निबंध

त्योहार के कारण होने वाला प्रदूषण पर निबंध (Pollution due to Festivals Essay in Hindi)

भारत में कई तरह के त्योहार मनाये जाते है। जिनके उनके साथ कई सारे परंपराए और रिवाज जुड़े हुए है। इन त्योहारों के कई पहलू है जैसे के पहनावा, खाना आदि। हालांकि जब हम यह त्योहार मनाते हैं तो इसके साथ प्रदूषण स्तर में भी वृद्धि करते हैं। हम पटाखे फोड़ते हैं, मूर्तियों को पानी में विसर्जित करते हैं, पानी तथा रंगो के साथ होली खेलने जैसे काम करते हैं। इनमें से कई सारे त्योहार पर्यावरण तथा हमारे आस-पास के वातावरण को काफी नुकसान पहुचाते हैं।

त्योहार के कारण होने वाले प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pollution due to Festivals in Hindi, Tyohar ke karan hone wale Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द)

प्रस्तावना

जल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सभ्यता की शुरुआत से ही मनुष्य की सभी बस्तियां पानी के स्त्रोतों के पास ही बनी है, क्योंकि पानी के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। लेकिन जल प्रदूषण वर्तमान की सबसे बड़े पर्यावरणीय समस्याओं मे से एक बन गया है। मनुष्यों द्वारा लगभग हर एक बड़ी नदी को प्रदूषित कर दिया गया है। हमारे भारत देश में कई प्रकार के त्योहार मनाये जाते हैं, जिसमें की काफी सारा पानी या तो बर्बाद हो जाता है या फिर प्रदूषित हो जाता है। इन त्योहारों में भारी मात्रा में जहरीले तत्व पानी में मिल जाते हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।

त्योहारों के कारण जल प्रदूषण

अधिकांश भारतीय त्यौहारों में किसी ना किसी तरीके से पानी का उपयोग किया ही जाता है। यही कारण है कि देश के हर हिस्से में पानी की कमी होने के साथ ही जल प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है।

  1. मूर्ति विसर्जन

यह ऐसे त्यौहार होते हैं, जिसमें मूर्तियों को सजाया जाता है और त्योहार के अंत में उन्हे जल स्त्रोतों में विसर्जित कर दिया जाता है। इस कार्य द्वारा हमारे जल निकायों में प्रदूषण की मात्रा बहुत ही बढ़ जाती है क्योंकि इन मूर्तियों को विसर्जित करने के बाद पानी दूषित हो जाता है और उपयोग के लिए अनुपयुक्त हो जाता है। इस पानी का उपयोग सिचाईं के लिए भी नही किया जा सकता है क्योंकि इस प्रकार का पानी कई प्रकार के हानिकारक रसायनों से युक्त हो जाता है।

  1. होली

इस त्योहार में लोग पानी और रंग से खेलते हैं। लेकिन ज्यादातर रंग रसायन युक्त होते हैं और हमारे स्वास्थ्य के प्रति भी गंभीर संकट पैदा कर देते है। इसके अलावा त्योहारों के दौरान होने वाली पानी की बर्बादी किसी से छिपी नही है।

  1. पवित्र स्नान

कुछ त्योहारों के दौरान नदियों और समुद्रों में स्नान करना काफी पुण्य और पवित्रता भरा काम माना जाता है। लेकिन जब भारी संख्या लोग यह कार्य करते हैं तो इससे पानी में भारी मात्रा में अनचाहे तत्व मिल जाते है, जोकि पानी को प्रदूषित करने का काम करते हैं।

निष्कर्ष

यह काफी दुखद सत्य है कि अब हमारा पानी का कोई भी स्त्रोत साफ-सुथरा नही रह गया है और समुद्री जीवन पर दिन प्रतिदिन खतरा गहराता जा रहा है। ऐसा नही है कि हमे अपने त्योहार नही मनाने चाहिए बल्कि की इन्हे इस प्रकार से मनाना चाहिए कि इनका प्रकृति और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव ना हो।

निबंध – 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

भारत विविधता की भूमि है और इस बात का हम गर्व भी महसूस करते हैं। पूरे साल हमारे देश में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। हम पूरे जोश और उत्साह के साथ इन उत्सवों का आनंद लेते हैं। भारत में रहने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हम विभिन्न धर्मों के परंपराओं और त्यौहारों का आनंद ले पाते हैं। यह त्यौहार, धर्म, देवताओं, फसलों, मौसमों में परिवर्तन, संतों, गुरुओं आदि के सम्मान में मनाये जाते हैं। भारत जैसे देश में हम एक ही स्थान पर अलग-अलग संस्कृतियों के त्योहारों का आनंद ले पाते हैं, पर इनमें से कई त्योहार पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का कार्य करते हैं।

