आरबीआई ने 6 अप्रैल 2018 को एक सर्कुलर जारी कर के ट्रेड में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी तथा बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं को भी आदेश दे दिया कि वो किसी भी तरह का लेनदेन वर्चुअल करेंसी में न करें। इस फैसले से नाखुश इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी। RBI के आदेश के खिलाफ दाखिल इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 मार्च, 2020 को उच्चतम न्यायालय ने व्यापार एवं निवेश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद से ही क्रिप्टोकरेंसी और उससे संबंधित मुद्दों ने भारत में भी अपना पैर फैलाना शुरू किया। वर्तमान समय में विश्व में लगभग 13000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी प्रचलन में हैं।
साथियों आज मैं आप लोगों से क्रिप्टोकरेंसी और उससे संबंधित मुद्दों पर निबंध के माध्यम से चर्चा करूंगा। मुझे पूरी आशा है कि यह निबंध आपको पसंद आएंगे।
प्रस्तावना
क्रिप्टोकरेंसी का तात्पर्य एक विशेष प्रकार की डिजिटल करेंसी (मुद्रा) से है। जिसमें विकेंद्रित डेटाबेस में लेनदेन से संबंधित सभी सूचनाओं को एन्कोड करके सुरक्षित रखा जाता है। चूँकि इसमें विश्वास पात्र किसी अन्य पार्टी (जैसे- केंद्रीय बैक, प्राधिकरण आदि) का हस्तक्षेप नहीं होता इसलिए इसके वैधता को लेकर लोगों के मन में हमेशा भय बना रहता है। इसमें उपयोगकर्ता द्वारा दिये गए लेनदेन के विवरणों को ब्लॉकचेन तकनीकी द्वारा सत्यापित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है, लेनदेन को बिचौलियों रहित बनाना।
कुछ लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी
जैसा की उपरोक्त कथनों में वर्णित है की वर्तमान समय में लगभग 13000 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी प्रचलन में है, उनमें से कुछ मुख्य निम्न हैं-
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
यह एक अस्थिर करेंसी है, जिसके कारण इसमें कुछ ज्यादा ही जोखिम होता है। इसमें निवेश से पहले इन जोखिमों को समझना तथा गणना करना अति महत्वपूर्ण होता है।
निष्कर्ष
अत्यधिक मानव पूंजी की क्षमता वाला प्रत्येक देश वर्तमान समय में डिजिटल क्रान्ति के शिखर पर पहुंचने को प्रयत्नशील है। यदि भारत अपने मानव पूंजी, संसाधनों तथा विशेषज्ञता का सही तरिके से इस क्रांति में इस्तेमाल करता है, तो यह इस क्रांति के शिखर पर पहुंचने के साथ – साथ इसका नेतृत्व भी कर सकता है। इसलिए भारत को चाहिए की वह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोकरेंसी का खुले दिल से स्वागत करे क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी निश्चय ही चौथी औद्यौगिक क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है।
प्रस्तावना
क्रिप्टोकरेंसी शब्द की उत्पत्ति क्रिप्टो तथा करेंसी नामक दो लैटिन शब्दों के मिलने से होता है। क्रिप्टो शब्द क्रिप्टोग्राफी से बना है जिसका तात्पर्य होता है, छुपा हुआ/ हुई तथा करेंसी शब्द “करेंसिआ” से बना है, जिसका अर्थ होता है रुपया – पैसा। इस तरह से क्रिप्टोकरेंसी शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है, छुपा हुआ पैसा या डिजिटल पैसा। अर्थात क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल करेंसी है जिसे व्यक्ति अपने हाथों से छू नहीं सकता। सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी 2008 में बिटकॉइन के रूप में आयी।
क्रिप्टोकरेंसी के लाभ
क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व
क्रिप्टोकरेंसी के दुष्परिणाम
क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश प्रक्रिया
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की प्रक्रिया बिल्कुल स्टॉक में निवेश के समान है, जो निम्नलिखित है-
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए आप निम्न वेबसाइटों का उपयोग कर सकते हैं-
क्रिप्टोकरेंसी ऐप
क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाना उतना आसान नहीं होता, जितना की बैंकों का आनलाइन ट्रान्जंक्शन। फिर भी क्रिप्टोकरेंसी में आप पैसा बड़ी आसानी से इनवेस्ट कर सकते हैं, क्योंकि वर्तमान समय में इस प्रक्रिया के लिए अनेक ऐप मौजूद है। जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की रणनीतियाँ
अपर आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहते हैं तो निम्न रणनीतियों में से किसी एक का पालन करके क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर सकते हैं-
क्रिप्टोकरेंसी के निवेश में लगने वाले फीस
क्रिप्टोकरेंसी के निवेश में मुख्य रूप से तीन प्रकार के ट्रांजैक्शन फीस लगते हैं, जो निम्नवत है-
भारत द्वारा लांच डिजिचल करेंसी
बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने विश्व के तमाम वित्तीय संस्थान को भी डिजिटल करेंसी के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। इसी से प्रेरित होकर भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी इस साल के अंत तक एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लाने का प्लान शुरू कर दिया है।
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में अंतर
CBDC एक डिजिटल करेंसी है और इसकी सबसे बड़ी बात यब है कि इस करेंसी को कानूनी मान्यता प्राप्त है जिस देश के केंद्रीय बैंक द्वारा इसे जारी किया जाता है, उस देश की सरकार द्वारा इसे मान्याता भी प्राप्त होती है। इसके माध्यम से कॉन्टैक्टलेस पेमेंट किया जाता है।
जबकी इसके विपरीत क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी सरकार मान्यता नहीं देती और न ही उसमें किसी देश के सरकार को हस्तक्षेप कर सकती है। यह करेंसी एक प्रकार के डिजिटल वॉलेट में रखी जाती है।
निष्कर्ष
हालाँकि ये बात सत्य है कि क्रिप्टोकरेंसी के आने से भविष्य में उम्मीद से ज्यादा परिवर्तन देखने को मिल सकता है, व्यापार तीव्र एवं कम खर्चीला हो सकता है, परन्तु इसमें व्याप्त कुछ समस्याओं (जैसे- गोपनीयता, मूल्य अस्थिरता, आदि) को देखते हुए इसपर ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं होगी क्योंकि एक निजी मुद्रा को ऐसे बिना किसी नियंत्रण के इतनी विशाल जनसंख्या के बीच व्यापार की अनुमति देना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। अतः सरकार को चाहिए की क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों एवं भविष्य दोनों को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों के सलाह पर आधारित कदम उठाए ताकि जनसामान्य इससे लाभ उठा सके।
मुझे उम्मीद है कि इस निबंध के माध्यम से जो जानकारी मैंने आप से साझा की है वो आपको पसंद आयी होगी।
ये भी पढ़े:
उत्तर- सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है।
उत्तर- क्रिप्टोकरेंसी के जनक Satoshi Nakamoto को माना जाता है।
उत्तर- ‘CoinMarketCap’ (a price tracking website) के डेटा के अनसार वर्तमान में लगभग 13000 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी है।
उत्तर- क्रिप्टोकरेंसी को सबसे पहले कानूनी मान्यता देने वाला देश एल-साल्वाडोर (मध्य अमेरिका का एक देश) है।
उत्तर- भारतीयों द्वारा बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी का नाम पॉलीगॉन (Polygon) है।