भारतीय साहित्य में सर्वप्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मान प्राप्त करने वाले महान प्रतिभा के धनी रबीन्द्रनाथ टैगोर एक उत्कृष्ट साहित्यकार के साथ-साथ विश्वविख्यात कवि, दार्शनिक एवं चित्रकार थे। इनके कलम से निकली दो रचनाएँ प्रथम ‘जन गण मन’ भारत तथा द्वितीय ‘आमार सोनार बांग्ला’ बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार की गई जो उनके साथ-साथ देश के लिए भी एक गौरव का विषय है। फलस्वरुप हम उन्हें गुरुदेव के नाम से भी पुकारते है।
आज हम 10 वाक्यों के आधार पर गुरुदेव के जीवन सारांश को जानने एवं उनके व्यक्तिगत आचरण का अनुसरण करने का प्रयास करेगें।
1) गुरुदेव के जीवन का उदय कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में 7 मई सन 1861 में हुआ था।
2) रवींद्र नाथ टैगोर भारतीय राष्ट्र-गान “जन-गण-मन” के रचयिता थे।
3) गुरुदेव के बाल्यावस्था में ही उनकी माता का देहांत हो गया था।
4) उनके द्वारा 1890 में मनासी लिखा गया था जिसमें उन्होंने काव्यात्मक और सामाजिक कविताओं को संग्रहित किया था।
5) रबीन्द्रनाथ टैगोर ने सन् 1905 में एक सुप्रसिध्द बंगाली देशभक्ति गीत “एकला चलो रे” लिखा था।
6) उनकी माता शारदा देवी कुशल गृहणी एवं पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर सामाजिक व्यक्ति थे।
7) उन्हें सन 1913 में उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
8) रबीन्द्रनाथ ठाकुर जी का विवाह सन 1883 में मृणालिनी के साथ सम्पन हुआ जिनसे उन्हें 5 संतान की प्राप्ति हुई।
9) गीतांजलि, पूरबी, प्रवाहित, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, चोखेर बाली, कनिका, नैवेद्य मायेर खेला, क्षणिक, गीतिमाल्य एवं कथा ओ कहानी उनकी प्रमुख रचना है।
10) कला साहित्य एवं संगीत की दुनिया का रवि 7 अगस्त 1941 में अस्त हो गया।
1) वे बैरिस्टर बनना चाहते थे जिसके लिए उन्होनें 1878 में लंदन विश्वविद्यालय में दाखिला लिय़ा पर बिना डिग्री पुर्ण किए 1880 में भारत लौट आए।
2) उनके बड़े भाई द्विजेन्द्रनाथ एक कवि, दूसरे भाई सत्येंद्र नाथ कुलीन एक भाई ज्योतिरिंद्रनाथ कुशल संगीतकार एवं उनकी बहन स्वर्णकुमारी उपन्यासकार थी।
3) उनकी प्रारम्भिक शिक्षा कोलकाता के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी।
4) गुरुदेव ने अपने संपूर्ण जीवन काल को सैकड़ों लघुकथाएँ, उपन्यास, निबंध हजारो कविताओं एवं गानों से अलंकृत किया था।
5) महात्मा गांधी और गुरुदेव के मध्य राष्ट्रवाद एवं मानवता को लेकर विचारों का मतभेद था क्योकि वे राष्ट्रवाद से पहले मानवता को प्राथमिकता देते थे।
6) एकबार गांधी जी के शांतिनिकेतन को आर्थिक तंगी से बचाने के लिए उन्होंने देशभर में अपने नाटकों का मंचन कर 60 हजार की धनराशि का सहयोग दिया था।
7) उनके अधिकतर साहित्य, गद्य एवं निबंध बंगाली और संस्कृत भाषा में लिखे गए है।
8) रबीन्द्रनाथ टैगोर की लेखनी ने लगभग 2023 गीतों की रचना की जो बंग्ला एवं भारतीय संगीत का अटूट हिस्सा है।
9) गुरुदेव जी को साहित्य एवं कला ज्ञान विरासत में अपने परिवार द्वारा प्राप्त हुई थी।
10) सन 1915 में राजा जॉर्ज पंचम द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सुशोभित किया गया जो उन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड से छुब्ध होकर वापस कर दिया।
निष्कर्ष
रबीन्द्रनाथ ठाकुर (गुरुदेव) जी का जीवन सारांश एवं उनकी रचनाएं उन तमाम युवाओं और बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत है कि कैसे विकट परिस्थितियों को लाँघकर कला, साहित्य एवं संगीत के शिखर पर पहुंचा जा सकता है। आज भी भारत के प्रत्येक छात्र के दिन की शुरुआत विश्वविख्यात गौरव रचना ‘जन गण मन’ के उदघोष से होती है। जो प्रत्येक लोगों के ह्रदय के अन्दर देश के प्रति प्रेम की भावना को जागृत करता है।
मुझे पूर्ण आशा है कि रबीन्द्रनाथ ठाकुर (गुरुदेव) पर 10 लाइन (Ten Lines on Rabindranath Tagore) आपको बेहद पसंद आए होंगे।
धन्यवाद !
उत्तर- रबीन्द्रनाथ टैगोर ने कलकत्ता में विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की।
उत्तर- सभ्यता का संकट
उत्तर- राजा द्वारकानाथ ठाकुर