नारा

स्वतंत्रता सेनानियों पर स्लोगन (नारा)

स्वतंत्रता सेनानी वह विभूतियां हैं, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता प्राप्ति में अपना अहम योगदान दिया। जब हम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में कई नाम आते हैं, पर मुख्यतः इनमें से भगत सिंह, महात्मा गाँधी, चन्द्र शेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे नाम हमारे दिमाग में सबसे पहले आते हैं, इन क्रांतिकारियों द्वारा देश के लिए किये गये बलिदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

स्वतंत्रता सेनानियों पर नारा (Slogans on Freedom Fighters in Hindi)

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Unique and Catchy Slogans on Freedom Fighters in Hindi Language

 

 

देता इतिहास गवाही है, स्वतंत्रता के मतवालों ने यह आजादी दिलाई है।

 

 

जो देश के लिए जीते मरते हैं, उन्हें ही स्वतंत्रता सेनानी कहते हैं।

 

 

देश के लिए कफन भी उन्होंने शान से ओढ़ा है, आजादी में क्रांतिकारीयों का बलिदान सबसे बड़ा है।

 

 

देश की आजादी को यूं ही बनाये रखना, स्वतंत्रता सेनानियों की धरोहर को यूं ही सजाये रखना।

 

 

ठाना था उन्होंने, मरकर या देश को आजाद कराकर आउंगा, कुछ भी हो जाये गुलामी की यह जंजीर काटकर जाउंगा।

 

 

 

हर व्यक्ति ने ठाना है, देश के सम्मान की खातिर स्वदेशी को अपनाना है।

 

 

देश की आजादी में ना हो कोई बाधा, इसलिए ना जाने कितनों नें अपना जीवन त्यागा।

 

 

जीवन का मोल उनके लिये न था, जीना मरना सिर्फ देश के लिए था।

 

 

हर जगह गूंज रहा इंकलाब का नारा, क्रांतिकारियों के ही बदौलत आजाद हुआ है भारत हमारा।

 

 

स्वतंत्रता के मूल्य को पहचानों, देश के आजादी को ही तुम सब कुछ मानो।

 

अनेक बलिदानों से संचित यह स्वतंत्रता, अपने अथक प्रयासों से क्रांतिकारियों ने अर्जित की यह स्वतंत्रता।

 

 

देश की खातिर जिन्होंने लूटा दी जवानी, वो थे हमारे स्वतंत्रता सेनानी।

 

भारत माता के लिए दे दी अपनी जान, सभी स्वतंत्रता सेनानियों को हम करते हैं प्रणाम।

 

सीने पे खा के गोलियां, भारत माँ को छीन लाये खेल रक्त की होलिआं।

 

स्वतंत्रता सेनानियों का जब नाम लेते हैं, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु सबसे पहले आते हैं।

 

बिगड़ दिए जिन्होंने अंग्रेजो के हालत, वो थे हमारे चंद्र शेखर आज़ाद।

 

क्रांतिकारियों में जिन्हे हम सबसे वीर मानते हैं, वो नगवा बालियां के मंगल पांडेय हैं।

 

अंग्रेजों के शासन पर एक चोर करारा था, सबकी जुबान पर ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा था।

 

अपनी धरती पर किसी और का राज न उन्हें गंवारा था, जो लड़ा स्वतंत्रता की खातिर वो भारत माँ का प्यारा था।

 

स्वाधीन भारत जो हमे मिला वो है उनकी निशानी, भारत में सदा पूजे जायेंगे ये स्वतंत्रता सेनानी।

 

दस, सौ, पांच सौ चाहे हज़ार साल; तुम थे तुम हो तुम रहोगे भारत माँ के लाल।

 

आज़ादी के जंग में हाहाकार मचाया था, अपनी जान भी दे दी तब कही भारत गौरव पाया था।

 

मौत आंच तक ना ला सकी उनके जुनून में, जाने थी कैसी देशभक्ति भरी उनके खून में।

 

