रिश्ते-नाते

रिश्तों मे व्यवहारिक कैसे बनें – How You can be Practical in Relationships

किसी भी रिश्ते को लम्बे समय तक चलाने के लिए व्यवहारिक होना पड़ता है। आपका दिल आपकी भावनाओं को बिखेर देता है वही आपका मस्तिष्क आपके विचारों को। मस्तिष्क एक तार्किक निर्णय लेता है, जो कि आपके जीवन के साथ-साथ आपके रिश्तों को भी लम्बे समय तक बनाए रखने मे बहुत प्रभावी होता है। आमतौर पर लड़कियों को भावनात्मक माना जाता है और जबकि लड़को को व्यवहारिक रुप मे देखा जाता है।

कभी-कभी लोग एक व्यवहारिक व्यक्ति को नकारात्मक रुप मे देखते है। पर क्या वो वास्तव मे ऐसा है? वास्तव मे इस सवाल के लिए उत्तर मे एक बड़ा “न” है। एक व्यवहारिक व्यक्ति साधारण तौर पर किसी स्थिति या रिश्तों की आवश्यकता और जरुरत का विश्लेषण करता है और बुद्धिमानी से काम करता है, और इससे जीवन मे संतुलन बनाए रखने मे आपको मदद मिलती है।

रिश्ते मे व्यवहारिक बनने के 11 सबसे अच्छे तरीके – 11 Best Ways to be Practical in a Relationship

आप रिश्तों मे कैसे व्यवहारिक हो सकते है – सुझावों का पालन करें

1. पारिवारिक रिश्ते

एक आदर्श परिवार मे मॉ, पिता, बच्चे होते है, और परिवार के सदस्य के रुप मे, आपके पास बहुत सारी जिम्मेदारियां होती है। आपको जीवन के कुछ नियमों और अनुशासन मे रहकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।

  • समय सूची बनाएं– यह सच है कि आप अपने परिवार से प्यार करते है और आप उनके लिए सबकुछ करना चाहते है, लेकिन सभी सदस्यों के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है। आमतौर पर बच्चे तब तक खाना नही खाते है जब तक कि वो बहुत भूखे न हो। इसलिए आपको हर दिन के लिए एक निश्चित समय पर लंच या डिनर करने का नियम बनाना चाहिए। इस तरह से वो अपना भोजन समय से करेंगे और स्वस्थ रहेगें।
  • जरुरत पड़ने पर ही खरीददारी करें – कभी-कभी हम कुछ अनावश्यक चीजों की खरीददारी कर लेते है और हम सोचते है कि यह हमारे बजट को प्रभावित नही करेगा, लेकिन आपको यदि इसकी जरुरत नही है तो ऐसी चीजों की खरीददारी न करें। 999 से 1000 बनाने के लिए केवल एक रूपये की आवश्यकता होती है, बड़ी राशि नही। फिर भी बचत करना आपके लिए आवश्यक है और आपको समझदारी से खर्च भी करना चाहिए, और आप उस चीज को तभी खरीदें जब वास्तव मे आपको आवश्यकता हो।
  • राय ले – जब आप एक टेबल की खरीददारी के लिए जा रहे हो तो आप को अपने परिवार से बात करके उनकी राय अवश्य लेनी चाहिए। क्योकि यह संभव हो सकता है कि वो आपको कुछ सुझाव दे और इस तरह से आप उनकी आवश्यकता को भी जान सकेंगे और यह आपके लिए और ज्यादा अच्छा हो सकता है। आप उस स्थिति के बारें मे सोचे जब आप अपने टेबल के लिए एक अद्भुत डिजाइन आनलाइन खोजी और उसे मंगा लिया, लेकिन यह किसी और को पसंद नही है। तो क्या यह आपके लिए उचित हुआ, यदि आपने इसके बारे मे आपस मे चर्चा की होती तो यह ज्यादा प्रसंसनीय और सहायक हो सकता था। तार्किक रुप से सोचे और उसका निर्णय ले या आप अपने परिवार से आपकी मदद करने के लिए कह सकते है। कोई समस्या हो या अन्य कुछ भी हो उसमें वो अपना सुझाव देकर अच्छा महसुस करेगे और आपको अधिक सम्मान देगे।
  • दबाव न डालें – आप जानते है कि कोई भी निश्चित कार्य या कोई आदत आपके बच्चे के लिए अच्छा नही होता है, तो आप उन्हें वो करने के लिए कभी दबाव न डालें क्योकि इस तरह वो इसे कभी नही कर सकेगे। उन्हे मजबूर करने के बजाय आप उन्हे एक सबक के रुप मे सिखा सकते है। लोग व्यवहारिक चीजों पर विश्वास करते है चाहे वो बच्चे हो या कालेज का लड़का हो। उदाहरण के लिए, आप जानते है कि माइक्रोवेब से निकाले जाने पर वर्तन गर्म होता है, और यदि आपका बच्चा उसे छुना चाहता है और यह उसके रोने का कारण बन सकता है। आप उन्हे इसके कुछ विनाशकारी प्रभाव दिखाएं। इस तरह से वह फिर दुबारा छुने की हिम्मत नही कर सकेंगे।
  • परिवार पर भरोसा – आपके जीवन मे आपके परिवार से ज्यादा नजदीक कोई नही हो सकता है और वो भी आपके लिए अच्छा सोचते है। इसलिए दुसरों के कहने पर आप अपने परिवार पर कभी संदेह न करें। सुखी और शांतिपूर्ण जीवन के लिए परिवार को आपका साथ और आपको आपके परिवार के सहयोग की आवश्यकता होती है। किसी अन्य पर विश्वास न करें, आप अपने दिमाग का उपयोग करे, और आपके द्वारा किए जाने वाले काम के लाभ का विश्लेषण करे और फिर उस कार्य को करें।

