भाषण

हिंदी दिवस पर स्पीच

पूरे भारत के सभी हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी दिवस मनाया जाता है। हर साल 14 सितंबर को इसका वार्षिक समारोह मनाया जाता है। इस दिन एक सरकारी प्रायोजित कार्यक्रम होता है जिसे पूरे भारत के कार्यालयों, स्कूलों, फर्मों आदि में बेहद उत्साह से मनाया जाता है। इस अवसर का जश्न मनाने के पीछे सरकार का प्राथमिक उद्देश्य हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देना और फैलाना है। आप भी इस तरह के किसी उत्सव का एक हिस्सा बन सकते हैं और जहाँ आपको स्पीच/भाषण देने की आवश्यकता पड़ सकती है। हम आपको ऐसे अवसर के लिए तैयार करते हैं।

हिंदी दिवस पर भाषण (Short and Long Speech on Hindi Diwas)

भाषण – 1

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, उप-प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षक गण एवं मेरे प्रिय साथियों। आज हिंदी दिवस के मौके पर मैं आप सबके सामने इस विषय पर कुछ पंक्तियां लेकर उपस्थित हूं और आशा करती हूं की यह आप सबको अवश्य रोचक लगेंगे।

हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस सप्ताह को हिंदी पखवाड़ा कहा जाता है। पूरे विश्व में सबसे जादा बोली जाने वाली भाषाओं मे से हिंदी चौथी है। आज़ादी मिलने के बाद, देश मे अंग्रेजी के बढ़ते उपयोग और हिंदी के बहिष्कार को देखते हुए हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।

14 सितंबर को 1949 को हिंदी को राजभाषा बनाया गया परंतु गैर हिंदी राज्यों ने इसका बहुत विरोध किया, जिसके कारणवश अंग्रेजी को यह स्थान मिल गया और तब से लेकर आज तक हिंदी के सर्वत्र विकास के लिये हिंदी दिवस मनाया जाता है और हर कार्यालय में हिंदी विभाग बनाया गया। ताकि हिंदी को जन-जन तक पहुंचाया जाए और हिंदी को भारत में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिल पाए।

धन्यवाद!

भाषण – 2

यहां उपस्थित सभी बड़ों को मेरा स्नेह भरा नमस्कार। आज मैं आपके सामने हिंदी दिवस के महत्व के बारे मे कुछ शब्द कहने के लिये उपस्थित हुई हूं और आशा करती हूं की यह आप सबको जरूर ज्ञानवर्धक लगेगी।

गांधी जी ने 1918 में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने कि बात कही थी। जिस पर आगे चल कर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद, हिन्दी को राजभाषा के रूप में संविधान में जोड़ा गया। परंतु गैर हिंदी राज्यों ने इसका जम के विरोध किया जिसकी वजह से, एक गैर भारतीय भाषा अंग्रेजी को भी भारत में दर्जा देना पड़ा और हिन्दी राजभाषा नहीं बन पाया। जिसकी देन है कि आज हमें हिंदी के उत्थान के लिए हिंदी दिवस मनाना पड़ रहा है।

हिंदी के बहिष्कार के बाद से 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। और साथ ही साथ हिंदी सप्ताह का भी आयोजन किया जाने लगा। जिसके तहत निबंध प्रतियोगिता, भाषण, काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएं कराई जाने लगीं, ताकि लोगों में इस भाषा के प्रति रुचि जागे और वे इन प्रतियोगिताओं में भाग लें और वे इस भाषा के ज्ञान को बढ़ाएं। साथ ही साथ सभी सरकारी कार्यालयों मे हिंदी विभाग का गठन किया गया जिसका कार्य कार्यालय में सबको हिंदी सिखाना और हिंदी भाषा के महत्व को बढ़ाना है।

इस प्रकार हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते आए हैं और हिंदी के उत्थान मे अपना योगदान देते रहे हैं और सदा देते रहेंगे। धन्यवाद।

भाषण – 3

आदरणीय मुख्य अतिथि, प्रिय स्टाफ सदस्यों और सभी आगंतुकों!

इस समारोह में शामिल होने और हम सभी के लिए इसे और अधिक विशेष बनाने के लिए धन्यवाद। हमारे पब्लिकेशन हाउस पर हम 5वां वार्षिक हिंदी दिवस मनाने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। यह हर साल 14 सितंबर को एक वार्षिक समारोह के साथ मनाया जाता है। यह दिन भारत के हिंदी भाषी राज्यों में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यद्यपि हिंदी दिवस का जश्न भारत सरकार के सभी केंद्रों, कार्यालयों, स्कूलों और सभी संस्थानों में सरकारी वित्त पोषित कार्यक्रम है लेकिन हमारा कार्यालय इस अवसर को उत्साह के साथ मनाता है।

इसे मूल रूप से पूरी दुनिया में हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देने और प्रसार करने के लिए मनाया जाता है। इसका महत्व इस दिन आयोजित कार्यक्रमों, समारोहों, प्रतियोगिताओं और विभिन्न प्रकार के उत्सवों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। हिंदी दिवस को उनकी एकता और आम व्यक्ति की हिंदी भाषा आबादी के लिए एक वफादार अनुस्मारक के रूप में भी मनाया जाता है।