जब जब दुश्मन ने तंग किया, वे ढाल बने और जंग किया।

 

स्वतंत्रता के जंग में उसका साहस कमाल था, हिन्दू मुस्लिम से दूर कही वो भारत माँ का लाल था।

 

भुला दिया बचपन लूटा दी जवानी, ऐसे थे हमारे स्वतंत्रता सेनानी।

 

वो जंग भी लड़े तो इतने जूनून से, की रंग दिया मिट्टी को अपने खून से।

 

वो रात एक माँ कैसे सोई होगी, फांसी की वो रस्सी भी जरूर रोई होगी।

 

मौत से उसे कोई डर न था, वो क्रन्तिकारी था कोई कायर न था।

 

भगा दिया दुश्मन को पर कभी हार न मानी, ऐसे थे हमारे स्वतंत्रता सेनानी।

 

लाखो वीरो ने अपना प्राण गवाया है, तब जा कर स्वतंत्रता का ये पर्व आया है।

 

भगा दिया दुश्मन को बिना शस्त्र बिना ढाल, तुझको है नमन ऐ भारत माँ के लाल।

 

उनकी कुर्बानी को व्यर्थ ना होने दो, संकट हो कितना भी बड़ा देश के आजादी के लिए तुम सदैव संघर्ष करो।

 

देश की आजादी का तुम ना अपमान करो, ऐसा काम करो जिससे देश को सम्मान मिले।

 

आजादी के संग्राम में तांडव मचाने आये थे, आजादी के मतवाले थे देश को स्वतंत्रता दिलाने आये थे।

 

अपने लहू से उन्होंने स्वतंत्रता को सींच दिया, स्वतंत्रता सेनानी थे वो जिन्होंने इंकलाब के नारों को बुलंद किया।

 

क्रांतिकारियों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब भारत में हर तरह का भेदभाव मिटेगा।

 

आइये हम सब मिलकर प्रण लें देश की अखंडता पर कोई आंच नहीं आने देंगे।

 

देश की आजादी से करेंगे नहीं कोई समझौता, क्रांतिकारियों के सपनों का बनायेंगे भारत पूरा।

 

शब्द-वाद सब विफल हुए जब आतताइयों को समझाने में, तब तलवारों को उठा लिया आजादी के मतवालों ने।

 

जब गुलामी जिंदगी से बड़ी हो गई, तब आजादी के संघर्ष के लिए स्वतंत्रता सेनानियों की फौज खड़ी हो गई।

 

स्वतंत्रता वह अनमोल धरोहर है, जिसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने लहू से सींचा है।

 

1857 हो या हो 1947 वो थे भारत के लाल, जो गुलामीं के राह में बन खड़े हुए थे ढाल।

 

ऐ बापू तुम फिर से वापस आओ, देश को इन गद्दारों से मुक्त कराओ।

 

आओ मिलकर याद करें उन स्वतंत्रता सेनानियों को, जिन्होंने आजादी के इस लकीर को खींचा है, अपने लहू से स्वतंत्र भारत के सपने को सींचा है।

 

कभी मंगल पांडेय तो कभी सुभाष चन्द्र बोस बनकर आते हैं, स्वतंत्रता के मतवालों के बस नाम बदल जाते हैं।

 

फंदो पर खुशी से झूल गये भारत माता के लाल, देश को आजाद कराने के लिए वो बन गये अंग्रेजी हूकुमत का काल।

 

देश की आजादी का महत्व वही जानते हैं, जो क्रांतिकारियों की कुर्बानी को पहचानते हैं।

 

आम लोग तो देश का बस नाम बढ़ा पाते हैं, क्रांतिकारी तो इसके लिए जान तक लुटा जाते हैं।

 

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Yogesh Singh

Yogesh Singh, is a Graduate in Computer Science, Who has passion for Hindi blogs and articles writing. He is writing passionately for Hindikiduniya.com for many years on various topics. He always tries to do things differently and share his knowledge among people through his writings.

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