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मातृ दिवस

एक माँ को सम्मान और आदर देने के लिये हर वर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मातृदिवस को मनाया जाता है। ये आधुनिक समय का उत्सव है जिसकी उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका में माताओं को सम्मान देने के लिये हुई थी। बच्चों से माँ के रिश्तों में प्रगाढ़ता बढ़ाने के साथ ही मातृत्व को सलाम करने के लिये इसे मनाया जाता है। समाज में माँ का प्रभाव बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। पूरे विश्व के विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों पर हर वर्ष मातृ दिवस को मनाया जाता है। भारत में, इसे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।

मातृ दिवस 2021 (Mother’s Day)

मातृ दिवस 2021 भारत में 09 मई, रविवार को मनाया गया। ये हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को पड़ता है।

मातृ दिवस 2020 विशेष

इस वर्ष का मातृ दिवस बेहद ख़ास रहा क्यों की सच्चे मायनों में यह तभी माताओं को ख़ुशी देता है जब बच्चे उनके साथ होते हैं और उनकी काम में सहायता करते हैं। लॉकडाउन के मौके पर बच्चों को अपनी माताओं के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिला और आम तौर पर बच्चे और बड़े भी, बाजार से गिफ्ट खरीद उन्हें लुभाने का प्रयास करते हैं जो की इस बार काम नहीं आया। इसलिये कुछ बच्चों ने कुछ अच्छा पका के, तो कुछ अपने कौशल का प्रयोग कर नाच-गा और कार्ड्स बना के अपनी माँ को खुश किया। लॉक डाउन का एक फायदा यह जरूर हुआ की हर कोई यह समझ पाया की हमारी माताएं कितना काम करती हैं और हमारे ख़ुशी के लिये कितनी मेहनत करती हैं। इस बार के लॉकडाउन स्पेशल मातृ दिवस को हमेशा याद किया जायेगा।

लॉक डाउन के मौके पर स्कूलों ने एक अलग अंदाज में मातृ दिवस मनाया, स्कूलों ने बच्चों को अपनी माँ के लिये कार्ड्स और गिफ्ट्स बनाने के लिये प्रेरित किया और सभी बच्चों से अपनी माँ के साथ की तस्वीरें साझा करने को कहा और उन में से सबसे बेहतरीन फोटो को अखबार में भी छपवाया गया।

मातृ दिवस क्यों मनाया जाता है (भारत में मातृ दिवस का इतिहास)

प्राचीन काल में ग्रीक और रोमन के द्वारा पहली बार इसे मनाने की शुरुआत हुयी। हालाँकि, ‘ममता रविवार’ के रुप में यूके में भी इस उत्सव को देखा गया था। मातृदिवस का उत्सव सभी जगह आधुनिक हो चुका है। इसे बेहद आधुनिक तरीके से मनाया जाता है ना कि पुराने वर्षों के पुराने तरीकों की तरह। अलग-अलग तारीखों पर दुनिया के लगभग 46 देशों में इसे मनाया जाता है। ये सभी के लिये एक बड़ा उत्सव है जब लोगों को अपनी माँ का सम्मान करने का मौका मिलता है। हमें इतिहास को धन्यवाद देना चाहिये जो मातृ दिवस की उत्पत्ति का कारण था।

पूर्व में, ग्रीक के प्राचीन लोग वार्षिक वसंत ऋतु त्योहारों के खास अवसरों पर अपनी देवी माता के लिये अत्यधिक समर्पित थे। ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार, रिहिह (अर्थात् बहुत सारी देवियों की माताओं के साथ ही क्रोनस की पत्नी) के सम्मान के लिये इस अवसर को वो मनाते थे।

प्राचीन रोमन लोग हिलैरिया के नाम से एक वसंत ऋतु त्योंहार को भी मनाते थे जो सीबेल (अर्थात् एक देवी माता) के लिये समर्पित था। उसी समय, मंदिर में सीबेल देवी माँ के सामने भक्त चढ़ावा चढ़ाते थे। पूरा उत्सव तीन दिन के लिये आयोजित होता था जिसमें ढ़ेर सारी गतिविधियाँ जैसे कई प्रकार के खेल, परेड और चेहरा लगाकर स्वाँग रचना होता था।

