राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान किसी भी राष्ट्र, समाज या समुदाय के हित के लिए बिना किसी लालच एवं दबाव के अपनी इच्छानुसार किया जाता है। अपने परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदार को किए गए रक्तदान को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान की संज्ञा नहीं दे सकते। राष्ट्र को समर्पित किया गया रक्त किसी गरीब, असहाय एवं ज़रुरतमंद व्यक्ति की जीवन रक्षा में उपयोग किया जाता है। जिसका प्रतिफल हमें किसी असाधारण परिस्थिति में अवश्य प्राप्त होता है।
आज इस लेख के माध्यम से हम राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान के बारे में जानेंगे –
1) रक्तदान प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले आवश्यक कार्यों में से एक होना चाहिए।
2) राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस की शुरुआत 1 अक्टूबर 1975 को हुई थी।
3) रक्तदान करने के बाद एक नई शक्ति, नई ऊर्जा की अनुभूति होती है।
4) राष्ट्र हित में किया गया रक्तदान आपके राष्ट्र के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
5) स्वैच्छिक रक्तदान मानवता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
6) स्वैच्छिक रक्तदान जीवनदान का पर्यायवची शब्द है।
7) रक्तदान दूसरों को जीवनदान के साथ अपने दिल के रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
8) जीवन के किसी क्षण में हमारा रक्त हमारे भी काम आ जाता है।
9) स्वैच्छिक रक्तदान के पश्चात् हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवहन होता है।
10) रक्तदान को ‘महादान’ कहना बिल्कुल गलत नहीं हो सकता।
1) वर्तमान समय में रक्तदान के प्रति लोगों की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन आया है।
2) सरकार एवं कई सामाजिक संगठन स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति लोगों को जागरुक करने का प्रयास निरंतर कर रहे है।
3) एक यूनिट रक्त तीन लोगों की जीवन का बचाव कर सकता है।
4) लोगों के अन्दर रक्तदान के प्रति बढ़ती जागरुकता एवं इच्छा राष्ट्र के लिए गौरव का विषय है।
5) देश की सामाजिक संस्था अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद रक्तदान में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल करने वाली प्रथम संस्था बन चुकी है।
6) रक्तदान हमारे लिए कुछ क्षण का काम होता है, पर कुछ लोगों के लिए जीवनकाल।
7) रक्तदान मर कर भी जिन्दा रहने का सबसे सरल रास्ता है।
8) भारत में लगभग 60 प्रतिशत रक्त का संचयन नागरिकों की स्वेच्छा से होता है जिसमें अभी वृध्दि लाने की आवश्यकता है।
9) कुछ लोगों द्वारा धन के लालच में रक्तदान किया जाता है जो दाता एवं ग्राही दोनों के लिए घातक सिध्द हो सकता है।
10) शारीरिक रुप से कमजोर एवं बीमार व्यक्ति को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
जीवन में रक्तदान जैसे महान कार्य को करना व्यक्ति के सभी कार्यों में सर्वश्रेष्ठ होता है। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने साथ-साथ दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करें। राष्ट्र और वहाँ समाज के विकास में अपना योगदान दे। क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास और विनाश वहाँ के नागरिकों के ऊपर ही निर्भर करता है।