हिन्दू धर्म में माता दुर्गा के 9 रूपों की पूजा बड़े ही श्रद्धा-भाव से की जाती है। जिस तरह से नवरात्रि में पण्डाल लगाए जाते हैं उसी प्रकार से काली पूजा (Kali puja) के समय भी बड़े स्तर पर काली माँ की पूजा की जाती है। काली पूजा का पर्व दिवाली का ही एक भाग है तथा लोग माँ लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती और माँ काली की भी उपासना करते हैं। काली पूजा के दिन तांत्रिक लोग अपनी तंत्र साधना भी करते है और माँ काली से शक्ति का आशीर्वाद लेते हैं।
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माता काली सबकी रक्षा करती हैं और अपने भक्तों की बाधाओं को समाप्त करती हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से काली पूजा के बारे में जानेंगे।
1) काली पूजा(Kali Puja) का त्योहार प्रतिवर्ष दिवाली के दिन मनाए जाने वाला हिन्दू पर्व है।
2) काली पूजा भारतीय कैलेंडर के कार्तिक माह की कृष्णपक्षीय अमावस्या के दिन की जाती है।
3) काली पूजा के दिन भक्त साधारण और तांत्रिक विधियों से अर्धरात्रि को माँ काली की साधना करते हैं।
4) काली पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल का पर्व है और इसकी शुरुआत भी वहीं से हुई है।
5) काली पूजा का पर्व मुख्य रूप से असम, बंगाल, बिहार, झारखंड तथा उड़ीसा में मनाया जाता है।
6) इस दिन माँ के भक्त रात्रि के समय काली माता के मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं।
7) भारत में कुछ विशिष्ट स्थानों पर काली पूजा के पर्व पर पंडाल भी लगाए जाते है।
8) लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं और देवी के मंत्र और गीत गाकर माँ काली का आह्वान करते हैं।
9) वर्ष 2021 में 4 नवंबर के दिन काली पूजा का कार्यक्रम किया जाएगा।
10) माँ काली को पापनाशिनी भी कहा जाता है, माँ की भक्ति करने वालों के सारे कष्ट समाप्त हो जाते है।
1) प्रतिवर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर के अक्टूबर या नवंबर महीने में काली पूजा का पर्व मनाया जाता है।
2) भारत में लोग इस दिन घरों में माता लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं और सुखमय जीवन की कामना करते हैं।
3) श्याम पूजा अथवा महनिष पूजा भी माता काली की पूजा के ही अन्य नाम है।
4) चतुर्दशी के दिन लोग भगवान यम की पूजा करते है और इस दिन को नरक चतुर्दशी कहते हैं।
5) भक्त इस दिन को माँ काली के जन्मदिवस के रूप में मनाते है अत: इसे काली चौदस भी कहा जाता है।
6) काली पूजा में भक्त अपने घरों में माता की मूर्ति और तस्वीर स्थापित करते हैं और विधि-विधान से माँ काली की पूजा करते हैं।
7) साधारण पूजा में लोग माँ काली को फल-फूल, मीठा, पान व अन्य प्रकार के प्रसाद चढ़ाते हैं।
8) तंत्र पूजा में भक्त फल-फूल, प्रसाद और जीव बलि देकर चंडी पाठ करते हैं और माँ काली की घोर साधना करते हैं।
9) काली पूजा के कार्यक्रम भी दुर्गा पूजा की तरह ही विशेष स्थानों पर बड़े भव्य तरीके से मनाया जाता है।
10) उड़ीसा, बंगाल तथा असम के कुछ क्षेत्रों में लोग प्रतिदिन ही माँ काली की उपासना करते हैं।
माँ दुर्गा ने ही धरती से राक्षसों के सर्वनाश के लिए माँ काली का उग्र रूप धारण किया। काली पूजा के संबंध में कई भ्रांतियां फैली हुई है कि यह पूजा केवल अघोरी और तांत्रिकों द्वारा ही की जाती है जबकि बहुत से स्थानों पर भारी संख्या में साधारण भक्तों की भीड़ काली पूजा के कार्यक्रम को देखने और दर्शन करने के लिए आते हैं।
सम्बंधित जानकारी:
उत्तर – रटन्ती काली (दयालु काली) माँ के रूप में देवी की पूजा हिन्दी पंचांग के माघ माह के कृष्णपक्ष के चतुर्दशी तिथि को का जाती है।
उत्तर – माँ काली की पूजा में “नमः ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा” मंत्र का जाप करते हैं।
उत्तर – माँ काली की पूजा सप्ताह में शुक्रवार के दिन की जाती है।