कुँवारी मैरी (ईशु की माँ) को सम्मान देने के लिये चौथे रविवार को ईसाईयों के द्वारा भी मातृ दिवस को मनाया जाता है। 1600 इंसवी के लगभग इंग्लैण्ड में मातृ दिवस मनाने उत्सव का एक अलग इतिहास है। ईसाई कुँवारी मैरी की पूजा करते हैं, उन्हें कुछ फूल और उपहार चढ़ाते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

वर्ष 1972 में जूलिया वार्ड हौवे (एक कवि, कार्यकर्ता और लेखक) के विचारों के द्वारा आधिकारिक कार्यक्रम के रुप में यूएस में मातृ दिवस को मनाने का फैसला किया गया था। जून के दूसरे रविवार को मातृ शांति दिवस और 2 जून को मनाने के लिये एक शांति कार्यक्रम के रुप में उन्होंने मातृ दिवस की सलाह दी थी।

अन्ना जारविस, यूएस में मातृ दिवस (मातृ दिवस की माँ के रुप में प्रसिद्ध) के संस्थापक के रुप में जाने जाते हैं यद्यपि वो अविवाहित महिला थी और उनको बच्चे नहीं थे। अपनी माँ के प्यार और परवरिश से वो अत्यधिक प्रेरित थी और उनकी मृत्यु के बाद दुनिया की सभी माँ को सम्मान और उनके सच्चे प्यार के प्रतीक स्वरुप एक दिन माँ को समर्पित करने के लिये कहा।

आज के दिनों में, ये कई देशों में मनाया जाता है जैसे यूके, चाईना, भारत, यूएस, मेक्सिको, डेनमार्क, इटली, फिनलैण्ड, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, जापान और बेल्जियम आदि। अपनी माँ को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिये कई सारे क्रिया-कलापों को आयोजित करने के द्वारा बहुत ही उत्साह और खुशी के साथ लोग इस दिन को मनाते हैं।

मातृ दिवस कैसे मनाया जाता है

सभी के लिये मातृ दिवस वर्ष का एक बहुत ही खास दिन होता है। जो लोग अपनी माँ को बहुत प्यार करते हैं और ख्याल रखते हैं वो इस खास दिन को कई तरह से मनाते हैं। ये साल एकमात्र दिन है जिसे दुनिया की सभी माँ को समर्पित किया जाता है। विभिन्न देशों में रहने वाले लोग इस उत्सव को अलग अलग तारीखों पर मनाते हैं साथ ही अपने देश के नियमों और कैलेंडर का अनुसरण इस प्यारे त्योंहार को मनाने के लिये करते हैं।

भारत में इसे हर साल मई के दूसरे रविवार को देश के लगभग हर क्षेत्र में मनाया जाता है। पूरे भारत में आज के आधुनिक समय में इस उत्सव को मनाने का तरीका बहुत बदल चुका है। ये अब समाज के लिये बहुत बड़ा जागरुकता कार्यक्रम बन चुका है। सभी अपने तरीके से इस उत्सव में भाग लेते हैं और इसे मनाते हैं। विविधता से भरे इस देश में ये विदेशी उत्सव की मौजूदगी का इशारा है। ये एक वैश्विक त्योहार है जो कई देशों में मनाया जाता है।