त्योहारों का पर्यावरण पर प्रभाव

प्रकृति ने हमें कई अनमोल उपहार दिए हैं, लेकिन बदले में हमने इसे कुछ भी नहीं दिया है बल्कि हमने इसका शोषण ही किया है तथा प्राकृतिक संपदाओं का दुरुपयोग करते हुए इसे नुकसान ही पहुचाया। हम अपने त्यौहारों को बहुत ही जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं लेकिन इसके साथ ही हम पर्यावरण को भी बड़े पैमाने पर प्रदूषित करते हैं। त्योहारों के दौरान वायु, जल तथा ध्वनि प्रदूषण जैसे प्रदूषण स्तर काफी बढ़ जाता है। देखा जाये तो मूल रूप से हम त्योहारों के दौरान पर्यावरण के सभी स्तरों को प्रदूषित करते हैं।

  1. वायु पर त्योहारों का सबसे हानिकारक प्रभाव दिवाली के त्यौहार के दौरान देखने को मिलता हैं। जिसमें पटाखे जलाने के कारण हवा अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है, और यह श्वास संबंधित कई समस्याए पैदा कर देती है। इसके साथ ही हमें अगले दिन सड़क पर फैले कचरे को भी नही भूलना चाहिए। इसी तरह कई सारी जयंतिया भी मनाई जाती है जिन पर लोग पटाखे जलाते है, यह भी प्रदूषण को बढ़ाने का कार्य करता है।
  2. कई त्योहारों के दौरान पानी भी अत्यधिक मात्रा में प्रदूषित हो जाता है। होली के त्योहार के दौरान भारी मात्रा में बर्बाद होने वाला पानी एक चिंता का विषय है। यह हानिकारक रासयनिक रंग पानी के टंकियों और स्त्रोतों को भी प्रदूषित कर सकते हैं। जल प्रदूषण का एक दूसरा मुख्य कारण त्योहारों के दौरान मूर्तियों का पानी में विसर्जित करना भी है। यह ना केवल जल स्त्रोतों को प्रदूषित करते हैं बल्कि कई मछलियों और जलीय जीवों के मृत्यु का कारण बनते हैं।
  3. त्यौहारों के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे का निस्तारण करना भी एक बड़ी समस्या है। जब लोग इन सांस्कृतिक त्योहारों को मनाने के लिए इकठ्ठा होते हैं तो सड़कों पर काफी मात्रा में कचरा भी इकठ्ठा हो जाता है। कई त्योहारों के दौरान कई सारे मेले भी आयोजित किए जाते हैं, जिसके कारण खुले में काफी मात्रा में कचरा इकठ्ठा हो जाता है।
  4. ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। त्योहारों के दौरान लाउडस्पीकरों द्वारा तेज आवाज में बजाये जाने वाले संगीत आदि भी पर्यावरण को काफी हानि पहुंचाने का कार्य करते है।

निष्कर्ष

यह तो हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि हमारे कुछ सबसे बड़े त्यौहार हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करने का कार्य करते हैं। हम त्यौहारों को मनाते हुए अपने प्राकृतिक परिवेश को अनदेखा कर देते हैं। यह सच है कि हमारी संस्कृति और त्यौहारों के बिना हमारा जीवन काफी बोरियत भरा और मनोरंजनहीन होगा, लेकिन फिर भी पर्यावरण को बचाने के लिए हमारा इन उपायों को अपनाना बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए हमारे देश के सरकार को कुछ ऐसे नियमों का निर्माण करना चाहिए जिससे हम त्योहार भी मना सकें और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना

हम दुनिया के सबसे अनोखे देशों में से एक में रहते हैं और इसका कारण यह है कि हमारे भारत में कई तरह की विविध संस्कृतियां हैं। भारत में इतने सारे धर्मों का अभ्यास किया जाता है और उनमें से सभी के अलग-अलग तौर तरीके होते हैं। इन सभी धर्मों के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इनके कारण हमें इतने सारे त्यौहार मनाने को मिलते हैं। प्रत्येक त्यौहार की अपनी अलग विशिष्टता और उत्सव मनाने का तरीका होता है।

यह त्यौहार हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं और वे हमारे जीवन में और भी ज्यादा खुशियां लाते हैं, लेकिन दुख की बात है कि इनमें से कई त्योहारों के कारण हमारे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता हैं। प्रत्येक उत्सव को एक विशेष तरीके से मनाया जाता है और इसमें कुछ अन्य तरीके शामिल होते हैं। यह तरीके हमारे प्राकृतिक संसाधनों को कई बार काफी ज्यादा मात्रा में नुकसान पहुंचाते हैं। हर साल पर्यावरण में त्योहारों के कारण होने वाले प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। यदि देखा जाये तो प्रकृति के लगभग सभी पहलू त्यौहारों द्वारा प्रभावित होते हैं।

