नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी 2020

यह दिवाली से एक दिन पहले और धनतेरस से एक दिन बाद मनायी जाती है। यह अश्विन माह के 14 वें दिन (अक्टूबर या नवम्बर में) पडती है। यह माना जाता है कि यह हमारे जीवन से आलस्य और बुराई को नष्ट करने के लिये मनाया जाता है।

2020में नरक चतुर्दशी शनिवार, 14 नवंबर को मनायी जायेगी।

नरक चतुर्दशी दिन की रस्में

नरक चतुर्दशी की सबसे महत्वपूर्ण रस्म है, लोग सुबह जल्दी (सूर्योदय से पहले) या चन्द्रोदय के दौरान उठ जाते है, अपने शरीर पर उबटन (तिल का तेल, जड़ी बूटी, फूल के साथ ही कुछ महत्वपूर्ण तत्व से बना) लगाते है और पवित्र स्नान या अभ्ज्ञान स्नान लेते है। यह माना जाता है कि जो इस विशेष अवसर पर ऐसा नही करता है वह नरक में जाता है। यह दिन काली चौदस, छोटी दिवाली, रुप चतुर्दशी और रुप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

अभ्ज्ञान स्नान का शुभ महूर्त:

अभ्ज्ञान स्नान की अवधि 1 घण्टा 28 मिनट

नरक चतुर्दशी क्यों मनायी जाती है

कुछ स्थानों पर नरक चतुर्दशी प्रत्येक साल देवी काली की पूजा करके मनायी जाती है जिन्होनें राक्षस नरकासुर को मारा था। इसी कारण यह दिन नरक चतुर्दशी के साथ काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। लोग अपने जीवन में वास्तविक प्रकाश लाने के साथ साथ अपने जीवन से आलस्य और दुष्टता को नष्ट करने के लिये पूजा करते है।

बहुत अच्छी तरह से पूजा करने के लिए भेंट की आवश्यक सामग्री तेल, फूल, अगरबत्ती, कपूर, दीया, मिठाई, नारियल, आरती थाली आदि हैं। लोगो की मान्यता है कि सिर धोने और आँखों में काजल लगाने से सभी बुरी दृष्टि उऩसे दूर रहेंगी। तंत्र से संबंधित व्यक्तियों की धारणा है कि इस दिन पर उनके मंत्रों का अभ्यास उनकी तंत्र शक्ति में और वृद्धि करेगा।

यह भी माना जाता है कि इस दिन हिन्दू भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर पर विजय प्राप्त की थी। लोग सुबह जल्दी उठते है और नहाने से पहले अपने पूरे शरीर पर खुशबूदार तेल लगाते है। नहाने के बाद वे नये कपडे पहनते है। अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ पूजा करके वे स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लेते है। प्रत्येक जगह दीये जलाकर वे शाम को अपने परिवार के साथ पटाखों का आनन्द लेते है।

नरक चतुर्दशी की कहानी

अतीत के प्राचीन इतिहास के अनुसार, रन्ती देव नाम का एक राजा था। वह बहुत आध्यात्मिक और चालाक आदमी था। वह हमेशा मानव जाति की सेवा और धार्मिक कार्यों और में खुद को लगाये रखता था। एक दिन मृत्यु के भगवान, यम, राजा की आत्मा को लेने के लिए उसके पास आये। राजा ने यम से पूछा कि मैंने अपने पूरे जीवन भर कोई बुरा काम और पाप कभी नहीं किया। तो आप मुझे नरक में ले जाने क्यों आये है? यम ने उत्तर दिया बहुत समय पहले तुमने अपने दरवाजे से भूखे पुरोहित को लौटा दिया था। यही कारण है कि मैं यहॉ तुम्हें नरक में ले जाने आया हूँ।

राजा ने यम से एक साल का और जीवन देने की प्रार्थना की। यम ने एक वर्ष का अधिक जीवन उसे दे दिया, और उसके बाद राजा संतों के साथ से मिले और उन्हें अपनी कहानी बतायी। उन्होंने उसे नरक चतुर्दशी पर उपवास रखने और पुजारियों को भोजन प्रदान करने के साथ ही अपनी अतीत की गलती के लिए माफी माँगने के लिए सुझाव दिया। इस तरह आपको अपने अतीत पाप से राहत मिल सकती है।

उस दिन से नरक चतुर्दशी अपने सभी पापों से मुक्त होने के साथ ही अपने आपको नरक से दूर रखने के लिये मनाया जाता है।