हमारा संगठन इस दिन के जश्न को बहुत महत्व देता है हालांकि हमारा पब्लिकेशन हाउस अंग्रेजी भाषा में अखबारों और पत्रिकाओं को प्रकाशित करते हैं लेकिन हम हमारी मातृभाषा हिंदी को अत्यंत सम्मान देते हैं क्योंकि यह हमारी राष्ट्रीय भाषा है। अब कृपया मुझे हिंदी दिवस की पृष्ठभूमि साझा करने की अनुमति दें! 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। यह निर्णय भारत के संविधान द्वारा स्वीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखा गया भारतीय संविधान ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। अब दो भाषाएं हैं, हिंदी और अंग्रेजी, जो आधिकारिक तौर पर भारत सरकार के स्तर पर इस्तेमाल की जाती हैं।

आप सभी को हमारे कार्यालय में पिछले एक महीने से चल रही प्रतियोगिता के बारे में पता होना चाहिए। हर साल हम कुछ दिलचस्प और जानकारीपूर्ण काम करते हैं। चूंकि हमारा खुद का पब्लिकेशन हाउस हैं इसलिए उत्सव और समारोह ज्यादातर शिक्षा के आसपास ही घूमता है। इस साल हमारा विषय ‘कबीर दास के दोहे’ (संत कबीर दास की कविताएं) है। प्रतिभागियों को कबीर दास की कविताओं पर शोध करके और नाटक, गीत, विभिन्न भारतीय नृत्य रूपों आदि के माध्यम से एक रचनात्मक और अभिनव तरीके से मूल रूप से प्रस्तुत करना था। हमने पिछले हफ्ते आयोजित समारोह में कई सहयोगियों से सराहना प्राप्त की। हम आज प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा करेंगे।

मुझे यह जानने में बहुत खुशी हो रही है कि अभी भी बहुत से लोग हैं जो हमारी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने में दिलचस्पी रखते हैं और हिंदी भाषा के महत्व को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं यहां उपस्थित सभी लोगों से अपील करता हूं कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यथासंभव हिंदी भाषा का इस्तेमाल करें और लोगों के बीच इसे और अधिक व्यापक बनाए।

दुर्भाग्य से ‘हिंदी’ भाषा का महत्व धीरे-धीरे नीचे गिर रहा है। जो लोग हिंदी बोलते हैं उन्हें तथाकथित हाई क्लास सोसाइटी द्वारा संदेह की दृष्टि के साथ देखा जाता है। लोग सार्वजनिक स्थानों में हिंदी बोलते वक़्त शर्म महसूस करते हैं। हालांकि मैंने यह भी देखा है कि बहुत से शिक्षित लोग हिंदी में बहुत आत्मविश्वास से बातचीत करते हैं। मेरे संपर्क में कई लोग हैं जिनसे मैं जुड़ा हुआ महसूस करता हूँ जब वे हिंदी बोलते हैं।

हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हमें हमेशा भाषा का जितना संभव हो प्रयोग करते समय गर्व महसूस करना चाहिए।

धन्यवाद।

भाषण – 4

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण और यहां उपस्थित मेरे सहपाठी छात्रों आप सभी का इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है।

आज हिंदी दिवस के अवसर पर हमारे महाविद्यालय में इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जैसा कि आप सब जानते है कि हिंदी हमारे देश की राजभाषा है और इसके सम्मान के उपलक्ष्य में हर वर्ष 14 सिंतबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है क्योंकि हिंदी सिर्फ हमारी राष्ट्र भाषा ही नही बल्कि हमारे विचारों का सरलता से आदान-प्रदान का एक जरिया भी है। वैसे तो हर वर्ष साधरणतः इस दिन हमारे महाविद्यालय में कोई विशेष कार्यक्रम का आयोजन नही किया जाता था, परन्तु इस वर्ष से इस प्रथा को बदला जा रहा है और अब हमारे आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय ने यह निर्णय लिया है कि अब प्रत्येक वर्ष इस दिन को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जायेगा।

मुझे इस बात की काफी खुशी है कि आज के इस विशेष दिन इस कार्यक्रम में मुझे आप सब की मेजबानी करने का अवसर मिला है। आज के अवसर पर मैं आप सबके सामने हिंदी के महत्व और वर्तमान काल में इसके उपर मंडरा रहे संकट तथा इसके निवारण के विषय में चर्चा करना चाहूँगा।

जैसा कि हम सब जानते है कि हिंदी भारत की सबसे ज्यादे बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, वैसे देखा जाये तो हिंदी का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है, परन्तु आधुनिक काल (1850 ईस्वी के पश्चात) में इसमें सबसे अधिक विकास हुआ। यह वह समय था, जब हिंदी भाषा में भारतेंदु और प्रेमचंद जैसे महान सूर्यों का उदय हुआ। इसके साथ भारत के आजादी में भी हिंदी भाषा का काफी महत्व रहा है, चाहे वह आजादी के लिए तैयार किए गये हिंदी नारे हो या फिर देशभक्ति कविताएं सभी ने देश की जनता के ह्रदयों में क्रांति की ज्वाला को भरने का कार्य किया। यही कारण था कि हिंदी को जन-जन की भाषा माना गया और आजादी के पश्चात इसे राजभाषा का दर्जा मिला।