त्योहारों के कारण होने वाले प्रदूषण

वायु प्रदूषण

दिवाली का त्यौहार देश में वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने का एक मुख्य कारण है क्योंकि दिवाली के दिनों में पूरे देश में बहुत सारे पटाखे जलाये जाते हैं। दिवाली के त्योहार में लोग रात भर पटाखे जलाते हैं, जिसके कारण वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। दिवाली का अगला दिन हमेशा धुआं और धुंध से भरा हुआ होता है। इसके अलावा कई अन्य त्यौहारों के दौरान आतिशबाजी भी की जाती है। जो कि देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने का कार्य करते हैं। महानगरों की वायु गुणवत्ता तो पहले से ही काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। त्यौहारों के दौरान वायु प्रदूषण का एक अन्य कारण सड़क पर कारों की भारी संख्या भी है। त्योहारों के दौरान लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने के लिए जाते है। ऐसा करने के लिए वह अपने कारों और अन्य यातायात के साधनों का उपयोग करते हैं। जिससे इस बढ़े हुए यातायात के कारण भी वायु प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि होती है।

जल प्रदूषण

त्योहारों के दौरान जल प्रदूषण का मुख्य कारण मूर्ति विसर्जन है और अपनी प्रार्थनाओं तथा भक्ति को प्रकट करने के लिए विभिन्न पदार्थोंको जल निकायों में फेंकना है। भगवान के लिए आदर स्वरुप स्थापित की हुई मूर्ति पानी में विसर्जित करने पर जल प्रदूषण की मात्रा को बढ़ाती है और जलीय जीवन को भी काफी नुकसान पहुंचाती है। जल प्रदूषण का एक अन्य कारण त्यौहारों पर नदियों में भारी मात्रा में श्रद्धालुओं द्वारा स्नान करना भी है। जब लाखों लोग एक साथ इन नदियों में स्नान करते हैं तो प्रायः ये उन नदियों के प्रदूषित होने का कारण बनता है।

ध्वनि प्रदूषण

काफी तेज शोर-शराबा हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है और गंभीर शारीरिक बीमारियों का कारण भी बन सकता है। त्योहारों के दौरान लाउडस्पीकरों का होने वाला उपयोग इन्ही में से एक कारण है। त्योहारों में जिस ध्वनि तीव्रता पर गाने और भाषण बजाये जाते हैं, वह काफी खतरनाक होते हैं। इसके अलावा त्योहारों के दौरान अन्य कई कार्य किये जाते हैं जो काफी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण पैदा करते हैं।

निष्कर्ष

त्योहार खुशीयां मनाने का समय है, हमारे त्यौहार हमें एकजुट करते हैं और लोगों में एकता तथा संप्रभुता लाते हैं। लेकिन यह भी सच है कि त्योहार पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान भी पहुंचाते हैं और प्रदूषण भी पैदा करते हैं। देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें क्योंकि यह हमारी संपत्ति और धरोहर हैं। हमें उन तरीकों को अपनाना चाहिए, जिनसे हम त्योहार भी मना सके और पर्यावरण की रक्षा भी कर सकें।

निबंध – 4 (600 शब्द)

प्रस्तावना

भारत में हर त्यौहार हमारे जीवन में एक अलग और विशेष तरीके का महत्व रखता है। हम किसी भी धर्म को मानने वाले हो सकते हैं, लेकिन हम इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि हम भारतवासी सभी त्यौहारों को एक साथ हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। लेकिन यह भी एक दुखद वास्तविकता है कि हमारे कई सारे त्योहार वायु, जल, ध्वनि प्रदूषण जैसे कई सारे प्रदूषणों का कारण बनते हैं।

त्योहार वह समय होता हैं जिसमें हर व्यक्ति खुश होता है और यह पूर्व परंपराएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तातंरित होती हैं। यह त्योहार हमारे संस्कृति को जिंदा रखने का कार्य है। हालाकिं ये त्यौहार हमारे साथ-साथ पर्यावरण को भी कई प्रकार से नुकसान पहुंचाने का कार्य करते हैं जैसे कि जल निकायों को दूषित कर होना, समुद्री जीवन का प्रभावित होना, तेज शोर-शराबा तनाव संबंधित समस्याओं को उत्पन्न करना आदि। इसके साथ ही शहर त्योहारों के दौरान उत्पन्न होने वाले अत्यधिक कूड़ो-कचरों से भी भर जाता है। आधुनिकीकरण ने त्योहारों का व्यावसायीकरण भी कर दिया है और यही कारण है जिससे उपभोक्तावाद ने त्योहारों के सच्चे रुप का हरण कर लिया है। तो आइये जानते हैं त्योहारों के दौरान किस प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण पर विभिन्न त्योहारों के होने वाले कई हानिकारण प्रभाव