समाज में एक विशाल क्रांति कम्प्यूटर और इंटरनेट जैसी उच्च तकनीक ले आयी है जो आमतौर पर हर जगह दिखाई देता है। आज के दिनों में, लोग अपने रिश्तों के बारे में बहुत जागरुक रहते हैं और इसे मनाने के द्वारा सम्मान और आदर देना चाहते हैं। भारत एक महान संस्कृति और परंपराओं का देश है जहाँ लोग अपनी माँ को पहली प्राथमिकता देते हैं। इसलिये, हमारे लिये यहाँ मातृ दिवस का उत्सव बहुत मायने रखता है। ये वो दिन है जब हम अपनी माँ के प्यार, देखभाल, कड़ी मेहनत और प्रेरणादायक विचारों को महसूस करते हैं। हमारे जीवन में वो एक महान इंसान है जिसके बिना हम एक सरल जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। वो एक ऐसी व्यक्ति हैं जो हमारे जीवन को अपने प्यार के साथ बहुत आसान बना देती है।

इसलिये, मातृ दिवस के उत्सव के द्वारा, हमें पूरे साल में केवल एक दिन मिलता है अपनी माँ के प्रति आभार जताने के लिये। उनके महत्व को समझने के द्वारा ये खुशी मनाने का दिन है और उन्हें सम्मान देने का है। एक माँ एक देवी की तरह होती है जो अपने बच्चों से कुछ भी वापस नहीं पाना चाहती है। वो अपने बच्चों को केवल जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाना चाहती हैं। हमारी माँ हमारे लिये प्रेरणादायक और पथप्रदर्शक शक्ति के रुप में है जो हमें हमेशा आगे बढ़ने में और किसी भी समस्या से उभरने में मदद देती है।

माँ के महत्व और इस उत्सव के बारे में उन्हें जागरुक बनाने के लिये बच्चों के सामने इसे मनाने के लिये शिक्षकों के द्वारा स्कूल में मातृ दिवस पर एक बड़ा उत्सव आयोजित किया जाता है। इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिये खासतौर से छोटे बच्चों की माताओं को आमंत्रित किया जाता है। इस दिन, हर बच्चा अपनी माँ के बारे में कविता, निबंध लेखन, भाषण करना, नृत्य, संगीत, बात-चीत आदि के द्वारा कुछ कहता है। कक्षा में अपने बच्चों के लिये कुछ कर दिखाने के लिये स्कूल के शिक्षकों के द्वारा माताओं को भी अपने बच्चों के लिये कुछ करने या कहने को कहा जाता है।

आमतौर पर माँ अपने बच्चों के लिये नृत्य और संगीत की प्रस्तुति देती हैं। उत्सव के अंत में कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिये माताएँ भी कुछ प्यारे पकवान बना कर लाती हैं और सभी को एक-बराबर बाँट देती हैं। बच्चे भी अपनी माँ के लिये हाथ से बने ग्रीटींग कार्ड और उपहार के रुप में दूसरी चीजें भेंट करते हैं। इस दिन को अलग तरीके से मनाने के लिये बच्चे रेस्टोरेंट, मॉल, पार्क आदि जगहों पर अपने माता-पिता के साथ मस्ती करने के लिये जाते हैं।

ईसाई धर्म से जुड़े लोग इसे अपने तरीके से मनाते हैं। अपनी माँ के सम्मान के लिये चर्च में भगवान की इस दिन खास पूजा करते हैं। उन्हें ग्रीटिंग कार्ड और बिस्तर पर नाश्ता देने के द्वारा बच्चे अपनी माँ को आश्चर्यजनक उपहार देते हैं। इस दिन, बच्चे अपनी माँ को सुबह देर तक सोने देते हैं और उन्हें तंग नहीं करते साथ ही उनके लिये लजीज व्यंजन बनाकर खुश करते हैं। अपनी माँ को खुश करने के लिये कुछ बच्चे रेडीमेड उपहार, कपड़े, पर्स, सहायक सामग्री, जेवर आदि खरीदते हैं। रात में, सभी अपने परिवार के साथ घर या रेस्टोरेंट में अच्छे पकवानों का आनन्द उठाते हैं।

परिवार के साथ खुशी मनाने और ढ़ेर सारी मस्ती करने के लिये बच्चों को इस दिन अच्छे से मनाने का पूरा मौका देने के लिये कुछ देशों में मातृ दिवस एक अवकाश होता है। ये सभी माँओं के लिये एक बहुत ही सुंदर दिन है, इस दिन उन्हें घर के सभी कामों और जिम्मेदारियों से मुक्त रखा जाता है।