2. छात्र-शिक्षक संबंध

शिक्षक वह व्यक्ति है जो एक छात्र के जीवन को आकार देता है। हम अपने शिक्षक को हमेशा याद करते है क्योकि हम उनसे जुड़े होते है, वो हमेशा हमे प्रेरित करते है और हमारी सफलता की कुंजी के रुप मे कार्य करते है। मैने यहां कुछ टिप्स दिये है जिसके माध्यम से आप इस रिश्ते को अधिक अच्छा और स्थिर बना सकते है।

  • मुख्य कारक का सम्मान करे – कभी-कभी शिक्षक छात्र के प्रति बहुत मित्रता पुर्ण हो जाते है और शिक्षक को जब सख्त होना पड़ता है तो यह भाव उनकी परेशानी का सबब बनते है। एक छात्र उनके सामने किसी समस्या को लेकर सहज महसूस करता है, लेकिन साथ-साथ उसे उनका सम्मान भी करना चाहिए। उदाहरण के लिए, जैसे किसी मीठे का आनंद मसालेदार भोजन के बाद आता है, उसी प्रकार शिक्षक को नरम दिल के साथ कभी-कभी सख्त भी होना चाहिए। संबंध चाहे जैसा भी हो सम्मान महत्वपूर्ण कारक होता है और इसे हमेशा बनाए रखना चाहिए।
  • छात्रों को खुद से सोचना चाहिए – आजकल की पीढ़ी मे ज्ञान को केवल किताबों तक ही सीमित नही रखना चाहिए, यदि शिक्षक अपने छात्र को चमकाना चाहता है तो उसे छात्रों के लिए कुछ अतिरिक्त करने की आवश्यकता है। अपने छात्रों को कोई कार्य दें और उन्हे सोचने दे और उस काम को उन्हें करने दें। केवल पुस्तकों से मिला ज्ञान आज की पीढ़ी मे पर्याप्त नही है। यदि शिक्षक न्यूटन के नियम का कोई जीवंत उदाहरण देता है, तो छात्र उसे आसानी से समझ सकता है और साथ ही साथ वह उसे लम्बे समय तक उसे अपने दिमाग मे याद रखता है। हमारा दिमाग चीजों से संबंधित होता है और वह लम्बे समय तक उसे याद रख सकता है। कई तरीकों से यह बहुत मददगार होता है। कोई बच्चा जितना अधिक सोचता है वह उतना ही अधिक नवीन बन सकता है। इसलिए उन्हे दिन प्रतिदिन का उदाहरण देकर उन्हे सोचने के लिए कहे और इससे उन्हे नये सवाल और किसी विषय के बारे मे इमानदारी से सिखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • आवश्यकता पड़ने पर ही मदद करें – एक अच्छा शिक्षक वह नही होता है जो आपको हर किसी चीज के बारे मे बता दे। वास्तव मे हम यहां छात्र और शिक्षक के व्यवहारिक संबंध मे होने वाली संभावनाओं के बारे मे चर्चा कर रहे है। इसलिए आप उसको पढ़ाते है और यदि वह गिर जाता है तो आप उसे उठाने के लिए उसकी मदद करने लिए तुरंत न जाये। उसे स्वयं उठने दे और खुद पर नियंत्रण करने दें और उसे अपनी समस्याओं को खुद हल करने दे। यदि जब वह बुरी तरह से फंस गया हो तब आप उसकी मदद के लिए उपस्थित रहे। सीखने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि छात्र जितना अधिक बार गिरेगा वह उससे उतना ही अधिक सीख सकेगा। छात्र के दिमाग मे यह बात अच्छी तरह से रहती है कि उसकी मदद के लिए कोई है, और तब वह बड़ा जोखिम लेने के लिए भी तैयार रहता है। इसके लिए आप सुनिश्चित करे कि आपका छात्र क्या करने जा रहा है।

3. मित्रता

जिस तरह जीने के लिए आपको भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार स्वस्थ जीवन जीने के लिए दोस्तों की आवश्यकता होती है। वह दोस्त पागल होते है जो आपके लिए कुछ भी कर सकते है। हम जीवन के विभिन्न चरणों मे अलग-अलग दोस्त बनाते है। उनमे से कुछ आते है और चले जाते है लेकिन उनमे से कुछ हमेशा के लिए आपके साथ रहते है। यह रिश्ता काफी खास और अनोखा होता है।

