयंती का महोत्सव अमृतसर शहर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
9) गुरु जी 40 वर्ष की आयु में 16 सितंबर 1574 को गुरु चुने गए और उन्होंने जीवन के अंत तक लोगों की सेवा की।
10) 1 सितंबर 1581 में पंजाब प्रांत के गोइंदवाल साहिब में गुरु राम दास जी का स्वर्गवास हो गया।
1) गुरु राम दास जी की जयंती सिख कैलेंडर के असू महीने के 25वें दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
2) गुरु नानक जी द्वारा स्थापित सिख धर्म के चौथे गुरु ‘गुरु राम दास जी’ थे।
3) इनका वास्तविक नाम जेठा जी था और ये माता दयाजी कौर और पिता हरिदास के सबसे बड़े पुत्र थे।
4) 12 वर्ष की आयु में गुरु अमरदास जी से मिलने के बाद ये धार्मिक कार्य और गुरु सेवा में लग गए।
5) इनका विवाह बीबी भानी जी से हुआ था जो तीसरे सिख गुरु अमरदास साहिब जी की पुत्री थीं।
6) सिख धर्म के में होने वाले विवाह के लिए चार फेरों के मंत्रों की रचना करने वाले गुरु राम दास जी ही थे।
7) श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु राम दास जी द्वारा लिखित 688 शबद और भजन लिखे गए हैं।
8) स्वर्ण मंदिर को घेरे हुए अमृतकुण्ड का निर्माण गुरु राम दास जी के द्वारा कराया गया था।
9) इन्होंने वर्तमान के ‘अमृतसर’ नामक पवित्र शहर की स्थापना की जिसे तत्कालीन समय में ‘रामदासपुर’ के नाम से जाना जाता था।
10) तीसरे सिख गुरु अमरदास जी ने जेठा जी को अपना उत्तराधिकारी चुना और उन्हे ‘गुरु राम दास’ नाम दिया।
सभी गुरुद्वारों में गुरु राम दास जयंती पर बड़े लंगर लगाए जाते हैं जिसमें सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। गुरु राम दास जी का बाल्यजीवन काफी कठिन था। माता-पिता के गुजर जाने के बाद बाल्यकाल से ही गुरु जी जीवन यापन के लिए उबले चने बेचने का कार्य करने लगे थे। गुरु राम दास जी में हर कार्य को लगन से करने और बिना भेदभाव के सबकी सेवा की भावना थी, जिससे प्रभावित होकर ही गुरु अमरदास जी ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया। गुरु राम दास जी समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों का भी हमेशा विरोध करते थे।
आशा करता हूँ मेरे इस लेख के माध्यम से आपने गुरु राम दास जी व उनके जयंती पर्व के बारे में अत्यंत सरल तरीके से समझा होगा।
उत्तर – गुरु जी के तीन पुत्र सबसे बड़े पृथ्वी चन्द जी, महादेव जी और सबसे छोटे पुत्र अर्जुन साहिब जी थे।
उत्तर – गुरु राम दास जी सिखों के चौथे गुरु थें।
उत्तर – गुरु जी का वास्तविक नाम जेठा जी था।
उत्तर – गुरु राम दास जी के बाद उनके सबसे छोटे पुत्र गुरु अर्जुन साहिब जी सिख समुदाय के पांचवें गुरु और उनके उत्तराधिकारी बनें।