मातृ दिवस का थीम

वर्ष 2020 में मातृ दिवस का थीम – “कोरोना वायरस के दौरान घर पर रहें, माँ और नवजात को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखें” (Stay at home during corona virus, keep mother and new born safe from Coronavirus)

वर्ष 2019 में मातृ दिवस का थीम “अच्छे के लिए संतुलन (बैलेंस फार बेटर)” था।

वर्ष 2017 में मातृ दिवस के लिए थीम “हर मां जानती है” था।

वर्ष 2016 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां के हाथ” था।

वर्ष 2015 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां का दिल” था।

वर्ष 2014 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां का प्यार” था।

वर्ष 2013 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां की घुटने” था।

वर्ष 2012 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां का स्पर्श” था।

वर्ष 2011 में मातृ दिवस के लिए थीम “योग्य मां” था।

वर्ष 2010 में मातृ दिवस के लिए थीम “सभी राजाओं की बेटी” था।

वर्ष 2009 में मातृ दिवस के लिए थीम “पवित्रता सौंदर्य” था।

वर्ष 2008 में मातृ दिवस के लिए थीम “ब्लेस्स नेस्ट” था।

वर्ष 2007 में मातृ दिवस के लिए थीम “धनुष और बटन” था।

वर्ष 2006 में मातृ दिवस के लिए थीम “लव कैमियो” था।

वर्ष 2005 में मातृ दिवस के लिए थीम “हैप्पी मेमोरी” था।

वर्ष 2004 में मातृ दिवस के लिए थीम “क्लासिक ईसाई की महिला” था।

वर्ष 2003 में मातृ दिवस के लिए थीम “रब्बी से दूर तक” था।

वर्ष 2002 में मातृ दिवस के लिए थीम “काम के लिए हाथ, और भगवान के लिए दिल” था।

वर्ष 2001 में मातृ दिवस के लिए थीम “अच्छे काम के लिए सलाम” था।

वर्ष 2000 में मातृ दिवस के लिए थीम “होम हार्ट” था।

वर्ष 1999 में मातृ दिवस के लिए थीम “पावन सौंदर्य” था।

वर्ष 1998 में मातृ दिवस के लिए थीम “मातृत्व खुशी” था।

वर्ष 1997 में मातृ दिवस के लिए थीम “प्यार के लिए एक रास्ता मिला” था।

वर्ष 1996 में मातृ दिवस के लिए थीम “हाउस इन लव” था।

वर्ष 1995 में मातृ दिवस के लिए थीम “हवा में एक प्यार है” था।

वर्ष 1994 में मातृ दिवस के लिए थीम “घर पर, प्यार है”।

वर्ष 1993 में मातृ दिवस के लिए थीम “सिल्हूट्स लव” था।

वर्ष 1992 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां – बहनों – बेटियों – दोस्तों” था।

वर्ष 1991 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां की एप्रन स्ट्रिंग्स” था।

वर्ष 1990 में मातृ दिवस के लिए थीम “मां के नक्शेकदम” था।

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अर्चना सिंह

कई लोगो की प्रेरणा की स्रोत, अर्चना सिंह एक कुशल उद्यमी है। अर्चना सिंह 'व्हाइट प्लैनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड' आई. टी. कंपनी की डायरेक्टर है। एक सफल उद्ममी होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी है, व इस क्षेत्र में कई वर्षो का अनुभव है। वे 'हिन्दी की दुनिया' और अन्य कई वेबसाइटों पर नियमित लिखती हैं। अपने प्रत्येक क्षण को सृजनात्मकता में लगाती है। इन्हें खाली बैठना पसंद नहीं। इनका कठोर परिश्रम एवं कार्य के प्रति लगन ही इनकी सफलता की कुंजी है।

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द्वारा प्रकाशित
अर्चना सिंह