बच्चों के साथ माता-पिता का साथ रहना ही परिवार कहलाता है। इसमें और भी ज्यादा सदस्य हो सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से परिवार का मतलब है माता-पिता और बच्चे। वे साथ रहते हैं; अपनी भावनाओं को, खुशियों को, दुःख को, और तमाम तरह की घटनाएँ जो दिन भर में उनके साथ होती है उन सभी को आपस में साझा करते हैं। बच्चे परिवार को एक जान देते हैं, आमतौर पर माता-पिता हर वक़्त बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में ही लगे रहते हैं और उनके बेहतर भविष्य के लिए काम करते रहते हैं।
मुख्य रूप से वे अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा, अच्छे कपड़े, अच्छा खाना आदि प्रदान करने की कोशिश करते हैं। इस सिलसिले में, वे उनके लिए एक बेहतर जीवनसाथी चुनने की भी कामना करते हैं।
आमतौर पर, जब लोग शादी कर लेते हैं, तो वे अपने पति या पत्नी के साथ अलग रहते हैं और कभी-कभी आपके माता-पिता में से कोई एक होते है, जो हमेशा वहां रहते हैं और खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे अनुभवी हैं और आपकी समस्या को समझ सकते हैं, इसलिए वे आपको रोकते हैं या आपके व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप करते हैं। आप वाकई में हर जगह उनके प्रभाव को महसूस कर सकते हैं, जो कभी-कभी आपको परेशान भी कर सकता हैं। आज हम यहां इसी से सम्बंधित कुछ समाधानों के साथ आये हैं।
विशेषरूप से तब जब वे आपकी पत्नी के माता पिता हों या उनके परिवार के सदस्य। ये उसकी बहन हो सकती है, माता-पिता या भाई। उनकी मौजूदगी आपको अपने ही घर में किसी परग्रही का एहसास दिलाने लगती है और कभी कभी ये आपको काफी गुस्सा दिलाती है और तब आपको बस खुद के लिए थोड़ी जगह चाहिए होती है।
यहाँ पर कुछ सबसे बेहतर और आसन नुस्खे हैं जो आपकी पत्नी के माता-पिता या परिवार वालों से निपटने में काम आयेंगे।
सबसे पहले, एक स्पष्ट मानसिकता बनाएं कि आपको उनकी उपस्थिति पसंद है या नहीं। कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को डांटते हैं और इसका मतलब यह नहीं होता है कि वे उनसे नफरत करने लगें, इसलिए वे जो कुछ भी कहते हैं उसका विश्लेषण करें भले ही यह आपके लिए अच्छा है या यह आपको सिर्फ गुस्सा दिलाता हो।
माता-पिता हमेशा से खास होते हैं, वे कभी बदले नहीं जा सकते और न ही उनका प्यार बदल सकता है। इसलिए चाहे वो आपके सास-ससुर हों या फिर खुद आपके माता-पिता; वे हमेशा आपके लिए खास होते हैं और आपके तथा आपकी पत्नी के लिए सर्वोपरि होते हैं। इसलिए, उन्हें नजरअंदाज करना संभव नहीं है, इसलिए, अपनी पत्नी के साथ मेल-जोल बढ़ाएं और एक मजबूत रिश्ता बनाये, ताकि वो हमेशा आपको प्राथमिकता दे और आवश्यकता पड़ने पर परिस्थिति के बारे में अपने माता-पिता को भी समझा सके और उन्हें आपके वैवाहिक जीवन में दखल देने को मना करे।
इसके लिए, आपको अपनी पत्नी के साथ जुड़ना होगा और एक मजबूत सम्बन्ध बनाना होगा। हमेशा शांत और धैर्य बनाये रखें और घर के कामों में उसकी मदद करें, यह निश्चित रूप से काम करेगा।
अक्सर ही तमाम घरों में कई तरह के नियम और कानून होते हैं। और घर का रखवाला होने के नाते, आप अपने घर में भी कई तरह के नियम और क़ानून बना सकते हैं। जैसे कि, देर रात फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करना, इसी तरह से आप आपने रिश्तेदारों और माता-पिता के लिए नियम बना सकते हैं जैसे वो महीने में एक बार ही आपके घर में आमंत्रित हैं, आदि।
लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखियेगा, ये सभी नियम दोनों पर ही लागू होंगे, इसका मतलब है कि अगर पत्नी के माता-पिता को महीने महीने में एक ही बार आने की छूट है तो आपके माता-पिता के लिए भी यही नियम लागू होगा। बेहतर परिणामों के लिए आपको निष्पक्ष होना पड़ेगा। जितना कम वे आयेंगे, उतना ही कम वे आपके मामलों में हस्तक्षेप करेंगे और इससे आप ज्यादा से ज्यादा संतुष्ट रहेंगे।
अगर आपको लगता है कई आपके ससुराल पक्ष के लोग आपके जीवन में ज्यादा ही हस्तक्षेप कर रहे हैं, तो आपको अपना आपा खोने या पत्नी पर गुस्सा दिखने की बजाय समझदारी से काम लेना है। उन्हें थोड़ा समय दीजिये, यह संभव है कि वे हर बार आपके मामलों में दखलंदाजी नहीं करेंगे, कभी-कभी आपका धर्य भी कई समस्याओं का समाधान निकाल लेता है।
अगर तब ही ऐसा ही होता है, कुछ पल के लिए ठहरें और समझदारी से काम लें। कुछ विशेष काम के बारे में सोचें ताकि उनके पास से हट सकें। अगर आप किसी किराये के घर में रहते हैं, घर बदल लीजिये या आपका खुद का घर है तो उसे ही किराये पर दे दीजिये और आप परिवार समेत कहीं और जाकर रहिये जो उस जगह से काफी दूर हो। ऐसा आपको तब करना है जब आप उनसे पूरी तरह से त्रस्त हो चुके हों और किसी भी कीमत पर उनसे छुटकारा पाना चाहते हों।
परिस्थिति पर कभी अत्यधिक प्रतिक्रिया न दें या पत्नी से इसकी चर्चा न करें, क्योंकि उसे बुरा लग सकता है। आप घर बदलने की बात को अपनी नौकरी का हवाला देकर कर सकते हैं या फिर कुछ इसी तरह की योजना बना सकते हैं।
वे चीजें करें जिसे वो पसंद नहीं करते हैं जैसे अगर वे शाकाहारी हैं; तो उनके आने पर चिकन, आदि पकाना शुरू कर दें। यहाँ पर कई ऐसे तरीके हैं जो उनसे छुटकारा दिला सकती हैं। गहराई से सोचें, आप और भी आसानी से इसका रास्ता निकाल सकते है क्योंकि आप उनकी पसंद और नापसंद को बेहतर तरह से जानते हैं। बस ठीक उसका उल्टा करें; यह यक़ीनन काम करेगा।
कभी कभी, अगर कोई आपको अनावश्यक सलाह दे, तो बजाय उस पर गुस्सा करने या अपना खून गर्म करने के, खुद को शांत रखें और परिस्थिति के बारे में सोचें। वे जो भी कहते हैं क्या वाकई में उसका अनुसरण करना चाहिए, क्या वास्तव में आपको उनकी सलाह की आवश्यकता है या ये सब आपके लिए बकवास मात्र है।
सबसे पहले अपनी परिस्थिति का आकलन करें, क्योंकि कभी-कभी बूढ़े हाथ सर्दियों में आपको गर्म एहसास कराते हैं मगर गर्मियों में वे जला भी सकते हैं। इसलिए गर्मियों में तो आपको उनकी जरूरत नहीं पड़ेगी मगर सर्दियों में शायद आप उन्हें पसंद करें। इसी तरह से, आप बेहतर समझदार है और अपनी जरूरतों को समझने के काबिल हैं।
उनके सुझाव का आकलन करें और अगर तब भी आप उनके सुझाव से छुटकारा पाना चाहते हैं, आप उन्हें साफ़-साफ़ बोल दें। इस तरह से, वे आपकी शादी शुदा जीवन में दखल देने की जुर्रत नहीं करेंगे। कभी कभी कड़क हो जाना आवश्यक हो जाता है, आप साफ़-साफ़ उन्हें जता दीजिये कि उनकी वजह से आपकी वैवाहिक जीवन प्रभावित हो रही है और उनकी दखलंदाजी उनकी शादी शुदा जीवन को खतरे में डाल रही है।
कोई भी समस्या अचानक ही आकर नहीं खटखटाती है, ये आपके कर्मों का ही नतीजा होता है। ठीक उसी तरह से जैसे कैंसर एक ही बार में सीधा तीसरे चरण पर नहीं पहुँच जाता। यह कुछ लक्षण देता है और अगर उसका इलाज नहीं हुआ तो घातक हो जाता है। ठीक इसी तरह से, जब पहली बार आपके ससुराल वाले आपके घर आते हैं तब से ही आप उनपर नजर रखिये। सब कुछ ठीक है या नहीं आप इसकी जानकारी ले सकते हैं और अगर आपको किसी तरह की चिंगारी की महक आती है तो इससे पहले की आग लग जाए तुरंत उसपर काम करिए। कुछ कार्रवाई कीजिये और अपने रिश्ते में किसी भी प्रकार की कड़वाहट आने से रोकिये। अपने सक्रिय अवलोकन के माध्यम से, आप तमाम समस्याओं को हल कर सकते हैं।
