10 वाक्य

राष्ट्रवाद पर 10 वाक्य (10 Lines on Nationalism in Hindi)

प्रत्येक व्यक्ति जहां रहता है वहां की संस्कृति, परंपराओं, आदर्शों और विचारों से प्रभावित होता है। देश के प्रति उसका यही सम्मान उसके अंदर राष्ट्रवाद को उजागर करता है। राष्ट्रवाद की भावना धर्म, जाति और समाज से ऊपर होती है तथा सबको एक सूत्र में बांधती है।

राष्ट्रवाद पर 10 लाइन (Ten Lines on Nationalism in Hindi)

यहाँ हमने राष्ट्रवाद पर कुछ महत्वपूर्ण लाइन्स दिये हैं, जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं। आप इन वाक्यों का प्रयोग क्लास में दिए गए होम वर्क को पूरा करने में कर सकते हैं।

Rashtravad par 10 Vakya – Set 1

1) राष्ट्रवाद वह आस्था है जो लोगों को एकजूट करता है।

2) राष्ट्रवाद लोगों में मातृभूमि के प्रति जिम्मेदारी की भावना जागृत करता है।

3) धार्मिक और सामाजिक विभिन्नताओं के बावजूद राष्ट्रवाद सभी को एकता सिखाता है।

4) राष्ट्रवाद अनेकता में एकता को सिद्ध करता है और सद्भावना का प्रसार करता है।

5) राष्ट्रवाद की भावना हमें गर्व और सम्मान से भर देता है।

6) अपने जीवन से ज्यादा अपने देश को महत्व देना राष्ट्रीयता दर्शाता है।

7) प्रत्येक भारतीयों के अंदर राष्ट्रवाद की भावना का होना आवश्यक है।

8) विदेशों में जब दो अलग भारतीय मिलते है तो राष्ट्रवाद की भावना उन्हें करीब लाती है।

9) ऐसे मौकों पर आवश्यक है कि हम स्वार्थ को त्याग कर देश को पहले रखें।

10) भारत में राष्ट्रवाद का उदय अंग्रेजों द्वारा गुलाम बनाये जाने के दौरान हुआ।

Rashtravad par 10 Vakya – Set 2

1) ब्रिटिश शासन से पूर्व भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना धार्मिक व सामाजिक एकता तक ही सीमित थी।

2) राष्ट्र के लिए राष्ट्रीयता की भावना का पूरे देश में प्रसार अंग्रेजों द्वारा हम पर शासन करने के दौरान हुआ।

3) अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे ज़ुल्म और अत्याचार ने पूरे देश को एक धागे में बांध दिया और वहीं से राष्ट्रीयता की भावना प्रज्वलित हुयी।

4) भारत में राष्ट्रीय भावना का विकास धार्मिक स्तर से सामाजिक स्तर तक पहुंचा, जिसका श्रेय शिक्षित भारतीयों द्वारा किये गये सामाज सुधार आन्दोलनों को जाता है।

5) एक तरफ समाज में फैली कई बुराइयों एवं कुरीतियों का सुधार हुआ तो दूसरी तरफ राजनीतिक राष्ट्रीयता की भावना लोगो में तेजी से फैलने लगी।

6) भारत में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में अंग्रेजों ने भी असीमित अत्याचार करके और अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार करके अप्रत्यक्ष तरीके से साथ दिया।

7) अखबार, पत्र, पत्रिकाएं एवं अन्य लेखों के प्रकाशन के माध्यम से भी भारत में राष्ट्रवाद की भावना को बल मिला।

8) 1857 के विद्रोह ने पूरे भारत में राष्ट्रीयता की भावना के लिए आग में घी का काम किया।

9) भारत में राष्ट्रीयता की भावना एक दिन में नहीं जन्मी बल्कि यह धीरे-धीरे बढ़ रही थी। क्रांतिकारियों द्वारा किये गए आन्दोलनों ने इस भावना को उग्र रूप दे दिया।

10) राष्ट्रवाद की भावना ने ही हमें अंग्रेजों के ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होने और लड़ने का साहस दिया, जिसका परिणाम हमें स्वतंत्रता मिलना था।

राष्ट्रवाद की भावना किसी व्यक्ति तथा देश तक ही सीमित नहीं, बल्कि ये तो हम सभी के अंदर अपने देश के प्रति होती है। कभी-कभी कुछ सामाजिक एवं राजनीतिक कारण भी राष्ट्रवाद की भावना के उदय के करक बनते है। अपने देश के और उसके लोगों के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी की भावना ही राष्ट्रवाद कहलाती है।

Shubham Singh

राजनितिशास्त्र से स्नातक एवं इतिहास से परास्नातक करने के पश्चात् शुभम सिंह लेखन कार्य से जुड़ गये। लेखन से पूर्व किये गये गहन अन्वेषण इनके लेखों में साफ़ दिखाई देते है। उत्कृष्ठ लेखन के साथ-साथ ये युवाओं को उनके शिक्षा एवं भविष्य से सम्बंधित मार्गदर्शन भी करते है। इनका मानना है की सही दिशा में किया गया परिश्रम व्यक्ति को हमेशा सफल बनाता है।

Share
द्वारा प्रकाशित
Shubham Singh