मुहर्रम पर 10 वाक्य (10 Lines on Muharram in Hindi)

मुहर्रम प्रत्येक मुसलमान के लिए बहुत पवित्र महीना होता है। इसे मुस्लिम ‘क़ुरबानी’ का महीना भी कहते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह दिन हर साल अलग-अलग तारीख को आता है। मुसलमानों के लिए यह महीना इतना पवित्र है कि इस महीने में युद्ध व लड़ाई की अनुमति नहीं है। हजरत मुहम्मद ने एक हदीस में कहा है कि मुहर्रम में रखे रोजों का सबाब सामान्य से 30 गुना ज्यादा मिलता है। उन्होंने कहा कि जो भी मुहर्रम की 9वीं तारीख को रोज़ा रखेगा उसके जीवन में किये 2 वर्ष के गुनाह माफ़ हो जायेंगे। यह महीना मुसलमानों के लिए शोक और उत्सव दोनों का है।

मुहर्रम पर 10 लाइन (Ten Lines on Muharram in Hindi)

आज हम इस्लाम धर्म के पवित्र महीनों में से एक मुहर्रम और मुहर्रम महीने के ख़ास दिन आसुरा के बारे में जानेंगे।

Muharram par 10 Vakya – Set 1

1) मुहर्रम, हिजरी कैलेण्डर का सबसे पहला महीना होता है।

2) मुस्लिम धर्म के ख़ास 4 महीनों में से एक ‘मुहर्रम’ का महीना होता है।

3) रमजान के बाद ‘मुहर्रम’ इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे पवित्र महीना होता है।

4) मुहर्रम महीने का 10वां दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

5) इस दिन को ‘आसुरा’ के नाम से जानते है जिसका मुस्लिमों में बहुत महत्व है।

6) शिया लोग मानते है कि इसी दिन हजरत हुसैन ‘कर्बला’ की लड़ाई में शहीद हुए थें।

7) ‘हजरत हुसैन’ पैगम्बर मुहम्मद के पोते थें, जो 72 परिवारजन के साथ शहीद हो गए।

8) सुन्नी के अनुसार इसी दिन धार्मिक नेता हजरत मूसा ने फिरौन पर विजय प्राप्त किया।

9) शिया समुदाय के लोग इस दिन शोक मनाते हैं और सुन्नी उपवास रखते हैं।

10) दो अलग मान्यतों के बावजूद दुनिया के सभी मुसलमान मुहर्रम का पर्व उत्साह के साथ मनाते हैं।

Muharram par 10 Vakya – Set 2

1) मुहर्रम महीने के पहले दिन से ही नया इस्लामी वर्ष शुरू हो जाता है।

2) मुहर्रम दुनिया के सभी मुसलमानों के लिए बहुत ही भावनात्मक महीना होता है।

3) रमजान के बाद मुहर्रम महीने के रोज़े सबसे पवित्र माने जाते हैं।

4) इस दिन बड़े समूह में मुसलमान मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए इकठ्ठा होते हैं।

5) मुहर्रम माह के खास दिन ‘आसुरा’ को भारत में राजपत्रित अवकाश (Gazette Holiday) होता है

6) इस दिन मुसलमान सड़कों पर हुसैन के शहादत में जुलूस निकालते हैं।

7) ‘कर्बला’ जंग की शहादत के शोक में शिया धारदार हथियार से स्वयं का खून बहाते हैं।

8) सुन्नी मुसलमान इस दिन ताजिया निकालते हैं तथा लाठी और तलवारबाजी करते है।

9) दिल्ली के शासक ‘क़ुतुबुद्दीन ऐबक’ के समय से इस पर्व पर ‘ताजिया’ निकाला जा रहा है।

10) इस दिन की मान्यता भले ही शिया और सुन्नी मुसलमानों के लिए अलग-अलग हो पर दोनों मोहम्मद पैगम्बर को मानते हैं और इस दिन को मनाते हैं।


मुहर्रम का पर्व दुनियाभर के शिया और सुन्नी समुदाय के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है। मुस्लिम बहुसंख्यक वाले देशों में इस दिन को छुट्टी कर दिया जाता है क्योंकि सड़कों पर भारी संख्या में मुसलमान इकठ्ठा होते हैं। कई समूह अपने-अपने रंग-बिरंगे ताजिया बनाते है और जुलूस में शामिल होते हैं। शिया लोग अपनी छाती पीट कर और खून बहा कर हुसैन को श्रद्धांजलि देते हैं। इस समारोह में किसी भी धर्म के व्यक्ति शामिल हो सकते हैं उनपर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है। दुनियाभर के मुसलमान मुहर्रम का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

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