धरती पर जल का 96% भाग समुद्र में खारे पानी के रूप में है और शेष 4% भाग का 2.4% भाग ग्लेशियर व हिमनद के रूप में जमा हुआ है। मनुष्य धरती के नीचे उपस्थित 1.6% भाग जल पर आश्रित होता है। परन्तु लगातार बढ़ते जल प्रदूषण से ताजे और स्वच्छ पानी के स्रोत कम होते जा रहे हैं।जल प्रदूषण केवल जलीय जंतुओं के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी वैश्विक खतरा पैदा कर रहा है। जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं। बिना किसी व्यवस्थित डिस्पोजेबल तंत्र के तेज़ी से फैलता हुआ प्रदूषण हमारे ग्रह की जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
आईये आज 10 वाक्यों के सेट से हम जल प्रदूषण के बढ़ते समस्या पर नज़र डालते हैं।
1) जल में अशुद्धि और हानिकारक रसायनों का विलय जल प्रदूषण कहलाता है।
2) नदी, तालाब, समुद्र, झील व भू-जल आदि का संदूषित होना जल प्रदूषण कहलाता है।
3) बढ़ते शहरीकरण ने जल प्रदूषण में गहरी भूमिका निभाई है।
4) औद्योगिक कचरों का सीधा नदियों में गिराया जाना जल को प्रदूषित करता है।
5) शहरों में गरेलू अपशिष्ट जल का कोई व्यवस्थित निकासी न होना इसका कारण है।
6)शहरों में बहने वाले ये नाले बिना किसी निस्तारण के नदियों में गिराए जाते हैं।
7) दुनिया के अधिकांश भू-जल में आर्सेनिक जैसा विषैला पदार्थ पाया जाता है।
8) प्रदूषित जल पीने से हैजा, पेचिश, टाइफाइड जैसी बड़ी व गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
9) जल प्रदूषण की ये समस्या धीरे धीरे विश्व के लगभग सभी देशों में फैल चुकी है।
10) रिपोर्टकेअनुसार हर वर्ष लगभग 35 लाख लोग दूषित जल के इस्तेमाल से मरते हैं।
1) पृथ्वी का लगभग 70 % भाग जल से ढ़का हुआ है और सतह पर 96% जल पीने योग्य नहीं है।
2) धरती पर केवल 4% जल ही पीने योग्य है, जिसमे हम धरती के नीचे स्थित 1.6% जल का इस्तेमाल करते हैं।
3) औद्योगिक कारखानों और मानव तथा जानवरों के जैविक क्रियाओं से निकलने वाले अपशिष्ट, जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।
4) फसलों में भारी मात्रा में रासायनिक पदार्थ व उर्वरकों का इस्तेमाल भू-जल को प्रभावित करता है।
5) घरेलु जल में घुले साबुन के झाग और जहरीले पदार्थ आदि नालों के रास्ते नदियों में गिराए जाते हैं।
6) नदियों के दूषित होने से नदी पर आश्रित कृषि भी दूषित होती है, जिससे खाद्य तंत्र पर प्रभाव पड़ता है।
7) एशिया महाद्वीप सबसे अधिक प्रदूषित नदियों वाला महाद्वीप है।
8) समुद्र में भारी मात्रा में कच्चा पेट्रोलियम व हानिकारक रसायनों के रिसाव से कई समुद्री प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
9) माना जाता है की धरती के मुकाबले जलीय जीव लगभग 5 गुना तेज़ी से विलुप्त हो रहे हैं।
10) जल प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से लड़ने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कई कड़े नियम बनाये गये हैं।
ये अत्यंत आवश्यक है की विश्व में बढ़ते इस प्रदूषण के खतरे से एक साथ मिलकर निपटा जाये। इससे पहले की बहुत देर हो जाये और हम अपने इस बने बनाये घर को संकट में देखे, हमें सचेत हो जाना चाहिए। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कड़े नियमों के साथ करना चाहिए। आज का उठाया छोटा-छोटा कदम भी हमें भविष्य में आने वाले बड़े खतरे से सुरक्षित कर सकता है। कई देशों द्वारा जलीय प्रदूषण के निवारण के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। पृथ्वी और पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है, जिसका पालन करना हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है।