इस्लाम धर्म दो समुदायों में बट गया है और उनकी अपनी-अपनी मान्यता तथा रीति-रिवाज भी है, जिनमे से कुछ तो मेल खाती हैं और कुछ बिल्कुल ही भिन्न है। कई ऐसे पर्व है जो दोनो समुदाय मनाता है और कई पर्व अलग-अलग मनाते हैं। इन्हीं में से एक ग्यारहवीं शरीफ का पर्व है जो खासकर से सुन्नी समुदाय द्वारा बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है।
यह पर्व इस्लाम धर्म को पुनर्जागरित करके इसका प्रचार करने वाले सूफी संत हजरत अब्दुल कादिर जीलानी को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।
आइए आज हम इस 10 वाक्यों के सेट के माध्यम से ग्यारहवीं शरीफ पर्व के बारे में जानेंगे।
1) मुस्लिम धर्म के सुन्नी समुदाय के द्वारा मनाए जाने वाले मुख्य पर्वों में ग्यारहवीं शरीफ का पर्व है।
2) यह पर्व लोग इस्लाम धर्म के प्रचारक ‘हजरत अब्दुल कादिर जीलानी’ की याद में मनाते हैं।
3) इनका जन्म वर्तमान ईरान के गीलान राज्य में 17 मार्च 1078 ईस्वी को हुआ था।
4) इनके पिता शेख अबू सालेह मूसा और माता सैय्यदा बीबी, इमाम हुसैन की वंशज थीं।
5) इनके जन्मस्थान के नाम के आधार पर ही इनका नाम भी रखा गया था।
6) हजरत जिलानी की मजार बगदाद में स्थित है जहां इस पर्व पर हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं।
7) भारत में भी इस पर्व पर श्रीनगर में स्थित अब्दुल कादिर जीलानी मस्जिद में काफी संख्या में लोग प्रार्थना करने आते हैं।
8) इस दिन सुन्नी मुसलमान मस्जिदों में लंगर की भी व्यवस्था करते हैं और भूखे लोगों को भोजन कराते हैं।
9) इस दिन मदरसों, मस्जिदों व अन्य जगह कार्यक्रमों के आयोजन किए जाते हैं और लोगों को हजरत जीलानी के बारे में बताया जाता है।
10) हजरत जीलानी की पुण्य तिथि को हिजरी कैलेंडर के “रबी अल थानी” माह के 11वें दिन प्रतिवर्ष ग्यारहवीं शरीफ के रूप में मनाया जाता है।
1) ग्यारहवीं शरीफ त्यौहार विश्व भर में सुन्नी मुस्लिम समुदाय द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
2) हजरत जीलानी को इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है।
3) हजरत अब्दुल कादिर जीलानी को इस्लाम धर्म में सूफीवाद का संस्थापक माना जाता है।
4) इस मौके पर सुन्नी मुसलमान जुलूस-ए-गौसे नामक जुलूस निकालते हैं।
5) इस दिन मस्जिदों में बहुत से लोग एक साथ सुबह की नमाज पढ़ते हैं और हजरत जीलानी को याद करते हैं।
6) वर्ष 2021 में नवंबर माह की 16 तारीख को ग्यारहवीं शरीफ का पर्व मनाया जाएगा।
7) इस्लामिक कैलेंडर के रमदान (रमजान) महीने के पहले दिन इनका जन्मदिन भी वार्षिक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
8) हजरत जीलानी को मुहियुद्दीन कहकर भी पुकारते थे इसका अर्थ धर्म को पुनर्जीवित करने वाला होता है।
9) हजरत जीलानी एक सूफी संत, धर्म प्रचारक और शिक्षक के साथ-साथ ईश्वर में सच्ची आस्था रखने वाले व्यक्ति थें।
10) इस्लाम धर्म के उत्थान के लिए उनके किए गए योगदान के लिए लोग हर साल उनके पुण्यतिथि पर उन्हे याद करते हैं।
इस्लाम धर्म में सूफी समाज की स्थापना करने वाले संत हजरत अब्दुल कादिर जीलानी अपना जीवन अल्लाह की बंदगी में गुजार दिए और लोगों को एकता तथा भाईचारे से जीने की सीख दी। इन्होंने इस्लाम धर्म का एक नई दिशा के साथ विकास और विस्तार किया। यह दिन इनके आदर्शों और शिक्षाओं को याद करके इन्हे श्रद्धांजलि देने का दिन है।
आशा करता हूँ कि मैनें आपके लिए ग्यारहवीं शरीफ पर्व पर जो लेख लिखा है, आपको पसंद आया होगा।
उत्तर – उन्हे ‘गौस-ए-आजम’ के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर – इसका अर्थ है, सबकी सहायता करने वाला या सबसे बड़ा मददगार।