परिस्थिति चाहे जो भी हो और कटघरे में चाहे जो भी खड़ा हो हमेशा विनम्रता से पेश आयें। आपके संबंधों का सबसे पहला नियम है एक दूसरे का सम्मान करें, साथ ही साथ उनके परिवार का भी। जब हम दूसरों का सम्मान करते हैं, वे भी ऐसा ही करते हैं और अगर ऐसा नही करते, तो कम से कम आपके व्यवहार पर विचार करके आपको महत्व देते हैं। किसी से अपनी बात मनवाने का सबसे बेहतर तरीका है उसका सम्मान करना।
अगर आपकी समस्या सिर्फ गर्दन हिला देने से ही हल हो सकती है, तो आपको ऐसा करना चाहिए। यह भी संभव है कि आपके ससुराल वाले आपको कोई ऐसी सलाह दें जिसके बारे में आप पहले से ही जानते हों और इससे आप चिढ़ें।
इसलिए चर्चा करने की बजाय बस उनकी योजना का सम्मान करें और कुछ देर बाद अपनी पत्नी से चर्चा करें और उन्हें उसके बुरे परिणामों के बारे में बताएं और यह भी कि क्यों उसने उनकी योजना को नकार दिया। वह जरुर समझेगी, और इस तरह से आप अपने घर में वो सब कुछ कर सकते हैं जो आप चाहते हैं।
परिस्थिति का आकलन करने में आपको हमेशा सक्षम होना चाहिए और अपने परिवार को प्राथमिकता देना चाहिए, चाहे ये आपकी पत्नी हो, माँ हो या बच्चे हों। आपके ध्यान की सबसे ज्यादा आवश्यकता किसे है? कभी कभी घर के नकारात्मक वातावरण से बच्चे प्रभावित होते हैं।
इसलिए कोशिश करें की अपनी पत्नी या अन्य किसी से किसी भी प्रकार की बहस न करें और यदि संभव हो तो इस तरह की चीजों को नजरंदाज करें और उन्हें प्राथमिकता दें जो जरूरी है। और अगर ये आपका बच्चा है, तब आपको उसके साथ होना चाहिए बजाय इसके कि घर में नकारात्मक माहौल फैलाया जाए।
आप साफ़-साफ़ बोल सकते हैं कि बच्चे ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसलिए आप उनसे असहमत हैं या सीधे तौर पर उनसे बात कर के उन्हें कही और मिलने को कह सकते हैं क्योंकि मेहमानों का अचानक से घर आना बच्चों की पढ़ाई पर असर डालता है।
यहाँ पर कुछ ऐसी ही तरकीबें हैं जो आपको अपने ससुराल वालो या पत्नी के परिवार वालों से निपटने में काम आ सकती है।
अपने जीवन से अतिरिक्त मिठास वाले लोगों (ससुराल वालों को) को हटा दें और गरम मसाला का तड़का लगाये और दूसरों के साथ अपने अनुभव को साझा करना न भूलें क्योंकि यह आपके जैसे कई लोगों की मदद कर सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
जिस तरह से आपकी पत्नी आपके लिए खास है, अपने माता-पिता के लिए वो भी उतनी ही खास होगी, कभी कभी आपके ससुराल वाले आपको परेशान करते हैं मगर हमेशा नहीं। भारत एक ऐसा देश है जो एकता में भरोसा रखता है और मिश्रित परिवार यहाँ सदियों से इसका गवाह है। अगर यह संभव है कि एक साधारण से वार्तालाप से किसी तरह की समस्या का समाधान हो सकता है तो आप इसके लिए आगे बढ़िये या फिर हमने जिन तरीकों पर बात की हैं निश्चित रूप से वो आपके काम आ सकती हैं।
उम्र, अनुभव को उपहार में देती है और यदि आपके पास अपना खुद का अनुभव साझा करने के लिए कोई है तो यक़ीनन यह एक आशीर्वाद है। यद्यपि स्थितियां एक व्यक्ति से अन्य व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है, आपके ससुराल वाले आपके लिए वरदान या अभिशाप हो सकते हैं। बस खुद में एक क्षमाशील प्रवृत्ति को अपनाएं और अपने जीवन को अपने नियम और शर्तों पर जिएं, यह आपके लिए आंतरिक शांति लेकर आएगी और आपको खुश रखेगी।