सम्पूर्ण विश्व में भारत वर्ष अपनी संस्कृति सभ्यता, धार्मिक पर्व (त्यौहार) के मामले में अलग पहचान रखता है। भारतीय दैनिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कोइ ना कोइ त्योहार अवश्य पड़ता है इन सभी त्योहारों में मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म के लोगों का एक मुख्य पर्व कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। ग्रेगोरियन कैलेण्डर के अनुसार मकर संक्रांति जनवरी माह के 14-15 तारीख को पड़ता है।
आइये दोस्तों आज हम मकर संक्रांति का इतिहास एवं महत्व को जानने का प्रयास करते है। जो आपके धार्मिक विचारधारा के विकास में उपयोगी साबित होगी।
1) हिन्दू पंचांग में मकर संक्रांति पौष मास में पड़ता है।
2) मकर संक्रांति का त्यौहार भारत के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है।
3) तमिलनाडु में यह त्योहार पोंगल के नाम से जाना जाता है।
4) उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी बिहार में इस त्यौहार को खिचड़ी के नाम से जानते है।
5) इस दिन लोग तिल, गुड़, चिवड़ा तथा चावल का दान देते है।
6) बच्चे इस दिन ख़ूब पतंग उड़ाते है और देसी गुड़ दाने का लुत्फ़ उठाते है।
7) मकर संक्रान्ति पर हिन्दूओ द्वारा गंगास्नान एवं दान देने की मुख्य परंपरा है।
8) प्रयागराज में गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम तट पर विश्व के सबसे बड़े स्नान मेले का आयोजन इसी दिन से प्रारम्भ होता है।
9) ऐसा माना जाता है कि आज ही के दिन माँ गंगा सागर में जाकर मिली थी।
10) इसलिए आज के दिन गंगासागर स्नान को सबसे पवित्र स्नान माना जाता है।
1) हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार मकर संक्रान्ति से शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि की शुरुआत होती है।
2) इस दिन महाराष्ट्र में सुहागिन महिलाएं अन्य महिलाओं को गुड़ और तिल दान स्वरूप भेंट करती है।
3) तमिलनाडु में यह त्यौहार चार दिनों तक पोगंल पर्व के रूप में मनाया जाता है।
4) इस दिन पश्चिम बंगाल में गंगासागर संगम पर विशाल मेले का आयोजन होता है जहाँ पर पुरे देश से लोग स्नान करने के लिए आते है।
5) ऐसा माना जाता है कि इस दिन को दिया गया दान मनुष्य के मोक्ष प्राप्ति का आधार बनता है।
6) हिन्दू धर्म शास्त्र की मान्यता अनुसार भगवान सूर्य मकर राशि के सूचक अपने पुत्र शनि देव से मिलने आज ही के दिन जाते है।
7) राजस्थान की सुहागिन महिलाएं किसी सौभाग्य रुपी वस्तु का 14 की संख्या में ब्राह्मणों को दान देती है।
8) जम्मू-कश्मीर राज्य में इस पर्व को उत्तरैन’ और ‘माघी संगरांद’ के नाम से जानते है।
9) इस पर्व पर लगभग सभी लोगों के घर में दाल, चावल एवं सब्जियों को मिलाकर “खिचड़ी” नामक पकवान बनता है।
10) वर्तमान समय में आज की युवा पिढी मोबाईल द्वारा एक दूसरे को ग्रीटिंग मैसेज भेजते है एवं शुभकामनाएं देते है।
निष्कर्ष
निम्न तथ्यों से यह निर्धारित होता है कि भारत जैसे महान धार्मिक एवं सांस्कृतिक देश में त्योहारों का कितना बड़ा महत्व होता है। और अपनी संस्कृति को सृष्टि में जिंदा रखने में यह त्यौहार सबसे बड़ी भूमिका निभाते है। प्रत्येक त्यौहार हमें कुछ ना कुछ अवश्य सिखाते है और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम की भावना को जागृत करते है।
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उत्तर- भारत के आलावा नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, थाइलैण्ड, एवं श्री लंका में मनाया जाता है।