  1. दिवालीः हर साल पटाखे जलाने के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण के संबंध में सरकार द्वारा जारी आंकड़े काफी भयावह होते हैं। दिवाली के अगले दिन हवा काफी दम घोंटने वाली हो जाती है, जिससे लोगो को सांस लेने में भी दिक्कत महसूस होने लगती है। हर साल दिवाली पर पटाखों द्वारा उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण का स्तर इतना भयावह होता है कि सरकार को प्रतिवर्ष पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाना पड़ता है।
  2. होलीः यह सबसे बड़े हिंदू त्यौहारों में से एक है जो हर वर्ष रंग खेलकर मनाया जाता है। जब आज के दौर में लगभग हर त्योहार का व्यावसायीकरण हो गया है, तो होली भी अब पानी के बर्बादी, शोर-शराबे और रासायनिक तथा विषैले तत्वों को एकदूसरे पर फेंकने से ज्यादा कुछ नहीं है। प्राकृतिक रंगो का जगह अब रासायनिक रंगो ने ले लिया है, जिसके द्वारा भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
  3. गणेश चतुर्थीः हर साल भक्त नदियों और समुद्रों में भगवान गणेश की मूर्ति को गणेश चतुर्थी के जश्न मनाने के बाद विसर्जित कर दिया जाता हैं। इनमें से अधिकतर मूर्तियां विभिन्न प्रकार के जहरीले पदार्थों और रंगों से बने हैं, जो कि जलीय जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक होते है। जब यह प्रतिमाएं पानी में विसर्जित की जाती हैं तो यह जल निकायों को प्रदूषित करने का कार्य करती हैं और समुद्री जीवन को भी नष्ट कर देती है।
  4. दुर्गा पुजाः दुर्गा पूजा के दौरान गणेश चतुर्थी की ही तरह माँ दुर्गा की प्रतिमाएं भी पानी में विसर्जित की जाती हैं। जो कि हमारे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। इन मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए इन पर हानिकारक सिंथेटिक रंग लगाये गये होते हैं। यह रंग पानी की सतह पर एक परत बना देते हैं, जिससे पानी में आक्सीजन का प्रवाह रुक जाता है। जिसके कारण जलीय जीवन पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है।
  5. छठ पूजाः यह उत्तर भारत का एक और बड़ा त्यौहार जिसमें जल निकाय प्रदूषित हो जाते हैं। इस त्योहार में भक्त पूजा करने के लिए बड़ी तादाद में नदी और तालाब किनारे इकठ्ठे होते है, जिससे की इन जल स्त्रोतों की अवस्था काफी खराब हो जाती है। क्योंकि इस त्योहार में भारी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है जो अततः जल निकायों के प्रदूषण का कारण बनता है।
  6. धर्म गुरुओं की जयंती और जन्मदिन

भारत में कई सारे धर्म है और प्रत्येक धर्म के अपने संस्थापक या गुरु हैं। उनके जन्मदिवस पर कई प्रकार के सत्संग और प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं तथा तेज आवाज में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि प्रदूषण को बढ़ाने का कार्य करते हैं।

  1. दशहराः दशहरा के त्योहार के दौरान देश में कई सारे मेलों का आयोजन होता है, जिसके कारण भारी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण और कचरा उत्पन्न होता है। इसके अलावा दशहरे के दिन देश भर में बड़े-बड़े पुतलों का दहन किया जाता है, जोकि भारी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाने का कार्य करतें है।

निष्कर्ष

यह सच है कि त्यौहार हमारे जीवन में खुशियां और उमंग लाते हैं लेकिन यह पर्यावरण को प्रदूषित करने का भी कार्य करते हैं। भलें ही हम त्योहार मनाना बंद नही कर सकते हैं, पर यदि हम चाहें तो कुछ सरल उपायों द्वारा प्रदूषण के स्तर को कम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि इन उपायों को बहुत ही आसानी से अपनाया जा सकता है। प्रकृति को बचाने के इस कार्य में सरकार और जनता दोनो को अपना सहयोग देना होगा। हमें अपने त्योहारों को इस प्रकार से मनाना चाहिए की यह पर्यावरण को प्रदूषित करने के बजाय उसकी खूबसूरती बढ़ाने का कार्य करें।

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Yogesh Singh

Yogesh Singh, is a Graduate in Computer Science, Who has passion for Hindi blogs and articles writing. He is writing passionately for Hindikiduniya.com for many years on various topics. He always tries to do things differently and share his knowledge among people through his writings.

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