हिंदी के उपर मंडराता संकट

वर्तमान समय में हम इस बात से इंकार नही कर सकते कि हिंदी के उपर दिन-प्रतिदिन संकट गहराता जा रहा है। तथ्यों और किताबी बातो के लिए यह ठीक है कि हिंदी हमारी राज भाषा है पर इस बात से हम सब वाकिफ है, हममें से ज्यादेतर लोग सामूहिक मंचो और जगहों पर हिंदी बोलने से कतराते है। लोग चाहते कि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़े और फर्राटेदार अंग्रेजी बोले। जो इस बात को पूर्णतः प्रमाणित करती है कि हिंदी हमारे अपने ही देश में दोयम दर्जे की भाषा बनकर रह गयी है। इस बात को लेकर मुझे आचार्य चाणक्य का एक कथन याद आ रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “कोई राष्ट्र तब तक पराजित नहीं होता,  जब तक वह अपने संस्कृति और मूल्यों की रक्षा कर पाता है” उनका यह कथन वर्तमान भारत के परिदृश्य को बहुत ही अच्छे तरीके से परिभाषित करता है। जिसमें आज हम सभी में अग्रेंजी भाषा और अंग्रेजी तौर तरीके अपनाने की होड़ मची हुई है, जिसके लिए हम अपने मूल भाषा और रहन-सहन तक को छोड़ने के लिए तैयार हो गये हैं।

आज स्थिति ऐसी हो गयी है कि हमारे अपने ही देश में लोग हिंदी विद्यालयो में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने में संकोच महसूस करते है। आज के समय में हमारे देश में अधिकतर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा पहले अच्छे से अंग्रेजी लिखना और बोलना सिखे। हमारे इसी रवैये ने हमारे अपने ही देश में हिंदी को दोयम दर्जे की भाषा बनाकर रख दिया है। हलांकि अब लोग इस विषय को गंभीरता से ले रहे है और हिंदी का महत्व समझने लगे है, जोकि हमारे देश और समाज के लिए एक अच्छा संकेत है फिर भी हम चाहें तो इसके लिए और बेहतर प्रयास कर सकते है।

हिंदी के उन्नति के लिए किए जा सकने वाले प्रयास

ऐसे कई तरीके है जिनके द्वारा हम लोगो को हिंदी का महत्व समझा सकते है और अपने देश को उन्नति के मार्ग पर और भी सरलता से ले जा सकते हैं।

  1. हमें लोगो को यह समझाने का प्रयास करना होगा कि आप अपने बच्चों को अंग्रेजी अवश्य सिखायें पर एक दूसरी भाषा के रुप में ना कि प्राथमिक भाषा के रुप में यह सारी चीजे बचपन से ही करना आवश्यक ताकि बाद में आगे चलकर उन्हें सामूहिक मंचो से हिंदी बोलने में संकोच ना हो।
  2. इसके साथ ही लोगो को अपनी इस मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है कि अंग्रेजी ही आधुनिक समाज में सबकुछ है।
  3. सामान्यतः लोगो में यह गलत अवधारणा आ चुकी है कि यदि बच्चे हिंदी माध्यम से पढ़ेगे तो वह कमजोर हो जायेंगे और जीवन में सफल नही हो पायेंगे, ऐसे लोगो को हमें यह समझाना होगा ज्ञान, ग्रहण करने वाले की क्षमता और एकाग्रता पर निर्भर करता है नाकि शिक्षा की भाषा पर, इसके विपरीत शोधों में यह देखा गया है कि मातृ भाषा में बच्चे किसी भी विषय को और अधिक तेजी से सीख पाते है।
  4. इसके साथ ही सरकार को भी इस में प्रयास करते हुए अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में यह सुनिश्चित करना चाहिए की अंग्रेजी के साथ ही वह हिंदी को भी बराबरी का स्थान मिले।

अपने इस भाषण के द्वारा मैं आप सबसे बस यही कहना चाहता हूँ कि हमे इस अंग्रेजियत की पीछे कुछ ऐसा भी नही पागल होना चाहिए कि हम अपने संस्कृति, विचारों और भाषा को ही भूल जायें। यदि अंग्रेजी ही तरक्की का पर्याय होती तो जर्मनी, जापान और इटली जैसे देश इतने विकसित नही होते, जोकि अपने मातृभाषा को शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी इतना महत्व देते है।

अपने इस भाषण को समाप्त करते हुए मैं आप सबसे बस यहीं कहना चाहूँगा। जय हिंद, जय हिंदी, जय भारत!

मुझे अपना बहुमूल्य समय देने और इतने धैर्य से सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद!

Yogesh Singh

Yogesh Singh, is a Graduate in Computer Science, Who has passion for Hindi blogs and articles writing. He is writing passionately for Hindikiduniya.com for many years on various topics. He always tries to do things differently and share his knowledge among people through his writings.

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