जीवन के लिए जल को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पृथ्वी पर जल की मात्रा तो बहुतायत है पर धरती के कुल जल का लगभग 4% ही साफ जल है। विश्व में जनसंख्या बढ़ रही है और साथ ही अन्य संसाधनों के साथ जल की भी मांग में काफी वृद्धि हुई है। विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां पानी की किल्लत है और वहां के लोग बहुत मुश्किल से ही पीने के पानी का प्रबंध कर पाते हैं।
आइए आज हम इन 10 वाक्यों के सेट से वैश्विक जल संकट जैसी विश्वव्यापी समस्या के बारे में जानेंगे।
1) जल की उपलब्धता जब जनता की मांग को पूरा नहीं कर पाती है तो ऐसी स्थिति ही जल संकट कहलाती है।
2) कुल जल के लगभग 3.5% साफ जल का केवल 0.8% ही हम रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं और बाकी हिमखंडों में जमा है।
3) पीने योग्य मीठे पानी के मुख्य स्त्रोत भूमिगत जल, सतही जल और वर्षा द्वारा प्राप्त जल है।
4) तेजी से हो रही वनों की कटाई से जलवायु प्रभाव बढ़ा है जो विश्व में मीठे पानी के कमी का कारण है।
5) विकास और शहरीकरण के लिए मानवीय गतिविधियों ने जल प्रदूषण को बढ़ावा दिया है जिससे यह समस्या और गंभीर हुई है।
6) तेजी से बदलती जीवन शैली और बढ़ती आबादी भी जल संकट का एक मुख्य कारण है।
7) जल संरक्षण का अभाव, पानी का दुरुपयोग, जल प्रदूषण और मुख्यतः: एल-नीनो प्रभाव वर्तमान में जल संकट का मुख्य कारण है।
8) वर्ष 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक कतर देश में मीठे पानी के कमी की समस्या सबसे अधिक है।
9) वर्तमान में विश्व के लगभग 770 मिलियन लोग ऐसे हैं जिन्हें पीने के लिए साफ व सुरक्षित पानी नहीं मिल पाता है।
10) जिस प्रकार से जल संकट की समस्या बढ़ती जा रही है, एक अनुमान है कि 2040 तक दुनिया के कई स्थानों पर पानी की कमी हो जाएगी।
1) धरती पर पीने योग्य पानी की मात्रा में तेजी से होने वाली कमी की समस्या वैश्विक जल संकट कहलाती है।
2) धरती पर लगभग 1% पानी ही पीने योग्य है और उसमें भी कुछ भाग प्रदूषण के कारण पीने योग्य नहीं रह गया है।
3) विश्व में कहीं बाढ़ और सूखा पड़ने की प्राकृतिक समस्या भी जल के कमी के कारण ही होते हैं।
4) भारत के बड़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु आदि में बहुत जल्द ही साफ पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
5) 2014 के रिपोर्ट के अनुसार जल संकट से ग्रस्त देशों की सूची में भारत का 13वां स्थान है
6) जल संकट के प्रभाव केवल निवासी जनता पर ही नहीं बल्कि साथ ही देश की कृषि, अर्थव्यवस्था और जैव विविधता पर भी पड़ती है।
7) घर की जिम्मेदारियां महिलाओं पर होती है अत: जल संकट की समस्या ने महिलाओं की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
8) जल संग्रह के प्रति लोगों को अखबार, टेलीविज़न तथा अन्य माध्यमों से जागरूक करके इस संकट को कम किया जा सकता है।
9) पानी की कमी से हर साल दुनियाभर में प्रतिवर्ष लगभग 15 से 20 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।
10) एक आँकड़े के मुताबिक लगभग 2.7 अरब लोगों को प्रतिवर्ष कम से कम एक माह के लिए मीठे पानी के संकट से जूझना पड़ता है।
मनुष्य की लगभग सभी सामान्य जरूरतों के लिए साफ पानी की आवश्यकता होती है। लोगों तक साफ पानी पहुंचाने के लिए सरकारें और कई संस्थान कार्यरत है परंतु जल संकट इतनी गंभीर समस्या है कि इस पर पूरी तरह से काबू पाना लगभग नामुमकिन है।
आशा करता हूँ कि ऊपर मैंने जो वैश्विक जल संकट पर 10 वाक्यों के सेट (Sets of 10 Points on Global Freshwater Crisis) लिखे हैं वो आपको पसंद आए होंगे। इन वाक्यों को आप अपनी आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर सकते हैं।
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उत्तर– 22 मार्च को।
उत्तर– संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के बाद सन् 1993 से।