लेकिन मुख्य बात यह है कि मित्रता मे व्यवहारिक रुप से कैसे सोचा जाएं, क्योकि हर कोई दोस्त ऐसा नही होता है जो आपके सबसे अच्छे मित्र के रुप मे साथ चले। कुछ आपको खाई मे धकेल सकते है तो कुछ आपके प्रति जलन की भावना रखते है। इसलिए आपको केवल यह सीखने की आवश्यकता है कि इस रिश्ते को व्यवहारिक रुप मे कैसे निपटा जाए।

  • निरीक्षण करें – यह आवश्यक नही है कि जिससे आप मिलते हो वो सभी आपके मित्र हो। इसलिए, आप कुछ समय के लिए उनके साथ रुके (रहे) और निरीक्षण करे कि आप उस पर भरोसा कर सकते है या नही। जब आप उस पर नजर रखेगें या आसान शब्दों मे उसका अवलोकन करेंगे तो आप आसानी से उसके बदलावों के साथ-साथ उसके व्यवहारों पर भी ध्यान दे सकेगे। एक करीबी निरीक्षण के बाद आप निर्णय कर सकेगें कि वह आपका मित्र बन सकता है या नही।
  • कभी-कभी आपका एक अच्छा दोस्त भी बदल सकता है, इसलिए आपको केवल एक चीज करनी है कि उसका निरीक्षण करना है। क्योकि कोई भी रातों रात नही बदल सकता है, वो केवल अपनी भाषा और व्यवहार मे कुछ बदलाव ला सकते है।
  • ध्यान से चुने – आप हमेशा एक ऐसे व्यक्ति के साथ रहे जिसके पास आपसे अधिक ज्ञान हो, क्योकि हमेशा एक मूर्ख मित्र की तुलना मे बुद्धिमान मित्र बनाने की सलाह दी जाती है। बुद्धिमान दोस्त हर स्थिति मे आपकी मदद कर सकता है। यह संभव हो सकता है कि आपके विचार मेल खाते हो और आप मित्र बन जाते है, लेकिन आप दोस्तों का चुनाव समझदारी से करें। एक अच्छा मित्र आपको हमेशा प्रोत्साहित करता है और आपको अच्छा करने मे आपकी मदद करता है। जबकि बुरा मित्र आपको किसी गलत रास्ते पर धकेल सकता है।
  • लेकिन, साथ ही आपको सबसे पहले अपनी समस्या से निपटने के लिए आपको दूसरों से भी मदद लेनी चाहिए। किसी दूसरे पर ज्यादा भरोसा नही करना चाहिए।
  • इमानदार बने – इमानदारी ही एक अच्छे और सच्चे दोस्त का सबसे अच्छा आभुषण होता है और जिस तरह आप दुसरो से उम्मीद रखते है आपको भी उसी प्रकार का बनना चाहिए। आप अपने दोस्त को ईमानदारी के जरिये ही परखें और तभी आप उस रिश्ते पर अपना भरोसा दिखा सकते है क्योकि यदि वो भी आपके साथ मित्रता रखना और आपके साथ रहना चाहता है तो वो कभी आपको खाई मे नही धकेलेगा। अपने विचारों को स्पष्ट और सामने रखें, जो लोग आपको पसंद करते है वो हमेशा आपके साथ रहेंगे और जो आपको पसंद नही करते है वो आपको छोड़ देते है।

निष्कर्ष

रिश्तों को अधिक सुन्दर और वास्तविक अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है जिन्हे हम व्यवहारिक भी कहते है। व्यवहारिक रुप से सोचना आपको कष्ट दे सकता है पर दूसरो से निपटने का यह सुरक्षित और बेहतर तरीका होता है। कभी-कभी आप भावनात्मक रुप से सोचते है और आपको मुर्ख बनाया जा सकता है। व्यवहारिक रुप से सोचने का मतलब यह नही कि आप अपना भावनाओं को खो देते है लेकिन एक व्यवहारिक व्यक्ति हर कदम पर अच्छे और बुरे दोनो का ही विश्लेषण करता है। वो तर्को पर विश्वास करता है किसी और का अनुसरण नही करता है। जब आप व्यवहारिक रुप से सोचते है, रिश्ता वास्तव मे बहुत खुबसुरत और दिलचस्प हो जाता है। हमेशा अपने दिल का अनुसरण करे लेकिन साथ-साथ अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करे।

अर्चना सिंह

कई लोगो की प्रेरणा की स्रोत, अर्चना सिंह एक कुशल उद्यमी है। अर्चना सिंह 'व्हाइट प्लैनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड' आई. टी. कंपनी की डायरेक्टर है। एक सफल उद्ममी होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी है, व इस क्षेत्र में कई वर्षो का अनुभव है। वे 'हिन्दी की दुनिया' और अन्य कई वेबसाइटों पर नियमित लिखती हैं। अपने प्रत्येक क्षण को सृजनात्मकता में लगाती है। इन्हें खाली बैठना पसंद नहीं। इनका कठोर परिश्रम एवं कार्य के प्रति लगन ही इनकी सफलता की कुंजी है।

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